NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान
अमेरिका, चीन और दक्षिण एशिया में आतंकवाद का मूल कारण
अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पल्लडिनो की वाशिंगटन में हुई प्रेस वार्ता में तीन प्रमुख मुद्दे थे। भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर उन्होंने कहा, “अभी बहुत सारी निजी कूटनीति चल रही है।” वाशिंगटन और दो क्षेत्रीय राजधानियों के बीच "निरंतर उच्च-स्तरीय संपर्क" है।
एम. के. भद्रकुमार
08 Mar 2019
Translated by महेश कुमार
Samjhauta Express
(4 मार्च 2019 को समझौता एक्सप्रेस करीब 150 यात्रियों को लेकर लाहौर रेलवे स्टेशन से नई दिल्ली के लिए रवाना हुई)

अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पल्लडिनो की मंगलवार को वाशिंगटन में आयोजित प्रेस वार्ता में तीन प्रमुख मुद्दे थे, भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर उन्होंने कहा, “अभी बहुत सारी निजी कूटनीति चल रही है।” वाशिंगटन और दो क्षेत्रीय राजधानियों के बीच “निरंतर उच्च-स्तरीय संपर्क” है।

पल्लडिनो ने कहा कि पहली बात तो अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान को हमेशा से "स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए कदम उठाने के लिए"; आग्रह किया, दूसरा, तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच “प्रत्यक्ष बातचीत” हो; और, तीन, किसी भी तरह की सैन्य गतिविधि "स्थिति को खराब करेगी।" जिससे बचा जाना चाहिए (डेली टाइम्स)

वास्तव में, भारत और पाकिस्तान ने ‘तनाव’ को कम करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं: दिल्ली और लाहौर के बीच सप्ताह में दो बार चलने वाले ट्रेन समझौता एक्सप्रेस ने अपना कार्यक्रम फिर से शुरू किया है; नियंत्रण रेखा पर वस्तु विनिमय व्यापार पुन: शुरू किया गया है; करतारपुर कॉरिडोर पर परामर्श सही दिशा में हैं; और, पाकिस्तान ने अपने "राजनयिक प्रयासों में वृद्धि" के तौर पर दिल्ली में अपने दूत को वापस भेजने का फैसला किया है।

हालांकि, नियंत्रण रेखा पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, जबकि युद्ध का खतरा कम हो गया है। दिल्ली में रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तानी सेना पर एलओसी के पास "भारी क्षमता के हथियार" तैनात करने का आरोप लगाया है और दोनों भारतीय सैन्य चौकियों और असैन्य क्षेत्रों को मोर्टार बमों और भारी तोप के गोलों से निशाना बनाए जाने के लिए शिकायत की है, इस पर पाकिस्तान को भारतीय पक्ष की ओर से "तेज और सटीक प्रतिक्रिया" मिलीं है। लेकिन रक्षा मंत्रालय ने यह भी स्वीकार किया है, कि "पाकिस्तान की सेना को नागरिक क्षेत्रों को लक्षित नहीं करने के लिए हमारी चेतावनी के बाद, सीमा के आस-पास स्थिति बहुत ही शांत बनी हुई है।"

बड़ा सवाल भारत और पाकिस्तान के बीच "प्रत्यक्ष बातचीत" के बारे में है - दोनों प्रारूप और सामग्री के बारे में। सिद्धांत रूप से, यह भारत के पक्ष में होगा कि द्विपक्षीय बातचीत पर जोर दिया जाए। दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त की वापसी इस बात का संकेत है कि इस्लामाबाद उच्च-स्तरीय बातचीत का दरवाज़ा  खोलने का इच्छुक है। पाकिस्तान को बातचीत में उलझाने से दिल्ली आखिर कब तक बच सकती है?

कोई गलती न हो, अमेरिका (और चीन) भारत-पाकिस्तान वार्ता में एक हितधारक बन गए है। स्पष्ट रूप से, युद्ध और एक संभावित परमाणु फ्लैशपॉइंट का जोखिम वाशिंगटन (और बीजिंग) को चिंतित कर रहा है, समान रूप से, वाशिंगटन की तत्काल चिंता यह है कि भारत-पाकिस्तान तनाव अफगान शांति प्रक्रिया को पटरी से न उतार दे। अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि, राजदूत ज़ल्माय खलीलज़ाद के शब्दों में, तालिबान के साथ पिछले हफ्ते दोहा में बातचीत का नवीनतम दौर "उपयोगी" रहा है, लेकिन इसमें "समझ बनाने और अंततः शांति की दिशा में धीमे स्थिर कदम" का होना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि "सभी चार प्रमुख मुद्दे" अमेरिकी सैनिकों की वापसी, सुरक्षा गारंटी, युद्ध विराम और अफगान की आंतरिक वार्ता इसमें शामिल हैं।

दरअसल, अफगान शांति वार्ता के आगामी संवेदनशील चरण में पाकिस्तानी सहयोग महत्वपूर्ण है। लेकिन हाल के संकट ने यह भी उजागर किया कि भारतीय हमलों के द्वारा आतंकी हमलों के प्रतिशोध से युद्ध की संभावना बढ़ जाती है, जिससे जोखिम में ज्यादा वृद्धि होती है। सीधे शब्दों में कहें तो भारत-पाकिस्तान संबंध अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बन गए हैं।

