NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बनारस में हिन्दू युवा वाहिनी के जुलूस में लहराई गईं नंगी तलवारें, लगाए गए उन्मादी नारे
"हिन्दू युवा वाहिनी के लोग चाहते हैं कि हम अपना धैर्य खो दें और जिससे वह फायदा उठा सकें। हरिद्वार में आयोजित विवादित धर्म संसद के बाद बनारस में नंगी तलवारें लहराते हुए जुलूस निकाले जाने की घटना के बाबत हमने तमाम आला अफसरों को आगाह कर दिया है। हम कुछ बोल देंगे तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे, इसलिए चुप होकर आराजक तत्वों का नंगानाच देख रहे हैं।"
विजय विनीत
04 Jan 2022
Hindu Yuva Vahini

हरिद्वार में पिछले महीने आयोजित धर्म संसद में हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषणों के बाद बनारस में हिन्दू युवा वाहिनी (हियुवा) के कार्यकर्ताओं के सनसनीखेज वीडियो और फोटोग्राफ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इस वीडियो में हियुवा कार्यकर्ता हाथों में नंगी तलवारें लेकर धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले नारे लगाते हुए चल रहे हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिन्दू युवा वाहिनी के मुखिया हैं। पिछले तीन दिनों से आपत्तिजनक वीडियो और फोटोग्राफ वायरल होने के बावजूद वाराणसी पुलिस खामोश बैठी है। प्रशासन की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं, जिसके चलते ज़िला नौकरशाही पर भी सवाल उठने लगे हैं।

दो जनवरी 2022 को बनारस के मुस्लिम बहुल क्षेत्र लल्लापुरा, कोयलाबाजार, ज्ञानवापी मोड़ समेत शहर के कई संवेदनशील इलाकों में हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने अपत्तिजनक नारे लगाए और कुछ स्थानों पर नंगी तलवारें लहराई, जिससे शहर में सनसनी फैल गई। इस घटना के बाद से मुस्लिम समुदाय के लोग दहशत में हैं। शहर में तरह-तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है और थाना पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है।

लल्लापुरा निवासी जाहिद आलम खुद इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे। "न्यूज़क्लिक" से बातचीत करते हुए वह बताते हैं, " लल्लापुरा के कुन्ना द्वार से रविवार को हिन्दू युवा वाहिनी का जुलूस करीब पौने बारह बजे निकला। यह जुलूस मेरे घर के पास से होकर गुजरा। जुलूस में शामिल लोग अपने हाथों में नंगी तलवारें लेकर उन्मादी नारे लगा रहे थे। कुछ लोगों के हाथों में नंगी तलवारें थी तो कुछ भाले और लाठियां चमकाते हुए चल रहे थे। मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों ने आपत्ति जताने की कोशिश की, लेकिन हम सभी ने उन्हें चुप करा दिया। बाद में यह जुलूस सराय की फाटक की तरफ निकला। वहां से पितरकुंडा होते हुए चेतगंज पहुंचा और फिर यह जुलूस नाटी इमली की ओर चला गया।"

जाहिद आलम कहते हैं, "जुलूस में तलवार चमकाते हुए उन्मादी नारेबाजी किए जाने से हम सभी दहशत में हैं। पता नहीं, ये लोग कब उपद्रवियों को हवा दे दें और दंगा-कर्फ्यू में हमारे सामने भूखों मरने की नौबत पैदा हो जाए। शहर में हियुवा के लोग गुंडों की शक्ल में आ रहे हैं और प्रशासन आंख बंद किए बैठा है। घटना के दिन हियुवा का जुलूस माताकुंड पुलिस चौकी की ओर से गुजरा तो पुलिस वाले भी देखने पहुंचे, लेकिन वो तमाशबीन ही बने रहे। जुलूस के साथ एक भी पुलिसकर्मी नहीं था। यह पता नहीं चला सका है कि उन्मादी जुलूस निकालने के लिए की अनुमति किसकी शह पर दी गई थी।"

वाराणसी के नाटी इमली स्थित गणेश मंडपम् लान में दो जनवरी 2022 को हिंदू युवा वाहिनी ने हिंदू युवा सम्मेलन एवं हिंदू रत्न सम्मान का आयोजन किया था। इसी कार्यक्रम के बाबत शहर के अलग-अलग हिस्सों से जुलूस निकाले गए और उन्माद फैलाने के लिए नारेबाजी की गई।

