NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
त्रिपुरा: भीड़ ने की तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या, आख़िर कौन है बढ़ती लिंचिंग का ज़िम्मेदार?
विपक्ष का आरोप है कि जब से राज्य में बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार बनी है तब से राज्य में इस तरह की घटनाएं बढ़ गई हैं।
सोनिया यादव
21 Jun 2021
त्रिपुरा: भीड़ ने की तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या, आख़िर कौन है बढ़ती लिंचिंग का ज़िम्मेदार?
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

अभी कुछ दिनों पहले ही राजस्थान की मॉब लिंचिंग की खबर सुर्खियों में थी। गौ तस्करी के शक में हुई इस लिंचिंग को लेकर सड़क और सोशल मीडिया पर खूब आक्रोश भी दिखाई दिया था। हालांकि ये मामला अभी शांत ही नहीं हुआ था कि अब पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा से एक नहीं बल्कि तीन लोगों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर देने की खबर सामने आ रही है। 

द हिंदू अख़बार ने पुलिस के हवाले से लिखा है कि यह घटना रविवार, 20 जून की है। जब त्रिपुरा के खोवाई ज़िले के उत्तरी महारानीपुर में भीड़ ने मिनी ट्रक में मवेशी ले जा रहे तीन लोगों को पीट-पीटकर मार डाला।

द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने खोवाई के एसपी किरण कुमार के हवाले से लिखा है कि मारे गए तीन लोग 28 वर्षीय ज़ायद हुसैन, 30 वर्षीय बिलाल मियां और 18 वर्षीय सैफ़ुल इस्लाम हैं जो सेपाहीजाला के सोनामूरा इलाक़े के रहने वाले थे।

क्या है पूरा मामला?

पुलिस के अनुसार, नमनजॉयपाड़ा के ग्रामीणों ने रविवार की सुबह एक ट्रक में पांच जानवरों के साथ तीनों को भागते हुए देखा जिसके बाद उन्होंने उनका पीछा किया और उत्तरी महारानीपुर गांव के पास इन्हें रोक लिया। ग्रामीणों ने ट्रक पर सवार तीन लोगों के साथ मारपीट शुरू कर दी और उसी दौरान दो लोगों को पीट-पीटकर मार डाला। जबकि इनमें से सैफ़ुल भागने में कामयाब रहा।

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया अख़बार के मुताबिक भीड़ ने उत्तरी महारानीपुर के पास की एक अन्य बस्ती मंगियाकामी के पास सैफ़ुल को भी पकड़ लिया और पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी।

ज़िले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सोनाचरन जमातिया ने बताया कि मामले की जानकारी मिलने के तुरंत बाद कार्रवाई करते हुए पुलिस तीनों को अगरतला के जीबीपी अस्पताल ले गई जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

अब तक कोई गिरफ़्तारी नहीं

पुलिस के मुताबिक, मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच चल रही है। लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

द हिंदू अख़बार को एक स्थानीय पुलिस कर्मचारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, "हमने मिनी ट्रक को अपने क़ब्ज़े में ले लिया है और उसमें सवार पांच गायों को भी।"

उन्होंने कहा कि कुछ जानवर उत्तरी महारानीपुर के पास नमनजॉयपाड़ा के पास से चोरी हुए थे।

विपक्ष क्या कह रहा है?

इस घटना के संबंध में सीपीआई (एम) ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह हादसा दर्शाता है कि राज्य में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति क्या है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि जब से राज्य में बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार बनी है तब से राज्य में इस तरह की घटनाएं बढ़ गई हैं।

पार्टी ने सभी अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी, त्वरित जांच और शोक संतप्त परिवारों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।

उधर, सीपीआई (एमएल) की राज्य इकाई ने भी इस लिंचिंग की निंदा की और घटना की जांच त्रिपुरा उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में करवाने की बात कही।

गौरतलब है कि जानवरों की तस्करी और भीड़ के पीट-पीटकर मार डालने के दो अलग मामले चंपाहोवेर और कायनपुर पुलिस थानों में भी दर्ज हुए हैं लेकिन अभी तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है।

इस साल फ़रवरी में ढलाई ज़िले के लालछेरी गांव में अज्ञात लोगों ने एक ट्रक ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इससे पहले दिसंबर 2020 में एक 21 वर्षीय युवा को अगरतला में चोरी के संदेह में पीट-पीटकर मार डाला था। वहीं, साल 2018 में बच्चा चोरी की अफ़वाहों के कारण पीट-पीटकर मार डालने के मामले में त्रिपुरा काफ़ी ख़बरों में था।

गौरतलब है कि देश के कई राज्यों में कथित गौ-रक्षकों द्वारा इस तरह के कई हमले हुए हैं। कुछ ही दिनों पहले असम के तिनसुकिया में भी इसी तरह कुछ लोगों ने 28 वर्षीय एक व्यक्ति को मवेशी चुराने के संदेह में पीट पीट कर मार दिया था। इसके पहले पिछले कुछ सालों में झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर जैसे कई राज्यों में इस तरह की हत्याएं हो चुकी हैं लेकिन किस मामले में क्या सज़ा हुई, कितनों को इंसाफ मिला, ये शायद ही कोई जानता हो।

भीड़ हिंसा के ख़िलाफ़ क़ानून को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं!

