NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
यूपी: ख़ुद को ठगा महसूस कर रहा है गन्ना किसान, न रेट बढ़ा, न बकाया मिला
तमाम दावों और वादों के बाद भी यूपी के गन्ना किसानों को पूरे-पूरे सीज़न का बकाया नहीं मिला है। किसान पूछते हैं- बच्चों की शिक्षा, बुजुर्गों की दवा, बेटी की शादी और अन्य चीजों की पूर्ति कैसी होगी, जब टाइम पर पैसा ही नहीं मिलेगा।
अनिल शारदा
16 Feb 2021
अपनी बात कहते यूपी के मुज़फ़्फ़रनगर के सोरम गांव के गन्ना किसान। 
अपनी बात कहते यूपी के मुज़फ़्फ़रनगर के सोरम गांव के गन्ना किसान। 

48 साल के भूपिंदर बालियान मुज़फ्फ़रनगर से 23 किलोमीटर दूर सोरम गाँव के निवासी हैं। इनके पास कुल 65 बीघे की खेती है, जिसमें से 40 बीघे ज़मीन पर सिर्फ गन्ने की खेती करते हैं। 

भूपिंदर बताते हैं, “बीते साल अप्रैल और मई में जो गन्ना उन्होंने मिलों पर दिया था उसका बकाया पेमेंट अब तक नहीं आया है। इसके अलावा नवंबर 2020 से फरवरी-21 तक का पैसा भी अभी तक बकाया ही है। ऐसे में क़रीब एक साल पूरा बकाया शुगर मिलों के पास है। ऐेसे में परिवार को चलाना मुश्किल हो जाता है।

भूपिंदर कहते हैं- बच्चों की शिक्षा, बुजुर्गों की दवा, बेटी की शादी और अन्य चीजों की पूर्ति कैसी होगी, जब टाइम पर पैसा ही नहीं मिलेगा। हमारी स्थिति क्या है इसे हम ही बेहतर समझ सकते हैं।”

हालांकि यह हाल सिर्फ़ भूपिंदर का ही नहीं है बल्कि अन्य किसान परिवारों का भी है। जब हमने गाँव के अन्य किसानों से बात की तो उन्होंने भी हमें यही बताया कि उनका भी बकाया चीनी मिलों पर बाक़ी है और इसके चलते आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।

50 वर्षीय किसान बबलू भी इसी गाँव से हैं। इनके पास 55 बीघे की खेती है, जिसमें से 50 बीघे पर गन्ने की बुआई करते हैं। बबलू बताते हैं, “अप्रैल 2020 तक का पेमेंट आ गया है लेकिन मई 2020 से लेकर अभी के सीज़न (नवंबर 2020 से फरवरी 2021 तक) का पूरा पेमेंट बकाया है। एक साल में गन्ने की बुआई से लेकर सिंचाई तक और उपज हो जाने पर मिलों तक उसकी ढुलाई का सारा पैसा फंसा रहता है। वे सवालिए लहज़े में पूछते हैं, “ऐसे में पूरे सीज़न का पैसा बकाया ही रह जाएगा तो आगे की खेती कैसे होगी?”

 

बबलू आगे कहते हैं, “हमारी ही उपज के पैसों के लिए हमें मिलों के भरोसे बैठना पड़ता है। सरकार और कोर्ट के अनुसार किसानों को गन्ना आपूर्ति के 14 दिन के भीतर भुगतान हो जाना चाहिए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। इस बार 2021 की पर्चियों पर जीरो-जीरो लिखा है। हमें यही नहीं पता है कि किस दाम पर हम गन्ना डाल रहे हैं।'' 

ग़ौरतलब है कि चीनी मिलों में पेराई सत्र शुरू हुए तीन माह से अधिक हो चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक सरकार ने राज्य परामर्शित मूल्य घोषित नहीं किया था। यानी किसानों को पता ही नहीं था कि वे जो गन्ना बेच रहे हैं, उसका दाम क्या मिलेगा। पर्चियों में भुगतान की धनराशि के कॉलम में शून्य लिखा आता रहा हैl गन्ने का भाव घोषित न होने के चलते मौजूदा पेराई सत्र का एक रुपये भी भुगतान नहीं हुआ है।

 

