NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
गैरसैंण के पीछे छिपना चाहते हैं कोरोना से पस्त त्रिवेंद्र सिंह रावत?
कोरोना के ख़िलाफ़ प्रबंधन में उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में टीम हर मोर्चे पर लड़खड़ाती नज़र आ रही है। नैनीताल हाईकोर्ट सरकार को फटकार चुका है। लोग सवाल पूछ रहे हैं। अब रावत जी के पास गैरसैंण का ही सहारा है, लेकिन उसे अस्थायी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने को लेकर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि क्या ग्रीष्मकालीन ऐशगाह बनकर तो नहीं रह जाएगा गैरसैंण?
वर्षा सिंह
09 Jun 2020
गैरसैंण विधानभवन

क्रिकेट के मैदान में मैच हारती टीम यदि आखिरी बॉल पर छक्का मार दे तो हारने के बावजूद टीम के खिलाड़ी कुछ गर्व महसूस करते हैं और दर्शक दीर्घा में मैच का रोमांच भर जाता है। आखिरी बॉल जादुई लगती है। बहुत सारी गलतियां इस सिक्सर से छिपायी जा सकती हैं लेकिन क्या नटराज फिर चैंपियन बना?

कोरोना के ख़िलाफ़ प्रबंधन में उत्तराखंड में कैप्टन त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में टीम हर मोर्चे पर लड़खड़ाती नज़र आ रही है। नैनीताल हाईकोर्ट सरकार को फटकार चुका है। लोग सवाल पूछ रहे हैं। ग्राम प्रधान ज्ञापन दे रहे हैं। आशा-आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं आश्चर्य से अपने कैप्टन को देख रही हैं। शिक्षक तक इस मैच में पस्त हो गए। वेतन मिलने में देरी से नर्सें बेचारी रह गईं। सोमवार से होटल-मॉल-मंदिर सब अनलॉक हो गए। आखिरी बॉल पर कैप्टन ने गैरसैंण का सिक्सर लगाया। ताकि लॉकडाउन के समय में लगातार आलोचना झेल रही सरकार के जख्मों पर कुछ मरहम लगे। कुछ वाहवाही मिले।

गैरसैंण राजधानी को लेकर शासनादेश.jpg

ग्रीष्मकालीन राजधानी बन कर रहा गया भराड़ीसैंण

सोमवार को चमोली जिले के गैरसैंण तहसील में आने वाले भराड़ीसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की अधिसूचना जारी कर दी गई। राज्यपाल ने इस पर अपनी मुहर लगा दी। अब कोरोना की जगह लोग भराड़ीसैंण के मुद्दे पर बात कर रहे हैं। बहुत तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ स्वागत में हैं। कुछ सपना आधा पूरा होने जैसी बात कर रहे हैं। तो भराड़ीसैंण को पूर्ण राजधानी का दर्जा न मिलने तक आंदोलन जारी रखने की भी चेतावनी है। कोरोना से हमारा ध्यान भटक तो नहीं गया? ये समय कोरोना से जुड़े सवाल पूछने का ही है।

अधिसूचना की ये टाइमिंग कमाल की है। ठीक उसी तरह, जब चार मार्च को गैरसैंण में विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भराड़ीसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की थी। उस समय यहां के राजनीतिक गलियारों में तख्तापलट को लेकर खूब कयास लगाए जा रहे थे। उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास ऐसा रहा भी है। गैरसैंण विधानसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इस फैसले को लेकर सारी रात सोया नहीं। मैंने इसका जिक्र किसी से नहीं किया। बिना अपने साथ के लोगों तक को बताए उन्होंने भराड़ीसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा कर दी। सारा घटनाक्रम एकदम नाटकीय था।

भराड़ीसैंण को लेकर मुख्यमंत्री ने क्या कहा

कोरोना काल में ये खबर लोगों को राहत देगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि भराड़ीसैण को आदर्श पर्वतीय राजधानी का रूप दिया जाएगा। आने वाले समय में ये देश की सबसे सुंदर राजधानी के रूप में अपनी पहचान बनाएगी। भाजपा ने वर्ष 2017 के विजन डाक्यूमेंट में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की बात कही थी। यहां बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। भराड़ीसैंण तक कनेक्टिविटी के लिए सड़कें चौड़ी होंगी। इसके साथ ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पूरा होने से भी कनेक्टिविटी बेहतर होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां ई-विधानसभा के कॉनसेप्ट पर काम किया जाएगा ताकि बड़े स्तर पर फाइलें न ले जानी पड़ें।

क्या जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना प्रतिक्रिया देते हैं कि कोरोना संक्रमण रोकने में नाकामयाब सरकार का ये फैसला जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास है। धस्माना ने कहा कि पहले तो त्रिवेंद्र सरकार यह बताए कि राज्य की स्थायी राजधानी कौन सी है और फिर यह स्पष्ट करे कि क्या एक राज्य में दो अस्थायी राजधानियां होना ठीक है? उत्तराखंड की जनता को ये तो पता चल गया कि गैरसैंण यहां की ग्रीष्मकालीन राजधानी है लेकिन स्थायी राजधानी इस राज्य के पास अब तक नहीं है। देहरादून अब भी कागजों में अस्थायी राजधानी ही है।

