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भारत
राजनीति
आईएल एंड एफएस: न सत्यम, न लेहमैन, शायद यह दोनों ही हो सकता है!
सरकार द्वारा नियुक्त नए बोर्ड का कॉरपोरेट जगत ने स्वागत किया है लेकिन यह 91,000 रूपए जैसे बड़े क़र्ज़ को कैसे अदा करेगा?

सुबोध वर्मा
08 Oct 2018
IAL

कोटक महिंद्रा बैंक के मालिक उदय कोटक के नेतृत्व में नवगठित बोर्ड में सात सदस्यों की नियुक्ति और आईएल एंड एफएस के निदेशक मंडल को मोदी सरकार की पूरी मंज़ूरी और सहायता मिली है। कॉर्पोरेट विशेषज्ञोंं, फाइनांशियल मीडिया और साउथ ब्लॉक में लोगों का मानना है कि भ्रष्ट लोग बाहर हैं,अनुभव की कमी वाले लोग अंदर हैं।

लेकिन अपनी पहली ही बैठक के बाद उदय कोटक ने मीडिया से कहा कि चीजें जटिल हैं। सभी को पता था, लेकिन जो कोटक ने खुलासा किया वह डरावना था: आईएल एंड एफएस के पास 169 सहायक कंपनियों की व्यापक रूप से रिपोर्ट किए गए आंकड़े के विपरीत 348 "कंपनियां" थीं।

यह विचित्र स्थिति है कि आईएल एंड एफएस के बैलेंस शीट की जांच पिछले कुछ महीनों तक कॉरपोरेट एकाउंटिंग संस्था के अधीन था जिसने निजी क्षेत्र के इन्फ्रा कंपनी से जुड़े लगभग 180 इकाइयों का खुलासा नहीं किया। लेकिन यह बेहद ख़ौफनाक है कि आईएलएंडएफएस के कुल ऋण 91,000 करोड़ रुपए का अनुमान169 ज्ञात सहायक कंपनियों के आधार पर था। गुप्त कंपनियों के बारे में आखिर क्या है जो रहस्यमय तरीक़े से अभी सामने लाए गए हैं? क्या ऋण का बोझ काफी ज़्यादा हो जाएगा?

 

अनुभवहीन सदस्य

 

एक संबंधित सवाल यह है: आईएल एंड एफएस की कुव्यवस्था को संभालने के लिए नवगठित बोर्ड क्या सक्षम है? नियुक्त किए गए नए सदस्यों की पृष्ठभूमि को खंगालने से पता चलता है कि उनमें से अधिकतर के पास बुनियादी ढांचे या गैर-बैंकिंग वित्त के कार्यों का अनुभव नहीं हैं। आईएल एंड एफएस के पास दोनों ही था, समय गुजरने के साथ इसकी सहायक कंपनियों के समूह ने एक दूसरे को उधार देने के भ्रम को दोगुना कर दिया।

लेकिन कुछ गंभीर मामले हैं। कई बोर्ड सदस्यों को नियामकों के साथ उन्हें परेशानी होती रही है। पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक ने उदय कोटक से बैंकिंग नियमों के अनुसार कोटक महिंद्रा बैंक में अपनी शेयरधारक हिस्सेदारी दिसंबर 2018 तक 20% से नीचे और 2020 तक 15% करने को कहा था। कोटक ने अपने होल्डिंग को कम करने के लिए गैर परिवर्तनीय वरीयता शेयरों के मुद्दे पर नियामक की मंजूरी मांगी लेकिन फिर आरबीआई ने इससे इनकार कर दिया। विशेषज्ञों ने उद्धृत किया था कि कोटक जैसे अनुभवी बैंकर जिन्होंने कमेटी ऑन कॉर्पोरेट गवर्नांस की अध्यक्षता की है वे इन रणनीतियों को आजमाएंगे।

आईएल एंड एफएस बोर्ड के एक अन्य सदस्य जीएन बाजपेई हैं जो कि बाज़ार नियामक सेबी और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे दो असफल कंपनियों किंगफिशर एयरलाइंस (विजय माल्या) और धनलक्ष्मी बैंक के बोर्ड में भी थे जहां वित्तीय लापरवाही की अलग ही घटना है। तीसरे नए बोर्ड सदस्य जीसी चतुर्वेदी हैं जो आईसीआईसीआई बैंक के ग़ैर-कार्यकारी अध्यक्ष हैं।अपनी पहली बैठक में नए बोर्ड ने टेक महिंद्रा के पूर्व उपाध्यक्ष विनीत नय्यर को आईएल एंड एफएस का उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक चुना। साल 2009में सत्यम को बचाने के लिए सरकार द्वारा नय्यर को लाया गया था।

क्या यह सत्यम की पुनरावृत्ति है?

साल 2009 में फ़र्ज़ी राजस्व, ब्याज और विदेशी मुद्रा लाभ को लेकर 7,855 करोड़ रुपए की विशाल लेखांकन धोखाधड़ी के चलते सत्यम कंप्यूटर्स का मामला उजागर किया गया था। बैंक खाता विवरण के अनुसार इनवॉइस को तैयार किया गया था जिससे कंपनी बेहतर स्थिति में दिखाया गया जो कि निवेशकों को लुभाने लगे। इसकी तुलना एनरॉन घोटाले से की गई थी क्योंकि दोनों ही का गुण लेखांकन धोखाधड़ी से ही था। क्या आईएल एंड एफएस ने इसी तरह का धोखाधड़ी किया है?

