NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
AISHE रिपोर्ट 2017-18: सिर्फ 3.6% कॉलेज पीएचडी प्रोग्राम करवाते हैं
अगर हम पीएचडी में दाखिले को दो श्रेणियों में रखें जहाँ एक तरह सरकारी अनुदान पाने वाले विश्विद्यालय हों और दूसरी तरह निजी विश्वविद्यालय तो हम पाएंगे कि भारत के 80% पीएचडी छात्र सरकारी विश्विद्यालयों में पढ़ते हैं और 20 % निजी विश्विद्यालयों में।

अधिराज नायर
04 Aug 2018
Translated by ऋतांश आज़ाद
PHD

26 से 28 जुलाई को दिल्ली की उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नयेपन पर विभिन्न कुलपतियों की तीन दिवसीय कांफ्रेंस हुई। इस कांफ्रेंस के अंत में एक 10 सूत्री  प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें एक सूत्र था कि शिक्षकों और छात्रों को प्रतिस्पर्धा आधारित शोध निधि योजनाओं में भाग लेने के लिए दिशानिर्देश द्वारा अनुसंधान उत्पादिता को बढ़ाया जाए। इस आयोजन के आखरी दिन All India Survey Higher Education (AISHE) की 2017-18 रिपोर्ट मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा जारी की गयी। 

जब सरकार अनुसंधान को बेहतर बनाने की मंशा जता रही है, तब हमें भारत के विभिन्न राज्यों में पीएचडी की स्थिति की जाँच करनी चाहिए। हमें 2017-18 की AISHE रिपोर्ट की जाँच करनी चाहिए। 

सभी 3,66,42,378 (3.6 करोड़) छात्रों में से 79.19% छात्र स्नातक कार्यक्रमों में हैं, 11.23% छात्र स्नातकोत्तर में। पीएचडी में दाखिला लेने वाले  1,61,412 छात्र  हैं (इनमें 3,110 इंटीग्रेटेड पीएचडी छात्रों को जोड़ा नहीं गया है) जो 0.5% से भी कम है। इन छात्रों में  57% से ज़्यादा पुरुष हैं और 42.6% महिलायें हैं। पीएचडी में दाखिला लेने वालों की संख्या में थोड़ी वृद्धि हुई है, 2013-14 में यह संख्या 1,07,890 थी और2017-18 में यह संख्या 1,61,412  हो गयी है। 

जैसा कि पहले भी रिपोर्ट किया गया है कि देश में 78% कॉलेज निजी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, उनमें से कुछ सहायता प्राप्त हैं बाकियों को सहायता नहीं मिलती। वहीं दूसरी तरफ 22 % सरकारी कॉलेज हैं। जिन कॉलेजों में पीएचडी प्रोग्राम हैं उनकी संख्या सिर्फ 3.6 % है। अगर सरकार को सच में भारत की अनुसंधान क्षमता को बढ़ाना है, तो इस दिशा में पहले कदम के तौर पर पीएचडी करवाने वाले संस्थानों की संख्या को बहुत तेज़ी से बढ़ाना होगा। 

इसीलिए छात्र सरकारी विश्विद्यालयों में सबसे ज़्यादा पीएच.डी. छात्र (31.6%) हैंI  इसके बाद राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों  में (20.4%) हैं, फिर केंद्रीय विश्विद्यालय (15.8%) में और फिर डीम्ड और निजी विश्वविद्यालय (13.4%) में।  

अगर हम पीएचडी में दाखिले को दो श्रेणियों में रखें जहाँ एक तरह सरकारी अनुदान पाने वाले विश्विद्यालय हो और दूसरी तरह निजी विश्वविद्यालय तो हम पाएंगे कि भारत के 80%पीएचडी छात्र सरकारी विश्विद्यालयों में पढ़ते हैं और 20 % निजी विश्विद्यालयों में। 

इसका मुख्य कारण है कि सरकारी विश्विद्यालयों के मुकाबले निजी विश्विद्यालयों की फीस बहुत ज़्यादा होती है। जहाँ एक तरफ JNU और DU जैसे संस्थान हर साल 1,000 रुपये शैक्षिक फीस के तौर पर लेते हैं (इसमें रेजिस्ट्रेशन फीस शामिल नहीं है) और IIT में छात्रों को 50,000 रुपये हर साल देने होते हैं, इसमें हॉस्टल और बाकि तरह की फीस शामिल हैं। वहीं दूसरी तरफ निजी संस्थानों की सालाना फीस40,000 रुपये से लेकर 1,00,000 रुपये तक होती है, जिसमें हॉस्टल फीस शामिल नहीं है।  इसके आलावा वे बहुत ज़्यादा रेजिस्ट्रेशन फीस (10,000-15,000 रुपये), डीज़रटेशन फीस (10,000-20,000 रुपये) और दूसरी फीस भी लेते हैं। 

इसीलिए हम देख सकते हैं कि JNU और DU जैसे विश्विद्यालयों में जहाँ छात्रों ने कम फीस की माँग को लेकर सालों तक आंदोलन किया है, वहाँ पीएचडी की 5 साल की पढ़ाई प्राइवेट विश्विद्यालयों की रेजिस्ट्रेशन फीस से भी कम है। लेकिन IIT की फीस निजी विश्विद्यालयों की राह पर चलने  JNU और DU से ज़्यादा है। इसीलिए हम देखते हैं कि निजी संस्थान बहुत महँगे होते हैं इसी वजह से यहाँ सरकारी संस्थानों से कम पीएचडी छात्र हैं। 2017-18  रिपोर्ट के हिसाब से 34,400 छात्रों को पीएचडी डिग्री मिली जिसमे 20,179 पुरुष और 14,221  महिलाएँ थीं। इसी तरह 2016 में पीएचडी की डिग्री पाने संख्या28,779 थी। 

PHD
Higher education
UGC
AISHE

Related Stories

बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर

डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी

कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से जितने लाभ नहीं, उतनी उसमें ख़ामियाँ हैं  

नई शिक्षा नीति का ख़ामियाज़ा पीढ़ियाँ भुगतेंगी - अंबर हबीब

नेट परीक्षा: सरकार ने दिसंबर-20 और जून-21 चक्र की परीक्षा कराई एक साथ, फ़ेलोशिप दीं सिर्फ़ एक के बराबर 

यूजीसी का फ़रमान, हमें मंज़ूर नहीं, बोले DU के छात्र, शिक्षक

नई शिक्षा नीति ‘वर्ण व्यवस्था की बहाली सुनिश्चित करती है' 

45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए होगी प्रवेश परीक्षा, 12वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश खत्म

शिक्षाविदों का कहना है कि यूजीसी का मसौदा ढांचा अनुसंधान के लिए विनाशकारी साबित होगा

शिक्षा बजट: डिजिटल डिवाइड से शिक्षा तक पहुँच, उसकी गुणवत्ता दूभर


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License