NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
कैसे घाना को अमेरिका ने अपना गुलाम बना लिया?
‘साम्राज्यवाद’ को अगर पुरातनपंथी अवधारणा माना जाता है तो क्या कोई हमें समझा सकता है कि विकासशील देशों के निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के विदेशी ऋण पिछले एक दशक में क्यों बढ़ते गए हैं, और क्यों ये संसाधनों के धनी देश इस ऋण -जो अब 11 ट्रिलियन डॉलर से भी ऊपर जा चुका है- का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं?
ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
09 Oct 2020
जूडी सीडमैन
जूडी सीडमैन, साम्राज्यवाद यहाँ रुक जाता है, 2020। 

1965 में, घाना के प्रधान मंत्री क्वामे नक्रुमा ने एक साहसिक किताब ‘नियो-कलोनीयलिज़म: द लास्ट स्टेज ऑफ़ इम्पीरीयलिज़म’ प्रकाशित की थी। इस किताब में, नक्रुमा ने विस्तार से दिखाया था कि कैसे यूरोप और उत्तरी अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, अपनी सरकारों के सहयोग से अफ़्रीका के नये राष्ट्रों की आकांक्षाओं को दबाती हैं। इसके उदाहरण के रूप में, नक्रुमा ने अपने देश, घाना -जिसे 1957 तक इसके औपनिवेशिक नाम ‘द गोल्ड कोस्ट’ से जाना जाता था- की परिस्थितियों का विश्लेषण किया था।

पुरानी औपनिवेशिक कंपनियों में से एक, ऐशैंटी गोल्डफ़ील्ड्स (एक ब्रिटिश कंपनी) घाना के स्वर्ण खदानों के श्रमिकों के कठिन श्रम से शानदार मुनाफ़ा कमाती रही थी; और जब नक्रुमा की सरकार ने कंपनी पर लगने वाला टैक्स बढ़ाने की कोशिश की तो लंदन के अख़बारों ने इसके ख़िलाफ़ ज़बरदस्त ग़ुस्सा ज़ाहिर किया। नक्रुमा ने किताब में लिखा कि घाना के लोगों को सोने का ‘केवल नाममात्र प्रतिफल’ मिलता है, जबकि ऐशैंटी गोल्डफ़ील्ड्स के यूरोपीय शेयरधारकों के हिस्से में अत्यधिक लाभांश आता है। नक्रुमा ने लिखा, यही नियो-कलोनीयलिज़म (नव-उपनिवेशवाद) है।

image
माधुरी शुक्ला, साम्राज्यवादी हस्तक्षेप, यू एस ए। 

नक्रुमा की किताब में शामिल ‘ग़ैर-ज़िम्मेदाराना विश्लेषणों’ से नाराज़ संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने उन्हें सबक़ सिखाने का निश्चय किया और खाद्य आयात की लागत पूरी करने के लिए मिलने वाली अल्पकालिक सहायता के 30 करोड़ डॉलर देने से इनकार कर दिया। लेकिन नक्रुमा इससे परेशान नहीं हुए। उन्होंने हनोई (वियतनाम) जाकर हो ची मिन्ह से मिलने का फ़ैसला किया। उनकी इस यात्रा के दौरान, अमेरिकी सरकार की केंद्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी और ब्रिटिश ख़ुफ़िया एजेंसी (एमआई 6) की सहायता से घाना की सेना ने देश की सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया। और इसके साथ ही नक्रुमा के द्वारा देश को संप्रभु बनाने और अपनी जनता के लिए गरिमापूर्ण जीवन जीने की परिस्थितियों का निर्माण करने के लिए की जा रही कोशिशों को किनारे कर दिया गया।

