NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: ...चुनाव आला रे
कोरोना की तरह ही सरकार जी भी चुनाव आने की भविष्यवाणी कर देते हैं। वैसे तो चुनाव हर पांच साल में होते हैं पर यदि आप भूल गए हों कि चुनाव हुए पांच साल होने वाले हैं तो सरकार जी के दनादन दौरे याद दिला देते हैं कि भइया, अब चुनाव आने ही वाले हैं।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
26 Dec 2021
modi

डेल्टा अभी पूरी तरह से गया ही नहीं है कि ओमिक्रॉन आ गया है। हम किसी शहर के विभिन्न सेक्टरों की बात नहीं कर रहे हैं, हम तो कोरोना की, कोविड की बात कर रहे हैं।

यह मुआ कोरोना भी पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा है। पहला गया नहीं था कि दूसरा रूप बदल कर आ गया था। अब दूसरा गया नहीं है कि तीसरा पधार गया है। और पधारा भी उस समय है जब सब सोच बैठे थे कि अब तो कोरोना भाग गया है। दूसरा भी तभी आया था जब सरकार जी कोरोना पर विजय का ऐलान कर चुके थे। इस बार भी सरकार जी बस ऐलान करने ही वाले ही थे, श्रेय लेने ही वाले थे, कि यह तीसरी लहर दस्तक देने लगी। कोरोना अगर आने में जरा सी भी और देर कर देता तो सरकार जी हर दूसरे दिन होती रैली में से किसी भी रैली में यह घोषणा कर ही देते कि भाईयों, अब घबराने की जरूरत नहीं है, अब उन्होंने पुनः कोरोना पर विजय प्राप्त कर ली है।

देश में चुनाव हैं, इस बात का पता पहले तो चुनाव आयोग की अधिघोषणा से ही होता था। पर जब से सरकार जी आये हैं तब से चुनाव होने का पता इस बात से चलने लगा था कि सरकार जी अपने विदेशी दौरों का मोह छोड़ देश में ही रहने लगते थे। जब सरकार जी विदेशी दौरों को छोड़, विदेशी धरती पर रैली छोड़, देश में ही रैली करने लगें तो जनता समझ जाती थी कि अब चुनाव आने वाले हैं। पर अब जब विदेशी दौरे बंद है तो आखिरकार चुनाव आने का पता चले तो कैसे चले। तो आपको चुनाव आने का पता सरकार जी की रैलियों के अलावा कोरोना के नए वेरिएंट आने से भी चल जाता है।

इस कोरोना की तो लगता है चुनाव आयोग से विशेष सेटिंग है। जब भी चुनाव होने वाले होते हैं, कोरोना आ धमकता है। चुनाव आयोग चुनाव का कार्यक्रम घोषित बाद में करता है, कोरोना का नया वेरिएंट पहले ही भारत में घुस कर घोषणा कर देता है कि भारत में चुनाव होने वाले हैं। बिहार के चुनाव के समय कोरोना की पहली लहर आई तो बंगाल के चुनाव के समय डेल्टा वेरिएंट की दूसरी। और अब उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड आदि के चुनाव के दौरान ओमिक्रॉन की लहर आने की संभावना जताई जा रही है। कोरोना के अलावा सरकार जी का व्यवहार भी बता देता है कि चुनाव आने वाले हैं।

कोरोना की तरह ही सरकार जी भी चुनाव आने की भविष्यवाणी कर देते हैं। वैसे तो चुनाव हर पांच साल में होते हैं पर यदि आप भूल गए हों कि चुनाव हुए पांच साल होने वाले हैं तो सरकार जी के दनादन दौरे याद दिला देते हैं कि भइया, अब चुनाव आने ही वाले हैं। सरकार जी चुनावों की घोषणा से पहले तो उन स्थानों का भी दौरा कर लेते हैं जहां वे पिछले पांच सालों में कभी भी नहीं गये थे। 

