NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अगर दिल्ली सर्कस है तो बीजेपी और कांग्रेस इसके मुख्य कलाबाज़
दोनों बड़ी पार्टियाँ जब विपक्ष में रहती हैं तो पूर्ण राज्य के दर्जे का समर्थन करती हैं, लेकिन सत्ता में आते इसका विरोध करती हैं।
सुबोध वर्मा
18 Jun 2018
Translated by महेश कुमार
दिल्ली
Image Coutesy: Hindustan Times

अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सरकार दिल्ली में नियमित रूप से बीजेपी और कांग्रेस द्वारा उसके खिलाफ सड़क पर लड़ाई जारी रखे हुए है, यह विचित्र स्थिति है और शासन नदारद है। लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यालय में केजरीवाल के चल रहे धरने से दोनों पार्टियों की अनुमानित प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं जिन्हें आप पार्टी ने 2013 में और फिर आप के आन्दोलन के ज़रिए पहले दशकों तक दिल्ली राजनीति पर प्रभुत्व रखने वाली दोनों पार्टियों को 2015 में अधिक निर्णायक रूप से हराया था।

लेकिन, इस मुख्य सवाल पर कि क्या दिल्ली को पूर्ण राज्य होना चाहिए या नहीं, बीजेपी और कांग्रेस दोनों हमेशा इस सवाल पर कलाबाज़ी करती रही हैं। दोनों के लिए, मुख्य नियम यह है: कि जब सत्ता में हैं तो यह मुद्दा नहीं उठता, लेकिन जब विपक्ष में हैं तो वे इस मुद्दे पर हथौड़ा बजाने लगते हैं। चूंकि दिल्ली के अधिकांश चुनावी इतिहास में ये दोनों पार्टियाँ आती और जाती रही हैं, इसलिए उनकी कलाबाजी भी वक्त के साथ धूलग्रस्त हो गयी है।

दिल्ली वर्तमान में एक विधान सभा के साथ एक संघ शासित प्रदेश है। पूर्ण राज्यों की कुछ प्रमुख जिम्मेदारियाँ दिल्ली की निर्वाचित सरकार को समर्पित नहीं हैं। संवैधानिक प्रावधानों के तहत, इनमें स्थानीय निकायों पर भूमि, कानून और व्यवस्था और नियंत्रण शामिल है। यह अविश्वसनीय है कि आबादी 1.8 करोड़ की आबादी वाली राष्ट्रीय राजधानी, इस व्यवस्था से ग्रस्त है, जिसके कारण अधिकारियों की स्थिति बहुतायत ही खराब स्थिति में है और राजनीतिक तौर पर राजनैतिक प्रतिशोध वाली जमात बन गयी हैं।

पहली निर्वाचित सरकार दिल्ली में 1952 में कांग्रेस द्वारा गठित की गयी थी और यह ब्रह्म प्रकाश के नेतृत्व में बनी थी। उन्होंने 1955 में इस्तीफा दे दिया क्योंकि वे काम करने में अधिक स्वायत्तता चाहते थे और तत्कालीन मुख्य आयुक्त आनंद दत्ताया पंडित और केंद्रीय गृह मंत्री गोविंद बल्लभ पंत उन्हें ऐसा नहीं करने दे रहे थे । यह सीमित-शक्ति-राज्य की समस्या की पहली खुली अभिव्यक्ति थी। इसके बाद, प्रशासनिक प्रणाली को पुनर्स्थापित कर दिया गया और 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा विधानसभा को समाप्त कर दिया गया। स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने इसका विरोध किया लेकिन स्थानीय जनसंघ (बीजेपी के अग्रदूत) नेताओं ने इसका समर्थन किया था।

1966 में, दोनों पक्षों के स्थानीय राजनेताओं द्वारा अधिक शक्तियों की निरंतर माँग के लिए एक 56 सदस्यीय मेट्रोपॉलिटन काउंसिल का गठन किया गया था। पहली निर्वाचित परिषद में जनसंघ को बहुमत मिला 1967 में पदभार संभाला। एलके आडवाणी परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे। जनसंघ को 1972 में हार गयी लेकिन जनता पार्टी के परिधान में आपातकाल के बाद 1977 में वह वापस सत्ता में आ गयी। जनसंघ के प्रभुत्व वाली तीसरी परिषद (1977-80) ने दिल्ली के लिए राज्य की माँग के प्रस्तावों को पारित किया। 1980 में, कांग्रेस ने परिषद जीती और अपने प्रतिद्वंद्वी के समान्तर, उन्होंने भी राज्य की माँग के संकल्प के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया।

