NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
जब तक बढ़ी फीस वापस नहीं होती, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा: जेएनयू छात्रसंघ
दिल्ली पुलिस ने छात्रावास शुल्क वृद्धि को लेकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रों के विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में मंगलवार को एक प्राथमिकी दर्ज की है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
19 Nov 2019
JNU

नई दिल्ली: सोमवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्रों ने संसद मार्च किया जिसे पुलिस ने रोका और छात्रों के साथ मारपीट हुई। इसे लेकर मंगलवार शाम को जेएनयू छात्रसंघ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे छात्रों पर बर्बरता कहा।

छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि पुलिस ने छात्रों के साथ बर्बरता की। स्ट्रीट लाइट बंद कर छात्रों को मारा है। दूसरी तरफ प्रशासन कह रहा है कि हड़ताल खत्म करें। लेकिन हम क्यों करें? इसका कोई जबाब नहीं दे रहा है। हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, वीसी हमसे मिल नहीं रहे हैं। यहां तक कि मंत्रालय ने एक कमेटी बनाई है जिसने रजिस्टार को बुलाया लेकिन वो इस कमेटी के सामने भी पेश नहीं हुए।

उन्होंने कहा कि 'सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव हमसे मिले। हमने उन्हें बताया कि हम पिछले 23 दिनों से क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं, हमने उनसे भी कह दिया कि हम पुलिस के लाठी डंडों से डरने वाले नहीं है, जब तक पूरी बढ़ी हुई फीस वापस नहीं होती और हॉस्टल के नए नियम को वापस नहीं लिया जाता तब तक यह हड़ताल और प्रदर्शन जारी रहेगा। मंत्रालय ने भी हमे केवल मौखिक आश्वासन ही दिया है।'

छात्रसंघ ने यह भी कहा कि हर कोई बढ़ी हुई फीस की बात तो कर रहा है लेकिन जेएनयू में हॉस्टल आवंटन में दलित और आदिवासी छात्रों को आरक्षण दिया जाता था,जो नए हॉस्टल मैन्युल के बाद खत्म हो जाएगा। इसके अलावा नए नियम के मुताबिक हॉस्टल फीस हर वर्ष 10% तक बढ़ाई जाएगी, जोकि सबसे खतरनाक है।

इसके साथ छात्रसंघ ने उन छात्रों को भी मीडिया के सामने लाया जो सोमवार को पुलिस  द्वारा पिटाई में चोटिल हुए थे। इसमें शशिभूषण समद भी थे जो दृष्टिबाधित छात्र हैं और पुलिस ने उनके साथ ही बर्बरता की। इसको लेकर दृष्टिबाधित छात्रों के संगठन ने बुधवार को प्रदर्शन का भी आह्वान किया है। इसके साथ ही छात्रसंघ से साफ शब्दों में कहा कि प्रशसन छात्रों को धमकाना बंद करे और प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर जो भी एफआईआर और नोटिस जारी हुआ है, उसे तत्काल वापस लिया जाये।

वहीं, दूसरी ओर दिल्ली पुलिस ने छात्रावास शुल्क वृद्धि को लेकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रों के विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में मंगलवार को एक प्राथमिकी दर्ज की। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कानून की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है लेकिन उन्होंने इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दी।

आपको बता दें कि छात्रों ने सोमवार को जोरदार प्रदर्शन किया। छात्रों ने संसद तक मार्च करने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक दिया। एक तरफ सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन था, दूसरी ओर बाहर सड़कों पर JNU के छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान पुलिस ने छात्रों को रोकने के लिए बल प्रयोग भी किया। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने किसी भी तरह के बल प्रयोग से इंकार किया,लेकिन छात्रों के सर से गिरते खून और महिलाओं के फटे कपड़े, लाठी चलते पुलिस की फोटो और वीडियो बता कुछ और ही कह रहे है।  
FB_IMG_1573757483750_0.jpg
पुलिस के अनुसार आठ घंटे तक चले इस प्रदर्शन के दौरान लगभग 30 पुलिसकर्मी और 15 छात्र घायल हो गये थे। हालांकि जानकारों का कहना है कि पुलिस घायल व चोटिल छात्रों की संख्या काफी कम बता रही है। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने छात्रों को खदेड़ा इस दौरान कई छात्रों को गंभीर चोटे आई हैं।  

आरोप है कि पुलिस ने दृष्टिहीन छात्र शशिभूषण समद को बूट से रौंद दिया था। इससे उन्हें काफी चोटें आईं और उन्हें एम्स ट्रॉमा सेंटर में एडमिट कराया गया था और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एनसाई बालाजी ने बताया कि धरना प्रदर्शन कर रहे दृष्टिहीन क्रांतिकारी गायक और जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के काउंसलर शशिभूषण समद को बुरी तरह से पीटा गया है।  

