NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
अध्ययन : किसानों का 31 हजार करोड़ रुपये का हक़ दबा गई बीजेपी सरकार
2018-19 में गेहूं की खरीदी 357.95 लाख टन और धान की खरीदी 435.68 लाख टन की गयी है, जिसके भुगतान में सरकार द्वारा किसानों को उनकी कुल लागत में, लागत का 50 प्रतिशत बढ़ाकर भी भुगतान नहीं किया गया है।
पुलकित कुमार शर्मा
08 Aug 2019
farmer

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में कहा था कि सभी किसानों को उनकी फ़सलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल में आने वाली कुल लागत में 50 फीसदी बढ़ाकर दिया जायेगा लेकिन हक़ीक़त कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के आंकड़ों से साफ दिखाई देती है। हालांकि दूसरे कार्यकाल में कहना ये भी है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी, लेकिन जब हम बीजेपी सरकार के पिछले कार्यकाल में रबी व खरीफ की दो बड़ी फ़सलों के दिए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य को देखते हैं तो पता चलता हैं सरकार के द्वारा 2018-19 में मात्र गेहूं व धान की फ़सलों का ही 31 हजार करोड़ रुपया दबाया गया है। 

2018-19 में गेहूं की खरीदी 357.95 लाख टन और धान की खरीदी 435.68 लाख टन की गयी है, जिसके भुगतान में सरकार द्वारा किसानों को उनकी कुल लागत में, लागत का 50 प्रतिशत बढ़ाकर भी भुगतान नहीं किया गया है।

गेहूं और धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य व लागत में 50 फीसदी जोड़कर जो दाम होना चाहिए उसके बीच काफी बड़ा अंतर देखने को मिला है। 2018-19 में धान की फसल में आने वाली लागत 1560 रुपये प्रति क्विंटल थी जिसका लागत जमा 50 फ़ीसदी दाम जो सरकार ने वादा किया था वह 2340 रुपये प्रति क्विंटल होता है लेकिन सरकार द्वारा 1750 रुपये प्रति क्विंटल ही न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया गया है।

इसी प्रकार गेहूं की फसल में आने वाली लागत 1339 रुपये प्रति क्विंटल थी जिसका लागत जमा 50 फीसदी दाम 2008 रुपये प्रति क्विंटल होता है परन्तु सरकार द्वारा 1840 रुपये प्रति क्विंटल ही न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया गया है।

1st image in paragraph.PNG

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट ने सरकार को अवगत कराया था कि किसानों को उनकी फ़सलों में आने वाली लागत का डेढ़ गुना दाम जोड़कर मिलना चाहिए जो किसानों को उनकी रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने में सहायक हो परन्तु अभी तक कोई भी सरकार किसानों को उनकी लागत जमा 50 फीसदी जोड़कर मूल्य नहीं दे पायी है जिसके कारण किसान की जो आमदनी होनी है और जो आमदनी हुई है उसके बीच बहुत बड़ा अंतर बना रहता है।

स्वामीनाथन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था किसानों को उनकी फ़सलों का समर्थन मूल्य, फ़सलों में आने वाली कुल लागत में किसान द्वारा किया गया वास्तविक भुगतान + परिवार के श्रम का मूल्य + स्वयं की भूमि पर लगाया गया किराया और पूँजी पर लगाया गया ब्याज़ सहित व्यापक किराया भी शामिल किया जाना चाहिए परन्तु सरकार वास्तविक भुगतान और परिवार के श्रम के मूल्य को जोड़कर उसमें 50 फीसदी वृद्धि की दर से मूल्य निर्धारित करती है जो किसानों के साथ एक तरह का धोखा है।

2018-19 में किसानों को धान की फसल से न्यूनतम समर्थन मूल्य द्वारा होने वाली आमदनी 76244 हजार करोड़ की है, परन्तु लागत जमा 50 फीसदी जोड़कर जो आमदनी होनी थी वह 101949 हजार करोड़ रुपये की है, जिसके कारण धान की फसल का 25705 हजार करोड़ रुपये का किसानों को नुकसान हुआ है।

