NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पश्चिम एशिया
अमेरिका की रोक से बढ़ सकती हैं तेल की कीमतें
 मार्क्सवादी पार्टी  पोलित ब्यूरो ने इस विषय पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि  कि ईरान से तेल आयात रोकने की दिशा में उठाया गया कोई भी कदम भारत की ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों के लिये नुकसानदायक साबित होगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 Apr 2019
oil
image courtesy- financial express

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फैसला लिया है कि भारत समेत पांच प्रमुख देशों को अब ईरान से तेल आयात करने की छूट नहीं मिलेगी। व्हाइट हाउस ने कहा कि ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंध में चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और तुर्की को मिल रही छूट को अब आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। छूट की समय-सीमा दो मई को समाप्त हो रही है। 

गौरतलब है कि  ट्रंप ने पिछले साल ईरान और दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था और तेहरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लागू कर दिए थे। हालांकि वाशिंगटन ने ईरान से तेल खरीदने वाले आठ प्रमुख देशों को इस प्रतिबंध में छूट प्रदान करते हुए उन्हें छह महीने तक ईरान से तेल आयात जारी रखने की अनुमति दी थी। इन देशों में चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली और यूनान शामिल हैं। अब  इस छूट को वापस लिया जा रहा है। यानी अगर भविष्य में अमेरिका का सहयोगी  देश बनकर रहना है तो अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबन्ध को मानना जरूरी है। 

 अमेरिका के इस  एलान के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोमवार को कच्चे तेल के दाम में जोरदार उछाल आया। ब्रेंट क्रूड का वायदा भाव 74 डॉलर के ऊपर चला गया। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में आई तेजी से भारतीय वायदा बाजार में भी कच्चे तेल का भाव तीन फीसदी से ज्यादा उछला। बाजार के जानकारों कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई इस तेजी का असर आने वाले दिनों में भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम पर देखने को मिलेगा क्योंकि भारत अपनी तेल की जरूरतों का 80 फीसदी आयात करता है और ईरान से तेल आयात करने वाला भारत प्रमुख देश है।

 इस पर विदेश मंत्रलाय की तरफ से यह बयान आया है कि वह ईरान से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों को आगे प्रतिबंधों में छूट नहीं देने के अमेरिका के फैसले के प्रभाव से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। 

 मार्क्सवादी पार्टी  पोलित ब्यूरो ने इस विषय पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि  कि ईरान से तेल आयात रोकने की दिशा में उठाया गया कोई भी कदम भारत की ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों के लिये नुकसानदायक साबित होगा।पोलित ब्यूरो ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पहले कहा था कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकार किये गये प्रतिबंधों को छोड़ कर किसी अन्य प्रतिबंध से भारत अप्रभावी रहेगा।माकपा ने अमेरिकी प्रतिबंधों को एकपक्षीय होने के कारण इन्हें गैरकानूनी बताते हुये कहा कि भाजपा सरकार को इन प्रतिबंधों को नकार कर देशहित में ईरान से तेल की खरीद जारी रखना चाहिये
  
कांग्रेस ने ईरान से तेल की खरीद पर भारत समेत अन्य देशों को प्रतिबंधों से मिली छूट हटाने के अमेरिकी निर्णय को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह मोदी सरकार की ‘‘कूटनीतिक एवं आर्थिक असफलता’’ है। यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेल कंपनियों को 23 मई तक पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया है ताकि ‘‘वोट बटोरे’’ जा सकें। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा,‘‘कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं - छह महीने में सबसे ज़्यादा ! रुपया लुढ़क कर ज़मीन पर गिर रहा है, 1 डॉलर = ₹69.61 है। अमेरिका ने ईरान से आयात होने वाले कच्चे तेल पर पाबंदी लगा दी है। भारत ने 2018 में ईरान से 230 लाख टन कच्चा तेल खरीदा था। भारत के लिए ईरान से तेल आयात करना सहज है क्योंकि हमारा देश रूपये में भुगतान करता है, न कि डॉलर में। ईरान से कच्चा तेल निर्यात करने को लेकर भारत पर अमेरिका की पाबंदी, क्या भारत की संप्रभुता पर हमला नहीं है?

America
america and iran
america sanction to iran
oil price rise due to america policy toward iran
iran waivers

Related Stories

लखनऊ में नागरिक प्रदर्शन: रूस युद्ध रोके और नेटो-अमेरिका अपनी दख़लअंदाज़ी बंद करें

क्या पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के लिए भारत की संप्रभुता को गिरवी रख दिया गया है?

भारत को अफ़ग़ानिस्तान पर प्रभाव डालने के लिए स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने की ज़रूरत है

विश्लेषण: मोदी की बेचारगी से भरी अमेरिका यात्रा

तिरछी नज़र: ‘सरकार जी’ गये परदेस…वाह...आह...लेकिन

9/11 के बाद भारत में भी हालात हुए हैं ख़राब

अफ़ग़ानिस्तान को पश्चिमी नजर से देखना बंद करे भारतीय मीडिया: सईद नक़वी

नज़रिया: दिल्ली को काबुल से रिश्ता बनाना चाहिए

अमरीका के 'ग्रेट गेम' में कैसे पिसा अफ़ग़ानिस्तान

तालिबान के लिए अमेरिका जिम्मेदार, हम अफगानी जनता के साथ खड़े हैं- भाकपा माले


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान
    24 May 2022
    वामदलों ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और बेरज़गारी के विरोध में 25 मई यानी कल से 31 मई तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है।
  • सबरंग इंडिया
    UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध
    24 May 2022
    संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने दावा किया है कि देश में 10 करोड़ से ज्यादा आदिवासी और दूसरे समुदायों के मिलाकर कुल क़रीब 30 करोड़ लोग किसी ना किसी तरह से भोजन, जीविका और आय के लिए जंगलों पर आश्रित…
  • प्रबीर पुरकायस्थ
    कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक
    24 May 2022
    भारत की साख के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देशों में अकेला ऐसा देश है, जिसने इस विश्व संगठन की रिपोर्ट को ठुकराया है।
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी मस्जिद की परछाई देश की राजनीति पर लगातार रहेगी?
    23 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ज्ञानवापी मस्जिद और उससे जुड़े मुगल साम्राज्य के छठे सम्राट औरंगज़ेब के इतिहास पर चर्चा कर रहे हैं|
  • सोनिया यादव
    तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?
    23 May 2022
    पुलिस पर एनकाउंटर के बहाने अक्सर मानवाधिकार-आरटीआई कार्यकर्ताओं को मारने के आरोप लगते रहे हैं। एनकाउंटर के विरोध करने वालों का तर्क है कि जो भी सत्ता या प्रशासन की विचारधारा से मेल नहीं खाता, उन्हें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License