NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
लव जिहाद की कपोल कल्पनाएं क्यों? साफ़-साफ़ कहो तुम स्त्रीद्रोही हो!
युवा सरकार चुन सकते हैं लेकिन अपना जीवनसाथी चुनने पर अब वैधानिक अंकुश लग रहे हैं। जिस देश में बड़ी संख्या युवाओं की हो, उस देश में ऐसा हो गया। आज मुझे खुद भी ऐसा लग रहा है कि युवा चुनने में गड़बड़ करते हैं। लेकिन जीवनसाथी नहीं बल्कि सरकार।
राज कुमार
25 Nov 2020
लव जिहाद की कपोल कल्पनाएं क्यों? साफ़-साफ़ कहो तुम स्त्रीद्रोही हो!

तो लव जिहाद के मामले में योगी जी ने मध्य प्रदेश से बाजी मार ली है। भला योगी जी के होते हुए ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई और प्रदेश लव जिहाद पर पहले कानून बना दे। इसलिये आध्यादेश लाइये और मामला खत्म कीजिये। कंपीटिशन तो कंपीटिशन ही होता है चाहे अपने ही लोगों से क्यों ना हो।

लव जिहाद के बारे में नैरेटिव ये रचा गया कि मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को एक साज़िश के तहत प्यार के झांसे में फंसा लेते हैं और बाद में उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं। हालांकि इस बात की पुष्टि करने के लिए कोई तथ्य, आंकड़े और साक्ष्य नहीं है। बल्कि उल्टे इस संदर्भ में बनी एसआईटी और कोर्ट आदि का अब तक यही मानना है कि लव जिहाद जैसी कोई समस्या नहीं है। लेकिन साक्ष्य, तथ्य और संविधान किस खेत की मूली हैं। जब लाठी अपनी है तो भैंस किसी की भी हो, क्या फर्क पड़ता है। सिर्फ उस संविधान को ही लाठी से नहीं हांका जा रहा है, जो बालिग लड़के-लड़कियों को अपनी मर्ज़ी से अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार देता है। बल्कि हिंदू लड़कियों को को भी लाठी से रेवड़ की तरह हांक दिया गया है।

धर्म और परिवार की इज्जत की दुहाई देने वाले प्रौढ, प्रतिष्ठित, सवर्ण, पुरुष आमतौर पर युवाओं को और खासतौर पर लड़कियों को इस लायक ही नहीं मानते कि वो अपना जीवनसाथी खुद चुन सकती हैं। अपने भले-बुरे के बारे में सोच सकती हैं। ये युवा सरकार चुन सकते हैं लेकिन अपना जीवनसाथी चुनने पर अब वैधानिक अंकुश लग रहे हैं। जिस देश में बड़ी संख्या युवाओं की हो, उस देश में ऐसा हो गया। आज मुझे खुद भी ऐसा लग रहा है कि युवा चुनने में गड़बड़ करते हैं। लेकिन जीवनसाथी नहीं बल्कि सरकार।

पितृसत्तावादी भारत देश में ऐसे अनेकों मुहावरे और लोकोक्तियां हैं जो मानती हैं कि औरतों में दिमाग नहीं होता। कहावत हैं कि “औरतों की बुद्धि गुद्दी के नीचे होती है।” कई धर्मग्रंथों में लिखा है औरत को कभी भी स्वतंत्र नहीं होने देना चाहिये। इस तरह की दकियानूसी सोच के सामने लड़कियों के साथ संविधान खड़ा हुआ। जिसने राज्य और कानून को भी बाध्य किया। लेकिन उस वक्त क्या हो जब राज्य खुद वैधानिक और औपचारिक तौर पर इस दकियानूसी मानसिकता से संचालित होने लगे।

दबंग छवि वाले योगी लव जिहाद पर हिंदू लड़कियों को बुद्धिहीन बताकर, इस जुमले के पीछे क्यों छिप रहे हैं। लव जिहाद की कपोल कल्पनाएं क्यों। खुलकर क्यों नहीं कहते कि ये कानून उनके हिंदूवादी एजेंडा का हिस्सा है। खुलकर क्यों नहीं कहते इसके पीछे मुस्लिम द्वेष है। खुलकर क्यों नहीं कहते कि हम प्रेम के खिलाफ है। खुलकर क्यों नहीं कहते कि हिंदू राष्ट्र में लड़कियों की राय कोई मायने नहीं रखती। खुलकर क्यों नहीं कहते हम स्त्री शरीर को एक संपत्ति समझते हैं और सारी इज्जत स्त्री योनि में रखी है। खुलकर क्यों नहीं कहते कि लड़कियों! चलो अब घर की चार दिवारी में वापसी करो।

 (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।) 

 

love jihad
anti woman
UP
yogi sarkar
BJP
RSS

Related Stories

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

त्वरित टिप्पणी: जनता के मुद्दों पर राजनीति करना और जीतना होता जा रहा है मुश्किल


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License