देश की संपत्ति बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ लूटती रहीं। साम्राज्यवाद के भयावह अन्याय ने एक नया रूप ले लिया, घाना में जिसका प्रत्यक्ष औपनिवेशिक रूप 1957 में नक्रुमा के नेतृत्व में मिलने वाली आज़ादी के साथ पराजित हो गया था। साम्राज्यवादी शोषण के नये रूप को  नक्रुमा ने नव-उपनिवेशवाद का नाम दिया था। उनके अनुसार नव-उपनिवेशवाद का मतलब है ‘बिना उत्तरदायित्व की एक सत्ता’ और नव-उपनिवेशवाद द्वारा शोषित लोगों के लिए इसका मतलब है ऐसा ‘शोषण जिसकी कोई सुनवायी न हो’। यह सिद्धांत अब भी उसी तरह काम कर रहा है।

image

फेबियोला सांचेज़ क़िरोज़, ला विदा कोंत्रा एल इमपेरियालिस्मो (साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जीवन), मैक्सिको।

‘साम्राज्यवाद’ को एक पुरातनपंथी अवधारणा माना जाता है, और कहा जाता है कि ये हमारी मौजूदा दुनिया को समझने के लिए उपयोगी नहीं है। पर क्या कोई और अवधारणा हमें यह समझने में मदद कर सकती है कि विकासशील देशों के निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के विदेशी ऋण पिछले एक दशक में क्यों बढ़ते गए हैं, और क्यों ये संसाधनों के धनी देश इस ऋण -जो अब 11 ट्रिलियन डॉलर से भी ऊपर जा चुका है- का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं? अकेले कौंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के संसाधनों का कुल मूल्य कम-से-कम 24 ट्रिलियन डॉलर है। कौंगो में अफ़्रीका के आधे जल संसाधन और जंगल होने के बावजूद, देश के 5.1 करोड़ निवासी पीने योग्य पानी से वंचित हैं और इसका एक ही कारण है, अफ़्रीका का संरचनात्मक रूप से अल्पविकसित होना। इस साल की शुरुआत में आई UNCTAD की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि साल 2020-2021 में 2.7 ट्रिलियन से 3.4 ट्रिलियन डॉलर के बीच की रक़म ऋण भुगतान में जाएगी (एक अन्य अनुमान के अनुसार ऋण भुगतान की ऊपरी सीमा 3.9 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है, जिसमें से लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर मूलधन के भुगतान पर ख़र्च होगा)। ऋण निलंबित करना या रद्द करना उनकी योजना में शामिल नहीं है, क्योंकि इन क़र्ज़ों के माध्यम से ही सरकारों को नियंत्रण में रखा जा सकता है और बहुराष्ट्रीय निगमों व अमीर बॉन्डहोल्डर्स के द्वारा देशों का धन छीनना जारी रखा जा सकता है।

image
एमिलियानो की पुस्तक के कवर

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के बिउनोस आयर्स कार्यालय में एमिलीयानो लोपेज़ द्वारा हाल में संपादित किताब “द वीन्स ऑफ़ द साउथ आर स्टिल ओपन: डिबेट्स अराउंड इंपीरियलिज़म ऑफ़ आवर टाइम” मौजूदा समय के साम्राज्यवाद को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण किताब है; इसमें प्रभात पटनायक, उत्सा पटनायक, जॉन स्मिथ, ई. अहमत टोनाक, एटीलियो बोरोन और गेब्रियल मैरिनो के लेख शामिल हैं। यह किताब साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष के अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह की अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रिया के रूप में सामने आया है, जो 5 अक्टूबर को काराकास (वेनेजुएला) में सिमोन बोलिवर इंस्टीट्यूट और ट्राईकॉन्टिनेंटल द्वारा प्रायोजित एक संगोष्ठी के साथ शुरू हुआ और 10 अक्टूबर को साम्राज्यवाद विरोधी त्योहार के साथ इसकी समाप्ति होगी।

साम्राज्यवाद- विरोधी संघर्ष के अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह ने भविष्य का एक घोषणापत्र जारी किया है, जिसे हमने यहाँ आपके लिए शामिल किया है: 

image
वाचा, साम्राज्यवाद नहीं मिला, अर्जेंटीना। 

 भविष्य का घोषणापत्र 

हम भूखों का मुक़ाबला करने के लिए, साम्राज्यवादी अपनी बंदूक़ें उठा लेते हैं। साम्राज्यवादियों का सामना करने के लिए, हम भूखे हथियारबंद होकर आगे बढ़ते हैं।

