NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
भारत
राजनीति
मेवात सम्मेलन में किसानों ने कहा, हम नाकारात्मक अभियानों के बनिस्पत अपनी आजीविका को प्राथमिकता देते हैं
किसान नेताओं ने अगले साल की शुरुआत में होने वाले यूपी और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले हिंदुत्ववादी ताक़तों की तरफ़ से सांप्रदायिक ज़हर फैलाने के लिहाज़ से दिये जा रहे बयानों की निंदा की।
रवि कौशल
29 Jun 2021
मेवात सम्मेलन में किसानों ने कहा, हम नाकारात्मक अभियानों के बनिस्पत अपनी आजीविका को प्राथमिकता देते हैं

"कृपया इस बात को समझिये कि इस समय क्या-क्या दांव पर लगा हुआ है ! जो कुछ भी हो रहा है वह अपने-आप नहीं हो रहा है, बल्कि इसे किसान आंदोलन के विरोधियों की ओर से भोंडे तरीक़े से तैयार किया गया है। 2013 के उन कुकर्मों की क़ीमत हम आज भी चुका रहे हैं, जब हमने मुज़फ़्फ़रनगर में एक-दूसरे को निशाना बनाया था। बीजेपी को चुनाव में जीत मिली और देश ने विकास का मौक़ा गंवा दिया। हम ऐसा दोबारा नहीं होने दे सकते।" राजस्थान के सुनहरा बॉर्डर पर किसान मज़दूर भाईचारा महासम्मेलन में नौजवान किसान नेता अभिमन्यु कोहर के इन शब्दों ने मेवात क्षेत्र की विचलित करने वाली घटनाओं के बाद किसानों के रुख़ को साफ़ कर दिया है।

मेवात क्षेत्र में जिन ज़िलों के कुछ हिस्से शामिल हैं,उनमें हैं- हरियाणा के नूंह, राजस्थान के अलवर और भरतपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा ज़िले।इन ज़िलों में मुसलमान किसानों की बड़ी आबादी रहती है।

40 से ज़्यादा किसान संगठनों के सामूहिक संगठन,यानी संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ़ से आयोजित इस सम्मेलन में किसानों की ज़बरदस्त भागीदारी देखी गयी।ये किसान सांप्रदायिक आधार पर होने वाली हिंसा की अलग-अलग घटनाओं की निंदा करने के लिए एकत्रित हुए थे। इस इलाक़े में हाल ही में एक मुस्लिम नौजवान आसिफ़ की गिरोहों के बीच की प्रतिद्वंद्विता में बदमाशों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। एक दूसरे मुस्लिम शख़्स जुनैद की हिरासत में पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या के बाद स्थिति और भी संदिग्ध हो गयी। हालांकि, करणी सेना की तरफ़ से उस सभा (महापंचायत) को आयोजित किये जाने के बाद माहौल बिगड़ना शुरू हो गया, जहां उसके अध्यक्ष सूरज पाल अमू ने खुले तौर पर लिंचिंग को सही ठहराया और 2017 में ट्रेन में मारे गये एक अन्य लड़के जुनैद के हत्यारों को इनाम से भी नवाज़ा।

सांप्रदायिक ज़हर फैलाने की कोशिश करने वाले हिंदुत्ववादी ताक़तों पर हमला करते हुए कोहर ने कहा कि इस आंदोलन ने लोगों को अनूठे तौर पर एकता के एक ऐसे सूत्र में बांध दिया है, जहां वे एक-दूसरे को किसानों और श्रमिकों के रूप में चिह्नित करते हैं और उस सरकार के कुकर्मों पर ज़रूरी सवाल उठा सकते हैं, जो पिछले सात महीनों से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल होने वाले दरवाज़ों पर बैठे किसानों की मांगों को सुनने में नाकाम रही है।।

कोहर ने बताया, “हम इस मामले में केंद्र सरकार के शीर्ष पर बैठे एक दोहरे चेहरे वाले शख़्स को देख रहे हैं। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने उपभोक्ता मामलों की समिति के अध्यक्ष के रूप में इस बात पर ज़ोर दिया था कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का भुगतान किया जाना चाहिए। जैसे ही वह केंद्र की सत्ता में आ गये, तो उनकी ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक साफ़ शब्दों में यह हलफ़नामा प्रस्तुत कर दिया कि वह स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश के मुताबिक़ एमएसपी का भुगतान नहीं कर सकती है। अब, उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में लोगों के ग़ुस्से का डर सता रहा है। उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव होने हैं। इसलिए, वे लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने और फ़ायदा उठाने के परीक्षण वाले फ़ॉर्मूले पर फिर से वापस आ गये हैं। लेकिन, हम ऐसा होने नहीं देंगे।"

