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यमनः आर्थिक संकट को लेकर अदन में राष्ट्रपति भवन में घुसे लोग
सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों और सेवानिवृत्त सैनिकों के वेतन का समय पर भुगतान नहीं करने और अन्य प्रशासनिक विफलताओं के कारण एसटीसी नियंत्रित शहर दक्षिणी यमन में विरोध प्रदर्शन हुआ।
पीपल्स डिस्पैच
17 Mar 2021
यमनः

देश में तेजी से तबाह होती आर्थिक स्थिति के विरोध में मंगलवार 16 मार्च को बड़ी संख्या में नाराज नागरिकों ने यमन के दक्षिणी हिस्से अदन में राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया। ये प्रदर्शनकारी प्रमुख रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी थे जो अपनी वेतन के भुगतान में देरी के साथ-साथ सार्वजनिक सेवाओं में गिरावट, गिरती मुद्रा और मुद्रास्फीति जैसे अन्य सामाजिक-आर्थिक मुद्दों के लिए सरकार से नाराज थे।

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर अदन में पश्चिम और सऊदी सरकार समर्थित राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी का घर है। रिपोर्ट के अनुसार 2014 के बाद से यमन की राजधानी साना से बाहर निकाले जाने और सत्ता से उखाड़ फेंकने के बाद से मौजूदा प्रधानमंत्री मईन अब्दुलमलिक के साथ साथ सरकार के कैबिनेट के अधिकांश सदस्य माशिक राष्ट्रपति भवन से काम कर रहे हैं।

इस समय अदन का अधिकांश हिस्सा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) द्वारा समर्थित दक्षिणी यमन में स्थित अलगाववादी सशस्त्र समूह एसटीसी (साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल) के नियंत्रण में है। दो युद्धरत पक्षों के हाउथी से लड़ने और एकजुट होने के फैसले से पहले जबरदस्त लड़ाई के बाद हादी सरकार से हाल ही में अदन का नियंत्रण एसटीसी ने ले लिया। 2014 के बाद से अधिकांश उत्तरी यमन पर हाउथी का नियंत्रण है। पिछले साल सऊदी के नेतृत्व में हुई चर्चा के दौरान इसके सहयोगियों के बीच लड़ाई को समाप्त करने का लक्ष्य था।

रिपोर्टों के अनुसार बिते कल प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों और राष्ट्रपति गार्डों पर काबू पाने में सफल रहे और इसके नियंत्रण में इस क्षेत्र में बदतर होती आर्थिक स्थितियों से निपटने में सरकार की निष्क्रियता और उपेक्षा का विरोध करने के लिए भवन में घुस गए।

यमन की सेना और विदेशी पक्षों के बीच 7 साल से जारी गृहयुद्ध से यमन पीड़ित रहा है। इस युद्ध के परिणामस्वरूप हिंसक और क्रूर गृह युद्ध हुआ जिसके बाद हाउथी ने राजधानी साना और उत्तरी यमन के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया। मार्च 2015 में सऊदी के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन के हस्तक्षेप ने इन मामलों को और बदतर बना दिया। इस गठबंधन ने हाउथी के नियंत्रण वाले क्षेत्र की जमीन, हवा और समुद्र की नाकेबंदी कर दी जिससे मानवीय संकट गहरा गया। इस संकट को यूएन ने विश्व का सबसे बड़ा संकट बताया।

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