हियुवा कार्यकर्ताओं का एक जुलूस शहर के संवेदनशील इलाका लल्लापुरा के कोन्ना द्वार से निकाला गया तो दूसरा कोयला बाजार से। पत्रकार तारिक आजमी कोयला बाजार में रहते हैं। वह बताते हैं, " मेरे मुहल्ले से हियुवा का एक जुलूस निकाला गया, जिसका नेतृत्व गौरव कुमार नामक युवक कर रहा था। जुलूस में शामिल लोग नारे लगा रहे थे, "काशी में रहना है, तो जय श्रीराम कहना होगा...।" इस घटना के बाद से मुस्लिम समुदाय के लोग काफी भयभीत हैं। हाथों में नंगी तलवारें लेकर जिस तरह से बाहुबल का प्रदर्शन किया गया, वह धमकी भरा संदेश समूचे पूर्वांचल में पहुंचा है।"  

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू युवा वाहिनी के मंडल प्रभारी अंबरीश सिंह भोला के नेतृत्व में नाटी इमली में आयोजित हिंदू युवा सम्मेलन में महंत बालक दास, चल्ला सुब्बा राव शास्त्री, श्रीकांत मिश्रा, अरुण सिंह सरीखे लोग शामिल हुए। खास बात यह है कि इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी महराज। यह वही महंत है जिनके मंदिर को प्रशासन अधिग्रहित करना चाहता था, लेकिन हिन्दू युवा वाहिनी से करीबी संबंधों का उन्हें लाभ मिल गया। हियुवा के सम्मेलन का जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राकेश प्रदेश की अध्यक्षता में जो सम्मेलन आयोजित किया गया, उसमें गोरखपुर के मंडल प्रभारी राजेश्वर सिंह खुद "लादेन की औलाद" और "कठमुल्ला" जैसे शब्दों की बैछार करते हुए संप्रदाय विशेष के लोगों को धमकाते नजर आ रहे हैं। लल्लापुरा के जुलूस में नंगी तलवारें और लाठियां लहराए जाने के बारे में हिन्दू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष आशु सिंह आशु कहते हैं, " जोश में कुछ लड़के तलवारें लेकर जुलूस में आ गए थे। हम उन्हें ऐसा करने और उत्तेजक नारेबाजी करने से मना कर देंगे।"  

खुलेआम नंगी तलवारें भांजते हुए उन्मादी नारेबाजी के साथ जुलूस निकाले जाने से शहर का प्रबुद्ध तबका हतप्रभ है। प्रबुद्धजनों का कहना है कि हिन्दू युवा वाहिनी के मुखिया यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। इनके संगठन से जुड़े लोग यह भूल गए हैं कि बनारस कबीर और नजीर का शहर है। इस शहर की गंगा-जमुनी तहजीब को जिस तरह मसला जा रहा है उसके दूरगामी नजीजे भयावह हो सकते हैं।

ज्ञानवापी मस्जिद की इंतज़ामिया कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन कहते हैं, "हिन्दू युवा वाहिनी के लोग चाहते हैं कि हम अपना धैर्य खो दें और जिससे वह फायदा उठा सकें। हरिद्वार में आयोजित विवादित धर्म संसद के बाद बनारस में नंगी तलवारें लहराते हुए जुलूस निकाले जाने की घटना के बाबत हमने तमाम आला अफसरों को आगाह कर दिया है। हम कुछ बोल देंगे तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे, इसलिए चुप होकर आराजक तत्वों का नंगानाच देख रहे हैं। खबर तो यह भी है कि बनारस में इस तरह का जुलूस अब हर हफ्ते निकालने की तैयारी की जा रही है।"

सोची-समझी साज़िश

हिन्दू युवा वाहिनी ने बनारस से पहले इसी तरह का कार्यक्रम पूर्वांचल के आजमगढ़ और देश की राजधानी दिल्ली में भी आयोजित किया था। इन दोनों कार्यक्रमों का वीडियो क्लिप वायरल हो चुका है। इस वीडियो में एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ हिंसा और हिन्दुओं को हथियार उठाने के लिए शपथ दिलाई जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में विवादित बयान दिया था,  "अब अगर अगली कारसेवा हुई तो गोलियां नहीं चलेंगी। राम और कृष्ण भक्तों पर फूलों की बारिश होगी।" योगी अपने भाषणों में कई बार जनता को जिन्ना, औरंगज़ेब और ग़ज़नी की याद भी दिलाते रहे हैं। सीएम योगी के हिन्दू युवा वाहनी के समर्थक अब इनसे चार कदम आगे बढ़ गए हैं।

