दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेन्ट एक्ट-1946 के तहत सन् 1963 में स्थापित सीबीआई और देश की अन्य जांच एजेंसियों को क्यों सरकारी नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए? एक सुसंगत लोकतंत्र के लिए इन संस्थाओं का स्वायत्त और लोकतांत्रिक ढांचे के प्रति जवाबदेह होना क्यों जरूरी है? भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना के शुक्रवार को दिये एक भाषण के संदर्भ में जांच एजेंसियों की मौजूदा स्थिति और अपेक्षित स्वरूप की चुनौतियों पर #HafteKiBaat में चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh.