NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन ने बिहार में कृषि संकट को किया उजागर
2006 में नितीश कुमार सरकार द्वारा राज्य में मंडी व्यवस्थाखत्म किए जाने के खिलाफ लगातार प्रदेश के सभी वामपंथी किसान संगठन लागातारआंदोलनरत हैं। इन्हें अब  देश के किसानों के मुद्दों के साथ-साथ बिहार के किसानों के भी सवाल को लेकर बिहार सरकार पर जन दबाव दिया जाना चाहिए। 
अनिल अंशुमन
02 Feb 2021
किसान आंदोलन ने बिहार में कृषि संकट को किया उजागर

जन मुद्दों के वाम और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के समर्थन में 30 जनवरी को पूरे बिहार में ‘मानव शृंखला’ अभियान ने देश के किसान आंदोलन को मजबूत नैतिक बल प्रदान करने के साथ-साथ इस प्रदेश के किसानी के सवालों को भी फिर से सामने ला दिया है।

प्रदेश के सभी वामपंथी दलों और महागठबंधन द्वारा आयोजित इस अभियान को कितना बड़ा जन समर्थन हासिल हुआ, यह दूसरे दिन की अखबारी और मीडिया की खबरों को देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जिनके अनुसार पूरे बिहार प्रदेश का ऐसा कोई ज़िला नहीं बचा जहां आंदोलनकारी किसानों से अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए ‘मानव शृंखला’ अभियान नहीं हुआ। इनमें ग्रामीण खेतिहर मजदूर और बंटाईदार किसानों की बड़ी संख्या के अलावा महिलाओं और छात्र–युवाओं और नागरिक समाज के लोगों की प्रभावकारी भागीदारी स्पष्ट दिखी।

हाल के समयों में यह पहला मौका है जब ‘ मानव शृंखला ’ अभियान के प्रमुख मुद्दों में नितीश कुमार सरकार द्वारा 2006 में खत्म की गयी मंडी–व्यवस्था को फिर से बहाल किए जाने की मांग भी प्रमुखता से उठायी गयी है। राज्य में सरकारी अनाज खरीद प्रक्रिया को मुक्कमल व्यवस्थित और स्थायी बनाने के संदर्भ में एमएसपी कानून की भी मांग की गयी है।

पटना बुद्ध पार्क के समक्ष मानव शृंखला अभियान का नेतृत्व करते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार के किसानों की दुर्दशा को बताते हुए कहा कि यहां के किसान आर्थिक रूप से इतने कमजोर हो गए हैं कि वे दूसरे राज्यों में जाकर मजदूर बन गए हैं।

मानव शृंखला अभियान के नेतृत्व में शामिल भकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार ही ऐसा प्रदेश है जहां के किसानों को उनकी फसलों का सबसे कम दाम मिलता है और सबसे कम सरकारी खरीद होती है। किसानों का मानना है कि नितीश कुमार सरकार द्वारा पुरानी मंडी व्यवस्था को खत्म किए जाने से बिचौलियों के हाथों मनमाना रेट देकर किसानों के अनाजों की खुली लूट चल रही है। सरकार द्वारा औसत से भी कम मात्रा में अनाजों की सरकारी खरीद होती है और वह भी घोषित एमएसपी रेट भी कम कीमत पर। जिसका भुगतान पाने के किसानों को महीनों एड़ियाँ घिसटनी पड़ती है।

सीपीएम व सीपीआई तथा उनके किसान संगठनों ने भी बिहार के किसानों के ज्वलंत सवालों को प्रमुखता से उठाते हुए नितीश कुमार सरकार से पुरानी मंडी व्यवस्था को फिर से बहाल करने की मांग की है।

बिहार की ही अर्थशास्त्री और जन मुद्दों की पत्रिका तलाश की संपादक मीरा दत्त जी का मानना है कि यही सही मौका है जब बिहार के किसानों की निम्न राजनीतिक चेतना को जातीय रंग देकर उनका वोट झटकनेवाली भाजपा–जदयू सरकार के किसान विरोधी रवैये को जगजाहिर करने का। जिसे प्रदेश के भी खेती–किसानी जैसे बुनियादी सवालों से कभी कोई लेना देना नहीं रहा है।

