पुलिस की बर्बरता के खिलाफ ट्यूनीशिया में विरोध प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया जब सुरक्षा बलों ने ट्यूनीशिया की राजधानी ट्यूनीश में सिदी हसीन के मजदूर वर्ग इलाके में सैकड़ों निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी। इसकी जानकारी रविवार 13 मई को प्रकाशित की गई।
पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मौत के बाद से ट्यूनीशिया में पिछले सप्ताह मंगलवार से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस व्यक्ति को ड्रग्स के कारोबार में शामिल होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। मृतक के परिवार ने पुलिस पर उसकी पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप लगाया है और इस घटना की जांच भी शुरू कर दी गई है। उधर आंतरिक मंत्रालय ने पहले ही इनकार कर दिया है कि गिरफ्तार होने के बाद उसे किसी भी शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण करने और प्रदर्शनों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया, साथ ही उन पर लाठियां बरसाईं और उन्हें लात मारी। कथित तौर पर कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया था। विभिन्न वामपंथी संगठनों के सदस्यों और कार्यकर्ताओं के साथ शहर के मजदूर वर्ग के इलाके के कई लोगों द्वारा आंतरिक मंत्रालय की इमारत के सामने इससे जुड़े प्रदर्शन भी किए गए थे। इनमें तीन युवा ट्यूनीशियाई लोगों की माताएं भी शामिल रहीं जिनकी पिछले तीन वर्षों में गिरफ्तारी के बाद पुलिस हिरासत में मौत हो गई।
ट्यूनीशियाई लीग ऑफ़ ह्यूमन राइट्स (एलटीडीएच) ने एक बयान में इन निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों द्वारा की गई हिंसा की निंदा की और प्रधानमंत्री हिचेम मेचिची की सरकार पर आरोप लगाया।
कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य नागरिक समाज समूहों ने चेतावनी दी है कि पुलिस की बर्बरता की घटनाएं 2011 में क्रांति के बाद सरकार द्वारा शुरू किए गए पुलिस सुधारों की विश्वसनीयता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी जिसने लंबे समय तक राष्ट्रपति ज़ीन एल अबिदीन बेन अली की तानाशाही व दमनकारी शासन को उखाड़ फेंका था। उन्होंने इन घटनाओं को इस क्रांति के बाद से देश में हुई लोकतांत्रिक प्रगति के लिए एक झटका के रूप में भी बताया और दोषी पुलिस अधिकारियों के लिए जवाबदेह ठहराने और सजा देने की मांग की क्योंकि अतीत में सुरक्षा बलों के जवान अपने सत्ता के दुरुपयोग के कारण मुकदमा और सजा से बच गए हैं।