NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
सर्वे : 89% प्रवासी श्रमिकों को नहीं मिला वेतन, 96% तक नहीं पहुंचा सरकारी राशन
एनजीओ स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (स्वान) ने लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी मजदूरों पर एक सर्वे किया है। यह सर्वे लॉकडाउन-1 की अवधि यानी 25 मार्च से 14 अप्रैल के मध्य 11,159 प्रवासी मज़दूरों पर किया गया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
18 Apr 2020
lockdown

लॉकडाउन के बाद अपने घरों के लिए निकल पड़े मजदूरों और कर्मचारियों की पीड़ा तो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई ही पड़ी थी। हालांकि इस दौरान मीडिया के एक वर्ग ने उन्हें विलेन के रूप में दिखाया। ऐसा बताया गया कि वे कोरोना वायरस के वाहक हैं। इसे लेकर ऐसा प्रचार किया गया कि जिन गांवों के लिए वो मजदूर लौट रहे थे। वहां भी उनके आने को लेकर तमाम तरह की रोक लगा दी गईं।

इससे इतर जो लोग सरकार के आदेश का पालन करते हुए और आश्वासन पर भरोसा करते हुए दिल्ली, सूरत और मुंबई जैसे शहरों में रुक गए थे उनकी स्थिति भी बहुत बुरी है। उन्हें पेट भर भोजन नहीं मिल रहा है और मांगने पर धमकाने और मारपीट की हरकतें हो रही हैं।

दिल्ली के शेल्टर होम में खाने को लेकर मारपीट हुई और एक व्यक्ति यमुना में कूद पड़ा। बाद में फिर मारपीट हुई और शेल्टर होम को आग लगा दी गई। इस सबको लेकर कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। यही स्थिति सूरत में भी हुई जहां खाना न मिलने पर लोगों ने प्रदर्शन किया और उन पर लाठीचार्ज हुआ। मुंबई में बांद्रा स्टेशन पर हजारों लोग इस उम्मीद से आ गए कि उन्हें घर जाने के लिए ट्रेन मिल जाएगी। ट्रेन तो नहीं मिली लेकिन जब वे लौटने को तैयार नहीं हुए तो लाठियां बरसने लगीं।

कैसी है मजदूरों की हालत?

लॉकडाउन के इस वक्त में प्रवासी श्रमिक भारी कठिनाई के दौर से गुजर रहे हैं। स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (स्वान) नाम के एक गैर लाभकारी संगठन (एनजीओ) ने लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी मजदूरों पर एक सर्वे किया है। यह सर्वे लॉकडाउन-1 की अवधि यानी 25 मार्च से 14 अप्रैल के मध्य 11,159 प्रवासी मजदूरों पर किया गया है। 15 अप्रैल को जारी की गई इस सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन-1 की अवधि में 89 फीसदी प्रवासी मजदूरों को उनके एंप्लॉयर ने वेतन का भुगतान नहीं किया है।

इनमें से ज्यादातर श्रमिक वे थे जो या तो अपने अपने गृह-राज्य लौट नहीं पाए या उन्होंने जाने की कोशिश भी नहीं की। नेटवर्क ने पाया कि ये लोग जितने संकट में हैं उससे उन्हें निकालने के लिए पर्याप्त राहत नहीं मिल पा रही है। समूह ने पाया कि इनमें से 96 प्रतिशत लोगों को सरकार से राशन नहीं मिला है। सबसे बुरी स्थिति उत्तर प्रदेश में थी जहां से कम से कम 1,611 श्रमिकों ने बताया कि उन्हें जरा भी सरकारी राशन नहीं मिला है।

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, 11 हजार प्रवासी मजदूरों में से केवल 51 फीसदी के पास 1 दिन से कम का राशन बचा है जबकि 72 फीसदी का कहना है कि उनका राशन दो दिन में खत्म हो जाएगा। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये और खाने के अभाव में कुछ कामगार कम खाना खा रहे हैं जबकि कुछ कामगार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं।

पका हुआ खाना कई जगह जरूर मिल रहा लेकिन उसमें भी हर राज्य में स्थिति अलग है। कर्नाटक में 80 प्रतिशत लोगों को खाना नहीं मिला, तो पंजाब में 32 प्रतिशत लोगों को। दिल्ली और हरियाणा में स्थिति अलग है। इन राज्यों में रहने वाले श्रमिकों में से लगभग 60 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें खाना मिला लेकिन खाने की कतारें लंबी हैं और कई बार सबको खाना मिलने से पहले ही खत्म हो जाता है।

सर्वे की अगर प्रमुख बातों की चर्चा करें तो पहले दो सप्ताह के लॉकडाउन में केवल एक फीसदी प्रवासी मजदूरों को सरकारी राशन मिला तो वहीं 3 सप्ताह के लॉकडाउन में केवल 4 फीसदी को सरकारी राशन मिल पाया। बाकी बचे 96 फीसदी को इस दौरान सरकार की ओर से राशन नहीं मिला। 70 फीसदी को किसी भी प्रकार का पका हुआ भोजन नहीं मिला तो 78 फीसदी के पास 300 से कम रुपये बचे हैं।

यानी केंद्र सरकार और राज्यों की सरकारों के तमाम दावों और वादों के बावजूद प्रवासी श्रमिकों की हालत खराब ही रही। विपक्षी दल और जानकार इस स्थिति के लिए बिना प्लानिंग के लॉकडाउन को जिम्मेदार बताते हैं लेकिन क्या प्लानिंग के साथ किए गए लॉकडाउन से मजदूरों की हालत बदल जाती, इसका जवाब मिलना अभी बाकी है।

क्या हो उपाय?

फिलहाल स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (स्वान) ने इस संकट में बेहतर प्रबंधन के लिए कुछ उपाय सुझाए हैं। इनके अनुसार सबसे पहले तो पीडीएस के तहत मिलने वाले राशन को तीन महीनों के लिए दोगुना कर देना चाहिए और दालें, तेल, नमक, मसाले, साबुन और सेनेटरी पैड के साथ लोगों के घर तक पहुंचाना चाहिए।

यह सभी गरीबों को मिलना चाहिए यानी उन्हें भी जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। इसके अलावा हर एक लाख की आबादी के लिए कम से कम 70 भोजन के केंद्र होने चाहिए जहां 12 घंटों तक खाना बंटता रहे।

इसके अलावा हर गरीब को दो महीनों के लिए हर महीने 7,000 रुपये नकद दिए जाने का सुझाव भी दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि सभी जन धन खातों में तालाबंदी के दौरान और उसके उठने के दो महीने बाद तक हर महीने 25 दिनों का न्यूनतम वेतन दिया जाए। सभी राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि नियोक्ता ठेकेदार और श्रमिकों को पूरा वेतन दें।

Lockdown
Coronavirus
Lockdown crisis
Migrant workers
Workers and Labors
Hunger Crisis
Salary Cut
Narendra modi
modi sarkar
poverty

Related Stories

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

उनके बारे में सोचिये जो इस झुलसा देने वाली गर्मी में चारदीवारी के बाहर काम करने के लिए अभिशप्त हैं

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश

मनरेगा: ग्रामीण विकास मंत्रालय की उदासीनता का दंश झेलते मज़दूर, रुकी 4060 करोड़ की मज़दूरी

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

ग्राउंड रिपोर्टः डीज़ल-पेट्रोल की महंगी डोज से मुश्किल में पूर्वांचल के किसानों की ज़िंदगी

कर्नाटक: मलूर में दो-तरफा पलायन बन रही है मज़दूरों की बेबसी की वजह

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License