आईएल एंड एफएस के नवनियुक्त एमडी नय्यर ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सत्यम मामले में घोर अपराध किए गए थे लेकिन आईएल एंड एफएस मामले में "अब तक किसी भी प्रकार के घोर अपराध का कोई सबूत नहीं है"। यह सत्य है लेकिन क्या यह संभावना नहीं है? आखिरकार, कोई भी यह नहीं जानता था कि आईएल एंड एफएस की 180 सहायक कंपनियां मौजूद थीं? और यहां तक कि ज्ञात लोगों में से अभी भी किसी का फोरेंसिक ऑडिट नहीं किया गया है। सरकार ने सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) से रिकॉर्ड का जांच करने और अनियमितता का पता लगाने के लिए कहा है। इसमें समय लगेगा लेकिन इसे कैसे ख़ारिज किया जा सकता है?

सच्चाई यह है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां आईएल एंड एफएस की वित्तीय सेवाओं की शाखा को आख़िर तक शीर्ष रेटिंग देती रही। मार्च 2018 में,आईसीआरए ने आईएल एंड एफएस कमर्शियल पेपर को ए1 + रेटिंग और इसके गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर को एएए रेटिंग दिया था। यह सब कुछ नष्ट होने से कुछ सप्ताह पहले अगस्त में पहली बार स्थिति में गिरावट आने तक लगातार जारी रहा। यह ऐसे समय में हुआ जब उसका क़र्ज़ 'न वापस करने की बिंदु'को पहले से ही पार कर रहा था। या तो रेटिंग एजेंसियां आईएल एंड एफएस के लिए बताए गए संकेतों को अनदेखा कर रही थीं - जैसा कि 2008 के वित्तीय संकट से पहले यूएस में लेहमैन ब्रदर्स और बाकी सब-प्राइम मोर्टगेज विक्रेताओं के साथ हुआ था। या आईएल एंड एफएस पुस्तकें तैयार कर रहा था।इसलिए, संभवतः सत्यम का कुछ असर है।

लेहमैन से तुलना

लगभग एक दशक पहले अमेरिका के चौथे सबसे बड़े निवेश बैंक लेहमन ब्रदर्स ने 15 सितंबर, 2008 को दिवालियापन संरक्षण के लिए आवेदन दिया था। इसकी संपत्ति 639 बिलियन डॉलर थी और क़र्ज़ क़रीब 613 बिलियन डॉलर था। इसने दुनिया के सबसे बुरे वित्तीय संकट को जन्म दिया जिसे दुनिया ने देखा औरइसके चलते बड़ी असफल कंपनियों जैसे एआईजी (85 बिलियन डॉलर), बीयर स्टर्न ($ 29 बिलियन), मोर्टगेज लेंडर फैन्नी माए एंड फ्रेड्डी मैक (200बिलियन डॉलर) और आर्थिक सुधार के लिए बैंकों को 700 बिलियन डॉलर का सामान्य बेलआउट देने के लिए यूएस सरकार को मजबूर किया।

आईएल एंड एफएस लेहमैन की तुलना में मामूली है लेकिन कुछ समानांतर चीजें हैं और कुछ अंतर भी हैं। दोनों दावा कर रहे थे कि धराशायी होने से कुछ महीने पहले चीजें बेहतर थीं। दोनों ही अधिक लीवरेज्ड थे - शेयरधारक इक्विटी की तुलना में अधिक ऋण-आधारित संपत्तियां। लेहमैन ने पसंदीदा स्टॉक को जारी करके पूंजी जुटाने की कोशिश की, जैसे कि आईएल एंड एफएस बोर्ड करना चाहता था।

ये अंतर स्पष्ट है - आईएल एंड एफएस इंफ्रा बिल्डिंग में है, न सिर्फ उधार दे रही और इसका लीवरेज अनुपात लेहमैन के ध्वस्त होने के समय की रिपोर्ट की तुलना में कम दिखता है। लेकिन फिर, उदय कोटक सहित कोई भी नहीं जानता है कि क्या वास्तव में ऋण का कितना बड़ा बोझ है।

मोदी सरकार ने आईएलएंडएफएस को बचाने के लिए बोर्ड की नियुक्ति की और उठ रही आवाज़ों को आश्वस्त किया, साथ ही सहायता के लिए एलआईसी को आगे किया। आईएलएफएस में एलआईसी का 25% से अधिक शेयर हिस्सेदारी है और डूबने वाले जहाज को बचाने का कोई कारण नहीं है। लेकिन ऐसा किस तरह होता है।

जो कुछ भी हो, आईएल एंड एफएस लेहमैन की तरह डूबा नहीं है, लेकिन सभी अनिश्चितता को देखते हुए, आने वाले महीनों में भयावह स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता है।इसलिए, लेहमैन के कुछ अलग-अलग स्थितियां भी हैं।

गंभीर आर्थिक स्थिति

ऐसी खबरें हैं कि अन्य बुनियादी ढांचा कंपनियां तनाव में हैं। गैर-निष्पादित संपत्ति या खराब ऋण रिकॉर्ड उच्च स्तर पर हैं। ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आई है। क्रेडिट वृद्धि मंदी की स्थिति में है। औद्योगिक उत्पादों की मांग धीमी है। चालू खाता का घाटा बढ़ रहा है। परेशान सरकार संसाधनों को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक रूप से सार्वजनिक संपत्ति बेच रही है क्योंकि व्यवसाय लागू किए गए नए जीएसटी से संघर्ष कर रहा है। और बेरोज़गारी बढ़ रही है जिससे व्यापक आर्थिक असंतोष पैदा हो रहा है।

अगले वर्ष होने वाले चुनावों को लेकर सरकार काफी परेशान नज़र आ रही है। यह ऐसी गंभीर परिस्थितियां हैं जो आम तौर पर वित्तीय संकटों को तीव्र करती हैं, खासकर अगर आप कॉर्पोरेट कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं और सरकारी खर्च को बढ़ाने को अनिच्छुक हैं।

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Satyam
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