NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
आम चुनाव 2019 : उत्तराखंड के मजदूरों की हालत बद से बदतर लेकिन सरकार चुप
इस चुनाव में उत्तराखंड के मज़दूर के सवाल किसी भी राजनीतिक दलों के चुनावी एजंडे का हिस्सा नहीं है | जबकि हकीकत यह है कि पिछले कई सालों से उत्तराखंड में कई फैक्ट्री बंद हुई है, मज़दूरों की छंटनी हुई है |
मुकुंद झा
10 Apr 2019
EMPLOYEE

11अप्रैल को पहले दौर का मतदान है। इसी चरण में उत्तराखंड की सभी पांचो सीटों पर मतदान होना है। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झौंक रखी है। सभी चुनाव जीतने की दावा कर रही हैं। लेकिन इस चुनाव में वहाँ के मज़दूर के सवाल किसी भी  राजनीतिक दलो के चुनावी एजंडे का हिस्सा नहीं है | जबकि हकीकत यह है कि पिछले कई सालो में कई फैक्ट्री बंद हुई है, मज़दूरों की छंटनी हुई है | ऐसे ही एक कम्पनी जो माइक्रोमैक्स का उत्पाद बनाने वाले भगवती प्रोडक्ट्स बनती है, पंत नगर (उत्तराखंड ) में है। इस कम्पनी में अवैध छँटनी के शिकार हुए कर्मचारियों के 100 दिन से अधिक हो गए है |

 ये  मज़दूर पिछले 100 दिनों से गैरकानूनी छँटनी के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। कंपनी की गेट पर रात-दिन धरना जारी है। लेकिन इनकी सुध लेने वाल कोई भी नहीं है| दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी सहित शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं की बड़ी रैलियों के बाद , 2019 के आम चुनावों के पहले चरण में उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों के लिए चुनाव-प्रचार मंगलवार शाम को समाप्त हो गया। पिछले चुनावों की तरह ही, भाजपा फिर से सभी पांच सीटों - टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, अल्मोड़ा और नैनीताल में में जीत दर्ज करने का प्रयास कर रही है वही कांग्रेस भी अपने खोया जनाधार पाने की कोश्शि कर रही है,अपने पक्ष में समर्थन हासिल करने के लिए अभियान चला रही है । हालांकि, 2014 में सभी पांच सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इसबार उनके लिए ऐसा कर पाना  आसान नहीं दिख रहा है क्योंकि पिछले 5  साल से केंद्र में और दो साल से राज्य में भी भाजपा  की सरकार है | लोगो ने बड़ी उम्मीद से इन्हें वोट दिया था |

कम से कम उत्तराखंड के मज़दूर वर्ग में तो सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा दिख रहा है | वो खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं | भाजपा जितने भी दावे कर ले लेकिन वो जानती है कि इसबार का चुनाव जितना  आसान नहीं होगा | 

पिछले कई सालो में कई बड़ी फैक्ट्रियों में गैर क़ानूनी छँटनी हुई है और लगातार  जिस तरह से सरकार ने मज़दूरों के हक़ खिलाफ खड़े हुई है | मज़दूरों ने कहा सरकार ने एक तरह की फैक्ट्री मालिकों के पक्ष में आपराधिक चुप्पी साधे हुए है | जिसका हर्जाना उन्हें इस चुनावो में उठाना पड़ेगा |

मज़दूरों में नाराजगी ज़ाहिर भी क्योंकि माइक्रोमैक्स का उत्पाद बनाने वाले भगवती प्रोडक्ट्स कोई पहली कम्पनी नहीं है जहाँ सैक़डो की संख्या में मज़दूरों की  छंटनी  हुई हो इससे कुछ समय पहले इस तरह की घटना रुद्रपुर में इंट्रार्क मजदूरों  भी हुआ था | जिसके बाद वहाँ एक लंबा आंदोलन हुआ था वहां भी सरकार का रैवया सवालों केघेरे में था ,मज़दूरों के मुद्दों के हल करने के बजाए उनके नेताओ की प्रताड़ना और उनकी गिरफ़्तारी की गई |

माइक्रोमैक्स का उत्पाद बनाने वाले भगवती प्रोडक्ट्स छंटनी का मामला क्या है ?

वहाँ  के मज़दूरों ने  बताया  कि  पिछले वर्ष दिसंबर में क्रिसमस के मौके पर उन्हें दो तीन दिन की छुट्टी दी गई थी, जिसके बाद मज़दूर अपने काम पर आये तो उन्हें गेट पर एक नोटिस लगा  मिला, जिसमें 300 से अधिक कर्मचरियो का नाम लिखा था। बताया गया कि इनकी सेवाएं अब समाप्त कर दी गई | अचानक बिना कोई नोटिस के ऐसा फैसल कैसे लिया जा सकता था? इससे सभी कर्मचारी हैरान थे , मैनजमैंट के इस फैसले से काफी गुस्से में भी थे | उन्होंने मैनजमैंट से इस गैर क़ानूनी छटनी पर सवाल किया तो कहा गया की फैक्ट्री में अब इतने लोगो का काम नहीं है इसलिए इनको हटाया जा रहा है , जबकि वहाँ काम करने वाले मज़दूरों का कहना है  जब वो वहाँ  काम कर रहे थे तब भी  मज़दूरों से उनकी क्षमता से अधिक काम लिया जाता था। अचानक यह कहना काम नहीं है समझ से परे है |