1984 के आम चुनावों में अपनी बुरी हार के बाद, दिल्ली में बीजेपी (जो सात में से एक भी सीट जीत नहीं पाई) ने पूर्ण राज्य की माँग को लेकर आन्दोलन शुरू किया। एमएल खुराना, वी.के. मल्होत्रा और शिब सिंह वर्मा के नेतृत्व में, भाजपा लगातार पूर्ण राज्य के लिए आंदोलन कर रही थी। इस दबाव में राजीव गाँधी सरकार को मजबूर कर दिया और उसने 1987 में दिल्ली के पुनर्गठन के लिए बालकृष्णन समीति की स्थापना की। इसके दिल्ली को फिर से एक विधानसभा दी गई लेकिन बिना किसी प्रमुख शक्तियों के।

खुराना के तहत बीजेपी ने चुनावों के लिए एक मुखर और सफल अभियान का नेतृत्व किया जिसमें पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए दबाव डालने का वादा शामिल था। बीजेपी ने 1993 में चुनाव जीता और खुराना ने सरकार बनाई। कांग्रेस की अगुआई वाली केंद्रीय सरकार के साथ लगातार जद्दोजहद के साथ जो स्थिति अब आप को झेलनी पद रही है उसी स्थिति का खुराना को  सामना करना पड़ा। हालांकि, 1998 के चुनाव में भाजपा कांग्रेस से हार गई। इसके बाद बीजेपी ने दोबारा पूर्ण राज्य के लिए मांग उठायी, जबकि कांग्रेस ज्यादातर इस पर चुप रही। जब 2003 में विधानसभा के चुनाव आये, एनडीए सरकार ने केंद्र में सत्ता में थी। आडवाणी, जो उप प्रधानमंत्री बने थे, ने दिल्ली मतदाताओं को स्विंग करने की उम्मीद करते हुए दिल्ली चुनावों की पूर्व संध्या पर संसद में "अधिकतम स्वायत्तता वाले राज्य" के लिए एक विधेयक पेश किया था। हालांकि, वे फिर कांग्रेस से हार गए।

केंद्र में एक दशक के यूपीए शासन के माध्यम से, बीजेपी ने पूर्ण राज्य की मांग को बनाए रखा और इसे 2013 के विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में रखा। कांग्रेस, स्वाभाविक रूप से, इसके बारे में चुप रही है, क्योंकि यह उस समय राज्य और केंद्र दोनों में शासन कर रही थी।

फिर, 2014 में, नरेंद्र मोदी के न्रेतत्व में बीजेपी ने लोकसभा में जीत हासिल की। इस बीच पहली आप सरकार जिसने 2013 में विधानसभा चुनाव जीता और बहुमत न होने की वजह से सत्ता छोड़ने पडी था और जनवरी 2015 के लिए घोषित नए चुनावों की घोषणा की गई थी। इस उथल-पुथल में दिल्ली के दो बड़े दलों - बीजेपी और कांग्रेस की दिल्ली राज्य में स्थिति ख़राब हो गयी। दशकों में पहली बार, बीजेपी की दिल्ली इकाई के 2015 के दृष्टि दस्तावेज में पूर्ण राज्य की मांग का जिक्र नहीं था। दूसरी तरफ, कांग्रेस की दशकों के बाद अचानक आँख खुली, और उसने पूर्ण राज्य के बारे में बात करना शुरू कर दिया।

फिर, आप ने 2015 में भरी जीत हासिल की, जिसमें वह 70 सीटों में से 67 सीटें जीत गईं। उन्होंने, निश्चित रूप से, पूरी तरह से पूर्ण राज्य की मांग को मजबूती से उठाया। इन तीन वर्षों में, वे इस मांग पर अड़ गए हैं और वास्तव में उन्होंने दिखाया है कि यह एक लोकतांत्रिक और लोगों के उन्मुख सरकार के लिए कितना आवश्यक है। इस बीच बीजेपी, एक समय पूर्ण राज्य की मशाल के वाहक ने इसके बारे में बात करना बंद कर दिया है। वास्तव में, ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने इस मांग को दफन कर दिया है। दिल्ली के सर्कस में बीजेपी और कांग्रेस के अवसरवादी कलाबाज़ बन कर रह गए हैं।

 

Arvind Kejriwal
भाजपा
Congress
AAP Govt
Delhi

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License