इसी प्रकार गेहूं की फसल से न्यूनतम समर्थन मूल्य द्वारा किसानों की आमदनी 65863 हजार करोड़ रुपये की है, लेकिन लागत जमा 50 फीसदी जोड़कर जो मूल्य बनता है उसके हिसाब से जो आमदनी होनी थी वह 71894 हजार करोड़ की है यानी 6031 हजार करोड़ रुपये का किसानों को हक़ नहीं दिया गया है।

2nd image in paragraph.PNG

2018-19 में धान और गेहूं की फसल का मिलकर 31737 हजार करोड़ रुपया सरकार द्वारा किसानों का हक़ मारा गया है।

खरीफ की फसलें  तथा प्रति क्विंटल किसान का घाटा

खरीफ की फसल जून और जुलाई के माह में बोई जाती है। इन फ़सलों को बोते समय अधिक तापमान और आर्द्रता की जरूरत होती है तथा फसल को काटते समय शुष्क मौसम चाहिए होता है। खरीफ में मुख्य फसल धान, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, अरहर, उड़द और कपास आदि हैं।

अगर 2018-19 की बात की जाए तो सरकार द्वारा दिया गया समर्थन मूल्य उसमे आने वाली कुल लागत और लागत का 50 फीसदी अतिरिक्त जोड़कर जो मूल्य बनता हैं उससे बहुत कम है, जिसके कारण किसान का प्रति क्विंटल घाटा काफी बड़ा है। 2018-19 में धान की फसल में 590 रुपये प्रति क्विंटल किसान का घाटा रहा है। ज्वार की फसल में 844 रुपये प्रति क्विंटल घाटा, बाजरा में 36 रुपये रुपये प्रति क्विंटल घाटा, रागी में 658 रुपये प्रति क्विंटल घाटा, मक्का में 520 रुपये प्रति क्विंटल घाटा, अरहर या तूर की दाल में 1796 रुपये प्रति क्विंटल घाटा तथा उड़द की दाल में 1883 रुपये प्रति क्विंटल किसान का घाटा रहा है।

3rd image in paragraph.PNG

रबी की फसलें  तथा प्रति क्विंटल किसान का घाटा

रबी की फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है। ये फसलें सामान्यतः अक्टूबर-नवम्बर के महीनों में बोई जाती हैं। रबी की फसलें मुख्यतः गेहूं, जौं, चना, मसूर, तथा रेपसीड/ सरसों आदि हैं।

2018-19 में रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, फ़सलों में आने वाली कुल लागत, लागत का 50 फीसदी जोड़कर जो मूल्य बनता है उससे बहुत कम है। गेहूं की फसल में किसानों को सरकार द्वारा मिला न्यूनतम समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि लागत में लागत का 50 फीसदी अतिरिक्त मूल्य जोड़कर 2008 रुपये प्रति क्विंटल होता है, जिसमें 168 रुपये प्रति क्विंटल किसान को घाटे का सामना करना पड़ा है। इसी प्रकार जौं की फसल में 430 रुपये प्रति क्विंटल किसान का घाटा रहा है। चने की फसल में 1137 रुपये प्रति क्विंटल घाटा रहा, मसूर की फसल में 1847 रुपये प्रति क्विंटल घाटा, तथा सरसों की फसल में 695 रुपये प्रति क्विंटल किसान का घाटा रहा है।

4th imagr of paragraph.PNG

आकड़ों द्वारा पता चलता है कि किसानों को उनका हक़ नहीं मिल पा रहा है। लाखों किसान कर्ज़ के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हैं  परन्तु  भारतीय जनता पार्टी की दृष्टि से देखा जाए तो सबका विकास हो रहा है!

farmer
farmer crises
farmer suicides
farmers protest
BJP corruption
BJP
Narendra modi
Modi government

Related Stories

उत्तराखंड के ग्राम विकास पर भ्रष्टाचार, सरकारी उदासीनता के बादल

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License