दुनिया की धार्मिक और सांस्कृति राजधानी बनारस में यह सब क्यों किया जा रहा है? इसके जवाब में वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार कहते हैं, "धार्मिक उन्माद फैलाना भाजपा का पुराना एजेंडा रहा है। बनारस में नंगी तलवारें लहराने और भड़काऊ नारेबाजी व विवादित भाषण हियुवा की सोची-समझी साजिश का नतीजा है। सभी को मालूम है कि हरिद्वार की धर्म संसद में भाजपाई संतों ने जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ जहर उगला तब भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बीते 25 दिसंबर को देश  के कई गिरजाघरों के बाहर प्रदर्शन की खबरें आईँ। कई अखबारों ने साफ-साफ लिखा कि अब हिन्दू आतंकवाद सामने आने लगा है, तब भी मोदी सरकार की नींद नहीं उड़ी।"

प्रदीप कहते हैं, "जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री धार्मिक ताने-बाने में हों, उनके संगठन के लोग नंगी तलबारें भांज रहे हैं तो यह कोई हैरत की बात नहीं है। गनीमत है कि अभी वो सिर्फ नंगी तलवारें लेकर ही चल रहे हैं। तलवार से सिर्फ आतंक का संदेश निकलता है, अहिंसा का नहीं। हमें लगता है कि अगर वो असाल्ट राइफल-एके 47 और एके 56 लेकर चलेंगे तब भी बोलने वाला कोई नहीं होगा। सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए बनारस में जिस तरीके और जिस तंत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह रास्ता आतंकवाद का है। सनातन हिन्दू धर्म में उग्रवाद के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन सियासी मुनाफे के लिए यूपी में हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।"

"नफरत की राजनीति करने वाले सत्तारूढ़ दल भाजपा को कांग्रेस के राहुल गांधी लगातार कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। बाकी सभी दलों के नेता खामोश हैं। सभी को मालूम है कि हियुवा के लोग तलवार दिखाकर किसे डरा रहे हैं? अभी मुसलमानों और ईसाइयों को डराया जा रहा है और आगे चलकर सिखों व जैनियों को भी धमकाया जाएगा। अभी जो कट्टरता है, वो सरकारी शह पाकर बड़ा होगी और आगे बढ़ जाएगी। जब एक खास तबके को उग्रवाद का जहर पिलाया जाएगा तो अयोध्या की तरह न जाने कितने पूजा स्थलों का सफाया हो जाएगा। हमें तो लगता है कि यह सब सियासी मुनाफे के लिए तय रणनीति के तहत दुर्भावना का संदेश फैलाया जा रहा है।"

स्वतः संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट

दी सेंट्रल बार एसोसिएशन के वाराणसी के निवर्तमान महामंत्री कन्हैया लाल पटेल  कहते हैं कि भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। सभी धर्मावलंबियों को समान रूप से रहने का अधिकर है। तलवार लहराने और विवादित भाषणबाजी की घटना समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने से संबंधित है। इस तरह के मामलों में कम से कम तीन साल तक के कारावास का प्रावधान है। " न्यूज़क्लिक"  से बातचीत करते हुए कन्हैया लाल कहते हैं, " उन्मादियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई न किया जाना प्रशासन की अक्षमता को उजागर करता है। हियुवा के जुलूस में तलवार लहराने की घटना देख की एकता-अखंडता और शांति-सद्भावना के लिए ख़तरा है। उन्माद फैलाने की छूट किसी को नहीं दी जानी चाहिए। शांति और सद्भाव तो पुलिस के रवैये से तय होता है। वाराणसी थाना पुलिस को शरारतीतत्वों को तत्काल गिरफ़्तार कर लेना चाहिए था, जिन्होंने शहर में घूमकर नंगी तलवारें लहराई थी। अगर सख्ती के साथ कार्रवाई की जाती है तो यह दूसरे लोगों के लिए भी एक सबक़ होता, लेकिन पुलिस की चुप्पी बता रही है कि वह आने वाली सुनामी का इंतजार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करता हूं कि वह इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को स्वतः संज्ञान में ले।"

