NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं हूं
जनता के शायर राहत इंदौरी पिछले मंगल को चले गए, इसी मिट्टी में दफ़्न हो गए। उनके सैकड़ों शेर हवाओं में तैर रहे हैं। सोशल मीडिया पर बिखरे पड़े हैं। जहां देखिए उनकी तहरीर, उनकी तस्वीर, उनके वीडियो। हर कोई उनके शेर, उनकी ग़ज़लें साझा कर अपनी ख़िराज-ए-अक़ीदत, अपनी श्रद्धांजलि पेश कर रहा है। ‘इतवार की कविता’ के जरिये हमारी भी यही विनम्र कोशिश है, उन्हें फिर-फिर याद करने की, सलाम पेश करने की।
न्यूज़क्लिक डेस्क
16 Aug 2020
cartoon click

अभी ग़नीमत है सब्र मेरा, अभी लबालब भरा नहीं हूं

वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं हूं

 

वो कह रहा है कि कुछ दिनों में मिटा के रख दूंगा नस्ल तेरी

है उसकी आदत डरा रहा है, है मेरी फितरत डरा नहीं हूं

...

आज हम दोनों को फ़ुर्सत है चलो इश्क़ करें

इश्क़ दोनों की ज़रूरत है चलो इश्क़ करें

 

इसमें नुकसान का ख़तरा ही नहीं रहता है

ये मुनाफे की तिजारत है चलो इश्क़ करे

 

आप हिंदू, मैं मुसलमां, ये इसाई, वो सिख

यार छोड़ो ये सियासत है, चलो इश्क़ करें

...

हाथ ख़ाली हैं तिरे शहर से जाते जाते

जान होती तो मिरी जान लुटाते जाते

 

अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है

उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते

 

रेंगने की भी इजाज़त नहीं हम को वर्ना

हम जिधर जाते नए फूल खिलाते जाते

 

मैं तो जलते हुए सहराओं का इक पत्थर था

तुम तो दरिया थे मेरी प्यास बुझाते जाते

 

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे

कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

 

-    राहत इंदौरी

(1 जनवरी,1950–11 अगस्त,2020)

 

इसे भी पढ़ें : राहत सुनो- वबा फैली हुई है हर तरफ़…अभी माहौल मर जाने का नईं

इसे भी देखें : भारतीय शायरी की अज़ीम शख्सियत को सलाम और श्रद्धांजलि

Sunday Poem
poem
Hindi poem
rahat indori
कविता
इतवार की कविता

Related Stories

वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

फ़ासीवादी व्यवस्था से टक्कर लेतीं  अजय सिंह की कविताएं

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License