NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
महिला-सुरक्षा का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक चर्चा क्यों बनकर रह जाता है?
बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 और फिर 2019 का लोकसभा चुनाव जिन मुद्दों पर लड़ा, उनमें महिला-सुरक्षा एक अहम मुद्दा था। पार्टी ने अपने मैनिफ़ेस्टो में और प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में कई वायदे किए। हालांकि अब लगभग सात साल का समय बीत जाने के बाद भी वो वादे हक़ीकत नहीं बन सके।
सोनिया यादव
05 Aug 2021
महिला-सुरक्षा का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक चर्चा क्यों बनकर रह जाता है?
Image courtesy : SheThePeople

राजधानी दिल्ली की सड़कों पर जिस समय 9 साल की दलित बच्ची के इंसाफ के लिए संघर्ष चल रहा था, ठीक उसी समय देश की संसद में सरकार महिलाओं के साथ हो रहे दुष्कर्म के चौकाने वाले आंकड़ें प्रस्तुत कर रही थी। केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार, 5 अगस्त को राज्यसभा के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देश में साल 2015 से 2019 के बीच बलात्कार के 1.71 लाख मामले दर्ज किए गए। इस जघन्य अपराध के सर्वाधिक मामले मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए हैं।

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की शिवराज सरकार है तो वहीं उत्तर प्रदेश में न्यूनतन अपराध का दावा करने वाली योगी सरकार। दोनों ही राज्यों में सरकारें बदली लेकिन हालात बद से बदतर हो गए। राजस्थान में भी वसुंधरा राजे सरकार के जाने के बाद कांग्रेस ने सत्ता संभाली लेकिन उनके शासन-प्रशान की कहानी भी इससे अलग नहीं रही। यूं कहें कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले में कांग्रेस शेर है तो बीजेपी सवा शेर या ठीक इससे उलट भी कहा जा सकता है।

दुष्कर्म के मामले में मध्यप्रदेश सबसे आगे!

बलात्कार के मामलों में बीते कई सालों से मध्य प्रदेश टॉप सूची में शामिल है। वहीं नाबालिग़ दलित लड़कियों के मामलों में भी इसका स्थान पहला है। ऐसे में सीएम शिवराज और उनकी कानून व्यवस्था पर सवाल उठना लाज़मी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 से 2019 के बीच मध्यप्रदेश में बलात्कार के 22,753 मामले दर्ज किए गए। लेकिन ये सिर्फ वो मामले हैं जो रिपोर्ट हुए, थाने तक पहुंचे। जानकार मानते हैं कि इसके अलावा एक बड़ी संख्या उन मामलों की भी है जो कभी रिपोर्ट ही नहीं होते। समाज, इज्जत या डर के चलते घर के भीतर ही दबा दिए जाते हैं।

एनसीआरबी यानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की “भारत में अपराध -2019" रिपोर्ट बताती है कि दलित बच्चियों से रेप, छेड़छाड़ के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले नंबर पर है। इस साल राज्य में दलित बच्चियों के साथ रेप की 214 घटनाएं दर्ज हुई हैँ।

वहीं एनसीआरबी के अनुसार वर्ष 2018 के आकड़ों के मुताबिक़ प्रदेश में बलात्कार के 6,480 मामले दर्ज हुए थे जिनमें से 3,887 नाबालिग़ लड़कियों के थे। इनमें से छह साल से कम उम्र की 54 बच्चियां, छह से 12 साल की 142 बच्चियां, 12 से 16 साल की उम्र की 1,143 बालिकाएं और 16 से 18 साल की 1,502 लड़कियां शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में देशभर में बलात्कार के मामलों में मध्य प्रदेश सबसे आगे रहा। इसके बाद राजस्थान 4,335 घटनाओं के साथ दूसरे और उत्तर प्रदेश इस तरह की 3,946 घृणित घटनाओं के साथ तीसरे स्थान पर रहा।

महिला सुरक्षा के मामले में एक सेर तो दूसरा सवा सेर!

