NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
TISS मुंबई ने सफ़दर हाशमी पर लिखी किताब का विमोचन रद्द किया
TISS में इससे पहले आनंद पटवर्धन की फ़िल्म 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग को भी रद्द कर दिया गया था।
सत्यम् तिवारी
06 Mar 2020
सफ़दर हाशमी

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइन्सेज़ (TISS) मुंबई ने सफ़दर हाशमी पर लिखी किताब 'हल्ला बोल' के विमोचन, नाटक 'हल्ला बोल' की रीडिंग और नाटक 'मशीन' के मंचन के साथ होने वाले एक कार्यक्रम की अनुमति ख़ारिज कर दी है।

टीआईएसएस ने इससे पहले आनंद पटवर्धन की डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग को भी रद्द कर दिया था। प्रशासन ने वजह बताते हुए कहा है कि सेमेस्टर ख़त्म होने वाला है इसलिए उसने अनुमति ख़ारिज की है।

सुधन्वा देशपांडे द्वारा लिखी किताब 'हल्ला बोल' के साथ दिल्ली का एक नाटक ग्रुप जन नाट्य मंच फ़िलहाल मुंबई में बुक टूर पर है। 4 और 5 मार्च को किताब के विमोचन का कार्यक्रम हो चुका है जिसमें अलग-अलग जगहों पर नंदिता दास, ज़ीशान अय्युब और नसीरुद्दीन शाह ने इसमें हिस्सा लिया था और जनम के साथ सफ़दर हाश्मी का लिखा नाटक हल्ला बोल को पढ़ा था, और किताब पर चर्च भी की थी। इसी सिलसिले में 6 मार्च को टीआईएसएस मुंबई में किताब का विमोचन दोपहर 1 बजे होना था। इस कार्यक्रम को टीआईएसएस के छात्र संगठन प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फ़ोरम(पीएसएफ़) ने आयोजित किया था।

इस कार्यक्रम में जन नाट्य मंच नाटक 'मशीन' खेलने वाला था और जॉय सेनगुप्ता, मलयश्री हाश्मी और सुधन्वा देशपांडे हल्ला बोल पर चर्चा करने के साथ नाटक के कुछ हिस्से पढ़ने वाले थे।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए पीएसएफ़ से जुड़े छात्र रामदास ने कहा, "हमने प्रशासन से जब इसकी इजाज़त मांगी तो उसने हमारा लेटर वापस लौटा दिया। हमने सोचा कि हम इसे खुली जगह पर करेंगे लेकिन प्रशासन ने एक नोटिस दे कर कहा है कि सेमेस्टर ख़त्म हो जाने तक छात्र कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सकते हैं जिसमें बाहर से कोई स्पीकर आने वाला है।"

रामदास ने बताया कि प्रशासन पिछले 2 महीनों से ऐसे हर कार्यक्रम को रद्द कर रहा है जो कि मौजूदा सरकार या दक्षिणपंथ की आलोचना करता है। छात्रों ने इससे पहले आनंद पटवर्धन की फ़िल्म 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग भी आयोजित की थी, जिसे प्रशासन ने रद्द कर दिया था।

रामदास ने बताया, "हमने हाल ही में भगत सिंह स्मृति व्याख्यान भी आयोजित करना चाहा था, जिसे प्रशासन ने यह कह कर रद्द कर दिया था कि उनके पास भगत सिंह से जुड़ी पाठन सामग्री नहीं है।"

हिंदुस्तान टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक़ प्रशासन ने अगली सूचना तक छात्रों द्वारा आयोजित सभी कार्यक्रम रद्द कर दिये हैं। रजिस्ट्रार एमपी बालामुरगन ने कहा है कि प्रशासन ऐसे क़दम कैम्पस में शांति स्थापित करने के लिए उठा रहा है।

