NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
विकास दुबे कांड: घेरे में क़ानून व्यवस्था, SIT जांच में पुलिस की गंभीर चूक उजागर!
एसआईटी की रिपोर्ट में पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और विकास दुबे के बीच सांठगांठ की बात कही गई है। खबरों के मुताबिक रिपोर्ट में 80 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी गई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
06 Nov 2020
विकास दुबे

कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में पुलिसवालों की संलिप्तता और विकास दुबे के राजनीतिक गठजोड़ की बातें घटना के पहले दिन से ही सामने आने लगीं थी। लेकिन अब इस मामले में गठित तीन सदस्यीय एसआईटी यानी विशेष जांच दल की रिपोर्ट में भी पुलिस और मारे गए कुख्यात अपराधी विकास दुबे के बीच सांठगांठ का इशारा किया गया है। इसके साथ ही एसआईटी ने इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के 80 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की है।

क्या है पूरा मामला?

कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र का बिकरू गांव उस समय सुर्खियों में आया था जब इस साल 2 जुलाई की रात पुलिस हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने उसके घर गई थी, जहां विकास और उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया था। इस मुठभेड़ में डिप्टी एसपी सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।

इस घटना के बाद विकास दुबे फरार हो गया। पुलिस की घेराबंदी और कई टीमों की जांच के बाद भी वो लगभग हफ्ते भर पकड़ा नहीं गया। 9 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर से नाटकीय तरीके से उसकी गिरफ्तारी हुई। जिसे लेकर बहुत लोगों का मानना था कि ये सरेंडर ही था, जिसे गिरफ्तारी के नाम पर मैनेज किया गया था।

इस मामले में पुलिस प्रशासन पर सवाल तब और तेज़ हो गए जब 10 जुलाई को तड़के सुबह विकास दुबे के एनकाउंटर की खबर सामने आई। इस मामले में चौबेपुर के एसओ विनय तिवारी समेत करीब 200 पुलिसवाले शक के दायरे में आ गए।

राज्य की कानून व्यवस्था पर उठते सवाल और भारी जन दबाव के बीच सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 11 जुलाई को इस मामले में जांच के लिए अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की। इस टीम में भुसरेड्डी के अलावा अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) हरिराम शर्मा व पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) जे. रवींद्र गौड़ शामिल थे।

जांच रिपोर्ट में पुलिस की गंभीर चूक उजागर!

एसआईटी ने इस मामले मे 9 बिंदुओं पर जांच शुरू की थी। जांच के लिए 31 जुलाई तक का वक्त दिया गया था, लेकिन बाद में जांच का दायरा बढ़ने से वक्त भी बढ़ता गया। इस पूरे मामले मे एसआईटी ने पुलिस, राजस्व, आबकारी समेत कई विभागों के अधिकारियों को भी जांच की जद में लिया था।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक अब लगभग तीन महीने से भी ज्यादा समय लेने के बाद एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के गृह विभाग को सौंप दी है। करीब 3500 पन्नों की जांच रिपोर्ट में एसआईटी ने करीब 36 अनुशंसाएं की हैं और दोषी अधिकारियों तथा 80 पुलिसकर्मियों की भूमिकाओं का विस्तार से ब्योरा दिया है। साथ ही पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और गैंगस्टर विकास दुबे के बीच सांठगांठ की बात कही है। जांच रिपोर्ट में पुलिस की गंभीर चूक उजागर की गई है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, “जांच में यह भी बात सामने आई है कि पुलिसकर्मी विकास दुबे के लिए मुखबिरी करते थे और घटना की रात विकास को मालूम था कि उसके घर पर पुलिस की छापेमारी होने वाली है।”

रिपोर्ट में प्रशासन व राजस्व विभाग के अधिकारियों के स्तर से भी कुख्यात विकास दुबे को संरक्षण दिए जाने की बात कही गई है। दागियों को शस्त्र लाइसेंस, जमीनों की खरीद-फरोख्त और आपराधिक गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश न लगाए जाने के कई मामलों को रिपोर्ट में शामिल किया गया है।

मीडिया से बातचीत में गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार, 5 नवंबर को बताया कि रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद सरकार कार्रवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे प्रकरण को सिस्टम की विफलता बताया था

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा था कि यह संस्थान की विफलता है कि जिस व्यक्ति को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए, उसे जमानत मिली।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, “हम इस बात से चकित हैं कि विकास दुबे जैसे व्यक्ति को इतने सारे मामलों के बावजूद जमानत मिल गई।”

मालूम हो कि पिछले करीब तीन दशक से अपराध की दुनिया से विकास दुबे का नाम जुड़ा हुआ था। उसका लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। इस दौरान कई बार उसकी गिरफ्तारी भी हुई लेकिन किसी भी मामले में सजा नहीं हुई और हर बार वो जमानत पर छूटकर बाहर आता रहा। इसका सबसे बड़ा कारण राजनीतिक दलों में विकास की अच्छी-खासी पहुंच बताई जा रही है।

साल 2000 में कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में भी विकास दुबे को नामजद किया गया था।

थाने में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 में ही विकास दुबे के ऊपर रामबाबू यादव की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगा था। बताया जा रहा था कि साजिश विकास ने जेल में ही रची थी। 2004 में केबल व्यवसायी की हत्या में भी विकास दुबे का नाम आया। लेकिन हर राजनीतिक दल में विकास दुबे की पैठ थी, जिसके कारण आजतक उसे नहीं पकड़ा गया था। और एक-आध बार पकड़ा भी गया तो कुछ ही दिनों में वह बाहर आ गया।

गौरतलब है कि ‘बेहतर कानून व्यवस्था’ और ‘भ्रष्ट्राचार पर जीरो टॉलरेंस’ का दावा करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार के पुलिस प्रशासन पर एसआईटी के संगीन आरोप कई गंभीर सवाल खड़े करते हैं। साथ ही शासन के उस दावे की पोल भी खोलते हैं जिसमें बार-बार कहा जाता है कि अपराधी या तो उत्तर प्रदेश से बाहर चले गए हैं या फिर ज़मानत रद्द कराकर जेल में बंद हैं।

Vikas Dubey
Vikas Dubey case
UP police
SIT report
Supreme Court

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License