साल 2018 में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर दायर एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला की याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को इन हत्याओं की रोकथाम करने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए थे लेकिन अधिकतर राज्यों में ये अभी तक लागू नहीं हुए हैं। इनमें इस तरह के मामलों पर तेज गति से अदालतों में सुनवाई, हर जिले में पुलिस के एक विशेष दस्ते का गठन, ज्यादा मामलों वाले इलाकों की पहचान, भीड़-हिंसा के खिलाफ रेडियो, टीवी और दूसरे मंचों पर जागरूकता कार्यक्रम जैसे कदम शामिल हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने संसद से अपील भी की थी कि वो इस तरह की हिंसा के खिलाफ एक नया कानून ले कर आए, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं की गई है।

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड सेकुलरिज्म की मानें तो जनवरी, 2014 से 31 जुलाई, 2018 तक देश में मॉब लिंचिंग की जो 109 घटनाएं सामने आईं, उनमें 82 भाजपा शासित राज्यों में हुईं। ‘इंडिया स्पेंड’ के अनुसार मॉब लिंचिंग के 97 प्रतिशत मामले 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही सामने आये और इनकी मुख्य वजह सांप्रदायिक ही रही है।

गौरक्षा के लिए निर्मित कई नीतियों से कथित गौरक्षक समूहों को मिला है बढ़ावा !

ह्यूमन राइट वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी घटनाओं में मई 2015 से दिसंबर 2018 के बीच, भारत के 12 राज्यों में कम-से-कम 44 लोग मारे गए जिनमें 36 मुस्लिम थे। इसी अवधि में, 20 राज्यों में 100 से अधिक अलग-अलग घटनाओं में करीब 280 लोग घायल हुए। रिपोर्ट में दावा किया गया कि गौरक्षा और हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक आंदोलन के बीच की कड़ियों और असुरक्षित अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों को लागू करने में सरकार विफल साबित हुई है। वहीं बीजेपी शासित राज्य सरकारों द्वारा गौरक्षा के लिए निर्मित कई नीतियों से इन कथित गौरक्षक समूहों को बढ़ावा भी मिला है। इसके अलावा खुद पुलिस इन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त समूहों से खतरा महसूस करती है। पुलिस को इन गौरक्षकों के प्रति सहानुभूति रखने, कमजोर जांच करने और उन्हें खुली छूट देने के लिए राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता है। जिससे इन गौरक्षकों को राजनीतिक आश्रय और मदद मिलती है।

भीड़ तानाशाही व्यवस्था का ही विस्तार है!

भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता, इसलिए शायद ये भीड़ ठोस कानूनी कार्रवाई से भी बच जाती है। आज के समय में मार डालने वाली यह उन्मादी भीड़ हीरो बनकर उभरी है। बीते कुछ समय में देखने को मिला है कि भीड़ बहुसंख्यक लोकतंत्र के एक हिस्से के तौर पर दिखती है जहां वह ख़ुद ही क़ानून का काम करने लगती है, खाने से लेकर पहनने तक सब पर उसका नियंत्रण होता है। ये भीड़ ख़ुद को सही मानती है और अपनी हिंसा को व्यावहारिक एवं ज़रूरी बताती है। अफ़राजुल व अख़लाक़ के मामले में भीड़ की प्रतिक्रिया और कठुआ व उन्नाव के मामले में अभियुक्तों का बचाव करना दिखाता है कि भीड़ ख़ुद ही न्याय करना और नैतिकता के दायरे तय करना चाहती है। हालांकि इन तमाम मामलों के संबंध में कई लोगों का मानना है कि भीड़ तानाशाही व्यवस्था का ही विस्तार है। भीड़ सभ्य समाज की सोचने समझने की क्षमता और बातचीत से मसले सुलझाने का रास्ता ख़त्म कर देती है।

इसे भी पढ़ें: राजस्थान : फिर एक मॉब लिंचिंग और इंसाफ़ का लंबा इंतज़ार

Rajasthan
Tripura
mob lynching
mob violence
BJP government
law against mob lynching
CPIM
CPI
Tripura Police
Tripura Mob lynching

Related Stories

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

बंगाल हिंसा मामला : न्याय की मांग करते हुए वाम मोर्चा ने निकाली रैली

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

पलवल : मुस्लिम लड़के की पीट-पीट कर हत्या, परिवार ने लगाया हेट क्राइम का आरोप

राजस्थान: रेप के आरोपी ने दोस्तों के साथ मिलकर दलित लड़की पर चाकू से किया हमला

राजस्थान में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या, तमिलनाडु में चाकू से हमला कर ली जान

शामली: मॉब लिंचिंग का शिकार बना 17 साल का समीर!, 8 युवकों पर मुकदमा, एक गिरफ़्तार

राजस्थान: एक सप्ताह के भीतर दुष्कर्म के आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज, गहलोत सरकार की क़ानून व्यवस्था फेल!

बिहार: समस्तीपुर माॅब लिंचिंग पीड़ितों ने बिहार के गृह सचिव से न्याय की लगाई गुहार


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License