NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
भारत
राजनीति
फैक्टरी की छत गिरने से मजदूर की मौत, जिम्मेदारी से भागते नगर निगम और दिल्ली सरकार  
स्थानीय लोगों का कहना है कि फैक्टरी काफी पुरानी है और उसकी हालत भी बहुत खराब है। ऐसे में ये संभव है कि लगातार दो दिनों से हो रही बारिश के कारण छत गिर गई हो।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 Aug 2021
फैक्टरी की छत गिरने से मजदूर की मौत, जिम्मेदारी से भागते नगर निगम और दिल्ली सरकार  
फ़ोटो साभार: अमर उजाला

दिल्ली के उत्तर-पश्चिम जिले के वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक दर्दनाक हादसा हुआ है। जिसमें एक मज़दूर की मौत हो गई। यह हादसा देर शाम बर्तन पॉलिश करने की फैक्टरी में हुआ जहां छत का हिस्सा गिरने से एक मजदूर की दबकर मौत हो गई। मृतक की पहचान 22 वर्षीय सोनू के रूप में हुई है।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक वो फैक्टरी में ही नहा रहा था। उसी दौरान यह दर्दनाक हादसा हो गया।

इस घटना के बाद से मज़दूर संगठनों में भारी गुस्सा है। सभी ट्रेड यूनियनों ने एक स्वर में दिल्ली में मज़दूरों की हो रही मौतों को दुर्घटना नहीं हत्या कहा है। सभी ने एक सवाल बार-बार पूछा कि कब तक और कितने मज़दूरों की मौते होगी?

क्या है मामला

जानकारी के मुताबिक वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में सी-60/2 में हरीश कोहली नामक शख्स की बर्तन पॉलिश करने की फैक्टरी है। सोनू इसी फैक्टरी में काम करने के अलावा यहीं पर रहता भी था।

वहां मौजूद स्थानीय लोगों (जो हादसे के समय वहीं मौजूद थे) ने कहा है कि फैक्टरी काफी पुरानी है और उसकी हालत भी बहुत खराब है। ऐसे में ये संभव है कि लगातार दो दिनों से हो रही बारिश के कारण टैरिस गिर गया हो।

उन्होंने बताया वो सभी छत गिरने की आवाज सुनकर मौके पर पहुंचे और इस तुरंत घटना की सूचना पीसीआर व दमकल विभाग को दी। सूचना के बाद मौके पर अशोक विहार थाने की पुलिस पहुंच गई। इस बीच लोगों ने खुद ही मलबे को हटाने का काम शुरू कर दिया और उसमें दबे श्रमिक को बाहर निकाला। लेकिन मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

पुलिस ने मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल में रखवा दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।

इस घटना के बाद वहां आम आदमी पार्टी के स्थानीय पार्षद विकास गोयल पहुंचे और उन्होंने पूरी घटना के लिए नगर निगम शासित बीजेपी को इसका जिम्मेदार बताया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये हादसा दर्दनाक है। इसकी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों को सज़ा मिलनी चाहिए।

गोयल ने कहा इस तरह के हादसों के लिए सीधे तौर पर भ्रष्ट नगर निगम जिम्मेदार है। लेकिन सवाल वही कि क्या इन हादसों के लिए सिर्फ नगर निगम जिम्मेदार है। क्या दिल्ली सरकार के अधीन काम करने वाले श्रम विभाग की कोई जिम्मेदारी नहीं है? इन सवालों पर आम आदमी पार्टी और उनके नेता चुप्पी साध लेते हैं।

मज़दूर संगठनों ने बताया सरकारी लापरवाही

दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन के सचिव सन्नी जो कल रात से ही घटनास्थल पर मौजूद थे। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि ये कोई एक घटना नहीं है बल्कि आए दिन होने वाली घटनाओं में से एक है। इसी तरह मज़दूर हादसों का शिकार हो रहे हैं।

उन्होंने बताया दिल्ली में जितनी भी छोटी फैक्ट्रियां हैं वहां मज़दूरों की सुरक्षा के लिए कोई इंतेज़ाम नहीं हैं और वो लगातार ख़तरनाक माहौल में काम करने के लिए मज़बूर हैं। सरकार ने भी इन फैक्ट्री मालिकों को मुनाफ़े की खुली छूट दी हुई है।

सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के दिल्ली राज्य सचिव और दिल्ली विश्विद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर सिद्धेश्वर शुक्ला जिन्होंने दिल्ली में हो रही इन घटनाओं को लेकर शोध किया है, उन्होंने बताया कि दिल्ली की फैक्ट्रियों में इस तरह के हादसे पहले भी होते रहें हैं। कहीं मज़दूरों की मौत आग लगने, कहीं बिल्डिंग के ढहने से, तो कहीं बिना सुरक्षा के मशीनों पर काम करने से होती रही हैं।