मानव जाति आज तेज़ी से फैलने वाले एक अदृश्य वायरस की चपेट में है; लेकिन हम लंबे समय से बेरोज़गारी, भूख, नस्लवाद, पितृसत्ता, असमानता और युद्ध जैसे वायरसों से जूझ रहे हैं। ये वायरस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीक़े से प्रकट होते हैं तथा श्रमिकों, किसानों और सामाजिक असमानता के प्रभाव को हर रोज़ अनुभव करने वाले लोगों पर ख़ास हमला करते हैं। हालाँकि, मुट्ठी भर लोगों को इस तबाही से फ़ायदा होता है। 

पूँजीवादी व्यवस्था के पास इन संकटों का कोई हल नहीं है; इसकी नीतियाँ खोखली हैं। सबको घर और भोजन देने के तरीक़े खोजने की बजाय, पूँजीपति तबाही की विशाल मशीनरियाँ बनाते हैं। उनके पुलिस बल और उनकी सेना अमीर देशों में मज़दूरों और ग़रीब देशों में मज़दूरों व किसानों की ज़िंदगियाँ तबाह करने पर तुले हैं। यदि कोई ग़रीब देश अपनी संप्रभुता का प्रयोग करने की कोशिश करे, तो उसके ख़िलाफ़ सत्ता के सभी वित्तीय, राजनयिक और सैन्य शस्त्रगार इस्तेमाल किए जाते हैं। वो न केवल हथियारों के माध्यम से बल्कि विचारों के माध्यम से भी अपना वर्चस्व बनाए रखते हैं; हमें ये समझाने की कोशिशें की जाती हैं कि उनके विचार ही सही विचार हैं।

पूँजीवादी व्यवस्था के प्रबंधक फट से अपनी बंदूक़ें भरते हैं और तान देते हैं दूर से ही दिख रहे अपने विरोधियों की ओर। वे घुस आते हैं हमारी ज़मीनों में अपने टैंक लेकर और हमारे घरों पर क़ब्ज़ा कर लेते हैं। प्रकृति को तहस-नहस कर वे हमारी दुनिया नष्ट कर देते हैं। उनके लिए युद्ध भड़काना लोगों का पेट भरने से कहीं ज़्यादा आसान है। उनके लिए नस्लवाद और अंधराष्ट्रीयता का ज़हर फैलाना आसान है, बजाये ये स्वीकार करने के कि संकटों से घिरी हुई पूँजीवादी व्यवस्था महिलाओं द्वारा देखभाल के कामों में ख़र्च किए जाने वाले श्रम और बेहद ख़राब परिस्थितियों में काम करने को मजबूर खदान श्रमिकों और कारख़ाना मज़दूरों के श्रम पर टिकी हुई है।

दुनिया भर के जन-आंदोलनों के नेताओं ने भविष्य का घोषणापत्र पढ़ा। 

पृथ्वी जल रही है, नये नये वायरस उभर रहे हैं, पूरी दुनिया में भुखमरी तेज़ी से फैल रही है, लेकिन इन सब के बावजूद हम -इस दुनिया के अधिकांश लोग- एक बेहतर भविष्य की उम्मीद रखते हैं। हम उम्मीद करते हैं, मुनाफ़े और विशेषाधिकारों से मुक्त एक दुनिया की, पूँजीवाद और साम्राज्यवाद से मुक्त एक दुनिया की, जहाँ मानवता और ज़िंदगी के गीत गाए जाएँगे। हमारे दिल उनकी बंदूक़ों से बड़े हैं; हमारा प्यार और हमारे संघर्ष उनकी लालच और उनकी उदासीनता को हरा देंगे।

हमारे आंदोलनों ने कई बीज बोए हैं। ज़रूरत है कि हम उन्हें पानी दें, उनको सींचें और यह सुनिश्चित करें कि वे बीज खिलें और फलें। हम एक ऐसा भविष्य बनाएँगे जहाँ ज़िंदगी मुनाफ़े से ज़्यादा प्यारी हो। एक ऐसा भविष्य जो नस्लवादी युद्धों के बजाय लोगों के आपसी सहयोग का भविष्य होगा। एक ऐसा भविष्य जिसमें लोगों के बीच सामाजिक पदानुक्रम के भेदभावों की बजाये पारस्परिक गरिमा के रिश्ते होंगे।

