मुज़फ़्फ़रनगर (उत्तर प्रदेश): केंद्र के नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर ग़ाज़ीपुर में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेतृत्व में हो रहे प्रदर्शन के समर्थन में हजारों किसानों ने आज, शुक्रवार को मुज़फ़्फ़रनगर में एक बड़ी महापंचायत की। हालांकि इस महापंचायत में कोई बड़ा फ़ैसला तो नहीं लिया गया, लेकिन कहा गया कि जो भी किसान समर्थन में शनिवार को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर जाना चाहे वो जा सकता है।
आपको मालूम है कि कल, गुरुवार रात पुलिस प्रशासन ने ग़ाज़ीपुर के धरने को हटाने की कोशिश की थी। इस दौरान राकेश टिकैत भावुक होकर रो भी पड़े थे। जिसके बाद उनके समर्थन में पश्चिम उत्तर प्रदेश समेत देशभर में एक नई लहर देखने को मिली है।
इसी के बाद पश्चिम उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर में यह महापंचायत बुलाई गई थी। जिसमें भारी संख्या में लोग एकजुट हुए।
आज, महावीर चौक के पास जीआईसी मैदान खचाखच भरा हुआ था। लोग ग़ाज़ीपुर में यूपी गेट पर प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए एकजुट हुए थे। शहर की सड़कों पर सैकड़ों ट्रैक्टरों पर तिरंगा और किसान संगठनों के झंडे लहरा रहे थे।
राकेश टिकैत ने महापंचायत के वीडियो को ट्विटर और फेसबुक पर साझा करते हुए सरकार को चेतावनी दी कि “यह केवल मुजफ्फरनगर हैं, हम शान्ति चाहते है सरकार गलतफहमी में न रहे, वार्ता कर समाधान करे।”
पार्टी के उपाध्यक्ष चौधरी ने कहा कि आरएलडी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह ने बीकेयू के अध्यक्ष नरेश टिकैत और प्रवक्ता राकेश टिकैत से बात की।
किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के दोनों बेटे बीकेयू का नेतृत्व कर रहे हैं।
ग़ाज़ीपुर में हुई घटनाओं को लेकर बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने महापंचायत बुलाई थी। इस महापंचायत में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी शामिल हुए।
इससे पहले दिन में आप नेता और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया राकेश टिकैत से मिलने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचे थे और उन्हें अपना समर्थन दिया था। इसी क्रम में जयंत चौधरी भी राकेश टिकैत से मिलने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर गए थे, इसके बाद वे मुज़फ़्फ़रनगर की पंचायत में पहुंचे।
अखिलेश ने की राकेश टिकैत से बात
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी शुक्रवार को राकेश टिकैत से टेलीफोन पर बात की।
बाद में यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसान नेताओं को जिस तरह से प्रताड़ित किया है, उसे पूरा देश देख रहा है।
यादव ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, ‘‘अभी राकेश टिकैत जी से बात करके उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। भाजपा सरकार ने किसान नेताओं को जिस तरह आरोपित और प्रताड़ित किया है, उसे पूरा देश देख रहा है। आज तो भाजपा के समर्थक भी शर्म से सिर झुकाए और मुंह छिपाए फिर रहे हैं। आज देश की भावना और सहानुभूति किसानों के साथ है।’’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘अभी भाजपाई उत्पातियों ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन पर पथराव किया है। सारा देश देख रहा है कि भाजपा कुछ पूंजीपतियों के लिए कैसे देश के भोले किसानों पर अत्याचार कर रही है। भाजपा की साज़िश और बच्चों, महिलाओं और बुजुर्ग किसानों पर की जाने वाली निर्दयता घोर निंदनीय है।’’
राहुल और प्रियंका ने किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा
नयी दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर कई किसान नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज होने की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि ‘किसान-मजदूर पर वार’ से देशविरोधी ताकतों को फायदा होगा।
उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘‘ प्रधानमंत्री हमारे किसान-मज़दूर पर वार करके भारत को कमज़ोर कर रहे हैं। फ़ायदा सिर्फ़ देश-विरोधी ताक़तों का होगा।’’ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और कहा कि किसानों को ‘डराना-धमकाना’ महापाप है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘किसान का भरोसा देश की पूंजी है। इनके भरोसे को तोड़ना अपराध है। इनकी आवाज न सुनना पाप है। इनको डराना धमकाना महापाप है। किसान पर हमला, देश पर हमला है। प्रधानमंत्री जी, देश को कमजोर मत कीजिए।’’
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर शहर में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में दर्ज प्राथमिकी में नामजद किसान नेताओं के विरुद्ध गुरुवार को ‘लुक आउट’ नोटिस जारी किया। इसके साथ ही अपनी जांच तेज करते हुए पुलिस ने लाल किले पर हुई हिंसा के संबंध में राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया है।
पुलिस ने किसान नेताओं को तीन दिनों का समय देते हुए यह बताने को कहा है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए क्योंकि उन्होंने परेड के लिए तय शर्तों का पालन नहीं किया।
राहुल ने ट्वीट किया- “एक साइड चुनने का समय है। मेरा फ़ैसला साफ़ है। मैं लोकतंत्र के साथ हूँ, मैं किसानों और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ हूँ।”
सिंघु बॉर्डर की घटना के बाद भी उन्होंने ट्वीट किया- ना ग़ाज़ीपुर में पुलिस तैनात करके, ना #SinghuBorder पर पथराव करके, ना किसी और साज़िश से किसान का हौसला तोड़ पाओगे
पूरा देश उनके साथ खड़ा है, उन्हें आप डरा-धमका नहीं सकते।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग दोहराते हुए ट्वीट किया कि कृषि कानून किसानों पर हमला हैं। यह राज्यों के अधिकार और संविधान की संघीय भावना का उल्लंघन हैं। उन्होंने इस संदर्भ में संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की भी घोषणा की I
26 जनवरी को घटी घटनाओं के संबंध और सरकार और पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठाते हुए सीताराम येचुरी ने पार्टी के फेसबुक पेज पर एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए उनके दमन का पुरज़ोर विरोध किया।
(समाचार एजेंसी भाषा के कुछ इनपुट के साथ)