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राजनीति
तमिलनाडु: लॉकडाउन और ईंधन की बढ़ती कीमतों के बीच पिसते ऑटो चालक
ऑटो चालकों ने लॉकडाउन अवधि में 7,500 रुपये की आर्थिक राहत और कर्ज़, बीमा व लाइसेंस पुनर्नवीकरण की अवधि दिसंबर तक बढ़ाए जाने को लेकर 10 जून को प्रदेश भर में प्रदर्शन किया।
नीलाबंरन ए
12 Jun 2021
तमिलनाडु: लॉकडाउन और ईंधन की बढ़ती कीमतों के बीच पिसते ऑटो चालक

कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने कई ऑटोरिक्शा चालकों की रोजी-रोटी मुश्किल कर दी है। जहां एक तरफ़ उनकी आमदनी कम हुई है, वहीं दूसरी तरफ ऑटो को जरूरी सेवाओं में शामिल करने पर जारी अस्पष्टता से चालकों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

सरकार ने ऑटोरिक्शा के लिए ई-पास लेने का निर्देश दिया है। इसके चलते आपात स्थितियों में ऑटो चलाने में रुकावट आती है। कई बार देखा गया है कि स्वास्थ्य आपात और कृषि जरूरतों में लगे ऑटोरिक्शा चालकों पर भारी जुर्माना लगाया जाता है। 

फिर महामारी के बीच ईंधन और जरूरी वस्तुओं के बढ़ते दामों ने रोजाना कमाई कर गुजर-बसर करने वालों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है।

10 जून को ऑटोरिक्शा चालकों ने लॉकडाउन अवधि में 7,500 रुपये की नगद राहत और कर्ज़ों, बीमा व लाइसेंस पुनर्नवीकरण की अवधि दिसंबर तक बढ़ाए जाने को लेकर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया था। 

अनिवार्य ई-पास से दी जाए छूट

10 मई से तमिलनाडु सरकार ने पूरे राज्य में पूर्ण लॉकडाउन लगाया हुआ था, जिसमें अब उन जिलों में थोड़ी छूट दी गई है, जहां कोरोना के मामले कुछ कम हैं। ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों में यातायात का मुख्य साधन रहने वाले ऑटोरिक्शा को संचालन के लिए ई-पास लेने का निर्देश दिया गया है। 

तमिलनाडु ऑटोरिक्शा वर्कर्स फेडरेशन के कार्यवाहक अध्यक्ष बालासुब्रमण्यम ने कहा, "ऑटो और यात्रियों के लिए आपात स्थिति में ई-पास लेना अव्यवहारिक है, इससे बहुत उलझन पैदा होती हैं। गरीब़ों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट सुविधा का ना होना, उनके लिए ई-पास लेने में बाधा बनता है। इस फ़ैसले पर सरकार को गहन चिंतन करने की जरूरत है।"

जरूरी सेवाओं में लगे वाहनों को दी जाने वाली छूट में अनिश्चित्ता होने से राज्य भर में ऑटोरिक्शा के संचालन में उलझन हो गई है। 

तिरुनेवेलि डिस्ट्रिक्ट ऑटो वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव मुरुगन कहते हैं, "राज्य में ऑटो के संचालन के लिए कोई भी विशेष नियम नहीं है। कई ऑटो चालकों पर यात्रियों को हॉस्पिटल और रेलवे स्टेशन तक ले जाने के लिए भारी जुर्माना लगाया गया है। विशेषकर तिरुनेवेली जिले में ऐसा हो रहा है। जब उच्च अधिकारियों से हमने संपर्क किया, तो उन्होंने ज़ुर्माना लगाने संबंधी निर्देश देने से इंकार किया। लेकिन ज़मीन पर पुलिस अधिकारी गरीब़ ऑटो चालकों को बहुत मुसीबत खड़ी कर रहे हैं।"

लाइसेंस धारकों को दी जाए राहत

लॉकडाउन के चलते कामग़ारों के पास बहुत कम संसाधन बचे हैं। ई-पास ना होने की स्थिति में भारी ज़ुर्माना लगाकर उनसे यह भी छीने जा रहे हैं। CITU (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स) से जुड़े ऑटो कामग़ार संघ ने प्रदेश भर के 3.2 लाख से ज़्यादा ऑटो चालकों और ऑटो मालिकों को 7,500 रुपये की आर्थिक मदद दिए जाने की मांग की है।