गन्ने की पर्ची जिसपर मूल्य अंकित नहीं है।

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का बकाया 

लोकसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़ देश भर में गन्ना किसानों का कुल बकाया (वर्तमान चीनी मौसम 2020- 21) 16883 करोड़ रुपए है। वहीं चीनी मौसम 2017-18 का बकाया 199 करोड़, चीनी मौसम 2018-19 का बकाया 210 करोड़ और चीनी मौसम 2019-20 का बकाया 1766 करोड़ है। यानी 2017 से लेकर अब तक का बकाया जोड़ा जाए तो चीनी मिलों के पास किसानों का 19258 करोड़ रुपए बकाया है।

उल्लेखनीय है कि अकेले उत्तर प्रदेश के किसानों का बकाया कुल बकाया का आधा 8994.74 करोड़ रुपए है। उत्तरप्रदेश के किसानों का बकाया चीनी मौसम 2017-18 का 33.51 करोड़, चीनी मौसम 2019-20 का 1406.14 करोड़ और वर्तमान चीनी मौसम 2020-21 का 31 जनवरी 2021 तक बकाया 7555.09 करोड़ रुपए है।

देश में सर्वाधिक गन्ना उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। देश के गन्ने के कुल रकबे का 51 फीसद और उत्पादन का 50 और चीनी उत्पादन का 38 फीसद उत्तर प्रदेश में होता है। उत्तर प्रदेश के 44 जिलों में गन्ना उत्पादन होता है जिसमें 28 जिले तो ऐसे हैं जिनकी पहचान ही गन्ना उत्पादन के लिए है। प्रदेश में वर्तमान में 119 चीनी मिलें चल रही हैं, जिससे लगभग 35 लाख किसान मुख्य रूप से जुड़े हैं। 2019-20 पेराई सत्र में उत्तर प्रदेश में संचालित 119 चीनी मिलों द्वारा 1118.02 लाख टन गन्ने का पेराई करते हुए 126.37 लाख टन चीनी उत्पादन किया गया जो प्रदेश की अब तक की सर्वाधिक गन्ना पेराई एवं चीनी उत्पादन का रिकॉर्ड है। देश के करीब 48 लाख गन्ना किसानों में से 46 लाख से अधिक किसान चीनी मिलों को अपने गन्ने की आपूर्ति करते हैं। यहां का चीनी उद्योग करीब 6.50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार देता है।  

गन्ना किसानों की बकाया धनराशि की समस्याओं को लेकर बीते साल सितंबर के महीने में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की थी। मीटिंग में बकाया गन्ना भुगतान, गन्ने का मूल्य बढ़ाए जाने और भूमि अधिग्रहण के मुद्दे को लेकर बात हुई। तब सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। मुख्यमंत्री ने किसानों का गन्ना भुगतान करा देने का आश्वासन भी दिया। उनकी ओर से कहा गया कि भुगतान अगले पेराई मौसम शुरू होने के पहले ही कर दिया जाएगा।

क्या कहते हैं राकेश टिकैत?

किसानों के मुद्दों पर हमने किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से भी बात की। वह कहते हैं, “प्रदेश में पिछले तीन सालों में गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ा है लेकिन किसानों की लागत लगातार बढ़ रही है। कोरोना काल में किसानों ने ही देश की जीडीपी को बचाकर रखा है। सरकार तो सिर्फ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने में लगी है। अगर सरकार सही में किसानों की हितैषी होती तो शायद आज किसानों को अपने हक़ के लिए दिल्ली की सड़कों पर रात नहीं गुज़ारनी पड़ती.”

हमने इस बारे में सितंबर 2020 में मुख्यमंत्री से मिलने वाले भाकियू के 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में से एक धर्मेंद्र मलिक़ से भी बात की। उस मीटिंग के बाद सरकार की ओर से क्या क़दम उठाए गए? इस सवाल पर वह कहते हैं, “हमारी मुलाक़ात मुख्यमंत्री से मुख्य रूप से दो बिंदुओं को लेकर हुई थी।एक था गन्ने का बकाया भुगतान और दूसरा था गन्ने के प्रति क्विंटल मूल्य में बढ़ोतरी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तब आश्वासन ज़रूर दिया था कि गन्ने के मूल्य पर सरकार विचार करेगी और इस पर जल्द एक्शन लिया जाएगा। इस बात को भी 6 महीने बीत गए और नया पेराई सीज़न भी शुरू हो गया लेकिन सरकार की ओर से कोई क़दम नहीं उठाए गए।” 