क्या पाकिस्तान को बातचीत में उलझाना भारतीय राजनीतिक नेतृत्व के अनुकूल है? मुद्दा यह है कि, किसी भी तरह के "युद्धोन्माद" को कम करना, भाजपा को पीएम मोदी को "लौह प्रधान मंत्री" के रूप में पेश करने और अंध राष्ट्रवाद को आगामी चुनाव अभियान में प्रचार करने की आगामी संभावनाओं से वंचित करेगा। जबकि, युद्ध से बचने का मतलब है कि जनता का ध्यान राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे से हट सकता है, और भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में जलते मुद्दों की तरफ जा सकता है। रफ़ाल विवाद मोदी के लिए एक भारी अड़चन बन गया है।

इसके अलावा, एक बार जब पाकिस्तान के साथ तनाव कम हो जाएगा, तो 26 फरवरी को पाकिस्तान पर हमला करने के भारत के फैसले के बारे में सवाल उठने लाजिमी हैं। इसने इससे हासिल क्या किया? भारतीय विश्लेषकों ने एकतरफा निष्कर्ष निकाला है कि यह आतंकवाद के प्रति एक निवारक का काम करेगा। लेकिन यह साबित करने के लिए कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है। हर वक्त, सैन्य घटनाक्रमों पर पश्चिमी मीडिया की रिपोर्ट न केवल अत्यधिक हानिकारक रही है, बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने झूठी कहानी बनाने के प्रयास में दुष्प्रचार या साफ धोखे का सहारा लिया हो सकता है।

इसी जटिल पृष्ठभूमि में है कि प्रवक्ता पल्लदीनो के जरिये अमेरिका की भविष्यवाणी पर संकेत देने वाली अभद्र टिप्पणी को समझने की आवश्यकता है। (वाशिंगटन, डीसी, जोश व्हाइट, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में दक्षिण एशियाई मामलों के एक पूर्व निदेशक द्वारा लेख ‘अन्य परमाणु खतरा’ देखें।)

मूल रूप से, चीन भी अमेरिका की तरह ही उसी स्थिति में है। यह इस कारण से है कि वाशिंगटन दक्षिण एशिया में तनावपूर्ण स्थिति को लेकर बीजिंग के संपर्क में है।

बुधवार को बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने सीधे-सीधे एक सवाल का जवाब देने से परहेज किया कि इस सप्ताह में पहले इस्लामाबाद का दौरा करने वाले उप विदेश मंत्री कोंग जुआनौ भी दिल्ली की यात्रा करेंगे या नहीं।

बीजिंग ने पाकिस्तान और भारत को "आपस में सद्भावना प्रदर्शित करने, आधे रास्ते एक-दूसरे से मिलने, संवादों के माध्यम से मतभेदों को सुलझाने, और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार करने की सलाह दी है।" लेकिन लू कांग ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवादी समूहों के खिलाफ पाकिस्तान के नवीनतम कदमों के बारे में का "उसके मक़सद और पहल के बारे में मान्यता" देने की भी सलाह दी है, जो "आतंकवाद से और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से लड़ने के  लिए योगदान करने के अपने दीर्घकालिक प्रयासों के अनुरूप हैं।"

दिल्ली को किसी मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि बीजिंग इस्लामाबाद पर आतंकवाद के खिलाफ दबाव बनाने वाला है। वास्तव में, जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लू स्पष्ट था कि चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है। लू के अनुसार,“सुरक्षा परिषद और इसके सहायक निकायों में कार्य प्रक्रियाओं पर स्पष्ट मानक और नियम हैं। चीन इन मानकों और नियमों के सख्त अनुपालन में परामर्श में भाग ले रहा है। आप निश्चित रूप से जानते हैं कि इन मुद्दों की बहुपक्षीय चर्चा एक गंभीर और जिम्मेदार रवैये का आह्वान करती है। चीन का रवैया जिम्मेदारी की मजबूत भावना को दर्शाता है और प्रासंगिक मुद्दों के वास्तविक और स्थायी समाधान के अनुकूल है।”

जैसा कि हो सकता है, लब्बोलुआब यह है कि ब्रीफिंग में लू इस बात को रेखांकित करते हैं, कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले "जटिल कारकों" के बारे में चीन का "महत्वपूर्ण और सुसंगत दृष्टिकोण" है। लू ने कहा, "हम मानते हैं कि आतंकवाद को मिटाने के लिए, हमें लक्षणों और मूल कारणों दोनों का इलाज करना होगा।"

सबसे निश्चित रूप से, यह संदेश दिल्ली में गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि लू शायद खुद को ऐसा कुछ कहने के लिए आए थे जिसे पल्लदिनो नहीं कह सकते थे। हिंदुत्ववादियों का मानना है कि हाल के दिनों में वैश्विक जिहादवाद के व्यापक प्रसार ने विश्व समुदाय में कश्मीरी अलगाववाद के लिए सहानुभूति को छीन लिया है, काफी साधारण व्याख्या है।

सौजन्य: इंडियन पंचलाइन

USA
China
india-pakistan
South Asia
Terrorism
Samjhauta Express
Pulwama
air strike
balakot

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ

कश्मीर यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर को 2011 में लिखे लेख के लिए ग़िरफ़्तार किया गया

श्रीलंका का संकट सभी दक्षिण एशियाई देशों के लिए चेतावनी

पश्चिम बनाम रूस मसले पर भारत की दुविधा

जम्मू-कश्मीर : रणनीतिक ज़ोजिला टनल के 2024 तक रक्षा मंत्रालय के इस्तेमाल के लिए तैयार होने की संभावना

युद्ध के प्रचारक क्यों बनते रहे हैं पश्चिमी लोकतांत्रिक देश?

जलवायु परिवर्तन के कारण भारत ने गंवाए 259 अरब श्रम घंटे- स्टडी

कोविड-19: ओमिक्रॉन की तेज़ लहर ने डेल्टा को पीछे छोड़ा

विचार: व्यापार के गुर चीन से सीखने चाहिए!


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License