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तमिलनाडु विधानसभा चुनाव: एआईएडीएमके और डीएमके गठबंधन और सीटों की हिस्सेदारी पर समझौतों के क्या मायने हैं
डीएमके अपने सहयोगी दलों के विस्तार के बावजूद अपनी सीट की हिस्सेदारी बनाये रखने पर अड़ी हुई है, जबकि इस बात की संभावना है कि एआईएडीएमके 2016 के पिछले विधानसभा चुनाव के सीटों के मुक़ाबले 40 सीटें कम, यानी 188 सीटों पर ही चुनाव लड़े।
श्रुति एमडी
10 Mar 2021
Tamil Nadu elections

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) की अगुवाई में 234 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए आगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में बने गठबंधन धीरे-धीरे सम्बन्धित दलों के बीच हो रही बातचीत के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

लम्बी चर्चा और नज़र आती निराशा के बाद डीएमके की अगुवाई वाले सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस में 25 सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस ने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। समझौते के बाद इसके अन्य प्रमुख सहयोगी दलों-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI-M), विदुथलाई चिरुथिगाल काची (VCK) और मरुमलारायण द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK) में से प्रत्येक को छ:-छ: सीटों पर लड़ने को राज़ी हो गये हैं।

एआईएडीएमके की अगुवाई वाले गठबंधन के साथ बातचीत बेहद गोपनीय तरीक़े से हुई थी, और इस बात की आशंका है कि अब भी इसी तरह की बातचीत चल रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 20 सीटों के लिए सहमति जता दी है, जो कि राज्य में इसके मामूली जनाधार को देखते हुए काफ़ी है। हालांकि, यह केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के तौर पर गठबंधन में सत्तारूढ़ है। पट्टाली मक्कल काची (PMK) को इस गठबंधन में 23 सीटें मिली हैं।

फ़ोटो साभार: आर.प्रकाश

मगर, सवाल है कि राज्य में बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य के सिलसिले में सीटों की इन संख्याओं का असली मतलब क्या है ?

एआईएडीएमके को नुकसान, बीजेपी को फ़ायदा

एआईएडीएमके ने 2016 के विधानसभा चुनावों में कमोबेश स्वतंत्र चुनाव लड़ा था और उसने 135 सीटों का बहुमत हासिल की था। इस पार्टी ने अपने सहयोगियों के लिए महज़ सात सीटें छोड़ी थी और 227 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ा था। लेकिन, इस साल एआईएडीएमके की 188 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है, यह संख्या पिछले विधानसभा चुनाव में लड़ी गयी सीटों की संख्या से तक़रीबन 40 सीटें कम हैं।

2016 में एआईएडीएमके की नेता-जे.जयललिता के निधन के साथ ही पार्टी के भीतर उत्तराधिकार के लिए हुई लड़ाई में पार्टी का हाल बदतर हा था। 2019 के आम चुनावों में दक्षिणपंथी भाजपा के साथ इसके गठबंधन ने राज्य में इसके राजनीतिक रंग को भी बदलकर रख दिया था। ग़ौरतलब है कि हाल के आम चुनावों में एआईएडीएमके-पीकेएम-बीजेपी वाले गठबंधन को 39 संसदीय क्षेत्रों में से 1 में ही में जीत मिली थी। पार्टी के इस ख़राब प्रदर्शन के पीछे भ्रष्टाचार के कई आरोप और ज़बरदस्त सत्ता विरोधी भावना जैसी वजह अहम हैं और सीटों की संख्या का बंटवारा इसे ही प्रतिबिंबित करता है।

पीएमके ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था और 2016 के विधानसभा चुनावों में सभी 234 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन, एआईएडीएमके की अगुवाई वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में उसे 23 सीटें मिली हैं। इसी तरह, भाजपा ने 2016 में 188 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उनमें से उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी, उसे इस बार उसे गठबंधन में 20 सीटें मिली हैं।

भाजपा के लिए यह एक बड़ी जीत है। राज्य में कोई अहमियत नहीं रखने वाली इस पार्टी का राज्य की सबसे बड़ी पार्टी,जो कि एक सत्तारूढ़ पार्टी भी है,उसके साथ चुनाव लड़ना पांच साल के भीतर बीजेपी के ज़बरदस्त विकास को दिखाता है। भाजपा ने एक बार फिर केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी होने की अपनी ताक़त का इस्तेमाल राज्य में अपनी हैसियत दिखाने में किया है और इस शक्ति के सामने अन्नाद्रमुक झुकती हुई दिखी है।

