NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उत्तराखंड स्थापना दिवस: जश्न मनाइये, मगर कुछ सवाल भी हैं
बीस सालों का ये राज्य हो गया। जिन सपनों जिन आकांक्षआओं के साथ इस राज्य की स्थापना की गई थी। आज वो सारी की सारी धराशायी हो गईं। इसलिए बीस साल के इस अवसर पर बहुत उत्सव की बात नहीं है। बल्कि ये विचार करने का समय है कि राज्य क्या सिर्फ 70 विधायक बनाने के लिए बना था।
वर्षा सिंह
09 Nov 2020
उत्तराखंड स्थापना दिवस
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत।

देहरादून: उत्तराखंड आज अपनी स्थापना की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। या कहें, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी आज जश्न मना रही है। बड़े-बड़े समारोह चल रहे रहे हैं। चारधाम मार्ग, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग मार्ग, डोबरा-चांठी पुल जैसे विकास के प्रतीकों के साथ सरकार अपनी उपलब्धियों गिना रही है। लंबे संघर्ष और शहादतों के बाद 9 नवंबर, 2000 को नए राज्य की नींव पड़ी थी। पिछड़े पर्वतीय अंचलों के विकास की जो उम्मीदें थीं, वो आज भी चुनौतियों के रूप में मौजूद हैं। राज्य आंदोलनकारियों के सपने आज भी सपने ही हैं। 20 वर्ष की यात्रा, 5 सरकार और 9 मुख्यमंत्रियों के साथ राज्य अब भी अपने पहाड़ी लोगों को भरोसा नहीं जीत पाया है। जिसका नतीजा बड़े पलायन के तौर पर हमारे सामने है।

लंबे इंतज़ार के बाद मिला डोबरा-चांठी पुल, पुल के नीचे बसे गांव का अब भी लंबा इंतज़ार

8 नवंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने टिहरी में डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण कर टिहरी की जनता को तोहफा दिया। 14 वर्षों के इंतज़ार के बाद ये लंबा पुल तैयार हुआ। लोकार्पण से कुछ रोज पहले ही टिहरी झील किनारे बसे रोलाकोट गांव के लोगों ने पुल पर गुज़र कर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। झील बनने से गांव के कई घर धंस गए हैं। घरों में दरारें पड़ी हैं। झील के आसपास बने गांवों के पुनर्वास का काम 1998 से ही शुरू हो गया। बहुत से लोगों को बसाया भी गया। लेकिन अब भी करीब 45 ऐसे कई गांव हैं जो टिहरी बांध की सजा भुगत रहे हैं। वे कहते हैं कि बांध बनने से हमें तो कालापानी की सजा मिल गई है। पुनर्वास का इनका इंतज़ार 20 वर्ष से अधिक का हो चुका है। देश के सबसे लंबे सस्पेंशन ब्रिज के नीचे बसे गांव आज भी पुनर्वास की जंग लड़ रहे हैं।

चारधाम सड़क परियोजना: ‘पहाड़ पर अब तक की सबसे बड़ी आपदा’

चारधाम सड़क परियोजना को लेकर उत्तराखंड सरकार बेहद उत्साहित है। उम्मीद है कि हिमालय काट कर बनाई गई चौड़ी सड़कों पर गुज़र कर पर्यटक यहां का सौंदर्य देखने आएंगे। केदारनाथ-बदरीनाथ जैसे धाम तक पूरे साल यात्रा की जा सकेगी। हिमालय प्रेमी इसे विकास का नहीं, विनाश का प्रतीक मानते हैं। बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी कहते हैं “मेरे लिए तो ये पहाड़ पर अब तक की सबसे बड़ी आपदा है। ठेकेदारों का खूब मुनाफा हुआ। हिमालयी जल स्रोत पहले ही सूख रहे थे। बेतरतीब पहाड़ काटने और मलबा उड़ेलने से सैकड़ों जलस्रोत खत्म हो गए। पहाड़ को ठेकेदारों के हवाले कर दिया। भूगर्भ विज्ञानियों की राय भी नहीं ली।” टिहरी के नागनी गांव के रहने वाले जड़धारी कहते हैं कि पहाड़ की इस तोड़फोड़ से नए भूस्खलन ज़ोन बन गए हैं। जो आने वाले कई वर्षों तक यहां के लोगों को रुलाएंगे।

