NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
पुडुचेरी विवि में 2 साल पहले के प्रदर्शन में शामिल होने के लिए 11 छात्रों को सज़ा
11 छात्रों में से अधिकांश ने अपना कोर्स पूरा कर लिया है, लेकिन इस सज़ा को पूरे छात्र समुदाय को धमकाने के लिए लिए गए एक कदम के बतौर देखा जा रहा है।
श्रुति एमडी
28 Dec 2021
Pondicherry University
विरोध प्रदर्शन में शामिल पुडुचेरी विश्वविद्यालय के विद्यार्थी

पिछले सप्ताह, पुडुचेरी विश्वविद्यालय (पीयू) के 11 छात्रों को प्रशासन से लगभग दो साल पहले एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए दण्डित किये जाने का नोटिस मिला था। ये छात्र फरवरी 2020 में हुए आक्युपाई एडमिन ब्लॉक विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे, जो कि ‘फी मस्ट फॉल’ आंदोलन का हिस्सा था।

दंड आदेश में कहा गया है कि इन छात्रों को अगले पांच सालों के लिए विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित किसी भी कोर्स में प्रवेश लेने से प्रतिबंधित किया जाता है। इन पांच वर्षों की अवधि के दौरान इनके कैंपस में प्रवेश पर भी रोक लगाई जाती है। इसके साथ-साथ, उनमें से प्रत्येक के उपर 10,000 रूपये का जुर्माना लगाया जाता है, जिसके बगैर उन्हें अपना डिग्री प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं होगा।

प्रशासन द्वारा उठाये गए इस प्रकार के कड़े क़दमों ने छात्रों को पूरी तरह से अशांत कर दिया है, और छात्र परिषद ने तत्काल ही इस कार्यवाई की निंदा की है। छात्र परिषद के दिनांक 24 दिसंबर के बयान में कहा गया है कि कैंपस से व्यक्तिगत तौर पर छात्रों के प्रवेश को प्रतिबंधित करना और एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर जुर्माना ठोंकने की कार्यवाई “विरोध करने के हमारे मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाना है।”

छात्रों पर हमले का विरोध करते हुए, 27 दिसंबर को एक सर्वदलीय विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), विदुथलाई चिरुथिगल कत्ची, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम सहित अन्य दलों ने भाग लिया।

सीपीआई(एम), डीएमके, वीसीके एवं अन्य दलों ने छात्रों के खिलाफ कार्यवाई की निंदा की

क्या हुआ था?

2018 में पुडुचेरी विश्वविद्यालय में फी मस्ट फॉल आंदोलन (फीस वृद्धि वापस लो आंदोलन) की शुरुआत तब हुई जब प्रशासन ने छात्रों से बातचीत किये बगैर ट्यूशन फीस में अत्यधिक वृद्धि करने का फैसला ले लिया। छात्रों के द्वारा शुल्क वृद्धि के कदम को वापस लेने की मांग को लेकर कई दौर तक ज्ञापन सौंपने, प्रदर्शन और भूख हड़ताल सहित विरोध के कई अन्य स्वरूपों को आजमाया गया। अधिकांश पाठ्यक्रमों के शुल्क में 100% तक वृद्धि कर दी गई थी, और कुछ अन्य में तो इससे भी अधिक वृद्धि कर दी गई थी। 

फरवरी 2020 में आंदोलन के हिस्से के तौर पर छात्र परिषद के द्वारा 'ऑक्यूपाई एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक' का आह्वान किया गया था, जिसमें छात्रों ने उप-कुलपति कार्यालय का घेराव किया था।

पुडुचेरी विश्वविद्यालय छात्र परिषद के अध्यक्ष, परिचय यादव के मुताबिक, “6 फरवरी 2020 को, हमारी ओर से आक्युपाई एडमिन ब्लॉक का आह्वान किया गया था और सैकड़ों की संख्या में छात्र इसमें इकट्ठा हुए थे। लेकिन हमें बताया गया कि वीसी इस समय कैंपस में नहीं हैं, लेकिन बाद में हमें अहसास हुआ कि हमसे झूठ बोला गया था और वीसी अपने केबिन में ही थे। जब वीसी ने हमारी अनदेखी करने और अपने कार्यालय से बाहर निकलने की कोशिश की, तो हमने उनका घेराव करने का प्रयास किया, जो कि विरोध प्रदर्शन का बेहद सामान्य स्वरुप है। लेकिन उन्होंने हमारी दलीलों का कोई जवाब नहीं दिया और पुलिस की मदद से वहां से निकलने में कामयाब रहे।”

फ़ी मस्ट फाल विरोध प्रदर्शन के दौरान पुडुचेरी विश्वविद्यालय के छात्र

विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए कारण बताओ नोटिस पाने वाले छात्रों में से एक, अभिनव ने कहा, “हमें उम्मीद थी कि प्रशासन 2020 में ही कुछ कार्यवाई कर सकता है, क्योंकि हमें पता है कि छात्रों को आतंकित रखने के लिए एडमिन के द्वारा इस प्रकार की रणनीति का उपयोग किया जाता रहा है। लेकिन चूँकि इस लड़ाई को क़ानूनी तौर पर लड़ा जा रहा था, इसलिए हमें ऐसा कुछ किये जाने की उम्मीद नहीं थी।”