तब से ही भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) के हम मजदूर विगत 100 दिनों से गैरकानूनी छँटनी के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। कंपनी गेट पर रात-दिन का धरना जारी है। इस दौरान मैनजमैंट ने तमाम तरह की दिक्कतें पैदा की और कई धाराओं में मजदूरों पर केस दर्ज किया  |

मज़दूर प्रतिनधि दीपक ने कहा कि  वो  शासन-प्रशासन से कोई न्याय न मिलने के बाद उच्च मामला न्यायालय चले गए है, जिस पर सुनवाई चल रही है।

साथ ही औद्योगिक न्यायाधिकरण में भी मामला चल रहा है। इन सारी स्थितियों के कारण संगठन के सामने आर्थिक तौर पर बड़ा संकट पैदा हो गया है।इसके आलावा इस फैक्ट्री के मज़दूरों का पिछले तीन महीने से आय का कोई स्रोत नहीं है बचा है जिस कारण अब उन्हें अपने परिवार का निर्वाह करने में भरी दिक्क्तों का समाना करना पड़ रहा है | आगे उन्होंने बताया कि  कई ऐसे भी परिवार जहाँ दो वक्त का खाना भी नहीं बन पा रहा है, वो एक समय खाकर ही गुजारा कर  रहे हैं  |

क्यों मज़दूरों की छँटनी  हो रही है ?

उत्तराखंड में पिछले कुछ समय में लगातर मज़दूरों की छटनी की खबरे बढ़ी है, अचानक ऐसा क्या हुआ जो कंपनियां मज़दूरों की संख्या को लगातार कम कर रही है | इसके लिए हमने कई मज़दूर नेताओं से बात की तो उन्होंने बताया  की जब उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग हुआ तो इस राज्य में आने वाली नई कम्पनियो को कई तरह की  छूट दी गई थी जिससे उन्हें यहाँ स्थापित होने में मदद मिले | इस कारण बड़ी संख्या में उद्योग यहाँ आए थे | लेकिन ये केवल  दस साल के लिए था, अब जैसे ही यह समय सीमा  खत्म हो रही है तो कंपनियों  को लग रहा है कि उनके  उत्पादन की दर बढ़ जाएगी | इसलिए वो अपने उद्योग को किसी और राज्य  में ले जा रही हैं।  

लेकिन जब  बंद होने वाली फैक्ट्रियों का मालिक  इस बात को पूरी तरह से नजरंदाज कर रही है कि  यहां काम करने वाले मज़दूरों का क्या होगा ?

 मजदूरों ने बताया कि ये जो कर्मचारियों की छंटनी  हुई है ये लगभग 4  साल से काम कर रहे थे , और ये अगर 5 साल तक काम करेते तो श्रम कानूनों  के हिसाब से ग्रेज्युटी और अन्य लाभ के हक दर हो जाएंगे इससे भी बचने के लिए भी फैक्ट्री मालिक इस तरह की छटनी करते है |

नंदन सिंह जो इस फैक्ट्री में काम कर रहे है थे उन्हें भी इस छंटनी  में बहार कर दिया गया है।  उन्होंने कहा बेशक इस देश में हर  छोटा-मोटा पूंजीपति मजदूरों और छोटे कर्मचारियों की मेहनत को लूटना अपना संवैधानिक हक समझता है और इस लूट में इस देश का प्रशासन और सरकारें इन पूंजी पतियों का जमकर साथ देती है! कारखाना मालिकों और सरकार की मिलीभगत के बीच फंसा हुआ मजदूर अपनी मेहनत की लूट को तो चुपचाप जान लेता है, लेकिन जब उसके घर में जल रही चूल्हे की आग को उद्योगपति के फायदे के लिए बुझाने की कोशिश की जाती है तो उसके पास बिना संघर्ष के कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है!

मज़दूरों ने एक खुला पत्र भी लिखा है जिसमे एक साँझ अंदोलन की बात कही है क्योंकि वो जानते यह केवल एक उद्योग  की बात नहीं है |

इस पत्र में सहयोग की अपील के साथ भगवती श्रमिक संगठन ने लिखा है –

साथियो,यह संघर्ष हम सबका साझा संघर्ष है। यह संघर्ष केवल माइक्रोमैक्स प्रबंधन के खिलाफ नहीं है बल्कि जुर्म करने वाले सभी प्रबंधकों के खिलाफ है।शासन-प्रशासन के खिलाफ है जो मालिकों के पक्ष में खड़े होकर मजदूरों को दबा रहा है।ऐसे में हम नहीं चाहते हैं कि आज पैसे के अभाव में हमारा यह संघर्ष बीच रास्ते में टूट जाए, इसलिए हमें अपने मज़दूर साथियों के बीच में फिर से आना पड़ा है।आप तमाम साथियों ने पूर्व में भी हमारी मदद की है। हम एक बार फिर आपके पास नैतिक समर्थन के साथ ही साथ आर्थिक सहयोग की भी अपील करते हैं।हमें उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि आपका अधिकतम संभव सहयोग मिलेगा।

loksabha election 2019
UTRAKHANAD ELECTION
WORKERS CONDITION IN UTTARKAHND
MICROMAX WORKER IN UTTRAKHRN

Related Stories

7 महीने से आंदोलनरत मज़दूरों की प्रतिरोध सभा, एकजुटता का आह्वान

चुनाव 2019: मोदी सरकार की पसंदीदा योजनाओं की सच्चाई, भाग-1


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License