वह आगे कहते हैं, “हालाँकि यह ज़रूर है कि सरकार ने सरकारी मिलों पर बकाए पेमेंट का कुछ भुगतान करवा दिया है। लेकिन फिर से हज़ारों करोड़ का बकाया किसानों का मिलों के पास हो चुका है जिसकी कोई लिख़ित समय सीमा नहीं है की वो कब तक किसानों को भुगतान करेंगे।"

वह कहते हैं, “किसानों का बकाया होना ही क्यों चाहिए, क्या किसान पूँजीपति है? जिसका लाखों या करोड़ों का बिल बकाया भी हो तब भी वो खेती करता रहेगा। नहीं ऐसा नहीं होता है। सरकारों को क्या मालूम की मौसम की मार हो या बाजार की तेजी, नरमी, किसान की ही आंखें हैं जो सबसे पहले नम होती हैं।”

मिलों पर किसानों के बकाया पेमेंट को लेकर क्या कहते हैं यूपी के गन्ना मंत्री

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर हमने प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा से बात की। इस बातचीत में गन्ना मंत्री ने कहा, “जब भाजपा की सरकार राज्य में सत्ता में आई तब पिछली सरकारों में गन्ना किसानों का 6 वर्ष का बकाया था, जिसका हमने तेज़ी से भुगतान किया। हमारी सरकार जबसे आई है तबसे लेकर अब तक हमने 122 हज़ार करोड़ रुपए गन्ने का बकाया किसानों को भुगतान किया है। यह अब तक का सर्वाधिक भुगतान है जो हमारी सरकार में हुआ है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी की सरकार में पर्चियों का स्कैम (घटतौली) चलता था। हमने सर्वप्रथम उसे ख़त्म किया और ईआरपी सिस्टम को लेकर आए। आज किसानों को घटतौली की समस्या से निजात मिल चुकी है।

मंत्री राणा का दावा है कि 2015-16 में समाजवादी सरकार ने लगभग 18 हज़ार करोड़ का गन्ना किसानों से ख़रीदा, लेकिन भाजपा की सरकार में वह दो गुना बढ़कर 35 हज़ार करोड़ से भी आधिक हो गया है। 

वह आगे कहते हैं, “जब हम सत्ता में आए तब राज्य में 20 लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती होती थी, लेकिन आज भाजपा सरकार की नीतियों से किसानों का फ़ायदा हुआ। अब किसान कुल 28 लाख हेक्टेयर भूमि कर गन्ने की खेती कर रहे हैं। हमें अब तक जितना समय मिला है, उसमें हमने उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए जो किया वो सबके सामने है। हमारी सरकार किसानों के हितों को लेकर प्रतिबद्ध है और किसानों का बकाया भुगतान भी जल्द से जल्द पूरा कर दिया जाएगा।”

वहीं 2019-20 चीनी मौसम की बात करते हुए गन्ना मंत्री हमें whatsapp के ज़रिए ताज़ा डेटा उपलब्ध करवाते हैं और कहते हैं, “हमने 35898.64 करोड़ रुपए का गन्ना किसानों से ख़रीदा, जिसमें से हमने 34942.68 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को कर दिया है और बाक़ी का 955.96 करोड़ भी कुछ दिनों में किसानों को भुगतान कर दिया जाएगा।” 

ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा गन्ने का गढ़ कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर से आते हैं।

गन्ना मंत्री के इस बयान पर भारतीय किसान यूनीयन के धर्मेंद्र मलिक़ कहते हैं, “सरकार को पहले यह बताना चाहिए की गन्ने का भुगतान क्या बिना किसान से गन्ना लिए किया है? किसानों ने अपनी उपज में बढ़ोतरी की और चीनी मिलों ने उसे ख़रीदा। किसान के उपज का भुगतान कर के अगर सरकार यह समझती है कि उसने एहसान किया तो ये सरकार की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है। यह समझने वाली बात है कि चीनी का रेट बढ़ा दिया गया है लेकिन गन्ने का रेट सरकार चार साल से वहीं का वहीं है और ऊपर से एक एक सीज़न का पैसा बकाया रख रही है। अगर पिछली सरकार में बकाया होता था तो इस सरकार में बदला भी तो कुछ नहीं। जबसे भाजपा की सरकार आई है, “तब से क्या महंगाई नहीं बढ़ी है?”  गन्ने की खेती करने में भी पहले के मुक़ाबले खर्च बढ़ा है लेकिन 4 साल में सरकार ने 1 रुपया भी रेट नहीं बढ़ाया। धर्मेंद्र कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार का दावा जो वो किसानों के हितों को लेकर करती है वो झूठा है और अब उत्तर प्रदेश के किसान सरकार के इस लोक लुभावनी बातों में नहीं आने वाले है।

