NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
क्यों भारत और चीन में युद्ध की बात बेतुकी है?
दो मजबूत देश अगर एक-दूसरे के पड़ोसी हैं तो सरहदों पर तनाव भले हो जाए लेकिन युद्ध की संभावना बहुत कम होती है। दुनिया के मजबूत देशों के आपसी संघर्ष का तौर-तरीका बदल चुका है। आज की तारीख़ में भारत और चीन दोनों ही मजबूत और परिपक्व देश हैं और इन्हें अपने मसले सुलझाने के लिए अमेरिका जैसे तीसरे देश की भी जरूरत नहीं है।
अजय कुमार
29 May 2020
भारत और चीन में युद्ध की बात
Image courtesy: Twitter

दो मजबूत देश अगर एक-दूसरे के पड़ोसी हैं तो सरहदों पर तनाव भले हो जाए लेकिन युद्ध की संभावना बहुत कम होती है। दुनिया के मजबूत देशों के आपसी संघर्ष का तौर-तरीका बदल चुका है। 21वीं सदी की वैश्वीकृत दुनिया के मजबूत देश हर दिन लड़ते हैं लेकिन यहां हथियार का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यहाँ लड़ाइयां आर्थिक क्षेत्र में लड़ी जाती हैं। जैसे भारत ने चीन के विदेशी निवेश को रोक दिया क्योंकि भारत को यह डर लगा कि चीन अपने अकूत पैसे से कोरोना के दौर में भारत के कमजोर होती कंपनियों पर कब्ज़ा जमा सकता है। इसलिए अगर भारत और चीन के बीच सरहदों पर तनाव बढ़ता है तो इसका मतलब यह भी है कि तनाव के तार दूसरे विषयों से भी जुड़े हों। सरहदें केवल उस तनाव को जाहिर करने का एक जरिया मात्र हों।

भारत और चीन की सीमा पर तनाव की खबरें आजकल रोज अख़बारों में छप रही हैं। इन ख़बरों को सही से समझने के लिए आइये पहले हम भारत और चीन की सीमा को समझते हैं। इसके लिए सबसे पहले आप भारत और चीन के मैप को एक साथ देखिये। आप देख पाएंगे कि भारत का पूर्वी और चीन की पश्चिमी सीमा एक-दूसरे से लगी हुई हैं। इसकी लम्बाई तकरीबन 3488 किलोमीटर हैं। यानी यह सीमा भारत के उत्तर और दक्षिण छोर के बीचोंबीच खींची जाने वाली तकरीबन 3214 किलोमीटर की लम्बाई से भी बड़ी है। इसलिए सहूलियत के हिसाब से भारत और चीन के बीच की सीमा को तीन सेक्टर में बांटा जाता है।  

1570 किलोमीटर का पश्चिमी सेक्टर, 545 किलोमीटर का सेंट्रल सेक्टर और 1325 किलोमीटर का पूर्वी सेक्टर। भारत का सबसे उत्तरी छोर यानी जम्मू-कश्मीर के ऊपरी सीमा के पश्चिमी हिस्से में आक्साई चीन का इलाका है। चीन ने गैरक़ानूनी तौर पर साल 1950 में इसपर अपना हक़ जता दिया था। भारत इस पर अपना विरोध जताता रहा है।

अक्साई चीन के पश्चिम में गिलगित बाल्टिस्तान का इलाका पड़ता है, जिस पर गैरकानूनी तौर पर पाकिस्तान ने अपना हक़ जता रखा है। यहीं लद्दाख की सबसे उत्तरी सीमा पर सक्षम घाटी है। इस पर पाकिस्तान ने गैरक़ानूनी तौर से साल 1950 से कब्ज़ा कर रखा था। साल 1963 में इस घाटी को पाकिस्तान ने पट्टे पर चीन को सौंप दिया। यहां पर पाकिस्तान और चीन को जोड़ने वाली सड़क बन चुकी है। चीन और पाकिस्तान ने इसके जरिये कई सारे प्रोजेक्ट को अंजाम दिया है और अभी हाल-फिलहाल चीन और पाकिस्तान यहाँ पर इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने पर काम कर रहे हैं।

इस जानकारी को साझा करने का मतलब यह है कि आप समझ पाएं कि भारत की सबसे उत्तरी सीमा पर चीन और पाकिस्तान की बहुत मजबूत स्थिति है, जो स्ट्रैटेजिक और डिप्लोमेटिक तौर पर भारत को कमजोर करती है। पाकिस्तान के साथ लगने वाली भारत की सीमा लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) कही जाती है और चीन के साथ लगने वाली सीमा लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) कही जाती  है।  