अंधेरा होने पर ही हम तारे देख पाते हैं। और अब काफ़ी अंधेरा हो चुका है।
image
चू चून काई, अर्थव्यवस्था साझा करना, मलेशिया। 

इस न्यूज़लेटर में शामिल चित्र ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान द्वारा आयोजित साम्राज्यवाद-विरोधी पोस्टर प्रदर्शनी से लिए गए हैं। यह हमारी तीसरी प्रदर्शनी है, जिसका विषय था ‘साम्राज्यवाद’। इस प्रदर्शनी में छब्बीस देशों के तिरसठ कलाकारों ने हिस्सा लिया। हमारी पहली दो प्रदर्शनियों के विषय थे ‘नवउदारवाद’ और ‘पूँजीवाद’ और हमारी चौथी व अंतिम प्रदर्शनी का विषय होगा ‘हाइब्रिड युद्ध’।

image
चे कवर। 

9 अक्टूबर 1967 को बोलीविया में सीआईए के एजेंटों ने चे ग्वेरा की हत्या कर दी। उन्होंने उससे दो दिन पहले चे को पकड़ा था और -चे को जीवित रखने के आदेशों के बावजूद- उन्हें कहा गया था कि वे चे को मार डालें। साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष के अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह में लगभग बीस वाम प्रकाशकों ने मलयालम से लेकर स्पैनिश जैसी बीस भाषाओं में ‘चे’ के नाम से एक पुस्तक जारी की है। इस किताब में चे के दो प्रमुख लेख -क्यूबा में व्यक्ति तथा समाजवाद (1965) और, ट्राईकॉन्टिनेंटल के लिए संदेश (1967) दिए गए हैं। हवाना (क्यूबा) स्थित इंस्टीट्यूटो चे ग्वेरा की मारिया डेल कारमेन एरियेट गार्सिया ने इस किताब की प्रस्तावना लिखी है और किताब की भूमिका ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के वरिष्ठ फ़ेलो ऐजाज़ अहमद के द्वारा लिखी गई है। इस ईबुक को आप हमारे वेबसाइट से मुफ़्त में डाउनलोड कर सकते हैं।

जनवरी 1965 में चे ने घाना की यात्रा की। वहाँ उन्होंने क्यूबा, ​​लैटिन अमेरिका और 1961 में हुई कौंगो के नेता पैट्रिस लुमुम्बा की हत्या के बारे में बातचीत के सिलसिले में नक्रुमा से मुलाक़ात की। नक्रुमा और चे दोनों के दिमाग़ में कौंगो था; जब चे ने तंज़ानिया में सेनानियों की एक टुकड़ी बनाई, तो उसका नाम उन्होंने ‘पैट्रिस लुमुम्बा ब्रिगेड’ रखा। लुमुम्बा की हत्या -जिसमें बेल्जियम की ख़ुफ़िया एजेंसी और सीआईए का हाथ था- से नक्रुमा और चे दोनों आहत थे। एक साल बाद, सीआईए द्वारा समर्थित तख़्तापलट में नक्रुमा की सरकार हटा दी गई। इसके दो साल बाद, चे को सीआईए के गुंडों ने मार डाला। तीसरी दुनिया के अधिकांश देशों में संप्रभुता बढ़ाने की विभिन्न कोशिशों को कुचलने में सीआईए की कार्रवाइयों का प्रभाव दिखाई देता है। इस समय ज़रूरी है कि हम 9 अक्टूबर के दिन को सीआईए को समाप्त करने के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाएँ।

Ghana
ghana prime minister nukrama
numkarama book on America
America imperialistic approach

Related Stories

दुनिया में अंतर्निहित नस्लवाद और असहिष्णुता के मूल कारणों की पड़ताल

एसएमजी की पहली राष्ट्रीय कांग्रेस ने पैन-अफ़्रीकीवाद, साम्राज्यवाद-विरोधी और अंतर्राष्ट्रीयवाद का आह्वान किया

घाना में राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल के लिए अकुफो-एडो ने ली शपथ


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License