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क्या अमेरिका और यूरोप के करीब आ रहा है तुर्की?
लेकिन, हक़ीक़त यह है कि पश्चिम तुर्की को तो स्वीकार कर सकता है, लेकिन क्या वे एर्दोगन को स्वीकार करेगा?
एम. के. भद्रकुमार
15 Jan 2022
Translated by महेश कुमार
Turkey

"स्विंग स्टेट" होने के रणनीतिक फायदे हो सकते हैं लेकिन जब जीवन कठिन हो जाता है और अधिक कठिन होता जाता है, तो इसके नतीजे कुछ और हो सकते हैं। करीब सौ साल पहले तुर्की ने एक बार हक़ीक़त के कुछ ऐसे ही पल का सामना किया था। आज भी उसे कुछ इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।

यूरोपीयन यूनियन के राजदूतों के साथ अंकारा में गुरुवार को हुई एक बैठक में, तुर्की के राष्ट्रपति ने 2022 में दोनों पक्षों के बीच संबंधों को विकसित करने में साहसिक कार्रवाई का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि यूरोपीयन यूनियन की पूर्ण सदस्यता अभी भी तुर्की की रणनीतिक प्राथमिकता बनी हुई है और यह "हमारे सामान्य हित में है" कि हम पूर्वाग्रहों या आशंकाओं के बजाय दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण से इस पर काम करें।"

एर्दोगन के अनुसार, तुर्की-यूरोपीयन यूनियन का सहयोग महत्वपूर्ण है और तुर्की के "असाधारण प्रयासों के बिना, सीरिया और यूरोप को एक अलग परिदृश्य का सामना करना पड़ सकता था।" इसलिए एर्दोगन का रुख ब्रसेल्स के लिए महत्व रखता है।

अंकारा की बैठक ने खुद को इस बात से आश्वस्त किया है कि वाशिंगटन तुर्की के साथ अपने समस्याग्रस्त संबंधों को पुनर्जीवित करने का इच्छुक है, क्योंकि सरकार समर्थक अख़बार सबा ने एक टिप्पणी के ज़रिए इस सप्ताह इस तथ्य को नोट किया था कि,

"आखिरकार, इसी क्षण में, रूस, नाटो गठबंधन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच टकराव के मामले में तुर्की जो स्टैंड लेगा, वह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होगा। नाटो के समक्ष साबित और इसके एक अपरिहार्य सदस्य के रूप में, तुर्की दोनों पक्षों के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार है।"

इस सप्ताह की शुरुआत में ग्रीक मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद अंकारा में उम्मीदें बढ़ गई हैं कि वाशिंगटन ने तथाकथित ईस्टमेड परियोजना पर पुनर्विचार किया है, जो पूर्वी भूमध्यसागर से प्राकृतिक गैस को यूरोप की आपूर्ति करने के लिए डिज़ाइन की गई 1,900 किलोमीटर की उप-पाइपलाइन है।

संक्षेप में, ग्रीस, साइप्रस और इज़राइल ने 2025 तक पूर्वी भूमध्य सागर में अपने गैस क्षेत्रों से यूरोप तक प्राकृतिक गैस पहुंचाने के लिए पाइपलाइन के निर्माण के लिए 2020 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस परियोजना के ज़रिए शुरू के एक वर्ष में यूरोप को 10 बीसीएम गैस भेजने की उम्मीद थी। 

6 बिलियन यूरो की इस परियोजना को अमेरिका का मजबूत समर्थन हासिल था और इस साल इसमें अंतिम निवेश को लेकर निर्णय की उम्मीद थी, लेकिन रविवार को एक बयान में, अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वह अब इस परियोजना का समर्थन नहीं करता है, क्योंकि वाशिंगटन अपना ध्यान बिजली इंटरकनेक्टर्स पर स्थानांतरित कर रहा है जो गैस और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत दोनों का समर्थन करता है।