अक्साई चीन के इलाके में कई बार भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर तनातनी होती आई है। इसी कड़ी में पिछले हफ्ते पूर्वी लद्दाख़ की पैंगोंग त्सो झील के आसपास भारत और चीन की सीमा पर मौजूद सेनाओं के बीच तनातनी देखी गयी। भारत और चीन के सीमा के सेंट्रल सेक्टर में उत्तराखड, हिमाचल प्रदेश और तिब्बत का इलाका पड़ता है। चूँकि बॉर्डर होते तो ज़मीन पर हैं लेकिन उनका ख़ाका काग़ज़ों पर तैयार किया जाता है। इसलिए ज़मीन से जुड़े पड़ोसी देशों के बीच अस्पष्ट सीमा की सम्भावना हमेशा बनी रहती है। इसलिए भारत और चीन के सेंट्रल और पूर्वी सेक्टर से जुड़े सीमा विवाद बने रहते हैं। यहाँ सीमाएं पूरी तरह अस्पष्ट हैं और तनाव का महौल जब मर्जी तब शुरू किया जा सकता है। पूर्वी सेक्टर में भारत का सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के इलाके के साथ चीन के अंदर वाले तिब्बत का पश्चिमी छोर और भूटान का पश्चिमी छोर आता है। नाथुला दर्रा सिक्किम तिब्बत और चीन की सीमा जुड़ा है। भारत और चीन के बीच विवाद का एक मुख्य इलाका है।

इस पूरी पृष्ठभूमि में सबसे जरूरी बात यह है कि भारत और चीन के बीच की सीमा मैकमोहन लाइन कहलाती है। साल 1914 में भारत के विदेश सचिव हेनरी मैकमोहन और तिब्बत के राजशाही के बीच आपसी साझेदारी के बाद मैकमोहन लाइन निकली थी। जिसमें चीन कभी भी भागीदार नहीं रहा। इसलिए भारत चीन के कब्जे को भले ही गैरक़ानूनी कहे लेकिन चीन के लिए यह क़ानूनी और गैरक़ानूनी का मसला ही नहीं है। चीन को अपने नजरिये से जो सही लगता है वह उसे चीन और भारत के बीच की सीमा मानता है। इसलिए चीन ने साल 1950 के बाद अक्साई चीन का इलाका हथिया लिया। अरुणांचल पर अपना दावा कभी न छोड़ा। भारत और चीन के बीच तिब्बत का मसला रहा, तनाव लम्बा खिंचा। इन्ही सब वजहों से साल 1962 का युद्ध हुआ। जिसमें भारत को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी।  

लेकिन साल 1962 से लेकर 2020 एक लम्बा समय और सफ़र है। इस दौरान भारत और चीन ने सीमा विवाद सुलझाने की कई पहल कीं। सीमा विवाद तो नहीं सुलझा लेकिन इन दोनों देशों के बीच ऐसी समझदारियाँ ज़रूर बनीं, जिससे कभी भी अगर सीमा को लेकर तनाव हो तो उससे आसानी से निपट लिया जाए। साल 1993 के नरसिम्हा राव के ज़माने में  भारत और चीन के सीमा विवाद को सुलझाने के लिए पीस एंड ट्रांक्विलिटी यानी शांति और शांतिचितत्ता से एक दूसरे के साथ सीमा विवाद के समय बातचीत करने का एक महत्वपूर्ण एग्रीमैंट बना। इसके बाद साल 2001 में दोनों देशों ने लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के निर्धारण के लिए एक दूसरे के साथ अपने मानचित्रों की अदला-बदली की। कहने का मतलब यह है कि भारत और चीन ने साल 1962 के बाद दो परिपक्व और मजबूतों देशों की तरह सीमा विवाद पर समझदारी से काम लिया है। और ऐसा तंत्र बनाया है कि सीमाओं पर अगर झड़पें दिखीं भी तो वह बहुत बड़ा विवाद न बन पाए।  

ग्लेशियरों, पहाड़ों, नदियों, पथरीली जमीनों से पटी पड़ी भारत और चीन की सीमा पर सेना की तैनाती हमेशा रहती हैं। इन इलाकों में दोनों देश अपनी-अपनी तरह इंफ़्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहे हैं। चूँकि यह इंफ़्रास्ट्रक्चर ऐसी सीमा पर डेवलप किये जा रहे हैं, जो अस्पष्ट है। इसलिए चीन सीमा के इलाके में कुछ मजबूत इंफ़्रास्ट्रक्चर बनाता है तो भारत डरता है और अगर भारत कुछ मजबूत इंफ़्रास्ट्रक्चर बनाता है तो चीन डरता है और दोनों का एक-दूसरे के प्रति आक्रामक रवैया शुरू हो जाता है। इसे एक लाइन में ऐसे समझिये कि भारत और चीन की सीमा पर सड़क बनने का मतलब आम लोगों की जिंदगी में आसानी के साथ यह भी है कि दोनों देश सड़क का इस्तेमाल कर सैनिकों की आवाजाही को बढ़ाएंगे। आसानी से मिलट्री माहौल  बनाकर एक-दूसरे पर ख़तरा बने रहेंगे।

