NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
यूपी चुनाव : क्या पूर्वांचल की धरती मोदी-योगी के लिए वाटरलू साबित होगी
मोदी जी पिछले चुनाव के सारे नुस्खों को दुहराते हुए चुनाव नतीजों को दुहराना चाह रहे हैं, पर तब से गंगा में बहुत पानी बह चुका है और हालात बिल्कुल बदल चुके हैं।
लाल बहादुर सिंह
05 Mar 2022
Modi

प्रो. ज़ोया हसन के शब्दों में हमारी living memory का सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव अब अपने समापन की ओर है। 7 मार्च को UP विधानसभा के आखिरी चरण का मतदान 9 जिलों की 54 सीटों पर होने जा रहा है, जिसमें मोदी जी का संसदीय क्षेत्र बनारस भी शामिल है।

इसके पूर्व हुए 6वें चरण का केंद्र गोरखपुर जहां योगी का गढ़ माना जाता है, वहीं 7वें चरण का epicentre बनारस मोदी का। इन दोनों के मध्य स्थित पूर्वांचल की पट्टी सपा गठबंधन का अभेद्य दुर्ग है, जिसकी आज़मगढ़ सीट से अखिलेश यादव सांसद है, जहां 2017 की लहर में भी भाजपा को केवल 1 सीट मिली थी। इस पट्टी का अम्बेडकरनगर एक समय बसपा का भी मजबूत किला रहा है जहां से मायावती जी अनेक बार सांसद रही हैं।

2022 चुनाव के राजनीतिक शतरंज की बिसात पलटने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य, ओमप्रकाश राजभर और दारा चौहान इसी इलाके में चुनाव लड़ रहे हैं तो बाहुबली मुख्तार अंसारी का भी यह क्षेत्र है, जिनकी कथित प्रोपर्टी पर चला बुलडोजर योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक कार्यशैली का सबसे बड़ा रूपक बन गया और इस चुनाव में पक्ष और विपक्ष दोनों द्वारा प्रयुक्त होने वाला सम्भवतः सबसे चर्चित जुमला बन गया है।

6वें चरण के मतदान की ग्राउंड reports बता रही हैं कि जहां गठबन्धन यहां बढ़त बनाने में कामयाब रहा है, वहीं बसपा भी अपने core सामाजिक आधार-जाटव समुदाय की बड़ी आबादी और समर्थन के बूते कई सीटों पर लड़ाई में है, ऐसी चर्चा है कि भाजपाई जनाधार के tactical समर्थन के साथ कई सीटों पर वह गठबंधन के सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकती है। स्वाभाविक तौर पर ये ऐसी सीटें हैं जहां पर भाजपा तीसरे स्थान पर खिसक गयी है।(इसे भाजपा-बसपा के बीच pre-poll tacit understanding के रूप में देखा जा रहा है जो hung assembly की स्थिति में खुले गठबंधन की शक्ल ग्रहण कर सकता है।) कुछ सीटों पर कांग्रेस भी अच्छी लड़ाई में है।

पूर्वांचल का यह सामंती जकड़न और छोटी किसानी वाला इलाका विकास के हर पैमाने पर देश का सबसे पिछड़ा इलाका है। इस अंचल के एक सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी ने 50 के दशक में लोकसभा में वह अनाज दिखाया था जिसे जानवरों के गोबर से निकाल कर गरीब किसान खाते थे। बहरहाल, तब से 70 साल में यहां का हाल बस इतना ही बदला है कि अब सरकार के अनुसार करोड़ों गरीब उसकी दी हुई मुफ्त अनाज की खैरात पर ज़िंदा हैं।

यहां विराट आबादी भूमिहीन, सीमांत-गरीब किसानों की रही है। गिरमिटिया मजदूरों के समय से आजतक यह बिहार के भोजपुरी क्षेत्र के साथ मिलकर देश के सबसे बड़े पलायन के इलाकों में है, जिसकी त्रासदी पर विदेशी ठाकुर जैसे जनकवियों ने अनेक अमर लोकगीतों की रचना की है।

तमाम सरकारों ने इस क्षेत्र के विकास की लगातार उपेक्षा की-न कृषि का विकास हुआ, न ही कल-कारखानों, उद्यमों का विकास हुआ, एक समय बनी अधिकांश चीनी मिलें बंद हो गईं और बहुत बड़ी आबादी के जीवन का आधार मऊ, मुबारकपुर, टांडा से लेकर बनारस-भदोही तक फैला हुआ एक समय का खुशहाल बुनकरी-साड़ी-कालीन उद्योग सरकारी नीतियों के चलते गहरे संकट में फंस गया है और बुनकर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।

इसमें कोढ़ में खाज का काम किया पूर्वांचल के राजनीतिक अर्थतंत्र पर कसते माफिया के शिकंजे ने।

एक समय यह इलाका सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट आंदोलन का गढ़ था, जो कालांतर में अस्मिता की राजनीति का केंद्र बन गया। पिछले 3 दशकों में उभरी अस्मिता की इस राजनीति ( identity politics ) से मिले राजनैतिक संरक्षण के फलस्वरूप पूर्वांचल पर माफिया का शिकंजा कसता गया और उसे सामाजिक वैधता मिली।