प्रोफेसर सिद्धेश्वर शुक्ला ने आगे कहा ‘’लेकिन दिल्ली सरकार, केंद्र और निगम की सरकारों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया है। हम सालों से कह रहे हैं कि दिल्ली की फैक्ट्रियां खतरनाक हो रही हैं। बवाना में जब जनवरी 2018 में एक दर्दनाक घटना हुई, इसके बाद विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने मिलकर इस तरह की घटना को लेकर शोध किया और इस पर डॉक्यूमेंट्री बनाई, जिसका नाम एग्जिट गेट था।

सिद्धश्वेर आगे कहते हैं ‘’जब इस फ़िल्म के लिए शोध कर रहे थे तो हमने कई केस स्टडी कीं, जिसमें कई गंभीर चूक सामने आईं थीं। रिपोर्ट हमने सरकार को भी सौंपी थी परन्तु उन्होंने कुछ नहीं किया क्योंकि इनकी नज़रों में मज़दूर की जान बहुत सस्ती है।’’

आपको बता दें कि इस स्टडी में जो मुख्य बातें सामने आईं थीं कि सबसे पहले तो सरकार और प्रशासन साइट मैपिंग में ही गलती करते हैं। मज़दूरों और फैक्ट्री की संख्या जगह से अधिक है। दूसरा इसके बाद लेबर इंस्पेक्टर द्वारा फैक्ट्री के लाइसेंस देने में धांधली की जाती है, बिना किसी जाँच के ही लाइसेंस दे दिए जाते हैं। इसके बाद दिल्ली में सरकारी संस्थानों के बीच आपस में समन्वय न होने के कारण भी समस्या और भी गंभीर है।

सिद्धेश्वर ने कहा कि इन मौतों को रोका जा सकता था, अगर ठीक से नियम कानूनों का पालन किया जाए। 

ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (ऐक्टू) के दिल्ली राज्य सचिव अभिषेक ने कहा कि मामले में बीजेपी और आप में कोई भी अंतर नहीं है। इन हादसों को रोकने की ज़िम्मेदारी प्राथमिक तौर पर बीजेपी शासित निगम की है क्योंकि वो ही बिल्डिंगों की जाँच करके एनओसी देती है, परन्तु दिल्ली सरकार भी मज़दूर की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है। मज़दूर जहाँ काम करता है वो सुरक्षित है या नहीं इसकी लगातार जांच करना दिल्ली सरकार का काम है, लेकिन सरकार दिल्ली में न्यनतम सुरक्षा या श्रम कानून लागू नहीं कर पा रही है।

जबकि ट्रेड यूनियनों की लंबे समय से मांग है कि श्रम कानूनों को लागू करके मज़दूरों की सुरक्षा का इंतजाम किये जाएं।

अभिषेक ने साफतौर पर कहा ये हादसा सरकार की लापरवाही से हुआ है क्योंकि बारिश तो हर साल होती है। लेकिन फैक्ट्री की जाँच करना कि वो कितनी सुरक्षित है ये काम सरकार का है जो वो नहीं कर रही है उसकी नतीज़ा है कि दिल्ली में लगातार मज़दूर की मौत हो रही है।

आपको बता दें कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की सामाजिक, सामान्य और आर्थिक क्षेत्रों (गैर-सार्वजनिक उपक्रम) पर एक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार असंगठित क्षेत्र में दुकानों और कारखानों के व्यापक डेटाबेस को बनाए रखने में पूरी तरह से विफल रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि "इस तरह के डेटा की अनुपस्थिति में विभाग ने, न तो एक व्यापक कार्य योजना तैयार की और न ही समय-समय पर निरीक्षण करने के लिए वार्षिक लक्ष्य निर्धारित किए जो विभिन्न कार्यों के तहत श्रमिकों के वैध हितों, कल्याण और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में उनके प्रयासों को सुविधाजनक बनाएंगे।"

श्रम डेटा की कमी और नियमित निरीक्षणों ने अवैध उद्योगों को बढ़ावा दिया है जो सुरक्षा नियमों के बिना काम करते हैं और प्रवासी श्रमिकों का शोषण करते हैं। भारत में श्रम कानूनों और सुरक्षा नियमों के कार्यान्वयन का सबसे खराब रिकॉर्ड रहा है।

दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन के सचिव सन्नी दिल्ली सरकार पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि वो इन मालिकों पर कार्रवाई कैसे करेगी क्योंकि यही लोग तो इन्हे मोटा चुनावी चंदा देते हैं। ये चंदा कांग्रेस बीजेपी और आप सभी को देते है। इसलिए सभी ने इन्हे खुली लूट की आज़ादी दे रखी है।

सन्नी ने बताया बुधवार को स्थानीय मज़दूरों के साथ वो स्थानीय श्रम कार्यालय का घेराव करेंगे। 

Delhi factory
Wazirpur Industrial Area

Related Stories

जलते मज़दूर, सोती सरकार


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License