हालांकि इसका मतलब यह नहीं है चीन और भारत के बीच लड़ाइयां नहीं होती है। हर दिन लड़ाइयां होती है, हर दिन संघर्ष बना रहता है लेकिन रणनीतिक और राजनयिक संघर्ष के रूप में। वैश्वकृत होती दुनिया में ऐसे संघर्ष और तीखे होते जा रहे हैं। चीन और पाकिस्तान की नजदीकियां भारत के लिए रणनीतिक तौर पर हमेशा चुनौती प्रस्तुत करती हैं। बिल्कुल ऐसा ही तीखा संघर्ष चीन, भारत और पूर्वी एशिया के बीच चलता रहता है। कहने का मतलब यह है कि भू-रणनीतिक यानी जियो स्ट्रैटेजी की दुनिया में संघर्ष तो हमेशा चल रहा है लेकिन इन संघर्षों के युद्ध में बदलने की सम्भावना बहुत कम होती है। यह पूरी पृष्ठभूमि इसलिए बताई गयी ताकि मेनस्ट्रीम मीडिया के हर दिन के भारत और चीन के बीच युद्ध करवाने के उन्माद से खुद को दूर रखा जाए।

हालिया सीमा विवाद पर रक्षा मामलों के जानकार अजय शुक्ला अपने ब्लॉग पर लिखते हैं कि चीन ने 5000 सैनिको के साथ गलवान नाला एरिया को पार किया। यही बात चौंकाने वाली है कि चीन गलवान एरिया को पार किया जिसे वह अपना हिस्सा नहीं मानता है। इस आक्रामक रवैये पीछे जरूर कोई मकसद है। यह मकसद हो सकता है कि भारत चीन पर लगाए प्रतिबधों को हटा दे या यह हो सकता है कि भारत कोरोना के समय में लगने वाले आरोपों पर चीन के पक्ष में खड़ा रहे या और भी कुछ हो सकता है जिसके बारे में हमें जानकारी नहीं है। मेरा मानना है कि ऐसी सीमा पर हो रही ऐसी तनाव की जानकारियां किसी भी तरह बाहर नहीं आना चाहिए। ऐसी जानकारियों के बाहर आने से पब्लिक प्रेशर बनता है। भारत और चीन सक्षम हैं कि आपसी डिप्लोमेसी और लेन-देन में ऐसे तनाव को निपटा ले।  

एडम नी चीन के फॉरेन पॉलिसी के रिसर्चर हैं। एडम ने अलजजीरा से बात करते हुए कहा कि हाल फिलाहल चीन और भारत के बीच युद्ध की सम्भवना पूरी तरह से बेतुकी है। चीन कोरोना से बहुत अधिक परेशान है। इस समय चीन की घरेलू परेशानियां बहुत अधिक हैं। लोगों में अपने भविष्य को लेकर एक तरह का असंतोष उमड़ा हुआ है। ऐसे में चीन किसी भी तरह के तनाव या युद्ध की पहल करने की तरफ नहीं बढ़ेगा। यह किसी भी के लिए निराशाजनक कदम हैं।

अंत में यह बात समझ लीजिये कि भारत के लिए चीन कोई पाकिस्तान सरीखा कमजोर देश नहीं है और चीन के लिए भारत भी कोई कमजोर देश नहीं है। इसलिए शक्ति संतुलन का पलड़ा थोड़े-बहुत कमी-बेशी के साथ काम करता है। न ही भारत पाकिस्तान की तरह चीन पर बहुत अधिक हावी और न ही चीन भारत पर किसी कमजोर देश की तरह हावी हो सकता है। यह दोनों देश अपने मसले सुलझाने के लिए परिपक्व देश हैं। इन्हें अपने मसले सुलझाने के लिए अमेरिका जैसे तीसरे देश की जरूरत नहीं है। इसलिए ताज़ा ख़बर यह है कि चीन ने कहा कि भारतीय सीमा पर स्थिति पूरी तरह से स्थिर और नियंत्रण में है। दोनों देशों के पास आपसी बातचीत के जरिए ऐसे मुद्दों को हल करने का तंत्र मौजूद है। और वे इसे सुलझा लेंगे। 

India
China
indo-china
India China Boarder
Boarder Issue

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध

वर्ष 2030 तक हार्ट अटैक से सबसे ज़्यादा मौत भारत में होगी

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार

वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ

प्रेस फ्रीडम सूचकांक में भारत 150वे स्थान पर क्यों पहुंचा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License