इस सम्मेलन के वक्ताओं में शामिल अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS), हरियाणा के उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया कि पूरे किसान नेतृत्व ने इस समुदाय को फिर से भरोसा दिलाते हुए कहा कि मौजूदा एकता को टूटने नहीं देना है।

उनका कहना था, “जो कुछ हो रहा है, उसे जानने के लिए पहले इस इलाक़े के इतिहास और परंपरा को समझने की ज़रूरत है। इस इलाक़े के लोग परंपरागत रूप से शांतिप्रिय और धर्मनिरपेक्ष रहे हैं। मेवात में मुस्लिम बहुल आबादी है, लेकिन 1947 के बाद यहां से शायद ही कोई पाकिस्तान गया हो। महात्मा गांधी इस इलाक़े में आये थे और इस क्षेत्र में शांति बनाये रखने के लिए लोगों को संबोधित किया था। उनकी अपील का आलम ऐसा था कि जो लोग पलायन के लिए निकले भी थे, वे आधे रास्ते से लौट आये थे।”

हिंदुत्ववादी ताक़तों पर निशाना साधते हुए सिंह ने कहा, “अगर हम हाल के अतीत को देखें, तो हम पाते हैं कि संघ परिवार से जुड़े लोग जानबूझकर यहां सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं और कुछ घटनाओं का इस्तेमाल अन्य समुदायों का ध्रुवीकरण करने के लिए कर रहे हैं। इसकी शुरुआत गोहत्या जैसे नाकारात्मक अभियानों के साथ हुई थी, फिर बीफ़ बिरयानी, लिंचिंग आदि जैसी घटनायें हुईं। इन क्षेत्रों में तनाव पैदा करके संघ परिवार दो लक्ष्यों को साधना चाहता है; पहला, किसान आंदोलन को कमज़ोर करना और दूसरा, अगले साल की शुरुआत में होने वाले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनावों के लिए चुनाव पूर्व माहौल तैयार करना।”

किसान नेताओं ने सभा को संबोधित करते हुए साफ़ कर दिया कि वे मिशन यूपी और मिशन उत्तराखंड की शुरुआत करेंगे, जहां वे प्रचार करेंगे और लोगों से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सबक़ सिखाने की अपील करेंगे।

भारतीय किसान संघ, चारुनी के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चारुनी ने कहा, “बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में चुनाव से पहले भाजपा के नेता पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर किसान आंदोलन के असर का आकलन करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। पार्टी किसानों के उन असली मुद्दों को हल करने के लिए तैयार नहीं है, जिसके लिए किसान पिछले सात महीनों से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अपने वोट बैंक को बचाने के लिए बेचैन है। साफ़ है कि पार्टी की यही सबसे बड़ी चिंता है। यही वजह है कि एसकेएम ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जनता तक पहुंचने का फ़ैसला किया है, और जनता से भाजपा को उसके जनविरोधी एजेंडे के लिए सबक़ सिखाने के लिए कहा है।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

We Prioritise our Livelihood Over Smear Campaigns, say Farmers in Mewat Convention

SKM
AIKS
Mewat
farmers protest
Farm Laws

Related Stories

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा

सावधान: यूं ही नहीं जारी की है अनिल घनवट ने 'कृषि सुधार' के लिए 'सुप्रीम कमेटी' की रिपोर्ट 

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

बंगाल: बीरभूम के किसानों की ज़मीन हड़पने के ख़िलाफ़ साथ आया SKM, कहा- आजीविका छोड़ने के लिए मजबूर न किया जाए

राजस्थान: अलग कृषि बजट किसानों के संघर्ष की जीत है या फिर चुनावी हथियार?

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

कृषि बजट में कटौती करके, ‘किसान आंदोलन’ का बदला ले रही है सरकार: संयुक्त किसान मोर्चा

केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License