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भारत
राजनीति
विचार: शाहीन बाग़ से डरकर रचा गया सुल्लीडील... बुल्लीडील
"इन साज़िशों से मुस्लिम औरतें ख़ासतौर से हम जैसी नौजवान लड़कियां ख़ौफ़ज़दा नहीं हुईं हैं, बल्कि हमारी आवाज़ और बुलंद हुई है।"
सना सुल्तान
07 Jan 2022
bulli bai aap
'प्रतीकात्मक फ़ोटो' साभार: PTI

मैं सना सुल्तान बतौर मुस्लिम महिला या यूँ कहूं बतौर एक भारतीय महिला होने के नाते इस बुल्ली बाई मामले को इस तरह देखती हूँ कि यह भारत के संविधान पर हमला है, महिला के सम्मान पर हमला है।

इस पूरे मामले को मैं शाहीन बाग़ से डर और बदला लेने कि भावना के रूप में देखती हूँ जब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश कि लाखों महिलाओ ने आंदोलन का परचम थामा था। इस आंदोलन में पहली बार देश के सामने मुस्लिम औरतों कि मज़बूत और संघर्ष शील छवि को स्थापित किया था। इससे दक्षिणपंथी भाजपा, आरएसएस ब्रिगेड को बहुत परेशानी हुई थी। अभी तक वे मुस्लिम औरतो को मज़लूम दिखाना चाहते थे। इसीलिए शाहीन बाग़ को बदनाम करने के लिए उन्होंने हर तरह कि साज़िशें रचीं।

इन साज़िशों से मुस्लिम औरतें ख़ास तौर से हम जैसी नौजवान लड़कियां ख़ौफ़ज़दा नहीं हुईं हैं, बल्कि हमारी आवाज़ और बुलंद हुई है।

शाहीन बाग़ में औरतें लाखों कि तादाद में बहार आईं थीं तो उन लोगों को ख़ासी तकलीफ़ हुई थी जो महिलाओं को बाहर आने नहीं देना चाहते थे। शाहीन बाग़ में उतरी महिलाओं के लिए जिन लोगों ने बोला था कि यह महिलायें 500 रुपये में बिरयानी के लिए बिक सकती है। आज वही बदला लेने के लिए अब उन्ही मुस्लिम महिलाओ को बेचने के लिए उतरे हैं। स्वतंत्र -बेख़ौफ़ औरत इस ब्रिगेड के एजेंडे को ध्वस्त करती है। इसीलिए यह हमारे ख़िलाफ़ घिनौनी और गन्दी साज़िशें रचते हैं।

यह सब महिलाओं को डराने का षड्यंत्र है। साल की शुरुआत में ही समाज कि गन्दी सोच महिलाओ के प्रति सामने आती है जहाँ 100 से भी अधिक मुस्लिम महिलाओं को एक बुल्ली बाई ऐप के माध्यम से निशाने पर लिया गया है। यह महिलायें वो महिलाये हैं जो कहीं न कहीं, किसी न किसी क्षेत्र में मक़बूलियत हासिल कर चुकी हैं। यह सब वो महिलाये हैं जो बोलना जानती हैं, अपने हक़ के लिए लड़ना जानती हैं। हमेशा से मुसलमानो को निशाना बनाया जाता है लेकिन हद तब हो जाती है जब घूम फिर के महिलाओ को निशाने पर लिया जाता है।

हमेशा से यह माहौल बनाया जाता रहा है कि मुस्लिम महिलाओं को आगे नहीं आने दिया जाये। यह जहाँ से आई हैं इन्हें वहीं भेजा जाये। यह इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है जिसमे मुस्लिम औरतो को निशाने पर लिया गया हो। महिलाओं कि बोली लगाई जाती है। इससे घिनौनी बात और क्या हो सकती है एक महिला के लिए जब वो साल के पहले दिन अपने बारे में यह देखती है। इससे पहले भी सुल्ली डील नाम से एक ऐप बनाया गया था जिसमें मुस्लिम महिलाओं को अपमानजनक तरीके से पुकारा गया था। लेकिन शर्म कि बात है सुल्ली डील में भी किसी भी अपराधी को पकड़ा नहीं गया था न ही किसी को सज़ा मिली। वही इतिहास आज फिर से दोहराया जा रहा है लेकिन आज महिलायें इन छोटी चीज़ों से डरने वाली नहीं हैं। वह सामने आकर इन नफ़रत फ़ैलाने वालो के मुँह पर बोलना जानती हैं।

हम शुक्रिया करते हैं मुंबई पुलिस का, तमाम महिलाओं की कोशिश से आज मुंबई पुलिस ने अभी तक 3 आरोपियों को पकड़ा है जो अपनी असली पहचान छुपा कर दोहरे चेहरों और नामों की आड़ में इस गलत काम को अंजाम दे रहे थे। तीसरी मुख्य आरोपी श्वेता की उम्र 18 साल है जिसने कोविड के चलते अपने पिता को खो दिया और कैंसर से अपनी माँ को। नौजवान लड़के लड़कियों को नफ़रत की आग में झोंका जा रहा है ताकि जो असली चेहरे हैं इन अपराधों के वो बच सकें और अपनी गन्दी सोच को अंजाम दे सकें।

