NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आधार बायोमेट्रिक डाटा तक विदेशी कंपनियों की भी है पहुंच !
बायोमेट्रिक डाटा किसके पास है? यूआईडीएआई? कंपनियां? या नागरिक?
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
10 Feb 2018
Aadhar card

आधार मामले पर सुनवाई 7 फरवरी को भी सुप्रीम कोर्ट में जारी रही। इस दौरान याचिकाकर्ता राघव तनखा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत के सामने अपनी दलील रखी। अदालत में बहस तीन शीर्षकों के तहत हुई। ये तीन शीर्षक थे तकनीकी दृष्टि से केंद्रीकृत बायोमेट्रिक्स का मूल्यांकन, आधार तथा ई-शासन और विशिष्ट मूलक अधिकारों के विरूद्ध केंद्रीकृत बायोमेट्रिक्स का मूल्यांकन। उठाए गए कुछ मुद्दों पर बहस अगले दिन यानी 8 फरवरी को हुई।

'तकनीकी दृष्टि से केंद्रीकृत बायोमेट्रिक्स के मूल्यांकन' शीर्षक के अंतर्गत सिब्बल ने आरबीआई की उस रिपोर्ट के बारे में बताया जिसे 'साइबर अपराधियों के साथ-साथ भारत के बाहरी दुश्मनों के लिए आसानी से उपलब्ध एक लक्ष्य' के रूप में सेंट्रल आईडी रिपॉजिटरी (सीआईडीआर) ने पहचान की। 'डी-डुप्लेक्शन सर्विस' के साथ-साथ 'प्रमाणीकरण सेवा' के लिए इस्तेमाल किए गए सॉफ्टवेयर विदेशी कंपनियों के स्वामित्व वाली है। लाइसेंस समझौते के हिस्से के रूप में इन विदेशी कंपनियों के पास आधार के अधीन नामांकित लोगों की बायोमेट्रिक्स तक भी पहुंच होगी। यह अभी साफ नहीं है कि इन जानकारियों को नष्ट किया गया है या नहीं। इस शीर्षक के तहत उन्होंने अगला मुद्दा उठाया था कि 'हैक' के ज़रिए या मोम और फेविकॉल के इस्तेमाल से फिंगरप्रिंट डुप्लीकेशन के ज़रिए किसी डाटा के साथ धोखाधड़ी होती है तो इसे रोकने का कोई पूरी तरह सुरक्षित तरीक़ा नहीं है।

उठाया गया अन्य मुद्दा गुप्त रूप से जानकारी के साथ धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति की भेद्यता ( vulnerability to ‘man-in-the-middle’ attacks) था। आधार मामले में मैन इन द मिड्डल अटैक का मतलब धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति प्रमाणीकरण के समय इसकी चोरी करने के क्रम में बायोमेट्रिक्स स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए एक कोड डालेगा। कॉमन मैन इन द मिड्डल अटैक एक फ़र्जी फेसबुक पेज है जिसमें आप अपना लॉगिन डिटेल्स डालते हैं जो फिर चोरी हो जाता है। हैक किए गए फेसबुक अकाउंट से बायोमेट्रिक विवरण चोरी को जो अलग करता है वह ये है कि कोई व्यक्ति हमेशा फेसबुक से संपर्क कर सकता है और यह अकाउंट सस्पेंड हो जाता है या इस अकाउंट पर किसी का नियंत्रण पुनःस्थापित हो जाता है। आधार का डाटा स्थायी होता है जब एक बार चोरी हो गया तो इससे ख़तरा हो सकता है। इस दलील ने 'चेहरे की पहचान' तकनीक के मुद्दे को भी छुआ, जो न केवल नागरिकों की गोपनीयता का उल्लंघन करेगा बल्कि खुफिया एजेंसियों और सैन्य कर्मियों की पहचान से भी समझौता करेगा जो तब ऐसे किसी भी व्यक्ति द्वारा पहचान की जा सकती है जिसके पास इस तरह का विवरण है,इस प्रकार वे अपने कर्तव्य से समझौता कर रहे हैं। इस शीर्षक के तहत आख़िरी दलील जानकारी के स्वामित्व के बारे में था। यह सवाल उठाया गया कि क्या यूआईडीएआई, जो अनुरोध करने वाली एजेंसी (यहां तक कि एक निजी कंपनी एक अनुरोध करने वाली एजेंसी हो सकती है) है, या नागरिकों के पास बायोमीट्रिक जानकारी है।

