NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चुनाव ख़त्म; पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़े, जश्न नहीं मनाइएगा!
137 दिनों के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम 80 पैसे प्रति लीटर बढ़ गए हैं। घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में भी 50 रुपए का इज़ाफ़ा हुआ है।
अजय कुमार
22 Mar 2022
cartoon

बस चुनाव खत्म होने का इंतज़ार था। अगर चुनाव नहीं हो रहे होते तो पेट्रोल और डीजल की क़ीमतों की उछाल की मार से जनता को कोई नहीं बचा पाता। पांच राज्यों का चुनाव खत्म हो गया है।137 दिनों के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम मंगलवार को 80 पैसे प्रति लीटर बढ़ गए हैं। इतना ही नहीं, घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में भी 50 रुपए का इजाफा हुआ है।

दिल्ली में अब 14.2 किलो का बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 949.50 रुपए में मिलेगा। वहीं, पेट्रोल की कीमत 96.21 रुपए प्रति लीटर और डीजल 87.47 प्रति लीटर हो गई है। अगर देश के दूसरे इलाकों पर गौर करें तो मुंबई में पेट्रोल 110.82, डीजल 95.00, कोलकाता में पेट्रोल 105.51, डीजल 90.62 और चेन्नई में पेट्रोल 102.16 और डीजल 92.19 रुपए प्रति लीटर हो गया है। दिल्ली में 5 किलो वाला LPG सिलेंडर 349 रुपए, 10 किलो वाला 669 रुपए और 19 किलो वाला कमर्शियल सिलेंडर 2003.50 रुपए में मिलेगा।

कीमतों में होने वाले इन सारे इजाफे का दोष रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई पर डाल दिया जाएगा। एक हद तक यह सही भी है। जब ऐसे देश युद्ध के भागीदार होते हैं जो संसाधनों की दुनिया में बहुत अधिक ताक़तवर हैं तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। रूस और यूक्रेन की लड़ाई में रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों से पूरी दुनिया पर यही ख़तरा मंडरा रहा है। रूस के क्षेत्रफल को देखिये। क्षेत्रफल यानी एरिया के लिहाज़ से रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है। भारत के क्षेत्रफल से पांच गुना बड़ा है। अमेरिका और चीन से दो गुना बड़ा देश है। इंग्लैंड से 70 गुना बड़ा देश है। लेकिन रूस की आबादी उत्तर प्रदेश की आबादी से भी कम यानी महज़ 14 करोड़ है। इतनी कम आबादी और इतने बड़े क्षेत्रफल से यह बात साफ हो जाती है कि रूस के संसाधनों का इस्तेमाल रूस से ज़्यादा दुनिया के दूसरे मुल्क करते हैं। रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है और तीसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस उत्पादक देश।

रूस से हर रोज़ तकरीबन 50 लाख बैरल तेल का निर्यात होता है। इसमें से तकरीबन 42% खरीद एशिया की होती है। रूस और यूक्रेन की लड़ाई का असर यह हुआ है कि जब से लड़ाई शुरू हुई है तब से कच्चे तेल की कीमत में कई तरह की उठापटक हुई है। कीमतों में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है। कच्चे तेल की कीमत बढ़कर 110 डॉलर प्रति बैरल के आस पास पहुंच गयी है। रूस और यूक्रेन के बीच की लड़ाई जितने लम्बे समय तक मौजूद रहेगी तब तक कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती रहेंगी। भारत अपनी जरूरतों का तकरीबन 84 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। आर्थिक जानकारों का कहना है कि अगर चुनाव न होते और कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ती तो अब तक इनकी कीमत में मौजूदा कीमत से 25 से 35 रूपये प्रति लीटर का इजाफा हो चुका होता। रसोई गैस की क़ीमतों में 400 रूपये का इजाफा हो गया होता।

सरकार से यही सवाल है कि वह क्या करेगी? अगर वह चुनाव के लिहाज से कीमतों को बढ़ने से रोक सकती है तो चुनाव न होने पर क्या करेगी? क्या लोककल्याण की भावना केवल वोटबेंक तक सीमित है? क्या सरकार का मतलब केवल यही होता है कि वोटबैंक के लिहाज से काम किया जाए?