2006 में पुरानी मंडी व्यवस्था को समाप्त किए जाने पर थोथी दलील देकर साफ झूठ बोला जा रहा है कि इससे यहां के किसानों को भरी फायदा हो रहा है। जबकि जमीनी हक़ीक़त इसके ठीक विपरीत है और यहाँ के किसान लगातार खेती–किसानी से बेज़ार हो रहें हैं। इसलिए देश के किसानों के मुद्दों के साथ साथ बिहार के किसानों के भी सवाल को लेकर सरकार पर जन दबाव दिया ही जाना चाहिए। 

2006 में नितीश कुमार सरकार द्वारा राज्य में मंडी व्यवस्था खत्म किए जाने के खिलाफ लगातार प्रदेश के सभी वामपंथी किसान संगठन लागातार आंदोलनरत हैं। इस संदर्भ में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार–झारखंड के प्रभारी राजाराम सिंह के अनुसार सरकार के किसान विरोधी रवैये के कारण ही पिछले कई वर्षों से यहाँ के किसानों को सरकार से अनाज बिक्री में लगातार करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है । सरकार द्वारा तय न्यूनतम खरीद मूल्य का सही-सही पालन नहीं होने के कारण हर वर्ष किसानों को 1 क्विंटल अनाज पर कम से कम 700 रुपयों का घाटा होता है। ऐसे में ज़रूरत है कि किसानों की फसलों की लागत का कुल लागत व्यय को कम करने के लिए सकारी मदद राशि को 50% बढ़ाया जाए। क्योंकि आज खेती करना लगातार घाटे का सौदा बनता जा रहा है और इसी कारण भारी संख्या में यहां के गरीब किसानों का पलायन करना, गंभीर नियति बन गयी है। पुरानी मंडी व्यवस्था भी बहुत फायदेमंद नहीं थी लेकिन किसानों का कुछ काम तो हो ही जाता था। इसे समाप्त कर दिए जाने के कारण ही किसानों को मजबूरी में जमाखोरों–बिचौलियों की शरण में जाकर अपने अनाज औने-पौने दामों पर दामों पर बेचना पड़ रहा है। इसलिए देश के किसानों के आंदोलन को मजबूती देते हुए बिहारी किसानों के सवालों पर भी एक मजबूत आंदोलन चलाया जाएगा।

दूसरी ओर, बिहार के किसानों के सवालों पर कुछ कहने की बजाए सत्ताधारी भाजपा–जदयू के नेता मानव शृंखला अभियान को ही फ्लॉप घोषित करने में लिप्त नज़र आ रहें हैं। हाल ही में भाजपा कोटे से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू के प्रदेश प्रवक्ता महोदय की जुगालबंदी हर दिन मीडिया बयानों से वामपंथी दलों और महागठबंधन को गलियाना अपना मुख्य राजनीतिक कार्य बना लिया है।

बहरहाल, खबरों के अनुसार दिल्ली में जारी किसानों के आंदोलन को मजबूती देने के लिए अब बिहार के किसान भी वहां जाने की तैयारी कर रहें हैं। लेकिन इसके साथ ही उन्होनें अपने प्रदेश की खेती किसानी के सवालों पर भी निर्णायक लड़ाई की तैयारी भी शुरू कर दी है।

farmers protest
Bihar
agricultural crises
Bihar Agriculture
Nitish Kumar
Nitish Government

Related Stories

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा

बिहार: कोल्ड स्टोरेज के अभाव में कम कीमत पर फसल बेचने को मजबूर आलू किसान

ग्राउंड रिपोर्ट: कम हो रहे पैदावार के बावजूद कैसे बढ़ रही है कतरनी चावल का बिक्री?

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

ग्राउंड  रिपोर्टः रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के गृह क्षेत्र के किसान यूरिया के लिए आधी रात से ही लगा रहे लाइन, योगी सरकार की इमेज तार-तार

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License