बयान में कहा गया है कि, "हम पूर्वी मेड ऊर्जा को यूरोप से भौतिक रूप से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम मिस्र से क्रेते और ग्रीक मुख्य भूमि के लिए नियोजित यूरो अफ्रीका इंटरकनेक्टर और इजरायल, साइप्रस और यूरोपीय बिजली ग्रिड को जोड़ने के लिए प्रस्तावित यूरोएशिया इंटरकनेक्टर जैसी परियोजनाओं का समर्थन करते हैं।

यहां इस परियोजना की व्यवहार्यता के लिए अमेरिकी समर्थन बहुत ही महत्वपूर्ण है और वाशिंगटन के यू-टर्न में राजनीतिक अर्थ पढ़ने के लिए तुर्की बहुत इच्छुक है। अंकारा ने तुर्की और ग्रीस दोनों द्वारा दावा किए गए विवादित समुद्री क्षेत्रों के माध्यम से पाइपलाइन के मार्ग का कड़ा विरोध किया था।

यह वाशिंगटन का एक प्रमुख राजनीतिक निर्णय है, जो जानता था कि इज़राइल को अपने विशाल लेविथान और तामार क्षेत्रों से यूरोप को गैस के निर्यात से भारी आय अर्जित करने की उम्मीद थी।

तुर्की ने इस आकलन के ज़रिए नए साल में प्रवेश किया है कि 2022 के दौरान, इसे नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) और यूरोपीयन यूनियन द्वारा सहयोगी के रूप में लुभाया जाएगा। इसी उम्मीद में, अंकारा ने दिसंबर के अंत में वाशिंगटन को "संयुक्त रणनीतिक तंत्र" की स्थापना का प्रस्ताव दिया था।

एर्दोगन के प्रमुख सहयोगी इब्राहिम कलिन ने 10 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ बातचीत की पहल की थी। अंकारा के एक बयान के अनुसार, वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों के दायरे में, यूक्रेन संकट, कज़ाकिस्तान में विरोध, और आर्मेनिया, अफ़गानिस्तान, बोस्निया-हर्जेगोविना और इथियोपिया में सामान्यीकरण की प्रक्रिया पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया था। 

बयान में कहा गया है कि कलिन ने सुलिवन को बताया कि यूक्रेन संकट को बातचीत और सहयोग से सुलझाया जाना चाहिए और तुर्की इसके लिए हर संभव तरीके से योगदान देने के लिए तैयार है। इसके अलावा, कलिन ने यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता के "संरक्षण" के महत्व को भी रेखांकित किया था। (तुर्की का यूक्रेन के साथ एक गतिशील सैन्य संबंध है, विशेष रूप से हमले वाले ड्रोन की आपूर्ति में।)

संबंधित विकास में, तुर्की के रक्षा मंत्री हुलुसी अकार ने पिछले शनिवार को खुलासा किया कि तुर्की और अमेरिकी अधिकारी एफ-35 लड़ाकू जेट पर चर्चा करने के लिए वाशिंगटन में बातचीत करने की तैयारी कर रहे हैं, और इसकी काफी "तैयारी चल रही है।" कहने का तात्पर्य यह है कि वाशिंगटन, अंकारा द्वारा रूसी निर्मित एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों की खरीद के बाद अमेरिकी एफ-35 फाइटर जेट कार्यक्रम से तुर्की को एक भागीदार के रूप में हटाने की कोशिश कर रहे हैं।

हुलुसी अकार सावधानी पूर्वक आशावादी थे कि इसका कोई स्वीकार्य समाधान मिल सकता है। तुर्की एफ-35 कार्यक्रम का भागीदार था और उसने सौ एफ-35ए जेट खरीदने की योजना बनाई थी। मजे की बात यह हैकि, हालांकि तुर्की को एफ-35 लड़ाकू कार्यक्रम से बाहर कर दिया गया और इसके रक्षा उद्योग निदेशालय को 2020 से अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, तुर्की के ठेकेदार अभी भी पांचवीं पीढ़ी के जेट के पार्ट्स का निर्माण कर रहे हैं।