एक उदाहरण से समझिये। कच्चे तेल का दाम 1 दिसंबर 2021 को 68.87 डॉलर था। उस वक्त दिल्ली में पेट्रोल का दाम 95.41 रुपए प्रति लीटर था। 7 मार्च 2022 को कच्चे तेल का दाम 139.13 डॉलर पहुंच गया। इसका मतलब ये हुआ कि 102 दिन में अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड के दाम 70.26 डॉलर तक बढ़ गए, लेकिन दिल्ली में पेट्रोल के दाम 95.41 पर ही टिके रहे। सरकार ने पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतें नहीं बढ़ाई।अब जबकि कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरेल के आस पास आ चुकी है तो सरकार ने कीमतें बढ़ा दी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार के पास पर्याप्त तरीके हैं कि वह कीमतें नियंत्रित रखें। कीमतों को इतना ना बढ़ने दें कि कम आमदनी पर जिंदगी गुजार रहे लोगो की कमर टूट जाए। कहने का मतलब यह है कि पेट्रोल डीजल की कीमतों में होने वाले इजाफे का पूरा दोष रूस यूक्रेन की लड़ाई को देना उचित नहीं। सरकार चाहें तो कीमत कम कर सकती है।

सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर पिछले छह सालों में एक्साइज ड्यूटी के तौर पर 250 प्रतिशत की बढोत्तरी की। सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढाकर बम्पर कमाई की है। साल 2014 -15 में पेट्रोलियम सेक्टर के एक्साइज ड्यूटी से सरकार ने तकरीबन 99 हजार करोड़ रूपये की कमाई की थी। पिछले 3 साल में पेट्रोलियम सेक्टर में एक्साइज ड्यूटी पर कमाई के जरिये होने वाली कमाई का लेखा जोखा पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) से साल 2018-19 में 2,10,282 करोड़ रुपये, साल 2019-20 में 2,19,750 करोड और साल 2020-21 में 3,71,908 करोड़ रूपये इकट्ठा हुए। यानी जब कच्चे तेल की कीमत कम थी तब सरकार ने पेट्रोल डीजल पर टैक्स लगाकर अपना खजाना भरने का काम किया। अब अगर कच्चे तेल को लेकर विपरीत हालत बन रहे हैं तो सरकार इसे भी नियंत्रित कर सकती है।

भारत सरकार के इकोनॉमिक एडवाइजरी कौंसिल के सदस्य नीलकंठ मिश्रा का कहना है कि महंगे होते कच्चे तेल और कच्चे तेल से जुड़े सामानों की वजह से अगले साल भर में भारत के आयात बिल में तकरीबन 7.7 लाख करोड़ रुपये का इजाफा होने वाला है। यह मनरेगा के बजट के दस सालों के बजट के बराबर है।

आर्थिक जानकारों का कहना है कि सरकार चाहे तो कच्चे तेल की वजह से बढ़े हुए ख़र्च का भार खुद सहन कर सकती है। चुनाव की वजह से सरकार अब तक कच्चे तेल की बढ़ी हुए कीमतों का भार सहती भी आयी है। अगर सरकार आम लोगों पर बढ़े हुए खर्च का भार नहीं डालेगी तो इससे राजकोषीय घाटा बढ़ेगा लेकिन प्रभात पटनायक जैसे आर्थिक जानकारों ने कई बार लिखा है कि राजकोषीय घाटे को ध्यान में रखते हुए सरकार को आम जनता पर बोझ नहीं बढ़ाना चाहिए। अगर कच्चे तेल की बढ़ी कीमत से बढ़ा खर्चा सरकार आम लोगों से वसूलती है तो हो सकता है कि अमीर आबादी तो इसे सहन कर ले मर कम आमदनी वालों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा। भारत की प्रति व्यक्ति प्रति माह औसत आमदनी महज 16000 है। वह भी तब जब भारत घनघोर आर्थिक असमानता वाला देश है। केवल 1 प्रतिशत अमीरों के पास देश की कुल आमदनी का 22 फीसदी हिस्सा है और 50 प्रतिशत गरीब आबादी के पास केवल 13 प्रतिशत। ऐसी स्थिति में अगर सरकार कच्चे तेल की कीमत का भार जनता पर डालती है तो उन्ही किसानों और मजदूरों पर सबसे अधिक बोझ पड़ेगा जिनके खाते में सरकार चंद पैसा डालकर वोट वसूलने की रणनीति अपना रही है।

LPG price hike
gas cylender
petrol price hike
Diesel Price Hike
Inflation
Rising inflation
Assembly Elections 2022
Modi government
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

क्या जानबूझकर महंगाई पर चर्चा से आम आदमी से जुड़े मुद्दे बाहर रखे जाते हैं?


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License