वैसे राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं। जब कोई पार्टी विपक्ष में होती है तो तमाम अपराधों को लेकर सरकार पर हमलावर होती है। साथ ही जनता से सब ठीक कर देने के बड़े-बड़े वादेे करती है, लेकिन जैसे ही विपक्ष से सरकार में शामिल हो जाती है तो सब भूल जाती है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस की गहलोत सरकार का भी यही हाल है। बीजेपी शासित राज्यों में हो रहे अपराधों पर उंगली उठाने में तेज़ कांग्रेस अपने घर में झांकना भूल जाती है। सरकारी जानकारी के मुताबिक साल 2015 से 2019 के बीच राजस्थान में 20,937 बलात्कार के मामले दर्ज हुए लेकिन सरकार लगातार अच्छी कानून व्यवस्था का ढ़ोल पीटती रही।

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में रोजाना 16 दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं। जिसमें 4 नाबालिग लड़कियों के साथ हो रहे अपराध भी शामिल हैं। राजस्थान में साल 2019 में 5997 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए है, जिसमें 1313 नाबालिग बच्चियों के खिलाफ हुए अपराध दर्ज हुए हैं। हालांकि स्थानिय कार्यकर्ताओं के मुताबिक ये वो मामले हैं जहां महिलाएं बड़ी मुश्किल से घर से बाहर निकलकर पुलिस के पास शिकायत देने पहुंचती हैं, लेकिन कई बार पुलिस की ओर से मामले दर्ज ही नहीं किये जाते। जिसके बाद महिला को परेशान होकर कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं. कोर्ट की दखल के बाद थानों में मुकदमे दर्ज होते हैं।

'रामराज्य' में भी महिलाएं असुरक्षित!

यूं तो पूरे देश में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं लेकिन टॉप सूची में शामिल 'उत्तम प्रदेश' यानी 'रामराज्य' वाले उत्तर प्रदेश की तस्वीर कुछ अलग ही है। यहां शासन- प्रशासन कम अपराध के दावे करता है लेकिन खुद सरकारी आंकड़ें ही महिला सुरक्षा की पाल खोल देते हैं। मोदी सरकार के मुताबिक उत्तर प्रदेश में साल 2015 से 2019 के बीच 19,098 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप राज्यों में शामिल है। ब्यूरो की बीते साल जनवरी में आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध पूरे देश में सबसे ज़्यादा हैं। पुलिस हर दो घंटे में बलात्कार का एक मामला दर्ज करती है, जबकि राज्य में हर 90 मिनट में एक बच्ची के ख़िलाफ़ अपराध की सूचना दी जाती है।

देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए। यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8%। हालांकि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से कम रहा है। साल 2019 में इस मामले में देश का कुल औसत 62.4 फ़ीसद दर्ज किया गया जबकि उत्‍तर प्रदेश में यह 55.4 फ़ीसद ही रहा।

इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप के 43,22 केस हुए। यानी हर दिन 11 से 12 रेप केस दर्ज हुए। खास बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं। इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी। एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

महिला-सुरक्षा का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक चर्चा!

महिलाओं की सुरक्षा को अपनी वरीयता बताने वाले सीएम योगी न्यूज़ चैनलों के इंटरव्यू देते समय सूबे में 'न्यूनतम अपराध' की बातें करते हैं और दूसरी ओर विधानसभा और संसद पेश आँकड़े अलग ही कहानी कहते हैं।

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 और फिर 2019 का लोकसभा चुनाव जिन मुद्दों पर लड़ा, उनमें महिला-सुरक्षा एक अहम मुद्दा था। पार्टी ने अपने मैनिफ़ेस्टो में और प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में कई वायदे किए। हालांकि अब लगभग सात साल का समय बीत जाने के बाद भी वो वादे हक़ीकत नहीं बन सके। सड़क से सदन तक आज भी महिलाओं का शारीरिक और मानसिक शोषण जारी है, जिस पर सरकार को कागजी दावे नहीं, जमीन पर काम करना होगा।

crimes against women
violence against women
women safety
Women safety and security
patriarchal society
Gender Based Discrimination
Gender based violence

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

एमपी ग़ज़ब है: अब दहेज ग़ैर क़ानूनी और वर्जित शब्द नहीं रह गया

चंदौली पहुंचे अखिलेश, बोले- निशा यादव का क़त्ल करने वाले ख़ाकी वालों पर कब चलेगा बुलडोज़र?

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

नये भारत के नये विकास का मॉडल; तीन दिन में 14 सीवर मौतें, नफ़रत को खुला छोड़ा

यूपी से लेकर बिहार तक महिलाओं के शोषण-उत्पीड़न की एक सी कहानी

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License