पहाड़ के साथ अब भी क्यों नहीं, पहाड़ की जवानी

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, सोलर स्वरोजगार योजना जैसी योजनाओं को लेकर राज्य सरकार युवाओं को राज्य में रहने की अपील कर रही है। 2 नवंबर को पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि कोविड महामारी के समय राज्य में लौटे 3.57 लाख प्रवासियों में से एक लाख प्रवासी वापस लौट चुके हैं। टिहरी के ही मझगांव के किसान भागचंद रमोला कहते हैं “सरकार युवाओं को गांव में रोकने के लिए जो योजनाएं लाई है धरातल पर वे काम नहीं कर रहीं। सरकार कहती है कि स्वरोजगार के लिए आसान कर्ज देंगे। लेकिन बैंक तो पूरी फॉर्मेलिटी कर रहे हैं। गारंटर मांग रहे हैं। ज़मीन के कागजात मांग रहे हैं। लॉकडाउन के समय गांव आए बहुत से नौजवान कशमकश में ही रहे कि अपने बंजर खेत जोतें या नहीं। धीरे-धीरे वे वापस लौटने लगे। कुछ त्योहारों के लिए रुक गए। दिवाली के बाद लौट जाएंगे”।

बागेश्वर के अड़ौली वन पंचायत के अध्यक्ष पूरन सिंह रावल कहते हैं “इतने सालों में सरकार हमारे फसलों को जंगली जानवरों से ही सुरक्षित नहीं कर पायी। बंदर और सूअरों की समस्या के चलते हमारे गांव खाली हो गए। लोग नौकरी करने शहरों में चले गए। हम अपने खेतों में पूरी मेहनत करते हैं और जानवर हमारी फसल बर्बाद कर देते हैं।”

सड़क, स्कूल, अस्पताल का इंतज़ार

20 वर्षों के इस सफ़र में उत्तराखंड अब भी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। चारधाम मार्ग पूरी गति के साथ बन रहा है लेकिन गांव अब भी सड़क का इंतज़ार कर रहे हैं। हालत ये है कि सड़क न होने से गांव और अस्पताल की दूरी तय करने में इतना समय गुजर जाता है कि गर्भवती महिला सड़क पर बच्चे को जन्म देती है। ये स्थिति अब भी है। कई बार इन्हीं हालात में इन माओं की मौत हो जाती है। बीमार-बुजुर्ग कुर्सी या चारपाई पर अस्पताल ले जाए जाते हैं। गांव के पास अच्छे स्कूल नहीं हैं तो मां-बाप गांव के चार कमरों का घर छोड़ महानगरों में एक कमरे में गुज़ारा करते हैं। ताकि वो अपने बच्चों को पढ़ा सकें।

“देश का तेज़ी से बढ़ता राज्य!”

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य स्थापना दिवस के मौके पर बयान जारी किया है कि पिछले 20 साल में उत्तराखंड में काफी विकास हुआ है। लेकिन अभी काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। मौजूदा भाजपा सरकार राज्य के चौतरफा विकास के लिए प्रतिबद्ध है। मैं गर्व से कह सकता हूं कि उत्तराखंड हमेशा देश का सबसे तेज़ी से बढ़ता राज्य बना रहेगा।

क्या 70 विधायक बनाने के लिए बना था राज्य

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी और सीपीआई-एमएल के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी कहते हैं “बीस सालों का ये राज्य हो गया। जिन सपनों जिन आकांक्षआओं के साथ इस राज्य की स्थापना की गई थी। आज वो सारी की सारी धराशायी हो गई। इसलिए बीस साल के इस अवसर पर बहुत उत्सव की बात नहीं है। बल्कि ये विचार करने का समय है कि राज्य क्या सिर्फ 70 विधायक बनाने के लिए बना था। राज्य एक मुख्यमंत्री बनने के लिए बना था। जिस कुर्सी के लिए लगातार मार मची रहेगी। खींचतान बनी रहेगी। क्या 11 मंत्री बनाने के लिए राज्य बना था। आज ये विचार करने का सवाल है। इन बीस सालों में पहाड़ का क्या हुआ। उत्तराखंड कैसा बना”। इंद्रेश आज के दिन कुमाऊं के कवि-गीतकार स्वर्गीय हीरा सिंह राणा की रचना याद करते हैं।

त्यर पहाड़, म्यर पहाड़, हय दुखों क ड्यर पहाड़। बुजुर्गों ल ज्वड पहाड़, राजनीति ल त्वड पहाड़। ठ्यकदारों ल फोड़ पहाड़, नान्तिनों न छोड़ पहाड़। त्यर पहाड़, म्यर पहाड़...।

(तेरा पहाड़, मेरा पहाड़, बुजुर्गों ने जोड़ा पहाड़, ठेकेदारों ने फोड़ा पहाड़, राजनीति ने तोड़ा पहाड़, नौजवानों ने छोड़ा पहाड़, तेरा पहाड़, मेरा पहाड़...) 

(वर्षा सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Uttrakhand
Uttarakhand Foundation Day
Trivendra Singh Rawat
BJP
chardham road project
Chardham Marg
Rishikesh-Karnprayag Road
Dobra-Chandhi
Chief Minister Self-Employment Scheme

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License