उनका आगे कहना था, “यदि हम किसी प्रकार की उद्दंडता या गैर-क़ानूनी बर्ताव में शामिल होते, जैसा कि प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है, तो वे हमसे निपटने के लिए पुलिस ले मंगा लेते और हमारे खिलाफ मामले दर्ज कर चुके होते, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था।”

विरोध प्रदर्शनों के क़रीब 2 साल के बाद 

दंड नोटिस प्राप्त करने वाले 11 छात्रों में से अधिकाँश ने अपना कोर्स पूरा कर लिया है और विश्वविद्यालय से पास आउट हो चुके हैं। इसलिए छात्र परिषद की नजर में इन छात्रों के खिलाफ की गई कार्यवाई का एकमात्र उद्देश्य व्यक्तिगत रूप से छात्रों को निशाना बनाने और विरोध करने के मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाकर छात्र समुदाय को धमकाने के लिए एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।

24 दिसंबर को सज़ा की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन हुए  

परिचय का इस बारे में कहना था, “विरोध प्रदर्शन के डेढ़ साल बाद जाकर छात्रों पर आरोप मढ़ते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। एडमिन ने इसे इतनी देर से यह मानकार भेजा है कि उनके इस कदम के खिलाफ छात्रों के लामबंद हो पाने की गुंजाइश बेहद कठिन रहने वाली है।”

कारण बताओ नोटिस 25 अगस्त को भेजा गया था। छात्र परिषद के बयान में कहा गया है कि, “2021 में कोविड जब अपने चरम पर था, जब हममें से सभी लोग अपने प्रियजनों को खोने के दुःख और भयानक आर्थिक एवं मानसिक मुश्किल के दौर से जूझ रहे थे, ऐसे कठिन समय में विश्वविद्यालय ने विरोध में भाग लेने वाले 11 छात्रों को कारण बताओ नोटिस भिजवाने का काम किया था।”

इन दण्डों को विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में लोकतंत्र और आंदोलन की स्वतंत्रता पर हमला करने वाले अन्य प्रतिकूल कदमों के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है। परिचय ने कहा, “महामारी के चलते लगाये गए लॉकडाउन के बाद जब कैंपस एक बार फिर से खुला, तो परिसर में पहले से कहीं अधिक सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए थे और छात्रावासों के लिए नए प्रतिबंधित नियम लागू कर दिए गए। इस प्रकार की रणनीति को वे छात्रों को दबाने में इस्तेमाल कर रहे हैं।”

अभिवाद ने कहा, “14 जनवरी से कैंपस फिर से खुल रहा है, कैंपस में नए छात्र आयेंगे और प्रशासन अब उन्हें दंड के नोटिस दिखाकर आतंकित करने के प्रयास में है। उनकी मंशा कैंपस में छात्र राजनीति में दरार पैदा करने की है और वे चुप कराना चाहते हैं।”

लेकिन छात्र परिषद हिलने को लिए तैयार नहीं है। वे अपनी दोहरी मांगों के साथ आगे बढ़ने पर अडिग हैं: परिसर में लोकतंत्र की बहाली और शुल्क वृद्धि की वापसी को लेकर। 

ये मांगें सिर्फ पुडुचेरी विश्वविद्यालय तक ही सीमित नहीं हैं, शिक्षा पर सरकार द्वारा खर्च में कटौती और केंद्र में एक दक्षिणपंथी सरकार के आसीन होने के परिणामस्वरूप सार्वजनिक संस्थाओं पर बड़े पैमाने पर हमले हो रहे हैं और इसके साथ ही मजबूत छात्र आंदोलन भी जारी हैं। 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Two Years after Protest, 11 Pondy Uni Students Debarred For Fighting Fee Hike

Pondicherry University
Fees hike
Fee Must Fall
Higher education
CPI-M
DMK
VCK
student movement
Pondicherry University Students’ Council

Related Stories

बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर

डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात

नई शिक्षा नीति का ख़ामियाज़ा पीढ़ियाँ भुगतेंगी - अंबर हबीब

शिक्षाविदों का कहना है कि यूजीसी का मसौदा ढांचा अनुसंधान के लिए विनाशकारी साबित होगा

शिक्षा बजट: डिजिटल डिवाइड से शिक्षा तक पहुँच, उसकी गुणवत्ता दूभर

शिक्षा बजट पर खर्च की ज़मीनी हक़ीक़त क्या है? 

इस साल और कठिन क्यों हो रही है उच्च शिक्षा की डगर?

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्यापक नहीं होंगे तो पढ़ाई कहां से होगी?

“सर्वोत्कृष्टता के संस्थान” या “बहिष्कार के संस्थान”


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License