NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आध्यात्मिकता के नाम पर जारी कारोबार और राजनीति का विलय
इस देश की तारीख ऐसे बहुत से बाबाओं की कहानी बयां करती है, जो अपने भक्तों के लिए भगवान थे, पर असलियत में अपराधी।
ऋतांश आज़ाद
02 Sep 2017
आध्यात्मिकता के नाम पर जारी कारोबार और राजनीति का विलय

भारत में तथाकथिक संतों और बाबाओं के रेप और क़त्ल के मामले सामने आना कोई नई बात नहीं है।  इस देश की तारीख ऐसे बहुत से बाबाओं की कहानी बयां करती है, जो अपने भक्तों के लिए भगवान थे, पर असलियत में अपराधी। आसाराम बापू, रामपाल और राम रहीम इस सूचि में हाल ही में जुड़े नाम हैं। इतिहास के पन्ने पलटते हुए ऐसे ही एक बाबा ‘प्रभात राजन सरकार’ का नाम सामने आता है, जिनकी संस्था ‘आनंद मार्ग’ एक ज़माने में आतंकवादी गतिविधियों तक में शामिल थी।

इन आध्यात्मिक संस्थाओं  के चरित्र को समझने के लिए ‘आनंद मार्ग’ एक अच्छा उदहारण पेश करता है। ‘आनंद मार्ग’ उन शुरुआती संथाओं में से एक है, जो आतंकवाद, हिंसा और यौन शोषण की घटनाओं के लिए जाना गया । ये संस्था 1955 में ‘प्रभात राजन सरकार’ द्वारा बिहार में बनायी गयी और इसका मुख्यालय बंगाल में स्थापित किया गया। जल्द ही इस संस्था के आश्रम दुनिया के बहुत से देशों में स्थापित हो गए।  जिसके बाद ‘सरकार’ ने खुद की एक राजनैतिक पार्टी ‘प्रॉउट’ भी खड़ी की। आनंद मार्ग का दर्शन वामपंथी और पूंजीपति दोनों का विरोधी बताया जाता है। 

जल्द ही ‘सरकार’ और इस संस्था की असलियत लोगों के सामने आने लगी। ‘सरकार’ पर बहुत सी साध्वियों के साथ यौनशोषण के आरोप लगे। साथ ही उनकी संस्था के आश्रमों पर छापे मारे जाने पर वहां नरकंकालों के अलावा ड्रग्स , हथियार और आपत्तिजनक दस्तावेज़ मिले । 1971 में ‘सरकार’ पर 6 पूर्व आनंदमार्गियों के क़त्ल का आरोप भी लगा और उन्हें जेल हो गयी। ‘सरकार’ को छुड़ाने के लिए उनके समर्थकों ने काठमांडू में इंडियन एम्बैसी के सामने धमाके कराये साथ ही मेलबर्न, कनाडा ,लंदन और हांगकांग में हिंसक वारदातें कीं। इसके अलावा आनंद मार्ग से जुड़े लोगों पर पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के कत्ल का आरोप भी साबित हुआ है। 1995 में बंगाल के पुरुलिआ में एक हवाई जहाज़ के द्वारा हथियारों का एक ज़खीरा गिराया गया। आरोप ये है की ये हथियार आनंद मार्ग द्वारा बंगाल की वामपंथी सरकार का तख्ता पलटने के लिए इस्तेमाल किये जाने थे।  आरोपों के मुताबिक आनंद मार्ग को CIA द्वारा इस काम के लिए फण्ड किया जा रहा था और उस समय की कांग्रेस सरकार भी इस साज़िश में शामिल थी। 

हाल ही में चर्चा में आये बाबाओं के मामले आनंद मार्ग  की इस कहानी से काफी मिलते जुलते हैं।  चाहे रामपाल का मामला हो, जिसके समर्थक एक हफ्ते तक पुलिस के साथ हथियारबंद मुठभेड़ में शामिल रहे या राम रहीम का, जिनके समर्थकों ने कोर्ट के बाहर दंगे भड़काए। इन सभी में काफी समानता देखी जा सकती है।