बालासुब्रमण्यम तमिलनाडु की खराब स्थितियों को बताते हुए कहते हैं, "पिछले साल लॉ़कडाउन में पिछली सरकार ने कल्याण बोर्ड में पंजीकृत सक्रिय और अपनी सदस्यता का पुनर्नवीकरण करवाने वाले चालकों को 3000 रुपये नगद की राहत देने का ऐलान किया था। राज्य भर के 3,20,000 पंजीकृत ऑटोरिक्शा में से सिर्फ़ 25,000 ही बोर्ड में पंजीकृत थे, इनमें से भी केवल 15,000 ही सक्रिय थे।"

राहत का लाभ केवल बहुत थोड़े लोगों को मिलने के चलते CITU ने मांग रखी है कि यह राहत क्षेत्रीय यातायात कार्यालयों (RTO) के ज़रिए दी जानी चाहिए, जिनके पास ऑटोरिक्शा की वास्तविक संख्या और लाइसेंस व बैज रखने वालों की जानकारी मौजूद है। 

सांख्यकीय विभाग ने अपनी 2019 की हैंडबुक में ऑटो रिक्शा चालकों की कुल संख्या 2017-18 में 2,59,883 बताई थी। 

बालासुब्रमण्यम ने अपनी मांग में कहा, "कल्याण बोर्ड के पास फिलहाल 450 करोड़ रुपये का पर्याप्त कोष मौजूद है। हर ऑटो मालिक ने इसमें योगदान दिया है, चाहे वह बोर्ड के पास पंजीकृत हों या नहीं। ऑटोरिक्शा और टायर खरीदने से लेकर लाइसेंस और बैज बनवाने के लिए दिए गए कुल योगदान में से एक हिस्सा बोर्ड को जाता है। इसलिए राहत कार्य के दौरान एक भी ऑटो वाला छूटना नहीं चाहिए।"

'अबतक नहीं हुई किसी तरह की राहत की घोषणा'

तमिलनाडु सरकार ने लॉकडाउन लगने के बाद मासिक भत्ता ना पाने वाले मंदिर के पुजारियों के लिए आर्थिक मदद की घोषणा की थी। बालासुब्रमण्यम कहते हैं, "ऑटोरिक्शा चालक भी उसी वर्ग में आते हैं, लेकिन अबतक डीएमके सरकार ने उनके लिए किसी तरह की राहत उपलब्ध कराने की घोषणा नहीं की है।"

केंद्रीय ट्रेड यूनियनें ESI और PF योजनाओं के तहत लाभ ना पाने वाले कामग़ारों के लिए 7500 रुपये की नगद राहत की मांग कर रही हैं।

बालासुब्रमण्यम कहते हैं, "डीएमके नगद राहत पहुंचाने की प्रबल समर्थक थी, पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में इसका वायदा भी किया था। पहली लहर के दौरान जरूरी राहत ना मिल पाने के चलते 100 से ज़्यादा ऑटो चालकों ने खुदकुशी कर जान दे दी थी। सरकार को इस तरह की घटनाओं को दोहराव को रोकने के लिए जरूरी सक्रियता दिखानी चाहिए।"

मौजूदा महामारी के बीच ईंधन की कीमतें बढ़ने से भी यह क्षेत्र बुरे तरीके से प्रभावित हुआ है। 

बालासुब्रमण्यम कहते हैं, "ईंधन की कीमतों और पेट्रोलियम उत्पादों पर कर ने भी हमें बुरे तरीके से प्रभावित किया है। चूंकि हम पेट्रोलियम उत्पादों का बड़ी मात्रा में उपयोग करते हैं, इसलिए हम हर रोज बड़ी मात्रा में कर दे रहे होते हैं। बीजेपी सरकार की नीतियां हमारे दुख की बड़ी वज़ह हैं।"

संघ ने यह मांग भी रखी है कि राज्य सरकार करों की वैधता की अवधि भी बढ़ाए, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान वाहनों को चलाने पर रोक लगा दी गई थी। 

बालासुब्रमण्यम कहते हैं, "जरूरी वस्तुओं की ऊंची कीमतों के चलते हमारे खर्चे बढ़ रहे हैं। हम पेट्रोल और डीज़ल के लिए बहुत ऊंचे कर दे रहे होते हैं। लेकिन केंद्र सरकार बढ़ती कीमतों को काबू नहीं कर पा रही है और आम आदमी की समस्याओं से नज़र फेर चुकी है।"

CITU ने लॉकडाउन को देखते हुए लाइसेंस वैधता, EMI और बीमा भुगतान को दिसंबर, 2021 तक बढ़ाने की मांग भी रखी है।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

TN: Auto Drivers Reel Under Lockdown and Spiralling Fuel Prices

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Auto Rickshaw Drivers Suffer in Lockdown
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Tax on Petroleum Products
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