पटेल यह भी कहते हैं, "नंगी तलवारें भांजना और उत्तेजक जयकारा लगाया जाना संविधान विरोधी कार्य है। इस मामले में धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और आपसी सौहार्द्र के माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। भारतीय कानून में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बोले गए या लिखे गए शब्दों या संकेतों के द्वारा विभिन्न धार्मिक, भाषाई या जातियों और समुदायों के बीच सौहार्द्र बिगाड़ना या शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करना संगीन अपराध की श्रेणी में आता है। इस तरह के मामलों में धारा 153ए आईपीसी के साथ अन्य संगीन धाराओं के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। अगर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तो माना जाएगा कि राजनीतिक दबाव में काम कर रही है। जिन जुलूसों में नंगी तलवारें लहराई गई हैं और उत्तेजक नारे लगाए हैं उनकी ऑडियो क्लिप सार्वजनिक हो चुकी है। पुलिस को वीडियो और फोटोग्राफ का सत्यापन करते हुए तत्काल एक्शन लेना चाहिए।"  

समाजवादी चिंतक विजय नारायण कहते हैं, " हथियार उठाने के लिए हिन्दुओं को उकसाना सामान्य बात नहीं है। कोई भी सभ्य समाज असहिष्णु भाषण बर्दाश्त नहीं करता। मुस्लिम बहुल इलाके में तलवार लहरते हुए भड़काऊ नारेबाजी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। यह समय चौंकने का नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से कट्टरवाद का मुक़ाबला करने का है। मुस्लिम समुदाय के लोगों को नंगी तलवारें दिखाए जाने पर भी सरकार के आंखें मूंद लेने की हम कड़ी निंदा करते हैं। असामाजिक तत्व तेज़ी से मुख्यधारा बन रहे हैं और वो घोर नफ़रत भरे और सांप्रदायिक भाषण देने में सक्षम हैं। पुलिस, राज्य और केंद्र सरकार की यह परीक्षा है और हम देखेंगे कि आयोजकों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की जाती है? हमने जो देखा और सुना, उससे बदतर कोई नफ़रत भरा भाषण नहीं हो सकता था। एक तरह से यह नरसंहार का सीधा आह्वान है।"

मावनाधिकार के लिए काम करने वाले पीवीसीएचआर के निदेशक डॉ. लेनिन ने इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी को अपनी 'चुप्पी’ तोड़ने की अपील की है। हम ऐसे मुल्क के निवासी हैं, जहां लोग पाप से नफ़रत करते हैं, पापियों से नहीं। उन्होंने कहा है कि बनारस मोदी का शहर है और खुलेआम तलवार भांजने वालों की निंदा करनी चाहिए। साथ ही देश को यह भरोसा दिलाना चाहिए कि सभी भारतीयों को किसी भी आतंक के ख़तरे से सुरक्षित रखा जाएगा। प्रधानमंत्री को गृह मंत्रालय को निर्देश देना चाहिए कि वो जुलूस में तलवार लहराने वाले साज़िशकर्ताओं के ख़िलाफ़ तुरंत कार्रवाई करे और उन्हें सलाख़ों के पीछे भेजे। यह घटना अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि सनातन धर्म के ख़िलाफ़ है। हम दुनिया के साथ बिना डरे और साहसी बनकर एकजुटता के साथ खड़े हैं। "

पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ दो मर्तबा चुनाव लड़ चुके कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय राय कहते हैं, "बीते पांच सालों में तलवारें लहराने की जरूरत उन्हें नहीं पड़ी। अब चुनाव की अधिसूचना जारी होने वाली है, तो वो ऐसा कर रहे हैं। जिन लोगों ने जनता का कोई काम नहीं किया है,  वह सोच रहे हैं किस मुंह से जनता का सामना करेंगे? सबसे अच्छा उपाय यही है कि धर्म की चादर ओढ़ लीजिए, तो कोई नहीं बोलेगा। हिन्दू समाज के कुछ लोग बोलेंगे भी तो लोग यही कहेंगे देखिए धर्म के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं। इस समय जनता की असली समस्या बेरोज़गारी, महंगाई, स्वास्थ्य है, लेकिन इन मुद्दों पर सत्तारूढ़ दल का कोई नेता बात नहीं करना चाहता। विकास के झूठ को धर्म की चाशनी में लपेट कर लोगों को परोसने की कोशिश की जा रही है। भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठनों का पुराना एजेंडा तो यही है।"