पिछले साल केंद्र सरकार ने कहा था, “तय वक़्त से करीब एक महीना पहले ही फसलों की “एमएसपी” घोषित कर दी जाएगी ताकि विपक्ष

गलत साबित हो जाए.” लेकिन सरकार विपक्ष को ग़लत साबित करने की कोशिश में ख़ुद ही ग़लत साबित हो गई है।

अगर गन्ना किसानों की बात करें और उनके द्वारा चीनी मिलों को हुई गन्ने की पर्चियों को देखें तो इससे साफ़ समझा जा सकता है कि सरकार MSP की बात को लेकर कितनी संवेदनशील है। उत्तर प्रदेश के किसानों की पर्चियों पर 2020-21 के गन्ने का एसएपी नहीं दिया हुआ है। किसानों को यह भी मालूम नहीं था कि उनकी उपज का कितना भाव सरकार इस बार उन्हें देने वाली है,जिसे लेकर किसानों के बीच चिंता का भाव था।

भुगतान में देरी को लेकर क्या कहता है, गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 ?

गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत किसानों को गन्ने की आपूर्ति के 14 दिन के भीतर भुगतान करना होता है। और अगर मिलें ऐसा करने में विफल रहती हैं तो उन्हें देरी से भुगतान पर 15 फीसदी सालाना ब्याज भी देना पड़ता है। ग़ौरतलब है कि सितंबर 2020 में प्रयागराज हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया था कि 14 दिन के भीतर गन्ना किसानों का भुगतान हो जाना चाहिए और अगर निर्धारित समय पर भुगतान नहीं हुआ तो 12 फीसदी ब्याज देना पड़ेगा। 

किसानों के बकाया पेमेंट को देखें तो आप समझ सकते हैं कि चीनी मिलें गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 की अनदेखी कर रहे हैं और यह सब सरकार के सामने है लेकिन सरकार भी इस पर कोई कड़ा रूख नहीं अपना रही है। 

हालाँकि चीनी मौसम के तीन महीने से अधिक हो जाने के बाद 15 फ़रवरी को एसएपी जारी कर दिया गया है और इस बार की गन्ने के प्रति क्विंटल रेट में कोई बदलाव ना करते हुए पुराना रेट (325 रुपए) ही दिया गया है। और इससे भी किसान ठगा सा महसूस कर रहा है।

(अनिल शारदा स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

sugarcane farmers
Sugarcane
farmers crises
Uttar pradesh
UP Farmers
Suresh Rana

Related Stories

महाराष्ट्र में गन्ने की बम्पर फसल, बावजूद किसान ने कुप्रबंधन के चलते खुदकुशी की

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

ग्राउंड रिपोर्टः डीज़ल-पेट्रोल की महंगी डोज से मुश्किल में पूर्वांचल के किसानों की ज़िंदगी

उत्तर प्रदेश चुनाव : डबल इंजन की सरकार में एमएसपी से सबसे ज़्यादा वंचित हैं किसान

उप्र चुनाव: उर्वरकों की कमी, एमएसपी पर 'खोखला' वादा घटा सकता है भाजपा का जनाधार

ग्राउंड  रिपोर्टः रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के गृह क्षेत्र के किसान यूरिया के लिए आधी रात से ही लगा रहे लाइन, योगी सरकार की इमेज तार-तार

MSP की लड़ाई जीतने के लिए UP-बिहार जैसे राज्यों में शक्ति-संतुलन बदलना होगा

MSP की कानूनी गारंटी ही यूपी के किसानों के लिए ठोस उपलब्धि हो सकती है

MSP और लखीमपुर खीरी के किसानों के न्याय तक जारी रहेगा आंदोलन, लखनऊ में महापंचायत की तैयारी तेज़

लड़ाई अंधेरे से, लेकिन उजाला से वास्ता नहीं: रामराज वाली सरकार की किसानों के प्रति उदासीनता


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License