इन्हीं महिलाओं में एक नाम है इस्मत आरा का जो "द वायर" में पत्रकार हैं, जिन्होंने हिम्मत दिखाई और पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई। इस्मत आरा ने इस पूरे मामले पर ट्वीट में भी लिखा है कि "यह बहुत दुख की बात है कि एक मुस्लिम महिला के रूप में आपको अपने नए साल की शुरुआत इस डर और घृणा के साथ करनी पड़ रही है। सु्ली डील के इस नए संस्करण में केवल मैं ही लक्षित नहीं हूं मेरे साथ और भी इस में शामिल हैं"।

हिबा बेग जो एक लेखिका और "द क्विंट" में पत्रकार हैं। वह अपने ट्वीट में लिखती हैं, "मैं आज (१ जनवरी २०२२) अपनी दादी कि कब्र पर गई जो कोविड-19 से गुज़र गई थीं और वहां से आते समय मेरे एक मित्र ने मुझे बताया के मेरे तस्वीर नीलामी के लिए लगी है आज मोदी जी के राज में। वही साथ में लिखा कि अगर पहले मामले में लोगो को पकड़ लिया होता तो आज यह नौबत नहीं आती।

It is very sad that as a Muslim woman you have to start your new year with this sense of fear & disgust. Of course it goes without saying that I am not the only one being targeted in this new version of #sullideals. Screenshot sent by a friend this morning.

Happy new year. pic.twitter.com/pHuzuRrNXR

— Ismat Ara (@IsmatAraa) January 1, 2022

ज़ेबा वारसी ने अपने ट्वीट में लिखा कि इस नए साल के पहले दिन मैं अपने आपको उस फेरिस में देखती हूँ वहां मेरी और मुस्लिम साथियों को ऑनलाइन सेल किया जा रहा है। यह बहुत घृणा कि बात है। मैं अपनी सभी साथियों के साथ हूँ जो सभी इस में टार्गेटेड है।

This New Year’s Day, I found out that my name is on the list of Indian Muslim women who had been put ‘on sale’ online, I was disgusted.

In solidarity with @_sayema @IsmatAraa @HasibaAmin @girlpilot_ and every single one of us being targeted. They won’t succeed in silencing us.

— Zeba Warsi (@Zebaism) January 4, 2022

शबाना आज़मी , सबा नक़वी , सायमा, मोहसिन खान, अर्शी कुरैशी कुछ जाने माने नाम हैं जिन्हें हम हमेशा से सुनते आये हैं और कइयों को अक्सर सुनते रहते हैं। यह सभी औरते पितृ सत्तात्मक बंदिशे तोड़ कर इस मुकाम पर पहुंची हैं जहाँ लोग इन्हें जानते हैं लेकिन अब अपने ही देश में इनको महिला न समझ कर बिकने वाली किसी वस्तु के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा कर के मुस्लिम महिलाओं को डरने कि साज़िश है लेकिन हम इससे डरेंगे नहीं क्यूंकि यह हमारी महिला गरिमा के ख़िलाफ़ है साथ ही साथ मानव गरिमा पर भी सवाल खड़ा करता है।

कुछ अन्य लिंक

This is bullshit,it wouldn’t have happened, if you had taken action last time. It’s disgusting and traumatising. You are protecting these harassers. You are the ones who emboldened them. It’s nauseating,humiliating, but none of this will stop us Muslim women from speaking up. https://t.co/KIYQiWej6J

— Arshi Qureshi (@ArshiiQureshi) January 1, 2022

Feeling nauseated to get calls from media saying my name also on the #BulliDeals. Told it’s still active and any Muslim woman who speaks out is listed. In solidarity with all women out there and the only silver lining is that so many brave young women annoying hate mongers.

— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) January 2, 2022

देश के हालत पर हमने बात कि महिलाओं से कि वो इस पूरे मामले को किस ढंग से देखती हैं।

मोनिका जो पंजाब से हैं इस पूरे मामले पर कहती हैं कि यह पूरा मामला संघी लोगों कि सोची समझी चाल है और गन्दी सोच है जो महिलाओ को आज भी आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश में हैं।

फहमीना जो गुडगाँव में काम करती हैं वे बताती हैं कि यह सब करने से अब कुछ नहीं होने वाला आज की महिला इतनी सशक्त और लड़ने वाली बन चुकी है कि वो लोगों की गन्दी सोच की परवाह किया बिना ही आगे बढ़ती है। बुल्ली बाई पर उनका कहना है कि वो हर एक महिला के साथ हैं जो इस मामले में निशाने पर है और हम आखिर तक लड़ते रहेंगे।

(सना सुल्तान एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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