टीआईएसएस में दिसम्बर से ही नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध शुरू हो गया था। इसके तहत छात्रों ने 15 दिसम्बर को जामिया के छात्रों पर हुई हिंसा के विरोध में और दिल्ली पुलिस के विरोध में प्रदर्शन भी किए थे। रामदास ने बताया कि अभी प्रशासन ने किसी भी तरह का प्रदर्शन-धरना करने की अनुमति देने से भी इंकार कर दिया है। वहीं रामदास ने यह भी बताया कि वो कार्यक्रम जिनमें दक्षिणपंथी सोच और मौजूदा सरकार का समर्थन किया जाता है, उनसे प्रशासन को कोई दिक़्क़त नहीं है।

हल्ला बोल : सफ़दर हाशमी की ज़िंदगी और मौत किताब के लेखक सुधन्वा देशपांडे ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "एक उच्च शिक्षा और सामाजिक विज्ञान के संस्थान में सामाजिक ज्ञान की एक किताब पर चर्चा करने की अनुमति न देना, इसका कोई तुक नहीं बनता है।"

पीएसएफ़ ने प्रशासन के इस रवैये की निंदा करते हुए बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है, "यह सत्ताधारी ताक़तों द्वारा छात्रों की आवाज़ दबाने की साज़िश है। टीआईएसएस में हमेशा से बहस और चर्चाएँ होती रही हैं, और यहाँ पिछड़े लोगों की आवाज़ उठाई गई है, जिनकी आवाज़ मेनस्ट्रीम से ग़ायब हो गई है। हम ऐसे क़दम की निंदा करते हैं और छात्रों से एकजुट होने की अपील करते हैं।"

TISS
TISS मुंबई
सफ़दर हाशमी
Safdar Hashmi
Tata Institute of Social Sciences
PSF
Progressive Students Forum

Related Stories

सफ़दर भविष्य में भी प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे

सफ़दर: आज है 'हल्ला बोल' को पूरा करने का दिन

जब सफ़दर की शहादत के 48 घंटे बाद उनकी पत्नी और साथियों ने किया था हल्ला बोल

मज़दूरों और कलाकारों की एकता के प्रतीक सफ़दर की शहादत के 32 साल

रंगमंच जब हल्ला बोले: कला और सामाजिक बदलाव

मज़दूरों के संकट, अप्रवासियों का दमन और सफ़दर की याद

हल्ला बोल! सफ़दर ज़िन्दा है।

CAA-NRC के विरोध में शबाना आज़मी और जावेद अख्तर

हल्ला बोल: सफ़दर हाश्मी की मौत और ज़िंदगी

आम छात्रों को शिक्षा के अधिकार से और अधिक वंचित करने का नाम है फीस में बढ़ोत्तरी


बाकी खबरें

  • राज वाल्मीकि
    दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!
    27 May 2022
    दलित परिप्रेक्ष्य से देखें तो इन आठ सालों में दलितों पर लगातार अत्याचार बढ़े हैं। दलित हत्याओं के मामले बढ़े हैं। दलित महिलाओं पर बलात्कार बढ़े हैं। जातिगत भेदभाव बढ़े हैं।
  • रवि शंकर दुबे
    उपचुनाव:  6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान
    27 May 2022
    उत्तर प्रदेश की आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट समेत 6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान होंगे।
  • एजाज़ अशरफ़
    ज्ञानवापी कांड एडीएम जबलपुर की याद क्यों दिलाता है
    27 May 2022
    आपातकाल के ज़माने में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने ग़लत तरीक़े से हिरासत में लिये जाने पर भी नागरिकों को राहत देने से इनकार कर दिया था। और अब शीर्ष अदालत के आदेश से पूजा स्थलों को लेकर विवादों की झड़ी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत
    27 May 2022
    महाराष्ट्र में 83 दिनों के बाद कोरोना के 500 से ज़्यादा 511 मामले दर्ज किए गए है | महराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है की प्रत्येक व्यक्ति को सावधान और सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि कोरोना…
  • एम. के. भद्रकुमार
    90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात
    27 May 2022
    रूस की सर्वोच्च प्राथमिकता क्रीमिया के लिए एक कॉरिडोर स्थापित करना और उस क्षेत्र के विकास के लिए आर्थिक आधार तैयार करना था। वह लक्ष्य अब पूरा हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License