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अमेरिका की रोक से बढ़ सकती हैं तेल की कीमतें
 मार्क्सवादी पार्टी  पोलित ब्यूरो ने इस विषय पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि  कि ईरान से तेल आयात रोकने की दिशा में उठाया गया कोई भी कदम भारत की ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों के लिये नुकसानदायक साबित होगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 Apr 2019
oil
image courtesy- financial express

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फैसला लिया है कि भारत समेत पांच प्रमुख देशों को अब ईरान से तेल आयात करने की छूट नहीं मिलेगी। व्हाइट हाउस ने कहा कि ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंध में चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और तुर्की को मिल रही छूट को अब आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। छूट की समय-सीमा दो मई को समाप्त हो रही है। 

गौरतलब है कि  ट्रंप ने पिछले साल ईरान और दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था और तेहरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लागू कर दिए थे। हालांकि वाशिंगटन ने ईरान से तेल खरीदने वाले आठ प्रमुख देशों को इस प्रतिबंध में छूट प्रदान करते हुए उन्हें छह महीने तक ईरान से तेल आयात जारी रखने की अनुमति दी थी। इन देशों में चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली और यूनान शामिल हैं। अब  इस छूट को वापस लिया जा रहा है। यानी अगर भविष्य में अमेरिका का सहयोगी  देश बनकर रहना है तो अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबन्ध को मानना जरूरी है। 

 अमेरिका के इस  एलान के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोमवार को कच्चे तेल के दाम में जोरदार उछाल आया। ब्रेंट क्रूड का वायदा भाव 74 डॉलर के ऊपर चला गया। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में आई तेजी से भारतीय वायदा बाजार में भी कच्चे तेल का भाव तीन फीसदी से ज्यादा उछला। बाजार के जानकारों कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई इस तेजी का असर आने वाले दिनों में भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम पर देखने को मिलेगा क्योंकि भारत अपनी तेल की जरूरतों का 80 फीसदी आयात करता है और ईरान से तेल आयात करने वाला भारत प्रमुख देश है।

 इस पर विदेश मंत्रलाय की तरफ से यह बयान आया है कि वह ईरान से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों को आगे प्रतिबंधों में छूट नहीं देने के अमेरिका के फैसले के प्रभाव से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। 

 मार्क्सवादी पार्टी  पोलित ब्यूरो ने इस विषय पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि  कि ईरान से तेल आयात रोकने की दिशा में उठाया गया कोई भी कदम भारत की ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों के लिये नुकसानदायक साबित होगा।पोलित ब्यूरो ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पहले कहा था कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकार किये गये प्रतिबंधों को छोड़ कर किसी अन्य प्रतिबंध से भारत अप्रभावी रहेगा।माकपा ने अमेरिकी प्रतिबंधों को एकपक्षीय होने के कारण इन्हें गैरकानूनी बताते हुये कहा कि भाजपा सरकार को इन प्रतिबंधों को नकार कर देशहित में ईरान से तेल की खरीद जारी रखना चाहिये
  
कांग्रेस ने ईरान से तेल की खरीद पर भारत समेत अन्य देशों को प्रतिबंधों से मिली छूट हटाने के अमेरिकी निर्णय को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह मोदी सरकार की ‘‘कूटनीतिक एवं आर्थिक असफलता’’ है। यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेल कंपनियों को 23 मई तक पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया है ताकि ‘‘वोट बटोरे’’ जा सकें। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा,‘‘कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं - छह महीने में सबसे ज़्यादा ! रुपया लुढ़क कर ज़मीन पर गिर रहा है, 1 डॉलर = ₹69.61 है। अमेरिका ने ईरान से आयात होने वाले कच्चे तेल पर पाबंदी लगा दी है। भारत ने 2018 में ईरान से 230 लाख टन कच्चा तेल खरीदा था। भारत के लिए ईरान से तेल आयात करना सहज है क्योंकि हमारा देश रूपये में भुगतान करता है, न कि डॉलर में। ईरान से कच्चा तेल निर्यात करने को लेकर भारत पर अमेरिका की पाबंदी, क्या भारत की संप्रभुता पर हमला नहीं है?

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