इस बीच, समानांतर ट्रैक पर, एर्दोगन ने पिछले नवंबर में राष्ट्रपति जोए बाइडेन को तुर्की के मौजूदा बेड़े को अपग्रेड करने के लिए 40 नए एफ-16 लड़ाकू जेट और लगभग 80 आधुनिकीकरण किट खरीदने का प्रस्ताव दिया था।

स्पष्ट रूप से, सीरिया की नीति से लेकर पूर्वी भूमध्य सागरीय और उससे आगे के संप्रभु अधिकारों को लेकर द्विपक्षीय असहमति के बावजूद, तुर्की अमेरिका के साथ सकारात्मक बातचीत के रास्ते की तलाश कर रहा है। अंकारा का अनुमान है कि हालांकि तुर्की बेल्टवे में एक विषैला विषय है, लेकिन बाइडेन प्रशासन टूटने के लिए तैयार नहीं है।

यहां यह कहना काफी होगा कि, एर्दोगन उम्मीद कर रहे हैं कि तुर्की के प्रति अमेरिका का रवैया अब बदल सकता है क्योंकि अंकारा का महान शक्ति के प्रति रुख प्रतियोगी और परिणामी हो जाता है।

दरअसल, काला सागर क्षेत्र, यूक्रेन में तुर्की की भूमिका, इराक और लीबिया में अंकारा और वाशिंगटन के हितों में संरेखण, उप-सहारा अफ्रीका में तुर्की के बढ़ते पदचिह्न (जहां रूसी और चीनी प्रभाव बढ़ रहा है) - यह सब आज बलों के आपसी सह-संबंध में "गेम चेंजर" हो सकता है।

हालाँकि, एर्दोगन की मुख्य समस्या उनकी अपनी विश्वसनीयता है। इस्लामिक स्टेट और सीरिया में अल-क़ायदा के साथ उनका लगाव अलग था, उन्होंने पश्चिम से मुंह मोड़ लिया और यूरेशियन एकीकरण पर ज़ोर दिया था और यहां तक कि तुर्की की एससीओ सदस्यता के साथ अजीब किस्म का खिलवाड़ भी किया था।

तुर्की के अरब पड़ोसी देश उसकी नव-तुर्की महत्वाकांक्षाओं को अरुचि और संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। दरअसल, एर्दोगन एक ख़र्चीले बेटे की तरह घर लौट रहे हैं। फिर भी वह कल्पना कर रहे हैं कि वह पश्चिम, नाटो और रूस के लिए अपरिहार्य है। सच तो यह है कि पश्चिम तुर्की को वापस स्वीकार कर सकता है, लेकिन क्या वे एर्दोगन को स्वीकार करेंगे?

एर्दोगन कड़ा प्रयास कर रहे हैं। कज़ाकिस्तान में हाल के घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देने के लिए तुर्की को 8 दिन लगे। इस पर सबका ध्यान गया है। राष्ट्रपति टोकायव ने बार-बार आरोप लगाया कि मध्य पूर्व के चरमपंथी और आतंकवादी उनके देश में अशांति फैलाने में शामिल थे, जिन्हें विदेशी शक्तियों द्वारा प्रशिक्षित किया गया था और वे कठोर युद्ध लड़ने वाले लड़ाके थे। कज़ाख अधिकारियों का कहना है कि "एक ही स्रोत" से साजिश रची गई थी।

इस बात का अनुमान लगाने के लिए बहुत प्रतिभा की आवश्यकता नहीं है कि वह "एकल स्रोत" कौन हो सकता है। यह केवल तुर्की नहीं हो सकता। लेकिन बड़ी संख्या में उग्रवादियों को हिरासत में लिया गया है और कज़ाख अधिकारियों द्वारा पूछताछ की जा रही है, इसमें बड़ी संख्या में विदेशी हैं, संभवतः सैकड़ों में, जिनमें अमेरिकी और तुर्क भी शामिल हैं।

