NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कानून
भारत
राजनीति
लेबर कोड के विरोध में ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी प्रदर्शन, जंतर-मंतर पर जलाई प्रतियां
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय मंच ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए लेबर कोडों के ख़िलाफ़ किया देशव्यापी विरोध प्रदर्शन।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
01 Apr 2021
लेबर कोड के विरोध में ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी प्रदर्शन, जंतर-मंतर पर जलाई प्रतियां

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय मंच ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए लेबर कोडों के ख़िलाफ़ किया देशव्यापी विरोध प्रदर्शन। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आव्हान पर दिल्ली में भी एक अप्रैल को विवादित लेबर कोड और सरकारी और पब्लिक सेक्टर के निजीकरण, निगमीकरण, रोजगार व असंगठित श्रमिकों पर बढ़ते हमलों, कृषि कानूनों एवं महंगाई के खिलाफ जंतर मंतर नई दिल्ली पर विरोध प्रदर्शन किया और लेबर कोड़ों की प्रतियां जलाई।  

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड तपन सेन ने कहा कि जब आम नागरिक कोरोना और आर्थिक बदहाली से जूझ रहे हैं, ऐसे समय में सरकार 44 श्रम कानूनों के स्थान पर अलोकतांत्रिक तरीके से चार लेबर कोड़ लागू करने की तैयारी कर रही है। वर्षों के संघर्षों से हासिल अनेक श्रमिक अधिकार इन लेबर कोड के द्वारा समाप्त किए गए हैं और इनको संकुचित किया गया है।

उन्होंने आगे बताया कि निश्चित समय के लिए रोजगार के प्रावधान से स्थाई रोजगार समाप्त करने, मालिकों को श्रमिकों की मनमर्जी से निकालने का अधिकार देना, काम के घंटे बढ़ाने जैसे प्रावधान नए लेबर कोड में है। 20 से कम संख्या वाले उद्योगों के श्रमिक बोनस नहीं मांग सकते, कार्य दक्षता के आधार पर छंटनी हो सकेगी, यूनियन गठन व हड़ताल करना अत्यंत मुश्किल कर दिया गया है। राज्य सरकार उनमें अपनी आवश्यकतानुसार बदलाव भी कर सकेंगी और लेबर स्पेक्टर पूर्व सूचना के बिना निरीक्षण तक नहीं कर सकेगा। घोषित तौर पर यह तमाम प्रावधान व्यापार को सुगम बनाने अर्थात कारपोरेट हित में लाए गए हैं।

सेन लेबर कोड की तुलना कृषि कानूनों  से करते हैं। उनका कहना है कि इसी तरह कृषि कानून में भी किसानों के अधिकारों को संकुचित किया गया है। खाद्य पदार्थों को स्टोर करने की सीमा समाप्त किया गया है, फसलों का स्वामीनाथन आयोग से न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का प्रावधान नहीं है। इतना ही नहीं आम जनमानस की मेहनत और कमाई से निर्मित सरकारी और पब्लिक सेक्टर जैसे भारतीय रेलवे, बैंक, बीमा, अस्पताल, कोयला, खाने, रक्षा संस्थान, एयर इंडिया, बीपीसीएल, संचार आदि क्षेत्र के संस्थान सरकार कारपोरेट क्षेत्र को बेच रही है।  साथ ही महंगाई बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि असंगठित श्रमिकों के हालात और भी खराब है। व्यापक पैमाने पर रोजगारों की समाप्ति से घरेलू कामगार, रेहड़ी पटरी कर्मी, सेल्स कर्मी, फैक्ट्रियों, लघु उद्योग, दुकानकर्मी, आदि बदहाल हुए हैं और उनके पुनर्वास और जीवन यापन के इंतजाम नहीं किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि अब हर जगह फैक्ट्री गेट, सड़क पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन होने चाहिए और 10 केंद्रीय संगठन एक साथ मिलकर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। प्रदर्शन में विभिन्न ट्रेड यूनियनों व उनके कार्यकर्ताओं/ मजदूरों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और विरोध प्रदर्शन को सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन नेताओं ने संबोधित किया।

सेन ने न्यूज़क्लिक से भी बात की और आने वाले दिनों में देशव्यापी हड़ताल का संकेत दिया।

तीन श्रम संहिता बिल पिछले साल सितंबर में संसद में केंद्र द्वारा पारित किए गए थे, जिसके बाद से श्रमिक संगठनों द्वारा विरोध की एक नई लहर शुरू हो गई थी। मजदूरी और बोनस भुगतान को विनियमित करने वाला एक कोड पहले ही 2019 में पारित किया जा चुका था।

कुल मिलाकर, 29 मौजूदा केंद्रीय श्रम अधिनियमों को बदलने के लिए चार कोड निर्धारित किए गए हैं। श्रम विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की एक सुधार प्रक्रियाजिसमे कुछ नियमों को कमजोर करना भी शामिल है - न तो नियोक्ता को लाभ होगा, न ही अर्थव्यवस्था को, न केवल एक श्रमिक के हक़ में है ।

इस बीच, गुरुवार को जंतर मंतर पर हुए विरोध प्रदर्शन में दिल्ली के एनसीआर और उसके आस-पास के औद्योगिक क्षेत्रों में सक्रिय इंकलाबी मजदूर केंद्र, बिगुल मजदूर दास्ता सहित स्वतंत्र श्रमिक समूह भी शामिल हुए। उनके साथ औद्योगिक मज़दूर यूनियनों  के प्रतिनिधि भी थे।

