NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अहिंसा से नफ़रत और प्यार तक का सफ़र
कुछ ही लोग इतिहास के रास्ते को प्यार से बदल सकते हैं। हाल ही में शुरू किए गए टोल-फ़्री नंबर हेट क्राइम के मामलों को रिपोर्ट करने के लिए ऐसी ही एक पहल है।
सागरी छाबरा
18 Jul 2019
अहिंसा से नफ़रत और प्यार तक का सफ़र

हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि हमें हमेशा भारतीय होने पर गर्व रहा है। ऐसा इसलिए कि यह धरोहर अहिंसा और सत्याग्रह की नींव पर लड़े गए स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों से जुड़ी हुई है।

10 मार्च 1930 को जब साबरमती आश्रम में 2,000 से अधिक लोग प्रार्थना में शामिल हुए तो गांधी ने सत्याग्रह की बारिकियों को समझाया। उन्होंने कहा, “आप कैसे हैं जो निडर होकर यहां आए हैं। मुझे नहीं लगता कि आप में से कोई भी यहां होता अगर आपको राइफ़ल शॉट्स या बम का सामना करना पड़ता। मान लीजिए कि मैंने घोषणा की होती कि मैं एक हिंसक अभियान शुरू करने जा रहा हूं, यह ज़रूरी नहीं कि राइफ़लों से लैस लोगों के साथ बल्कि लाठी और पत्थरों के साथ, क्या आपको लगता है कि सरकार मुझे अब तक आज़ाद छोड़ दिया होता? और आप यहां आए हैं क्योंकि आप स्वैच्छिक कारावास की मांग के विचार से अब तक परिचित हो चुके हैं। भारत के 7,00,000 गांवों में से प्रत्येक गांव के दस लोग नमक अधिनियम बनाने और अवज्ञा करने करने के लिए आगे आते है, तो यह सरकार क्या कर सकती है?”

मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य उन लोगों से मिलना रहा है जिन्होंने वास्तव में महात्मा गांधी के साथ काम किया था। वीरबालाबेन नगरवाडिया ने मुझे बताया कि वह साबरमती आश्रम में मौजूद थीं जब गांधी द्वारा डांडी मार्च का आरंभ किया गया था। मैं मोहित हो गई क्योंकि वे इतिहास के इस महत्वपूर्ण क्षण देखा था।

मैंने सांस रोककर उनसे पूछा, "आपने क्या देखा?"

“पूरी रात प्रार्थना और गायन होता रहा। गांधीजी ने कहा कि जब तक स्वराज नहीं मिलता, मैं नहीं लौटूंगा। हम सब यह जानकर रो पड़े कि हम उन्हें दोबारा नहीं देख पाएंगे।"

यह सच है कि गांधी कभी साबरमती आश्रम नहीं लौटे।

हाल ही में मैंने एक और ऐतिहासिक क्षण देखा। नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में आधुनिक समय के एक्टिविस्ट का एक छोटा समूह जिसे मैं आज के सत्याग्रहियों के नाम से पुकारना पसंद करती हूं उन्होंने मॉब लिंचिंग और क्राइम ऑफ़ हेट के ख़िलाफ़ 24 घंटे की हॉटलाइन सेवा शुरू की। चूंकि विभिन्न राज्यों में क्राइम ऑफ़ हेट और मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं और लिंचिंग की 78 घटनाएं हुई हैं ऐसे में लोगों का एक समूह साहस और दृढ़ता से एकजुट हुआ है। यह कुछ ऐसा है जिसे राज्य को बहुत पहले करना चाहिए था। 16 जुलाई 2019 को भारत के आम लोगों ने 'भारत की धारणा' पर एकजुट हुए जो सभी धर्मों के लोगों को भाईचारे की भावना के साथ एकजुट रहने को लेकर है। यह ऐसे समय में जब सरकार ख़ामोश है।