शशिभूषण ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "मैंने पुलिस से बताया कि मैं देखने में असमर्थ हूं, मैंने अपने चश्मे भी निकाले ताकि पुलिस देख सके, लेकिन वे नहीं रुके। वे मुझे मारते रहे।”
FB_IMG_1574069479055.jpg
जेएनयू के पूर्व छात्र रहे संदीप के लुइस, जिन्हें पिछले साल पीएचडी की डिग्री मिली है उन्होंने कहा कि “बैरिकेड टूट जाने के बाद, पुलिस छात्रों पकड़कर हिरासत में ले रही थी। मुझे भी पुलिस ने पकड़ लिया और उसमे से एक पुलिसवाले ने मेरा पैर खींचा जिससे मैं सड़क के पास बने फुटपाथ से टकराकर गिर गया। अभी मेरे माथे पर पांच टांके आए है।"
FB_IMG_1574101902732.jpg
प्रियांशु जो दिल्ली के आंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्र हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उन्हें लाइट बंद होने के बाद घेरकर मारा जिसमे उन्हें अंदरूनी चोटें आई हैं। इसके अलावा कई ऐसे छात्र थे जिन्हें पुलिस ने मारा किसी के पांव में गंभीर चोट आई तो किसी के सर से खून निकल रहा था। कई महिला छात्रों ने बताया की कई पुलिसवालों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। एक छात्र ने बताया कि उसे पुलिस के जवान द्वारा पिन चुभाया गया।

इसके अलावा पुलिस ने छात्रों के समर्थन में आये शिक्षकों को भी पुलिस ने मारा।  जेएनयू शिक्षकसंघ के महासचिव सुरजीत मजूमदार ने कहा कि "पुलिस ने मुझे यह कहते हुए मारा की आप किस तरह के शिक्षक हैं। मुझे एक लात और लाठी से मारा गया और धक्का दिया गया। अन्य साथियों को भी उनके सीने पर धकेल दिया गया।"

पुलिस ने कहा कि उन्होंने किसी शिक्षक के साथ धक्का मुक्की नहीं की लेकिन सुरजीत मजूमदार कहते हैं कि "वे (पुलिस) बहुत अच्छी तरह से जानते थे कि हम शिक्षक थे; उन्होंने अनजाने में ऐसा नहीं किया"।

हालंकि दिल्ली पुलिस से जब छात्रों के घायल होने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि " पुलिस के द्वारा किसी भी छात्र को कोई भी चोट नहीं दिया गया हैं जब वे बैरिकेड्स पर चढ़ने और तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, उसमे वे खुद ही चोटिल हुए हैं"।

उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह का कोई लाठीचार्ज या बल प्रयोग किये जाने से इंकार किया। आगे वो कहते हैं हम उचित तरीके से विरोध को संभालने में सफल रहे।  

हालंकि पुलिस तर्क को लाठीचार्ज के दौरान घायल हुए न्यूज़क्लिक के पत्रकार वी अरुण कुमार खरिज करते हैं। उनके सिर पर पुलिस ने लाठी से मारा था। उन्होंने बताया कि  “जब पुलिस ने अचानक लाठीचार्ज किया तो मैं बैरिकेड्स के पास खड़ा था। मैंने उन्हें अपना आई-कार्ड दिखाया, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। सीआरपीएफ के एक जवान ने मेरे सिर पर मारा और मेरे साथ अन्य लोग भी खड़े थे उन्हें भी मारा।   उन्होंने पुलिस के दावों को गलत बताया और कहा पुलिस ने छात्रों को बर्बरता से मारा हैं।"

इसके अलावा केरल के संस्थान मीडिया 1 के पत्रकार नौशाद के साथ भी मारपीट की गई। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि मै पुलिस से बार गुहार लगा रहा था कि मै पत्रकार हूँ लेकिन मेरी एक न सुनी और मुझे बुरी तरह से घसीटा और मेरे साथ मारपीट की।

देखें सोमवार का पूरा घटनाक्रम

JNU
JNUSU
Fee Hike
JNU Students Protest
JNUTA
SFI
AISA
DSF
AISF
Aishe Ghosh

Related Stories

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

यूपी: खुलेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत, आख़िर अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

दिल्ली में गूंजा छात्रों का नारा— हिजाब हो या न हो, शिक्षा हमारा अधिकार है!

SFI ने किया चक्का जाम, अब होगी "सड़क पर कक्षा": एसएफआई


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License