मज़बूत डीएमके, लस्त-पस्त कांग्रेस

द्रमुक के दिग्गज नेता, करुणानिधि के निधन पर उतनी हलचल नहीं हुई थी,जितनी कि जयललिता के निधन पर अन्नाद्रमुक को लेकर हुई थी। उत्तराधिकारी को लेकर एआईएडीएम के मुक़ाबले डीएमके में एक सप्षट समझ थी, क्योंकि दिवंगत नेता करुणानिधि के बेटे ने पार्टी की विरासत की कमान धीरे-धीरे अपने हाथ में ले ली थी।

डीएमके  ने 2016 में 178 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इस बार उसकी 176 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है। डीएमके अपने सहयोगी दलों के विस्तार के बावजूद अपनी सीट की हिस्सेदारी बनाये रखने पर अड़ी हुई है।

सेक्युलर प्रोग्रेसिव एलायंस में बहुत सौदेबाजी दिखायी दे रही थी, लेकिन डीएमके संख्या को लेकर अपने आधार पर खड़ी दिखायी दे रही है। इसके कई सहयोगियों का ध्यान इस बात पर है कि इसके छतरी तले ‘धर्मनिरपेक्ष वोट’ नहीं बंटे और उनका मक़सद तमिलनाडु में भाजपा के बढ़ते क़दम का मज़बूती के साथ विरोध करना है।

लंबे समय से डीएमके गठबंधन की सहयोगी रही कांग्रेस की सीटें 2016 में 41 से घटकर इस बार 25 रह गयी हैं। द्रमुक ने कांग्रेस की सीट को कम कर दिया है, और उन सीटों को गठबंधन की दूसरी पार्टियों को दे दिया है।

यह बता पाना मुश्किल है कि डीएमके के इस दावे की वजह इसकी मज़बूत स्थिति है या फिर यह अपने सहयोगियों का फ़ायदा उठा रही है। लेकिन, इतना तो तय है कि इससे कांग्रेस के कमज़ोर होने का पता चलता है। राज्य-दर-राज्य सिमटते हुए धीरे-धीरे तमिलनाडु में भी इसकी ताक़त में कमी आ रही है।

बीजेपी का विरोध

2016 में एआईएडीएमके और डीएमके के दो मोर्चों के अलावा,डीएमडीके,एमडीएमके,सीपीआई,सीपीआई(M),टीएमसी और वीसीके के साथ मक्कल नाला कूटनी (पीपुल्स वेलफ़ेयर अलायंस) नाम से एक तीसरा मोर्चा भी बना था। लेकिन, इस बार इस मोर्चे की पार्टियों ने आगामी चुनावों के लिए या तो द्रमुक या फिर अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन कर लिया है।

2019 के संसदीय चुनावों में एआईएडीएमके का भाजपा के साथ गठबंधन पीपुल्स वेलफ़ेयर अलायंस को विभाजित करने में निर्णायक साबित हुआ था। धर्मनिर्पेक्ष ताकतों-सीपीआई, सीपीआई (M), वीसीके और एमडीएमके ने तमिलनाडु में भाजपा के बढ़ते क़दम को रोकने के लिए डीएमके और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था,जबकि तमिल मनीला कांग्रेस और अभिनेता-विजयकांत की डीएमडीके ने एआईएडीएमके से गठबंधन किया था।

बीजेपी ने 2016 में इंडिया जननायग काची (IJK) के साथ चुनाव लड़ा था। लेकिन, इस बार आईजेके ने आगामी चुनावों के लिए अभिनेता, कमल हासन की मक्कल नीथी माइम (MNM) के साथ गठबंधन किया है। इससे एमएनएम की अगुवाई वाले शिविर के उस राजनीतिक झुकाव को लेकर सवाल उठता है, जो धीरे-धीरे आकार ले रहा है।

संसदीय चुनावों में आईएडीएमके और बीजेपी की सहयोगी देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम (DMDK) ने हाल ही में सीट की हिस्सेदारियों को लेकर कड़ा रुख अपनाया था।

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दल अगले तीन दिनों में नामांकन दाखिल करना शुरू कर देंगे। 12 मार्च से शुरू होने वाली यह नामांकन प्रक्रिया इस महीने की 19 तारीख़ तक चलेगी।

लेकिन, कौन सी पार्टी किस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ेगी और उनके उम्मीदवार कौन होंगे, इसे लेकर होने वाली चर्चा का रफ़्तार पकड़ना अभी बाक़ी है। इस पर अभी क़यास ही लगाया जा रहा है कि अलग-अलग राजनीतिक दल अपने-अपने सिंबल पर ही चुनाव लड़ेंगे या फिर डीएमके के उगते हुए सूरज और एआईएडीएमके के दो पत्तों वाले सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे।

 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

https://www.newsclick.in/TN-Assembly-Election-AIADMK-DMK-Alliances-Seat-Share-Deals-Reflect
 

Tamil Nadu Assembly Elections 2021
BJP-AIADMK Alliance
DMK
CPIM

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