NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
उत्तराखंड : केंद्र की दख़ल के बाद कश्मीरी छात्रों को लेट फ़ीस से राहत, लेकिन अभी डर बरक़रार
जम्मू-कश्मीर स्टुडेंड एसोसिएशन के प्रवक्ता नासिर ने न्यूज़ क्लिक को बताया कि अलग-अलग तरह से उन्हें परेशान किया जा रहा है।
वर्षा सिंह
07 Dec 2019
uttrakhand
प्रतीकात्मक तस्वीर : Navbharat Times

डबल इंजन की धौंस में उत्तराखंड सरकार उदार चेहरा दिखाना तक भूल रही है। कश्मीरी छात्र-छात्राओं से लेट फ़ीस नहीं लिए जाने के मुद्दे पर छात्र-छात्राओं द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयासों पर सरकार नहीं मानी। राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री और प्रवक्ता मदन कौशिक कार्रवाई की बात कहकर भी इस मुद्दे को भूले रहे। लेकिन जब छात्रों ने केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाया और वहां से आदेश जारी हुए तब जाकर राज्य सरकार ने कश्मीरी छात्र-छात्राओं से लेट फ़ीस न वसूले देने जाने की बात कही।

इस बीच, जम्मू-कश्मीर स्टुडेंड एसोसिएशन के प्रवक्ता नासिर ख़ुहामी अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित रहे। मीडिया में सामने आने और पहचान खुलने के बाद उन्होंने निजी कॉलेजों की ओर से परेशान किये जाने की बात कही। इस संबंध में उन्होंने देहरादून के एसएसपी अरुण मोहन जोशी को अपनी सुरक्षा से संबंधित पत्र भी लिखा।
nasir letter regarding his security.jpeg
नासिर ने न्यूज़ क्लिक को बताया कि अलग-अलग तरह से उन्हें परेशान किया जा रहा है। फोन कॉल्स भी आ रही हैं। रास्ते में उन्हें रोका जा रहा है और डराने की कोशिश की जा रही है। अपने फेसबुक पेज पर भी उन्होंने इस तरह की एक पोस्ट साझा की।

राज्य सरकार की ओर से कोई मदद न मिलती देख प्रवक्ता नासिर ने ट्विटर पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी को टैग किया। कॉलेजों की ओर से मिल रही धमकी और लेट फ़ीस की बात कही। जिस पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने उत्तराखंड सरकार से बात करने का आश्वासन दिया, साथ ही केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भी इस मुद्दे पर कार्रवाई करने कहा।

छह दिसंबर को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय और गृह मंत्रालय के निर्देश राज्य के आला अधिकारियों तक पहुंचे। केंद्र ने राज्य के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, देहरादून के जिलाधिकारी रविशंकर को कश्मीरी स्टुडेंट्स की सुरक्षा और फ़ीस को लेकर आ रही दिक्कतों पर बात की। केंद्र की दखल के बाद राज्य की सरकार हरकत में आई।

नासिर बताते हैं कि इसके बाद मुख्य सचिव और जिलाधिकारी के फोन उनके पास आए और उनसे मुलाकात हुई। साथ ही अधिकारियों ने कॉलेजों में भी बात की। राजधानी के सभी कॉलेजों ने कश्मीरी बच्चों से लेट फ़ीस न लेने और कम अटेंडेंस के चलते परीक्षा से बाहर न करने का आश्वासन दिया।

कुछ कश्मीरी स्टुडेंट्स ने इस मामले में न्यूज क्लिक से भी संपर्क किया। बीएफआईटी के प्रधानाचार्य डॉ असलम सिद्दिकी ने बताया कि किसी कश्मीरी स्टुडेंट को परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जा रहा। लेकिन अगले सेमिस्टर में उन्हें कक्षा में न्यूनतम 60 प्रतिशत मौजूदगी दर्ज करानी होगी।

दरअसल अगस्त महीने में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया और वहां कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए। उस समय दूसरे राज्यों में रहकर पढ़ाई कर रहे ज्यादातर युवा घर गए हुए थे। हालात कुछ सामान्य होने के बाद जब वे अपने कॉलेजों में लौटे तो उन पर कक्षा में कम मौजूदगी के चलते परीक्षा से बाहर होने और हजारों रुपये का विलंब शुल्क थोप दिया गया। कॉलेज प्रशासन कहता रहा कि ऑन लाइन सिस्टम होने की वजह से वे इसमें कुछ नहीं कर सकते। एक-दो कॉलेज को छोड़कर ज्यादातर कॉलेज में कश्मीरी स्टुडेंट्स को इस तरह की दिक्कतें आईं। परीक्षा से बाहर होने, पूरा साल खराब होने और पहले ही आर्थिक संकट में घिरे कश्मीरी परिवारों के लिए लेट फ़ीस देना भारी पड़ रहा था।

अगर उत्तराखंड सरकार पहले ही इन छात्रों के प्रति उदार रवैया दिखाती तो ये स्टुडेंट्स मानसिक तौर पर इतने परेशान न होते। लेकिन राज्य की सरकार को उलटी तरफ से ही कान पकड़ना भाया।

इसे भी पढ़े: देहरादून : मुश्किल में कश्मीरी छात्र, लेट फीस और परीक्षा का संकट

Dehradun
Kashmiri Students
Education Sector
High fee in colleges
Jammu and Kashmir
Jammu and Kashmir Students Association
Article 370
late fee penalty
punjab
Captain Amarinder Singh
Attacks on Kashmiri Students
uttrakhand government

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 

सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUCET) सतही नज़र से जितना प्रभावी गहरी नज़र से उतना ही अप्रभावी

रचनात्मकता और कल्पनाशीलता बनाम ‘बहुविकल्पीय प्रश्न’ आधारित परीक्षा 

मेडिकल छात्रों की फीस को लेकर उत्तराखंड सरकार की अनदेखी

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा, शिक्षकपर्व और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति

सैनिक स्कूल पर भाजपा का इतना ज़ोर देना क्या जायज़ है?

नई शिक्षा नीति: लोक-लुभावन शब्दों के मायने और मजबूरी 

बर्बाद हो रहे भारतीय राज काज के लिए नई शिक्षा नीति सुंदर शब्दों के अलावा और कुछ नहीं


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License