सीपीआई-एमएल के प्रदेश सचिव राजा बहुगुणा ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि गैरसैंण ग्रीष्म कालीन राजधानी और रामनगर का सरकारी अस्पताल प्राइवेट को सौंप दिया। कोरोना दौर में जरूरत थी कि सरकारी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को पुख्ता किया जाय, लेकिन सपनों के सौदागर गर्मियों के सैर सपाटे की व्यवस्था में जुटे हैं। कोरोना, बेरोजगारी और भुखमरी के प्रश्न पर उत्तराखंड सरकार का निकम्मापन और ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा आम जनता के साथ एक भद्दा मजाक नहीं तो क्या है? साफ-साफ क्यों नहीं कहते कि गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित कर, आपकी सरकार ने देहरादून को स्थायी राजधानी मान लिया है।

ग्रीष्मकालीन नहीं, स्थायी राजधानी चाहिए

सीपीआई-एमएल के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी कहते हैं कि ये फैसला राज्य आंदोलन की भावना और दृष्टिकोण के साथ विश्वासघात है। राज्य आंदोलन के समय किसी ने, कभी भी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की मांग नहीं की। गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाने की मांग थी। जिसके पीछे तार्किक कारण थे। 13 जिलों के छोटे से प्रदेश में दो राजधानियां औचित्यहीन और जनता के धन की बर्बादी हैं।

उत्तराखंड क्रांतिदल के नेता दिवाकर भट्ट कहते हैं कि गैरसैंण राजधानी की मांग को लेकर ही उत्तराखंड आंदोलन शुरू हआ था। ग्रीष्मकालीन राजधानी के नाम पर भाजपा खुद को धोखा दे रही है या राज्य की जनता को धोखा दे रही है। ग्रीष्मकालीन राजधानी कहकर क्या गैरसैंण को ऐशगाह बनाना चाहते हैं? गर्मियों में ठंड का आनंद लेने के लिए पहाड़ चले जाएंगे। भट्ट कहते हैं कि गैरसैंण राज्य की राजधानी बनती और देहरादून को शीतकालीन राजधानी बना लेते तब भी कोई दिक्कत नहीं थी।

पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होगी, तो पहाड़ की समस्याएं दिखेंगी

राज्य के संस्कृतिकर्मी लोकेश नवानी हिमाचल का उदाहरण देते हैं कि शिमला पहाड़ों के बीच में है तो गतिविधियों का केंद्र हिमालय बना। नेताओं और अधिकारियों को पर्वतीय क्षेत्र की समस्याएं दिखीं, फिर उसके हल देखे गए। देहरादून एक किनारे पर है तो सुविधाओं के लिए है। यहां से पहाड़ की समस्याओं को देखने का दृष्टिकोण वैसा नहीं हो सकता। पहाड़ में रहेंगे, पहाड़ को समझेंगे, फिर पहाड़ के हिसाब से नीतियां बनेंगी।

भराड़ीसैंण के मौसम को लेकर लोकेश कहते हैं कि मास्को में कितनी बर्फ गिरती है, बीजिंग कितना ठंडा होता है। आप शिमला ही देख लें। हिमाचल के दूसरे पर्वतीय जिले देखें। तो भराड़ीसैंण को स्थायी राजधानी न बनाने के पीछे मौसम वजह नहीं है। वो जगह स्थायी राजधानी बनेगी तो इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होता। स्कूल-अस्पताल बनते। सांस्कृतिक केंद्र भी बनता। बुद्धिजीवी वहीं रहते। रोजगार पैदा होता। फिर इस राज्य का 81 प्रतिशत भूभाग तो पर्वतीय है। लोकेश कहते हैं कि ग्रीष्मकालीन बना दी है। पूर्णकालिक राजधानी बननी चाहिए।

लोकेश नवानी की बात को इस संदर्भ में देखिए कि उत्तराखंड के तीन मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंहनगर को छोड़ दें तो पूरे पहाड़ में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली, रोजगार जैसी मूलभूत समस्याएं ही हल नहीं हो सकी हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार, अस्पतालों और स्कूलों का न होना ही यहां पलायन की बड़ी वजह रहा है।

उत्तराखंड में कोरोना की स्थिति

राज्य में सोमवार रात तक कुल संक्रमित केस 1411 हो गए। मैदानी जिलों की तुलना में पर्वतीय क्षेत्रों में संक्रमण दर बढ़ रही है। लगातार ज्यादा कोरोना सैंपल्स लिए जाने और ज्यादा जांच की मांग की जा रही है। यहां सरकार ने पहले प्रवासियों के क्वारंटीन सेंटरों की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों पर डाल दी थी। अब खांसी-जुकाम-बुखार से पीड़ित व्यक्ति के कोरोना सैंपल लेने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं को दे दी गई है। मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की जा रही है।

ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद विज़न 2022 के लिए सभी पार्टियों के पास गैरसैंण को पूर्णकालिक राजधानी बनाने का शिगूफा रहेगा। इतना बेहतरीन मुद्दा एक ही कार्यकाल में क्यों व्यर्थ करना।

Uttrakhand
Coronavirus
COVID-19
Trivendra Singh Rawat
BJP
Garasain Legislative Assembly
nainital high court

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License