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भारत
राजनीति
उन्नाव ग्राउंड रिपोर्ट : क्या जातीय घृणा ने गैंगरेप और हत्या का रूप लिया?
23 वर्षीय पीड़िता के ग़मगीन पिता और भाई ने उन सभी आरोपियों को मृत्युदंड देने की मांग की है, जिन्होंने युवती को ज़िंदा जला दिया था।
सौरभ शर्मा
10 Dec 2019
Translated by महेश कुमार
Father of the victim mourning the death of his daughter

भाटन खेड़ा, उन्नाव: सोशल मीडिया वेबसाइट ट्विटर पर कई यूज़र्स ने उन्नाव गैंगरेप की पीड़िता के लिए हैशटैग उन्नाव की बेटी (#UnnaoKiBeti) का इस्तेमाल करते हुए कई ट्वीट किए और रविवार दोपहर तक यह ज्वलंत मुद्दा ठंडा भी पड़ गया। 

23 वर्षीय पीड़िता के ग़मगीन पिता और भाई ने उन सभी आरोपियों को मृत्युदंड देने की मांग की है जिन्होंने उन्हें तब ज़िंदा जला दिया था, जब वह गुरुवार को रायबरेली के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए जा रही थीं। प्रशासन ने कथित तौर पर परिवार के सदस्यों में से किसी एक को सरकारी नौकरी देने की मांग, साथ ही पीड़िता के भाई को शस्त्र लाइसेंस, दो घर और 25 लाख रुपये का हरजाना देने की पर सहमति जताई है।

पीड़िता के अंतिम संस्कार में कई पुलिसकर्मियों, परिवार के कुछ सदस्यों, ग्रामीणों की एक छोटी सी संख्या, कुछ मंत्री और पड़ोसी क्षेत्रों से कुछ लोगों की उपस्थिति देखी गई।

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पीड़िता के रिश्तेदार शोक मनाने के लिए घर पर इकट्ठा हुए हैं। फोटो-दीपाली राघवे

रिपोर्टों के अनुसार, उस सुबह पीड़िता ने मोटी रोड़ी से भरी सड़क पर बुरी तरह से जले हुए शरीर के साथ क़रीब एक किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की थी। वह पुलिस को यह बताने के लिए फ़ोन करना चाह रही थीं कि उनके साथ क्या हुआ है।

फ़ोन करने में उनकी मदद करने वाले शख्स ने बताया कि पीड़िता के भीतर न्याय पाने का दृढ़ संकल्प था और इसलिए वह फ़ोन पर सभी आरोपियों के नाम ले रही थीं। फ़ोन करने के बाद वह फिर से रेलवे स्टेशन की ओर चलने लगीं, जहां उन्हें उन्नाव पुलिस की गाड़ी में बिठाया गया।

प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि पीड़ित का शरीर पूरी तरह से जल चुका था और उनके चेहरे पर भी जलने के निशान थे। न्यूजक्लिक को प्रत्यक्षदर्शी प्रसाद ने बताया, “जब मैंने उन्हें देखा तो मैं डर गया था। वह पूरी तरह से जल चुकी थीं और उनके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। उन्होंने मुझे अपने पिता का नाम बताया। मैंने तब फ़ोन कॉल करने में उनकी मदद की। मैं उनके लिए पानी और कपड़े लाने के लिए अपने घर के अंदर गया और जब मैं बाहर आया, तो वह जा चुकी थीं। मैंने उन्हें रेलवे स्टेशन की ओर जाते हुए कुछ दूरी तक देखा। वह बहुत दर्द में थीं, इसलिए वह अपने हाथों को ऊपर उठाकर चल रही थीं।"

पीड़िता के पिता के अनुसार, उनकी बेटी मुख्य आरोपी शिवम त्रिवेदी के साथ रिश्ते में थीं, तब से जब से वे ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रहे थे। पीड़िता स्नातक थी और मुख्य आरोपी शिवम त्रिवेदी अपने स्नातक कोर्स के अंतिम वर्ष में था।

पिता ने कहा, “शिवम ने मेरी बेटी को किसी तरह से मना लिया; उसे अपने जाल में फँसा लिया और फिर वह उससे प्यार करने लगी। शुरू में तो हमें कोई शक नहीं था। हमें इस बारे में पिछले साल ही पता चला। मेरी बेटी शिवम से शादी करना चाहती थी, लेकिन उसने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह एक उच्च जाति का है। वे ब्राह्मण हैं और हम विश्वकर्मा हैं। मेरी बेटी बहुत परेशान थी और वह इस रिश्ते से बाहर निकलना चाहती थी। मेरी बेटी ने गाँव छोड़ दिया और रायबरेली ज़िले के लालगंज इलाके में अपनी चाची के साथ रहने लगी। शिवम को उसके ठिकाने के बारे में पता चल गया और फिर उसने उसका अपहरण कर लिया, उसे रायबरेली और कानपुर ज़िले में अलग-अलग स्थानों पर रखा। शिवम मेरी बेटी का शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण करता रहा। शिवम ने उसका अश्लील वीडियो बना लिया था, और वह उसे इसके लिए ब्लैकमेल कर रहा था।”

पीड़िता के पिता ने आगे बताया कि शिवम उनकी बेटी को किसी तरह समझाने में कामयाब रहा और रायबरेली ज़िला अदालत से 50 रुपए के स्टैंप पेपर पर उनसे एक हलफ़नामा ले लिया जिसमें लिखा था कि शिवम और लड़की दोनों एक-दूसरे से शादी कर चुके हैं।

उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, “मुझे नहीं पता था कि मेरी बेटी ग़ायब है और उसे शिवम अलग-अलग स्थानों पर रख रहा था। इसलिए, हमने पुलिस के पास कोई गुमशुदगी की रपट भी दर्ज नहीं की और यही सोचा कि मेरी बेटी अपनी मौसी के साथ रह रही है।”

इस मामले में दर्ज हुई एफ़आईआर के मुताबिक़, जो मार्च 2019 में दर्ज की गई थी, शिवम और उसके दूर के चचेरे भाई शुभम ने रायबरेली से पीड़िता को लाने के बाद खेतों में उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था।

“शिवम पहले मंदिर गया और वहाँ उसने भगवान शिव की मूर्ति पर अपना हाथ रखकर प्रतिज्ञा की कि वह पीड़िता के साथ रहना चाहता है। लेकिन तब उसने और उसके चचेरे भाई शुभम त्रिवेदी ने जो कि ग्राम प्रधान के बेटे हैं, ने 12 दिसंबर, 2018 को खेतों में पीड़िता के साथ बलात्कार किया।" न्यूजक्लिक द्वारा हासिल एफआईआर में यह सब दर्ज़ है।

इस घटना के बाद महिला अपनी शिकायत दर्ज करवाने के लिए यहाँ-वहाँ दोड़ती रहीं लेकिन कथित तौर पर उन्नाव के बिहार पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने उन्हें हमेशा की तरह दुत्कार कर भगा दिया और रपट दर्ज नहीं की। आरोपी के ख़िलाफ़ पुलिस केस दर्ज करने में उन्हें तीन महीने से अधिक का समय लगा था, जिसके लिए उन्हें अदालत का दरवाज़ा भी खटखटाना पड़ा था।

आरोपियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने उन्हे लंबे समय तक गिरफ़्तार नहीं किया; वे लगातार आज़ाद घूमते रहे। शिवम ने 19 सितंबर को आत्मसमर्पण किया और उसे 25 नवंबर को ज़मानत दे दी गई थी।

न्यूज़क्लिक द्वारा हासिल किए गए दस्तावेज़ों के मुताबिक़, शिवम को 14 अगस्त को रायबरेली के सेशन कोर्ट ने अग्रिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने देखा कि जिस आधार पर शिवम ने ज़मानत की गुहार लगाई थी, वह "अपर्याप्त और असंतोषजनक" है, और कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था।

हालांकि, उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने इस शर्त पर ज़मानत दी थी कि वे सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा या गवाह को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगा साथ ही मामले के जल्द निपटान में सहयोग करेगा और सुनवाई की सभी तारीखों पर उपलब्ध रहेगा। शिवम ने 30 नवंबर को जेल से बाहर आकर 5 दिसंबर को कथित तौर पर लड़की की हत्या कर दी।

शिवम की मां सीमा त्रिवेदी, जो काफ़ी रो रही थीं, ने रिपोर्टर से कहा: “मेरे बेटे ने निचली जाति की लड़की से शादी कैसे की होगी? यह असंभव है। उसने (पीड़िता ने) हमारी एकमात्र संतान शिवम होने के कारण हमारी संपत्ति को हड़पने की साज़िश रची थी। उसने हम सभी को ख़त्म करने की क़सम खाई थी और इसलिए उसने जानबूझकर ख़ुद को आग लगा ली।”

पीड़िता और उसके वकील महेश सिंह राठौर के बीच फ़ेसबुक पर हुई बातचीत के कुछ हिस्सों को अभियुक्तों के परिवार के सदस्य अपने दावे के समर्थन में इस्तेमाल कर रहे हैं।

उन्नाव पुलिस अधीक्षक (एसपी) विक्रांत वीर ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया है और मामले की हर नज़रिये से जांच की जाएगी।

इस बीच, एसपी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि उनके ज़िले में इस साल 1 जनवरी से 30 नवंबर के बीच बलात्कार के 51 मामले दर्ज किए गए हैं।

सभी आरोपियों के परिवार के सदस्य, जो उनके रिश्तेदार भी हैं, वे डरते हैं कि आरोपी को पुलिस की मुठभेड़ में मारा जा सकता है, जैसा कि तेलंगाना में हुआ है।

शिवम त्रिवेदी की चचेरी बहन सीमा ने कहा कि, “हमारी यही इल्तज़ा है आप सरकार से मामले की निष्पक्ष जांच और क़ानून का पालन करने के लिए कहें। हालांकि मृत लड़की के पिता हैदराबाद की तरह की मुठभेड़ की मांग कर रहे हैं और अगर वे दोषी पाए जाते हैं तो हम इसके लिए तैयार हैं - लेकिन केवल निष्पक्ष जांच के बाद ही ऐसा होना चाहिए।"

इस प्रकरण के बाद, गाँव जाति की रेखाओं में विभाजित हो गया लगता है। क्योंकि पीड़ित के अंतिम संस्कार में उच्च जाति के परिवारों का एक भी व्यक्ति शामिल नहीं हुआ।

इस बीच, उन्नाव के एसपी विक्रांत वीर ने रविवार देर शाम बिहार पुलिस स्टेशन के सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया, जिनमें स्टेशन हाउस अफ़सर अजय कुमार त्रिपाठी भी शामिल हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Unnao Ground Report: How Caste Bred Tragedy, Led to Gang-rape and Brutal Killing

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Yogi Adityanath
Hyderabad Encounter

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