लिंचिंग की गिनती फिर से हो सकती है: ट्रेन में जुनैद नाम के 17 साल के एक युवा लड़के की घटना से लेकर अलवर में पहलू ख़ान (जिसकी मौत के बाद उसे आरोपी कहा जा रहा है और परिवार पर उनके ख़िलाफ़ कई आरोप लगाए जा रहे हैं) और रक़बर ख़ान तक जहां पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाने के बजाय चाय पीने के लिए होटल के पास वाहन रोका था। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने रक़बर को मृत घोषित कर दिया। ये सभी घटनाएं हमारे समाज के अमानवीयता को बयां करता है। ये सब सरकार के अधिकारियों द्वारा उनके कर्तव्य का अपमान है।

नाज़ी जर्मनी में एक 15 वर्षीय लड़की ने गुप्त रूप से यहूदियों को कनसेंट्रेशन कैंप में निर्वासन से बचाने में मदद करने के लिए 'व्हाइट रोज़' नामक एक समूह का गठन किया। उसे पकड़ा गया और उससे मुक़दमा के दौरान पूछा गया:

"तुमने ऐसा क्यों किया?"

उसने जवाब दिया, "किसी को यह करना है!"

हां, किसी को यह करना होगा और जब गांव या किसी महानगर से कम से कम 10 लोग ऐसी शक्तियों से नफ़रत अपराध को लेकर पूछेंगे तो यह अब आगे ख़ामोश,अस्पष्ट या अनियंत्रित नहीं रहेगा। वकीलों की एक टीम एफ़आईआर भी करेगी जो किसी भी मुक़दमे का आधार है।

हालांकि, जो अहिंसा और सत्याग्रह के सभ्यतामूलक मूल्यों को वापस लाएगा वह है प्रेम और भाईचारा। यही कारण है कि मैं सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदेर को सलाम करता हूं जो अपने दोस्तों के समूह के साथ उन सभी क्षेत्रों तक 'प्रेम का कारवां' लेकर जा रहे हैं जहां हम सभी की तरफ़ से सहानुभूति, पश्चाताप और खेद व्यक्त करते हुए नफ़रत वाली लिंचिंग हुई है। ये लोग भारत के मानसिक स्तर को दहशत में बदलता हुआ देख रहे हैं। वे प्रत्येक परिवार के पास जाते हैं जिसने अपनों को खो दिया है और हाथ जोड़कर उन लोगों से गहरा दर्द, पीड़ा और दुःख व्यक्त करते हैं। वे कहते हैं, 'नॉट इन माइ नेम'।

किसी को तो करना है!

टोल-फ़्री नंबर 1800-313-60000 है। जब आप नफ़रत वाले अपराध देखते हैं तो अब फ़ोन करें और अपनी नाराज़गी व्यक्त करने के लिए पुलिस, गृह मंत्रालय और मानवाधिकार आयोग को फ़ोन करें।

आपको बता दें कि हमारे बीच कपटी और छिपे हुए लोगों की तुलना में ब्रिटिश साम्राज्य से लड़ना कहीं ज्यादा आसान था। जब मृतक के ख़िलाफ़ 'गाय की तस्करी'और 'गोमांस खाने' और 'सीट साझा न करने' जैसे कई ऊटपटांग आरोप लगाए गए हैं तो एडवोकेट संतोष हेज ने जॉर्ज बर्नार्ड शॉ के उपन्यास आर्म्स एंड द मैन से एक वाक्य उद्धृत किया है - "मैं ख़ुद की सुरक्षा के लिए शैतान को क़ानून का लाभ दे दूंगा।" हां, क़ानून के शासन की तरह सरल है, अगर आपको लगता है कि कोई व्यक्ति एक 'गाय तस्कर' है तो आप पुलिस को बुलाएं, लेकिन क़ानून को अपने हाथों में न लें!