आधार और ई-शासन शीर्षक के तहत सिब्बल ने ईपीडब्ल्यू का हवाला दिया जिसमें यूआईडीएआई ने स्वीकार किया कि डाटाबेस के आकार के साथ-साथ ग़लती का सीमा बढ़ती है। इसलिए किसी केंद्रीकृत डाटाबेस में जितना ज़्यादा लोगों का डाटा रखा जाएगा उतना ही प्रमाणीकरण अस्वीकृति की उम्मीद ज़्यादा होती है। हालांकि'अस्वीकृति' के ऐसे मामलों का न्यायिक निर्णय एक स्वतंत्र प्राधिकरण की बजाय यूआईडीएआई द्वारा किया जाएगा। ये प्राधिकरण प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं जो प्रशासनिक कानून में आधार-स्तंभ है। जालसाज़ी के मुद्दे पर यूआईडीएआई का दावा है कि ये फ़र्जी हस्ताक्षर जैसे क़ानून तहत ही आएगा। हालांकि फ़र्जी हस्ताक्षर के मामले में जिस व्यक्ति का फ़र्जी हस्ताक्षर किया गया उसे 'विशेषज्ञ' के समक्ष मौजूद होना होगा जो हस्ताक्षर की वास्तविकता का निर्धारण करेंगे। सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि एक केंद्रीकृत डाटाबेस संघवाद को कमज़ोर करेगा क्योंकि किसी नागरिक की पहचान निर्धारित करने के लिए राज्य सरकार को हमेशा केंद्र सरकार पर निर्भर रहना पड़ेगा।

विशिष्ट मूलक अधिकारों के विरूद्ध केंद्रीकृत बॉयोमेट्रिक्स का मूल्यांकन शीर्षक के तहत दो बिंदु उठाए गए थे। एक गोपनीयता का अधिकार और दूसरा सम्मान का अधिकार था। गोपनीयता के अधिकार पर मुद्दा यह था कि बायोमेट्रिक्स सहमति के सकारात्मक प्रभाव को कम कर देता है। बॉयोमीट्रिक्स के पास पासवर्ड जैसा कोई विकल्प नहीं है जहां कोई व्यक्ति यह तय कर सकता है कि उसे प्रकट करना है या नहीं। सचेत व्यक्ति की तरह ही कोई अचेत व्यक्ति भी अपनी जानकारी को प्रमाणित करने में सक्षम है। हालांकि यह बचाव परिदृश्य में कोई मुद्दा नहीं हो सकता है, इसका मतलब यह भी है कि किसी व्यक्ति को नशा खिलाया जा सकता है या मारा जा सकता हैं और उसके बॉयोमीट्रिक्स को उसके आधार से जुड़े बैंक खाते के माध्यम से लेनदेन करने के लिए उपयोग किया जाता है। सम्मान का अधिकार के तहत यह तर्क दिया गया कि बुज़ुर्ग और अन्य कमजोर समूह को अक्सर प्रमाणीकरण की प्रक्रिया के दौरान अवांछित शारीरिक संपर्क से गुज़रना होता है जैसे कि फ़िंगरप्रिंट लेने के लिए उनके हाथों को पकड़ना आदि। स्मार्ट कार्ड का भी प्रमाणीकरण किया जा सकता है।

Aadhar card
Aadhar card security
UIDAI
Bio metric
CIDR

Related Stories

आधार को मतदाता सूची से जोड़ने पर नियम जल्द जारी हो सकते हैं : मुख्य निर्वाचन आयुक्त

कैसे भारतीय माताओं के लिए निर्धारित 84,000 करोड़ रुपयों से उन्हें वंचित रखा गया

वोटर आईडी और आधार लिंकिंग : वोट कब्ज़ाने का नया हथियार!

चुनाव सुधार बिल दोनों सदनों में पास, विपक्ष ने उठाया निजता के अधिकार का सवाल

ईकेवाईसी सत्यापन के ज़रिये यूआईडीएआई ने 21 महीनों में कमाये 240 करोड़ रुपये: आरटीआई

मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की संसदीय समिति ने पैरवी की

आधार कानून में निजी कंपनियों को जोड़ने के मामले में केंद्र से जवाब तलब

आधार संशोधन विधेयक को मंत्रिमंडल की मंजूरी, संसद के अगले सत्र में होगा पेश

दिल्ली की स्कूली शिक्षा में बाधा बन रहा है "आधार कार्ड"

आधार डेटा की चोरीः यूआईडीएआई ने डेटा सुरक्षा के अपने ही दावों की पोल खोली


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License