NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पोलैंड में कम्युनिस्टों के उत्पीड़न के खिलाफ दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन
रूढ़िवादी पोलैंड की सरकार पोलिश कम्युनिस्ट पार्टी (केपीपी) के नेताओं और इसकी पत्रिका ब्रेज़ास्क को सताने की कोशिश करती रही है।
पीपल्स डिस्पैच
05 Mar 2020
Poland

देश में कम्युनिस्टों के उत्पीड़न को लेकर पोलैंड के नेताओं और अधिकारियों की व्यापक आलोचना की गई है और दुनिया भर में प्रगतिशील वर्गों ने 2 मार्च को पोलैंड के कम्युनिस्टों के साथ एकजुटता के दिन के रूप में बताया है। पिछले चार वर्षों से पोलिश कम्युनिटी पार्टी (केपीपी) के नेताओं और इसकी पत्रिका का नौकरशाही और लॉ एंड जस्टिस पार्टी (पीआईएस) के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी सरकार के हाथों उत्पीड़न हो रहा है। भले ही 'अधिनायकवादी विचारों’ के प्रचार के लिए केपीपी पर प्रतिबंध लगाने का पीईएस का प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं रहा साथ ही ब्रेजास्क के संपादक के खिलाफ मामले में सुनवाई 3 मार्च को फिर से शुरू हो गई है।

पोलिश कम्युनिस्टों के साथ एकजुटता को लेकर कार्रवाई के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के दिन के रूप में सोमवार 2 मार्च को विभिन्न देशों में मार्च निकाला। ये मार्च पोलैंड के दूतावास और कॉन्सूलेट तक निकाला गया। मार्च निकालने वाले देशों में ग्रीस, नीदरलैंड, स्पेन, सर्बिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, मैक्सिको आदि सहित अन्य देश शामिल हैं।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ ग्रीस (केकेई), कम्युनिस्ट यूथ ऑफ़ ग्रीस (केएनई), न्यू कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नीदरलैंड्स (एनसीपीएन), कम्युनिस्ट वर्कर्स पार्टी ऑफ स्पेन (पीसीटीई), कम्युनिस्ट यूथ, न्यू कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ युगोस्लाविया (एनकेपीजे) और इसके यूथ विंग (एसकेओजे), ऑस्ट्रियन पार्टी ऑफ लेबर (पीडीए), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बेल्जियम (पीसीबी-सीपीबी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ मैक्सिको (पीसीएम) आदि के आह्वान पर मार्च निकाला गया। चिली और फिलीपींस में कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी पोलिश कम्युनिस्टों के इस उत्पीड़न के खिलाफ अपने बयान में नाराजगी जताई है।

केपीपी ने पीपल्स डिस्पैच से बताया कि “हम यह दिखाने के लिए मुकदमे का सामना करने जा रहे हैं कि धोखाधड़ी के कैसे आरोप हैं और ये हमारे विचारों को बढ़ावा देते हैं। केपीपी को पहले से ही दुनिया भर के विभिन्न कम्युनिस्ट पार्टियों से समर्थन मिला है। यूरोपीय कम्युनिस्ट इनिशिएटिव ने एक बयान जारी कर पोलैंड में कम्युनिस्ट विरोधी उत्पीड़न की निंदा की है। यूनान की कम्युनिस्ट पार्टी (केकेई) की यूरोपीय संसद के सदस्यों ने भी दखल दिया और अपने बयान जारी किए। कई देशों में पोलैंड के दूतावासों के सामने प्रदर्शन किए गए और घेराव किया गया।”

केपीपी का गठन 2002 में पोलैंड की पूर्ववर्ती कम्युनिस्ट पार्टी के वैचारिक उत्तराधिकारी के रूप में किया गया था और तब से ये सरकारी दमन का शिकार बना हुआ है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

Poland
Persecution of communists
Worldwide protests
Polish Communist Party
KPP

Related Stories

पोलैंडः गर्भपात पर प्रतिबंध को लेकर अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन

पोलैंड की सीनेट ने न्यायपालिका को कमज़ोर करने वाली बिल को खारिज किया


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License