यह न सिर्फ सरकारी खजाने की अंधाधुंध लूट और राजनेताओं-अधिकारियों-माफिया के बीच उसकी बंदरबाट का माध्यम बना, बल्कि नए दौर की घोर लोकतन्त्र-विरोधी राजनीति का भी आधार बना जिसमें अपराधी और नेता एक दूसरे से अभिन्न हो गए।

माफिया-अपराधियों का सफाया कर सुरक्षा और कानून के राज का दावा करने वाली हिंदुत्व की राजनीति ने selective ढंग से चुनिंदा अल्पसंख्यक बाहुबलियों को target करके तथा अपने चहेते माफिया तत्वों को संरक्षण देकर दरअसल अपराध का साम्प्रदायिकरण किया है और माफिया तत्वों के पक्ष में उनके जाति-सम्प्रदाय की गोलबंदी को और बढ़ाया ही है।

यह माफिया राजनैतिक अर्थतंत्र न सिर्फ पूर्वांचल के विकास और आर्थिक पुनर्जीवन के रास्ते मे सबसे बड़ा रोड़ा है अपितु, यहां के समाज और राजनीति में किसी लोकतांत्रिक जागरण के रास्ते में भी सबसे बड़ी बाधा है।

जाहिर है पूर्वांचल के आर्थिक पुनर्जीवन और सामाजिक-राजनीतिक जीवन के लोकतांत्रीकरण की लड़ाई लंबी है। पर फिलहाल भाजपा को हटाकर जनता एक breathing space चाहती है।

भाजपा ने पूर्वांचल के आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए तो कुछ नहीं ही किया, उल्टे सामंती-ब्राह्मणवादी सांस्कृतिक जकड़न से उबरने के लिए लंबे समय से जद्दोजेहद कर रहे भोजपुरी समाज को फिर अंधधार्मिकता-अंधविश्वास-सांप्रदायिकता के कूंए में धकेल दिया। यह देखना सचमुच पीड़ादायक है कि जिस इलाके में कभी बुद्ध, कबीर गोरख रविदास की समता, प्रेम और तर्क की वाणी गूंजी थी, उसे हिंदुत्व की खतरनाक प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया गया।

देश में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाले इस इलाके में औद्योगीकरण के अभाव में बड़े पैमाने पर disguised unemployment है, पलायन है, बेरोजगारी खतरनाक स्तर पर है। भाजपा राज में सेना, पुलिस से लेकर तमाम सरकारी नौकरियों में बंद भर्ती ने नौजवानों को बेचैन कर दिया है।

BHU जो बिहार और UP के इस अंचल का आधुनिक शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र है, उसे अपने चहेते कुलपतियों को बैठाकर संघी विचारधारा के संस्थान में बदल देने की कोशिश की गई जिसके ख़िलाफ़ BHU के लोकतांत्रिक छात्र-युवाओं तथा नागरिक समाज ने लगातार प्रतिरोध में आवाज बुलंद की।

किसानों और बुनकरों की तबाही, युवाओं की भयावह बेरोजगारी और सामाजिक न्याय का सवाल, बुलडोजर राज के दमन, पूर्वांचल के पिछड़ेपन, BHU जैसे संस्थान के ध्वंस, चहेते माफिया तत्वों को संरक्षण जैसे मुद्दे अंतिम चरण के मतदान में छाए रहेंगे।

आखिरी चरण में मोदी की प्रतिष्ठा बचाने के लिए अमित शाह, नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान समेत अनगिनत नेता और कार्यकर्ता तो बनारस में पहले से टिके ही थे, अब मोदी स्वयं अपना गढ़ बचाने के लिए 3 दिन से बनारस में डेरा डाले हुए हैं और आज प्रचार के अंतिम दिन रैली कर रहे हैं। कल उन्होंने मेगा रोड शो किया, जिसे गोदी मीडिया ने यूक्रेन के तूफानी coverage से break लेकर धूमधाम से दिखाया और उनकी यूक्रेन से लेकर बूथ तक विस्तीर्ण विराट सोच की शान में कसीदे काढ़े !

मोदी जी पिछले चुनाव के सारे नुस्खों को दुहराते हुए चुनाव नतीजों को दुहराना चाह रहे हैं, पर तब से गंगा में बहुत पानी बह चुका है और हालात बिल्कुल बदल चुके हैं। जनता बदलाव का मूड बना चुकी है क्योंकि अपार उम्मीदों के साथ जिस तरह टूट कर पूर्वांचल की बदहाल जनता ने 2014, 17, 19 के लगातार तीन चुनावों में मोदी को समर्थन दिया था, वे सारी उम्मीदें अब धूल-धूसरित हो चुकी हैं।

अंतिम चरण में चुनाव की पूरी कमान सीधे तौर पर अपने हाथ में लेकर मोदी ने अपनी राजनीतिक साख को दांव पर लगा दिया है। क्या मोदी भाजपा की डूबती नैया को भंवर से निकाल सकते हैं ? बनारस में मोदी की लोकप्रियता का टेस्ट होगा। सीटों के लिहाज से वहां किसी भी set-back को सीधे मोदी लहर के उतार से जोड़ कर देखा जाएगा।