बेलसनिका इम्प्लाइज यूनियन के उपाध्यक्ष, अजीत सिंह ने कहा, “राष्ट्र में श्रमिक वर्ग अब तक पिछले साल घोषित किए गए अनियोजित लॉकडाउन के दबाव में रह रहा है। कई श्रमिकों ने अपनी नौकरी खो दी है, जबकि अन्य ने अपने वेतन में कटौती का सामना कर रहे  है। ”

सिंह ने कहा कि मानेसर स्थित ऑटो कंपोनेंट निर्माता बेलसनिका ऑटो कंपोनेंट्स प्राइवेट लिमिटेड  भी मोदी सरकार की खराब नीतियों से प्रभावित झटकों से अछूता नहीं रहा।

उसने कहा: “श्रम संहिता से स्थिति और खराब हो जाएगी। हम सभी को इसके खिलाफ  निर्णयक लड़ाई  लड़नी  चाहिए। ”

हालांकि आज से लागू होने वाले श्रम कोड को फिलहाल के लिए रोक दिया गया है। श्रम कानूनों में बदलाव से जुड़े चार श्रम संहिताएं एक अप्रैल से लागू नहीं होंगी क्योंकि राज्यों ने इस संदर्भ में नियमों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया है।

श्रम मंत्रालय ने औद्योगिक संबंधों, मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, पेशागत स्वास्थ्य सुरक्षा और कामकाज की स्थिति पर चार संहिताओं को एक अप्रैल, 2021 से लागू करने की योजना बनायी थी।

मंत्रालय ने सभी आवेदनों को लागू करने के लिए नियमों को अंतिम रूप दे दिया है।

एक सूत्र ने बताया, ''क्योंकि राज्यों ने चारों श्रम संहिताओं के संदर्भ में नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया है, इन कानूनों का लागूयन कुछ समय के लिए टाला जा रहा है। ''

सूत्रों के अनुसार कुछ राज्यों ने नियमों का राष्ट्रीय जारी किया। है। ये राज्य हैं ... उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड।''

चूंकि श्रम का मामला देश के संविधान में समवर्ती सूची में है, अत: केंद्र और राज्य दोनों को संहिताओं को अपने-अपने क्षेत्र में उससे जुड़े नियमों को लागू करने के अधिकार हैं।

अब ये कोड्स के लागू नहीं होने से नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों के वेतन को नए कानून के तहत संशोधित करने के लिए कुछ और समय मिल गया है।

Labour Codes
Central Trade Unions
CITU
INTUC
AICCTU
Inqlabi Mazdoor Kendra
Bigul Mazdoor Dasta
Narendra modi
Bharatiya Janata Party
workers protest

Related Stories

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

सावधान: यूं ही नहीं जारी की है अनिल घनवट ने 'कृषि सुधार' के लिए 'सुप्रीम कमेटी' की रिपोर्ट 

क्या पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के लिए भारत की संप्रभुता को गिरवी रख दिया गया है?

नए श्रम क़ानूनों के तहत मुमकिन नहीं है 4 डे वीक

एक बड़े आंदोलन की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशा बहनें, लखनऊ में हुआ हजारों का जुटान

क्या चोर रास्ते से फिर लाए जाएंगे कृषि क़ानून!

दिल्ली में मज़दूरों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के ख़िलाफ़ हड़ताल की

ट्रेड यूनियनों के मुताबिक दिल्ली सरकार की न्यूनतम वेतन वृद्धि ‘पर्याप्त नहीं’

“भारत के सबसे लोकतांत्रिक नेता” के नेतृत्व में सबसे अलोकतांत्रिक कानून-निर्माण पर एक नज़र

मृत्यु महोत्सव के बाद टीका उत्सव; हर पल देश के साथ छल, छद्म और कपट


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत
    14 May 2022
    देश में आज चौथे दिन भी कोरोना के 2,800 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। आईआईटी कानपूर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल कहा है कि फिलहाल देश में कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना नहीं है।
  • afghanistan
    पीपल्स डिस्पैच
    भोजन की भारी क़िल्लत का सामना कर रहे दो करोड़ अफ़ग़ानी : आईपीसी
    14 May 2022
    आईपीसी की पड़ताल में कहा गया है, "लक्ष्य है कि मानवीय खाद्य सहायता 38% आबादी तक पहुंचाई जाये, लेकिन अब भी तक़रीबन दो करोड़ लोग उच्च स्तर की ज़बरदस्त खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। यह संख्या देश…
  • mundka
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?
    14 May 2022
    मुंडका स्थित इमारत में लगी आग तो बुझ गई है। लेकिन सवाल बरकरार है कि इन बढ़ती घटनाओं की ज़िम्मेदारी कब तय होगी? दिल्ली में बीते दिनों कई फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों में आग लग रही है, जिसमें कई मज़दूरों ने…
  • राज कुमार
    ऑनलाइन सेवाओं में धोखाधड़ी से कैसे बचें?
    14 May 2022
    कंपनियां आपको लालच देती हैं और फंसाने की कोशिश करती हैं। उदाहरण के तौर पर कहेंगी कि आपके लिए ऑफर है, आपको कैशबैक मिलेगा, रेट बहुत कम बताए जाएंगे और आपको बार-बार फोन करके प्रेरित किया जाएगा और दबाव…
  • India ki Baat
    बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून
    13 May 2022
    न्यूज़क्लिक के नए प्रोग्राम इंडिया की बात के पहले एपिसोड में अभिसार शर्मा, भाषा सिंह और उर्मिलेश चर्चा कर रहे हैं बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून की। आखिर क्यों सरकार अड़ी हुई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License