बैठक में गोरखपुर के डॉ. कफ़ील ख़ान ने नफ़रत की बीज बोने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं की आलोचना करते हुए यह भी कहा कि उनकी पुस्तक चाइल्डकेयर एंड पेडियाट्रिशियन की लॉन्चिंग को उनके राजनीतिक दृष्टिकोण के चलते एम्स के प्रतिष्ठित हॉल में किस तरह रद्द कर दिया गया था। रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने उन्हें किसी भी तरह पुस्तक लॉन्च करने में मदद की।

साउथ एशियन डॉक्यूमेंटेशन सेंटर और तीन दशकों से मानवाधिकारों के लिए अभियान चलाने वाले रवि नायर ने सभी को चेताया था कि राज्य और सरकार के बीच अंतर था। राज्य को अपना कर्तव्य निभाना था, जबकि सरकार हर पांच साल में बदल जाती थी। उन्होंने राज्य को उसके प्राथमिक कर्तव्य यानी नागरिक की रक्षा न करने को लेकर चर्चा की।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने भारत की वास्तविकता के बारे में बात की जहां ईसाई, दलित और मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा हर रोज़ हक़ीक़त बन रही थी और हर किसी को बोलने की ज़रूरत थी।

तभी मैंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद को दर्शकों के बीच देखा। आख़िरी बार मैं उनसे कन्स्टीट्यूशन क्लब में मिली थी जहां वह धर्मनिरपेक्षता पर एक बैठक में शामिल होने आए थे। उसने कहा "मुझ पर गोली चली है'। मैंने देखा कि मानो मेरा देश की काल्पनिक दुनिया का दुःस्वप्न बन गया था क्योंकि उन्होंने बताया कि कैसे किसी ने उन्हें कन्स्टीट्यूशन क्लब के बाहर धक्का दिया था और गोली मारने की कोशिश की थी जो संसद से महज कुछ ही मिनट की दूरी पर है। यह बहुत ही चौंकाने वाली घटना थी कि ऐसी घटना संसद से कुछ मिनट की दूरी पर होनी चाहिए जब वह शांतिपूर्ण बैठक में हिस्सा लेने आए थे। घटना के बाद पुलिस को बुलाया गया और ख़ालिद को उनका बयान दर्ज करने के लिए ले जाया गया। प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने तब शांत रहने की अपील की थी और गार्ड से कहा था कि वे हॉल के अंदर सभी को बंद न करें क्योंकि बाहर गोलियां चली थी।

आज मैंने ख़ालिद से पूछा कि केस का क्या हुआ? मुझे पता था कि आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया गया था।

यह मेरा देश धर्मनिरपेक्षता के आदर्शों पर स्थापित है और मैं नहीं चाहता कि यह नफ़रत का गणराज्य बने।

1800-313-60000 पर कॉल करें क्योंकि हम संबंधित नागरिकों के समूह यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के साथ हैं लेकिन मुझे भी कहीं न कहीं चाहिए जहां आप और मैं दोनों यूनाइटेड फॉर लव के लिए कॉल कर सकते हैं। कुछ ही लोग थे जो उस रात महात्मा गांधी के साथ कमरे में बैठकर भजन गा रहे थे और मुट्ठी भर सत्याग्रहियों ने उनके साथ डांडी यात्रा की। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का रास्ता बदल दिया।

कुछ ही लोग इतिहास के रास्ते को प्यार से बदल सकते हैं। प्रिय पाठक इसे आप कर सकते हैं।

लेखक फिल्म-निर्देशक और पुरस्कार विजेता लेखक हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी है।

mob lynching
Hate Crimes
Lynching Toll-Free Number
United Against Hate
harsh mander
Mahatma Gandhi
Ahmisa
Satyagraha

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश

वैष्णव जन: गांधी जी के मनपसंद भजन के मायने

कांग्रेस चिंता शिविर में सोनिया गांधी ने कहा : गांधीजी के हत्यारों का महिमामंडन हो रहा है!

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

कौन हैं ग़दरी बाबा मांगू राम, जिनके अद-धर्म आंदोलन ने अछूतों को दिखाई थी अलग राह

गाँधी पर देशद्रोह का मामला चलने के सौ साल, क़ानून का ग़लत इस्तेमाल जारी

मैंने क्यों साबरमती आश्रम को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है?

प्रधानमंत्री ने गलत समझा : गांधी पर बनी किसी बायोपिक से ज़्यादा शानदार है उनका जीवन 


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License