ये सभी बाबा और उनके आध्यामिक संगठन लोगों की तर्क करने की शक्ति पर सीधा प्रहार करते हैं । इसी वजह से इनके भक्त यथार्थ को देखने के नाकाबिल हो जाते हैं । ये प्रवत्ति बहुत खतरनाक है ,क्योंकि ये फासीवादी राजनीति के लिए जमीन तैयार करती है । स्वाभाविक तौर पर इसके सामाजिक और आर्थिक कारण भी हैं। उदाहरण के तौर पर पंजाब में किसानों की बेहाली, लोगों के डेरों में जाने की एक वजह बतायी जाती है । साथ ही वहां जाट सिखों द्वारा किया जाने वाला जातिगत भेदभाव भी डेरों के बढ़ते प्रभाव का एक कारण बना है। गरीबों को सरकार और समाज द्वारा सुविधाएँ न मिलने के कारण वे इन तथाकथित गुरुओं के पास जाते हैं। ये बाबा इसका फायदा उठाते हुए, अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिये इन लोगों के लिये स्कूल, कॉलेज और अस्पताल चलाते हैं। पर इन तथाकथित जन कल्याण कार्यों में लगा धन, इन बाबाओं की कुल जमा पूंजी के सामने ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। इसका एक उदाहरण दक्षिण भारत के सतसाईं बाबा का दिया जा सकता है, जिनकी कुल संपत्ति 40000 हज़ार करोड़ बताई जाती है।

इन सभी बाबाओं और उनकी संस्थाओं के राजनैतिक पार्टियो से गहरे सम्बन्ध रहे हैं। राजनैतिक पार्टियाँ इन बाबाओं से राजनैतिक लाभ पाने के लिये इन्हें संरक्षण और फंडिंग दोनों देती रहीं हैं। खालिस्तान आन्दोलन के मुख्य आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाले को शुरुआती दिनों में कांग्रेस ने पंजाब में राजनैतिक लाभ पाने के लिये समर्थन दिया था। इसी तरह आसाराम और गुरमीत राम रहीम के बीजेपी की सरकारों से सम्बन्ध   जग ज़ाहिर हैं। गुरमीत राम रहीम ने 2014 के लोक सभा और हरियाणा के विधान सभा चुनावों में खुले तौर पर अपने भक्तों से बीजेपी को वोट देने की अपील की थी। वहीं आसाराम के गुजरात सरकार के साथ काफी गहरे रिश्ते रहे हैं। उन पर रेप के आरोप लगने के बाद भी बीजेपी के बड़े नेता उनके बचाव में खड़े दिखे थे। कांची मठ के शंकराचार्य पर जब 2004 में हत्या के आरोप लगे, तो बीजेपी के बड़े नेता लाल कृष्ण आडवानी ने इसे “हिन्दू धर्म पर हमला” कहा था और बीजेपी ने उनकी गिरफ़्तारी का विरोध किया था। सनातन संथा के लोगों पर दाभोलकर, कलबुर्गी और पानसरे की हत्या और धमाके कराने के आरोपों के बावजूद उन पर रोक न लगना , राजनैतिक संरक्षण की ओर ही इशारा करता है।

इसी तरह के संरक्षण के चलते ये बाबा और इनके संगठन राज्य व्यवस्था को चुनौती देते दिखाई पड़ते हैं। इसी वजह से ही ये अपनी सामानांतर सरकारें तक चलाने में कामयाब हो जाते हैं। चाहे वो आनंद मार्ग हो , पंजाब का आतंकवाद या फिर हाल में बाबाओं द्वारा की गयी गतिविधियाँ, ये सब इस संरक्षण और उसके दुष्परिणाम दिखाती है । अगर इनके इस इतिहास से सीखा न गया और इन बाबाओ पर रोक ना लगी , तो ये “गॉड मैन” लोकतंत्र के लिये काफी बड़ा खतरा बन सकते हैं।

 

बाबा राम रहीम
आसाराम बापू
प्रभात रंजन सरकार
आनंदमार्ग
बंगाल
बिहार

Related Stories

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय: आनिश्चित काल के लिए हुआ बंद

मध्यप्रदेश: एक और आश्रयगृह बना बलात्कार गृह!

मुज़फ्फरपुर सुधारगृह कांड: बिहार सरकार ने मुख्य आरोपी के अखबार को दिये थे लाखों के विज्ञापन

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था के खस्ता हाल

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

बिहार: सामूहिक बलत्कार के मामले में पुलिस के रैवये पर गंभीर सवाल उठे!

नई नीति बिहार में सरकारी स्कूलों की वास्तविकता को उज़ागर करती हैं

बिहार: मंदिर निर्माण से होगा महिला सशक्तिकरण ?

दिन में भाजपा की आलोचना की और शाम को जदयू से एमएलसी का टिकट लिया

बिहार चुनावों में संघ परिवार का घातक गठजोड़


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License