चुनावों से पहले कोरोना की तरह सरकार जी भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा देते हैं। चुनावों की आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य के लिए सौगातों की बाढ़ लग जाती है। धड़ाधड़ शिलान्यासों और उद्धघाटनों की बौछार हो जाती है। अखबारों में खबरों को पीछे धकेल कर, मुख पृष्ठ पर बड़े-बडे़ फोटो वाले विज्ञापन आने लगते हैं। विज्ञापनों में नीचे से पहले तीन में रहने वाले प्रदेश को ऊपर से पहला बताया जाने लगता है। जब ऐसा होने लगे तो समझ में आ जाता है कि अब चुनाव आने वाले हैं।

समझ में तो यह भी आता है कि सरकार जी और उनकी पार्टी के लोगों की कोरोना के वायरस से बहुत ही पक्की दोस्ती है। दोनों आपस में खास यार हैं। सरकार जी चुनावों की सभाओं, रैलियों और रोड शो में मास्क जरा कम ही लगाते हैं। कोरोना से दोस्ती जो निभानी है। वैसे भी मास्क से बीमारी भले ही दूर भागती हो पर चेहरा छुप ही जाता है। और चेहरा ही न दिखे तो फोटो वाले विज्ञापनों और थैलों पर छपी फोटो का क्या लाभ। इसके अलावा चेहरा छुपने पर जो लोग काम पर नहीं, चेहरे पर ठप्पा लगाना चाहते हैं, उनका वोट मिलना भी मुश्किल हो जाता है।

सिर्फ सरकार जी और उनकी पार्टी का ही कोरोना के वायरस से याराना नहीं है, अन्य दलों के नेता भी उससे लगभग बराबर का सा ही याराना रखते हैं। वे भी खूब बड़ी-बड़ी सभायें, रैलियां करते हैं। सरकार जी तो रैलियों में, कोरोना काल में भी भीड़ देख प्रसन्न होते ही हैं, विपक्षी नेता भी खुश होते हैं। और कोरोना का वायरस तो खुशी से झूम ही उठता है। पहले की खुशी में दूसरे की खुशी है, और दूसरे की खुशी में पहले की।

कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे रही है। राज्यों ने बंदिशें लगानी शुरू कर दी हैं। पंजाब में आप एक भी टीका लगवाये बिना रैलियों में इकट्ठा हो सकते हैं परन्तु उसी राज्य की राजधानी चंडीगढ़ में दोनों टीके लगवाये बिना घर से बाहर निकलने पर पांच सौ रुपए का जुर्माना है। मतलब कोरोना-वायरस ने बता दिया है कि वह चंडीगढ़ में तो फैलेगा पर पंजाब में नहीं। हरियाणा में रोडवेज की बस में आप टिकट ले कर भी सिर्फ पूर्ण टीकाकरण के बाद ही सवार हो सकते हैं, पर उसी से सटे हुए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आप को सरकार जी की रैली में जाने के लिए रोडवेज की बस में, बेटिकट फ्री में जाना हो तो एक भी टीके की जरूरत नहीं है।

खैर सरकार कोरोना से निपटने के लिए कटिबद्ध है। शादी ब्याह में दो सौ से अधिक लोग नहीं हो सकते हैं, उन पर कोरोना वायरस संक्रमण कर सकता है। परन्तु रैली में लाखों भी हो सकते हैं और कोरोना से बचे रह सकते हैं। देसी रिसर्च यह बताती है कि कोरोना वायरस को शादी ब्याह की पार्टी में खाना खाना पसंद है पर सरकार जी और अन्य नेताओं रैली में जाना और उनका भाषण सुनना पसंद नहीं है। इसी तरह कोरोना के वायरस को अंधेरा पसंद है और वह रात में शिकार करने निकलता है। इसीलिए सरकारों को लगता है कि कोरोना से बचने के लिए रात का कर्फ्यू काफी है। 

यहां कोरोना फैलता जा रहा है और रात के सन्नाटे में कोई गुनगुना रहा है:

जब अंधेरा होता है,

आधी रात के बाद

एक वायरस निकलता है,

खाली सी सड़क पे

ये आवाज़ आती है,

कोरोना, कोरोना.......

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Political satire
Satire
COVID-19
Omicron variant
UP Assembly Elections 2022

Related Stories

जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...

कटाक्ष: नये साल के लक्षण अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं...

चुनावी चक्रम: लाइट-कैमरा-एक्शन और पूजा शुरू

कटाक्ष: इंडिया वालो शर्म करो, मोदी जी का सम्मान करो!


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License