UP और बनारस के नतीजों का न सिर्फ मोदी की प्रतिष्ठा बल्कि UP चुनाव के बाद राष्ट्रीय राजनीति में शुरू होने वाली political realignment की प्रक्रिया पर सीधा असर पड़ेगा।

इसी तरह गोरखपुर में योगी के वोटों और उस अंचल में मिलने वाली सीटों पर पोलिटिकल observers की निगाह रहेगी। पिछले चुनाव की तुलना में इसमें गिरावट का संघ-भाजपा में शीर्ष स्तर पर चल रही नेतृत्व की प्रतिस्पर्धा में योगी की साख और हैसियत पर सीधा असर पड़ेगा।

सारे संकेतों से साफ है कि इतिहास करवट ले रहा है। पूर्वांचल की ऐतिहासिक धरती जिसने संघ-भाजपा के इन दोनों सबसे चमकते सितारों को फर्श से अर्श पर पहुंचाया था, वही इनके लिए वाटरलू बनेगी।

(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)  

UttarPradesh
UP Assembly Elections 2022
UP Polls 2022
Narendra modi
Yogi Adityanath
BJP
Purvanchal
banaras

Related Stories

कोरोना अपडेट: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में 1 मई से 31 मई तक धारा 144 लागू

कोरोना के दौरान सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं ले पा रहें है जरूरतमंद परिवार - सर्वे

यूपी चुनाव : योगी काल में नहीं थमा 'इलाज के अभाव में मौत' का सिलसिला

कोविड पर नियंत्रण के हालिया कदम कितने वैज्ञानिक हैं?

भारत की कोविड-19 मौतें आधिकारिक आंकड़ों से 6-7 गुना अधिक हैं: विश्लेषण

पंजाब सरकार के ख़िलाफ़ SC में सुनवाई, 24 घंटे में 90 हज़ार से ज़्यादा कोरोना केस और अन्य ख़बरें

गंगा मिशन चीफ ने माना- कोरोना की दूसरी लहर में लाशों से ‘पट’ गई थी गंगा, योगी सरकार करती रही इनकार

कोविड-19 की तीसरी लहर के मद्देनजर चुनावी रैलियों पर रोक लगाए सरकार : इलाहाबाद उच्च न्यायालय

रोजगार, स्वास्थ्य, जीवन स्तर, राष्ट्रीय आय और आर्थिक विकास का सह-संबंध

दो टूक: ओमिक्रॉन का ख़तरा लेकिन प्रधानमंत्री रैलियों में व्यस्त


बाकी खबरें

  • inter faith
    काशिफ काकवी
    अंतर-धार्मिक विवाह: एक उच्च न्यायालय, दो एक जैसे मामले, लेकिन फ़ैसले अलग-अलग!
    27 Feb 2022
    एक मामले में जहाँ मध्य प्रदेश की अदालत पूरी तरह से एक अंतर-धार्मिक जोड़े के बचाव में आ गई, लेकिन इसी प्रकार के दूसरे मामले में, पूरा केस लड़की की भलाई पर एक पखवाड़े की रिपोर्ट के वास्ते लंबित है।
  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    यूपी में कौन आगे, कौन पीछे और यूक्रेन पर रूसी हमले का सच
    26 Feb 2022
    यूपी में मतदान के पांचवे चरण से ऐन पहले बडा सवाल है: चुनावी जंग में कौन आगे है और कौन पीछे? क्या होगा नतीजा? #HafteKiBaat के नये एपिसोड में यूक्रेन पर रूसी हमले का सच बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार…
  • delhi violence
    मुकुंद झा
    दिल्ली दंगों के दो साल: इंसाफ़ के लिए भटकते पीड़ित, तारीख़ पर मिलती तारीख़
    26 Feb 2022
    जिनके घर के कमाने वाले इस दंगे में मारे गए वो आज भी अपने लिए इंसाफ ढूंढ रहे हैं। इसी के लिए आज यानी 26 फरवरी 2022 को दंगा पीड़ितों, नागरिक समाज के लोगों, सीपीआई(एम) की दिल्ली कमेटी के आह्वान पर बहुत…
  • ukraine
    एपी/भाषा
    रूस-यूक्रेन अपडेट: कीव में सड़कों पर घमासान,लोगों से शरण लेने की अपील
    26 Feb 2022
    रूसी सैनिकों ने शनिवार तड़के यूक्रेन की राजधानी कीव में प्रवेश किया और सड़कों पर घमासान शुरू हो गया है, जबकि स्थानीय अधिकारियों ने लोगों से छुप जाने की अपील की है। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति…
  • veto
    एपी/भाषा
    रूस ने हमले रोकने की मांग करने वाले संरा के प्रस्ताव पर वीटो किया
    26 Feb 2022
    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार को इस प्रस्ताव के पक्ष में 11 और विपक्ष में एक मत पड़ा। चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात मतदान से दूर रहे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License