बीजेपी का स्टाइल है तलवारें भांजना

वरिष्ठ पत्रकार विनय मौर्य कहते हैं,  "विवादित भाषण और नंगी तलवारों का लहराया जाना कोई नई घटना नहीं है। साल 2014 में मोदी जब चुनाव लड़ रहे थे तब भी उन्होंने धर्म और विकास की बात की थी। यही बीजेपी का स्टाइल रहा है। साथ में उनका हिंदुत्व का एजेंडा भी है जिसमें गोकशी पर रोक, आर्टिकल-370 और काशी, मथुरा का मुद्दा है। अब काशी में सरकार ने फ़ेज़ एक का काम पूरा किया है। अब बच जाता है फ़ेज़ दो। तो वो क्या होगा? फे़ज़ दो मस्जिद है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनाने के बाद अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद की ज़मीन के लिए के लिए ताबड़तोड़ मुकदमें दाखिल होने लगे हैं। भाजपा तो साल 1980 के दशक में आरएसएस के बनाए हुए एजेंडे पर चल रही है। हम लोग हैं जो पुराने एजेंडे को भूल जाते हैं।"

काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत रहे राजेंद्र तिवारी कहते हैं, जब लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा निकाली थी, उस समय उनका फोकस उत्तर भारत पर था, क्योंकि इधर रामभक्त ज्यादा हैं। दक्षिण में रामभक्त कम, शिवभक्त ज़्यादा हैं। भाजपा ने बनारस को अब दक्षिण से जोड़ा है। देश के 13 मुख्यमंत्रियों को बनारस लाने का मकसद उजाकर करते हुए साफ-साफ कहा था कि हमारा मकसद आस्था के साथ काम है। यूपी में जब कल्याण सिंह की सरकार थी, उस समय साल 1991 में पांच राज्यों में भाजपा की सरकार थी। उस वक्त पांचों राज्यों के मुख्यमंत्री अयोध्या गए थे। भाजपा और योगी के जो भी रास्ते हैं वो उसी तरफ़ जाते हैं।"

"यूपी के काशी, अयोध्या, वंदावन, चित्रकूट, ओरछा, नैनी, देवरिया, कछला, सोरो, गढ़ मुक्तेश्वर, शुक्रताल समेत 13 स्थानों पर संत सम्मेलन के नाम पर धर्मांधता परोसने की योजना बनाई गई है। इन सम्मेलनों में विहिप, विद्वत परिषद, अखिल भारतीय संत समिति के अलावा अखाड़ा परिषद के कुछ कथित संत-महात्मा भाजपा के फेवर में अराजकता फैलाने के मूड में हैं। चुनाव आयोग को चाहिए कि वह तत्काल इन सम्मेलनों पर रोक लगाए और वोट के लिए समाजिक विद्वेष पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाए। दरअसल संत सम्मेलन के जरिए भाजपा जनता को यह बताना चाहती है कि उसकी पार्टी के लोग बहुत धर्म-कर्म वाले हैं। सत्ता में होने की वजह से उन्मदी बयान देने न कोई रोक है, न कोई बाधा।"

महंत राजेंद्र तिवारी कहते हैं, "जब आप धर्म और राजनीति का घालमेल करते हैं तो इंसाफ की लकीरें धुंधली पड़ने लगती हैं। हम बोलेंगे तो राष्ट्रद्रोही हो जाएंगे और वो कुछ भी बोल देंगे तो उनका बाल बांका भी नहीं होगा। नंगा सच यह है कि भाजपा यूपी में चुनाव लड़ने से ही डर रही है। उसे मालूम है कि उसके पास जो एजेंडा है, उस पर वह चुनाव लड़ गई तो उसका आंकड़ा दहाई में ही सिमट जाएगा। सिर्फ धर्म ही ऐसी संजीवनी है जिसके दम पर सियासत में वह खम ठोंक सकती है। शायद इसीलिए बनारस के संवेदनशील इलाकों में नंगी तलवारें लहराई जा रही हैं।

(बनारस स्थित विजय विनीत वरिष्ठ पत्रकार हैं।)  

Uttar pradesh
banaras
Hindu yuva vahini
Hindutva
Hindutva Agenda
communal politics
UP election 2022
dharm sansad

Related Stories

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस

ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली

उपचुनाव:  6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License