NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
इतवार की कविता: जश्न-ए-नौरोज़ भी है…जश्न-ए-बहाराँ भी है
अभी दो दिन पहले हमने होली और शब-ए-बारात एक साथ मनाई और 21 मार्च को नौरोज़ है। नौरोज़ यानी नया दिन। पारसियों के नए साल की शुरुआत। वसंत हर देश, हर समाज के लिए जश्न-ए-बहाराँ लेकर आता है। इसी सिलसिले में पढ़ते हैं भारतीय मूल की पाकिस्तानी शायरा नसीम सय्यद की यह नज़्म।
न्यूज़क्लिक डेस्क
20 Mar 2022
color
तस्वीर गूगल से साभार

सौग़ात

 

जश्न-ए-नौरोज़ भी है

जश्न-ए-बहाराँ भी है

शब-ए-महताब भी

जश्न-ए-मह-ए-ताबाँ भी है

सुनते हैं आज ही

जश्न-ए-शह-ए-ख़ूबाँ भी है

 

आ ऐ दिल-ए-बेताब

चलें हम भी वहाँ

जश्न की रात है

 

सौग़ात तो बटती होगी

 

अपने हिस्से की चलें

हम भी उठा लें सौग़ात

दर्द की आख़िरी सीने से

लगा लें सौग़ात

 

और फिर यूँ हो कि

जब शाम ढले

उस में भीग के

गुल-मोहर की ख़ुशबू फैले

याद की चाँदनी

बे-ख़्वाब दरीचों पे गिरे

 

फिर उसी जश्न की ये रात

मिरे काम आए

दर्द की आख़िरी सौग़ात

मिरे काम आए

 

आख़िरी शब शब-ए-आख़िर ठहरे

ज़िद पे आया हुआ ये दिल ठहरे

तोड़ दूँ शीशा जो हस्ती का भी

फिर जाम आए

काम आए तो वो सौग़ात

मिरे काम आए

 

जश्न की रात है यूँ नज़्र गुज़ारी जाए

एक इक आरज़ू सदक़े में उतारी जाए

 

 -  नसीम सय्यद


(साभार : रेख़्ता)

Sunday Poem
Hindi poem
Holi
Shab-e-Barat

Related Stories

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

इतवार की कविता: के मारल हमरा गांधी के गोली हो

इतवार की कविता: सभी से पूछता हूं मैं… मुहब्बत काम आएगी कि झगड़े काम आएंगे

इतवार की कविता : 'आसमान में धान जमेगा!'

इतवार की कविता: इस साल भी !


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,067 नए मामले, 40 मरीज़ों की मौत
    20 Apr 2022
    देश की राजधानी दिल्ली में आज फिर कोरोना के नए मामले में बढ़ोतरी हुई है | दिल्ली में 24 घंटों में कोरोना के 632 नए मामले सामने आए हैं। साथ ही देश के अन्य राज्यों में कोरोना के मामलों में धीरे-धीरे बढ़ने…
  • जेनिफ़र हॉलेस
    यूक्रेन युद्ध: क्या गेहूं का संकट मध्य पूर्व के देशों को अधिक खाद्य स्वतंत्र बनाएगा?
    20 Apr 2022
    मध्य पूर्वी देश आने वाले गेहूं की कमी का मुकाबला करने के लिए अपनी खाद्य क्षमता को बढ़ा रहे हैं। लेकिन कुछ उत्साहजनक पहलों के बावजूद, मौजूदा चुनौतियां खाद्य संप्रभुता को लगभग असंभव बना रही हैं – ख़ास…
  • शारिब अहमद खान
    तालिबान को सत्ता संभाले 200 से ज़्यादा दिन लेकिन लड़कियों को नहीं मिल पा रही शिक्षा
    20 Apr 2022
    अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा हासिल करने पर तालिबानी सरकार द्वारा रोक लगाए हुए 200 दिनों से ज़्यादा बीत चुके हैं। यह रोक अभी भी बदस्तूर जारी है।
  • जितेन्द्र कुमार
    मुसलमानों के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा पर अखिलेश व मायावती क्यों चुप हैं?
    20 Apr 2022
    समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की सबसे बड़ी परेशानी यही है कि वे संस्कृति के सवाल को ठीक से समझ ही नहीं पा रहे हैं। सामाजिक न्याय व हिन्दुत्व एक दूसरे का विरोधी है फिर भी मुसलमानों के…
  • jahangirpuri
    न्यूज़क्लिक टीम
    खोज ख़बर : VHP की दिल्ली पुलिस को धमकी, गृह मंत्री रहे चुप, प्रतिरोध में हुईं आवाज़ें तेज़
    19 Apr 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने नफ़रती राजनीति के बेशर्म राजनीतिक कनेक्शन को कुछ तस्वीरों-घटनाओं के साथ सामने रखा। साथ ही इसके विरोध में उठे विपक्षी दलों के स्वरों को लोकतंत्र को जिंदा रखने…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License