मुद्दा यह है कि, तुर्की कज़ाखों के बीच एक इस्लामी पहचान को बढ़ावा दे रहा है और सीरिया में संघर्ष में कज़ाख आतंकवादियों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाकर और समर्थन दे रहा है। तुर्की और कज़ाकिस्तान में राष्ट्रवादियों और माफिया तत्वों के बीच गठजोड़ एक खुला रहस्य है।

रूसी मीडिया ने अर्मेनियाई-अज़रबैजानी सीमा पर तनाव में हुई वृद्धि की जानकारी दी है, जबकि सीएसटीओ शांति मिशन कज़ाकिस्तान में स्थिति को स्थिर करने में मदद कर रहा है, और आर्मेनिया पूर्व सोवियत संघ ब्लॉक की अध्यक्षता कर रहा था।

प्रभावशाली मॉस्को दैनिक अख़बार कोमर्सेंट ने गुरुवार को लिखा कि कज़ाकिस्तान में सीएसटीओ मिशन की तुर्की और अज़रबैजानी मीडिया आउटलेट्स में सक्रिय रूप से आलोचना की गई थी, हालांकि "आधिकारिक तौर पर कोई असंतोष व्यक्त नहीं किया गया है।"

एर्दोगन ने कज़ाकिस्तान में हुए विस्फोट की पूर्व संध्या पर अपने रूसी समकक्ष, व्लादिमीर पुतिन के साथ 2022 में टेलीफोन पर पहली बातचीत की थी। क्रेमलिन बयान ने अन्य बातों के अलावा कहा कि विभिन्न सुरक्षा गारंटी के संबंध में अमेरिका और नाटो वाशिंगटन को रूस के प्रस्तावों पर चर्चा की गई है।

दो दिन बाद, विदेश मंत्री कवुसोग्लू ने अपने अमेरिकी समकक्ष, एंटनी ब्लिंकन के साथ बातचीत की, जहां तुर्की बयान के अनुसार, मुख्य विषय यूक्रेन पर रूस और नाटो के बीच तनाव था। ब्लिंकन ने खुद ट्वीट किया, "तुर्की के विदेश मंत्री @MevlutCavusoglu के साथ अच्छी बात हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका और तुर्की, यूक्रेन में रूस के बढ़ते कदम के खतरे और, अलग-अलग, द्विपक्षीय रूप से और नाटो सहयोगियों के रूप में सहयोग को बढ़ाने के बारे में निकट समन्वय जारी रखेंगे। 

दो दिन बाद, 6 जनवरी को, कवुसोग्लू ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी बात की। बयान में कहा गया है कि दोनों ने नाटो-रूस परिषद की बैठक, कज़ाकिस्तान, बोस्निया-हर्जेगोविना और काकेशस में वर्तमान विकास पर चर्चा की है।

एर्दोगन के समर्थक सबा अख़बार ने इस तरह के "अंकारा में तीव्र राजनयिक आवागमन" के बारे में कहा कि "नए साल में यह संभावना है कि न केवल वे देश जहां सामान्यीकरण का काम हो रहा है, बल्कि नाटो और यूरोपीयन यूनियन भी 2022 में तुर्की के दरवाजे पर दस्तक देंगे, जैसा कि रूस के मामले में किया गया है।"

खरगोश के साथ दौड़ना और शिकारी कुत्ते के साथ शिकार करना रोमांचक है और ऐसा करना स्मार्ट काम लग सकता है। लेकिन सौ साल पहले, ओट्टोमन तुर्की ने इसकी भारी कीमत चुकाई थी। काला सागर में रूस पर जर्मनी के हमले को सुविधाजनक बनाने के उसके फैसले से अंततः सैकड़ों हजारों तुर्क नागरिकों की मौत हो गई थी, अर्मेनियाई नरसंहार हुआ, साम्राज्य का विघटन हुआ और इस्लामी खिलाफत का उन्मूलन हुआ था।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस मूल आलेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: 

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