NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने शांति वार्ता को लेकर केन्द्र सरकार की ‘‘ईमानदारी’’ पर उठाया सवाल
वार्ताकार समर्थक वरिष्ठ उल्फा नेता मृणाल हजारिका ने कहा, ‘‘ सरकार में ईमानदारी की कमी नजर आ रही है। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वार्ता लगभग पूरी हो चुकी थी और अंतिम चरण में पहुंच गई थी, लेकिन नरेंद्र मोदी नीत सरकार के सत्ता में आने के बाद से कुछ खास प्रगति नहीं हुई है।’’
भाषा
03 Jan 2022
ulfa

डिब्रूगढ़ (असम): उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने उसके साथ एक दशक से चली आ रही शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में केन्द्र सरकार की ‘‘ईमानदारी’’ पर संदेह व्यक्त करते हुए दावा किया कि पिछले दो वर्ष में कोई वार्ता नहीं हुई और वर्तमान में प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए कोई सरकारी वार्ताकार नहीं है।

 गुट ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार के सत्ता में आने के बाद से उसके साथ शांति वार्ता में ‘‘ज्यादा प्रगति’’ नहीं हुई है, हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गई थी।

उसने यह भी कहा कि कट्टरपंथी उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ के तब तक वार्ता के लिए आगे आने की संभावना नहीं है, जब तक कि वार्ता समर्थक गुट के साथ बातचीत पूरी नहीं हो जाती।

गुट ने ये आरोप ऐसे समय में लगाए हैं, जब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा संगठन के सभी गुटों के साथ समझौता करने के वास्ते बरुआ को बातचीत के लिए राजी करने की कोशिश कर रहे हैं।

उल्फा के पूर्व स्वयंभू महासचिव एवं वार्ता समर्थक गुट के नेता अनूप चेतिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ सरकार के साथ आखिरी दौर की वार्ता जनवरी 2020 में हुई थी। सरकारी वार्ताकार का कार्यकाल उस वर्ष मार्च में समाप्त हो गया था। उसके बाद से, हमसे कोई सम्पर्क नहीं किया गया। अब भी, हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे मुद्दों पर गौर करेगी और उन्हें हल करेगी।’’

 इस बात पर जोर देते हुए कि उग्रवादी संगठन की तुलना में सरकार शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए ‘‘अधिक जिम्मेदार’ है, चेतिया ने कहा, ‘‘ हमारे पास सरकार की ईमानदारी पर संदेह करने के कई कारण हैं।’’

वार्ताकार समर्थक वरिष्ठ उल्फा नेता मृणाल हजारिका ने कहा, ‘‘ सरकार में ईमानदारी की कमी नजर आ रही है। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वार्ता लगभग पूरी हो चुकी थी और अंतिम चरण में पहुंच गई थी, लेकिन नरेंद्र मोदी नीत सरकार के सत्ता में आने के बाद से कुछ खास प्रगति नहीं हुई है।’’

उन्होंने कहा कि उल्फा समर्थक वार्ता गुट की मांगों को हल करने में सरकार देरी के करने के लिए हथकंडे अपना रही है। ये मांगे मोटे तौर पर असम के मूल लोगों के लिए आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और भाषाई सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने पर आधारित थी।

हजारिका ने कहा, ‘‘ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की नीति का समर्थन करती है, जिसके माध्यम से वे सभी को एक ही रंग में रंगना चाहती है। इसलिए वो हमें सुरक्षा प्रदान करने में देरी कर रही है।’’

परेश बरुआ को बातचीत के लिए बुलाने के सरकार के प्रस्ताव पर, चेतिया ने कहा, ‘‘ मैंने बरुआ को मीडिया से यह कहते सुना है कि वह चाहते हैं कि सरकार पहले हमारे साथ बातचीत पूरी करे। उन्हें भी शायद यही डर है कि उनकी हालत हमारी जैसी हो जाएगी और सभी मुद्दों के वास्तविक समाधान की दिशा में कोई प्रगति नहीं होगी।’’

हजारिका ने भी इससे सहमति व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘ परेश बरुआ गुट और हमारे गुट के लिए बातचीत के वास्ते एक साथ आना संभव नहीं होगा। हमारी मांगें नागरिक समाज की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब हैं, जबकि उनकी संप्रभुता का एक सूत्री एजेंडा है।’’

उल्फा और सरकार के बीच वार्ता की जानकारी रखने वाले असम पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में यह स्वीकार किया कि इस वार्ता की प्रक्रिया में कुछ ‘‘गतिहीनता’’ रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकारी वार्ताकार की नियुक्ति अभी की जानी है। कुछ गतिहीनता रही है, लेकिन इसके लिए कई तथ्य जिम्मेदार हैं।’’

अधिकारी ने कहा कि सरकार और शीर्ष पदों में बदलाव से भी ऐसी शांति वार्ताओं में देरी होती है।

Assam
ulfa
Modi Govt

Related Stories

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

मोदी सरकार 'पंचतीर्थ' के बहाने अंबेडकर की विचारधारा पर हमला कर रही है

लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा

ज्ञानवापी, ताज, क़ुतुब पर बहस? महंगाई-बेरोज़गारी से क्यों भटकाया जा रहा ?

असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी
    25 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,124 नए मामले सामने आए हैं। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में एक दिन के भीतर कोरोना के मामले में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
  • weat
    नंटू बनर्जी
    भारत में गेहूं की बढ़ती क़ीमतों से किसे फ़ायदा?
    25 May 2022
    अनुभव को देखते हुए, केंद्र का निर्यात प्रतिबंध अस्थायी हो सकता है। हाल के महीनों में भारत से निर्यात रिकॉर्ड तोड़ रहा है।
  • bulldozer
    ब्रह्म प्रकाश
    हिंदुत्व सपाट है और बुलडोज़र इसका प्रतीक है
    25 May 2022
    लेखक एक बुलडोज़र के प्रतीक में अर्थों की तलाश इसलिए करते हैं, क्योंकि ये बुलडोज़र अपने रास्ते में पड़ने वाले सभी चीज़ों को ध्वस्त करने के लिए भारत की सड़कों पर उतारे जा रहे हैं।
  • rp
    अजय कुमार
    कोरोना में जब दुनिया दर्द से कराह रही थी, तब अरबपतियों ने जमकर कमाई की
    25 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है कि जहां कोरोना महामारी के दौरान लोग दर्द से कराह रहे…
  • प्रभात पटनायक
    एक ‘अंतर्राष्ट्रीय’ मध्यवर्ग के उदय की प्रवृत्ति
    25 May 2022
    एक खास क्षेत्र जिसमें ‘मध्य वर्ग’ और मेहनतकशों के बीच की खाई को अभिव्यक्ति मिली है, वह है तीसरी दुनिया के देशों में मीडिया का रुख। बेशक, बड़े पूंजीपतियों के स्वामित्व में तथा उनके द्वारा नियंत्रित…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License