NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी सरकार हर रोज़ 121 बम गिराती हैः रिपोर्ट
इस बीच मोदी सरकार ने मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
14 Jul 2018
US drops 121 Bombs everyday

ट्रम्प प्रशासन में अमेरिकी सरकार हर 12 मिनट में कथित तौर पर एक बम गिराती है जिसका मतलब है कि एक दिन में 121 बम गिराए जाते हैं और हर साल 44,096 बम गिराए जाते हैं। पेंटागन के आंकड़ों से पता चलता है कि जॉर्ज डब्लू बुश के कार्यकाल के आठ वर्षों के दौरान प्रति दिन 24 बम गिराए गए यानी प्रति वर्ष 8,750 बम गिराए गए। ओबामा के समय में उनकी सेना प्रति दिन 34 बम गिराती थी यानी प्रति वर्ष 12,500 । इससे पता चलता है कि सभी अमेरिकी राष्ट्रपति युद्ध अपराधी (war criminals) हैं और ट्रम्प इनमें सबसे ज़्यादा क्रूर हैं।

राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की सेना ने 70,000 बम पांच देशों में गिराया। ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति बराक ओबामा के अधीन “563 हमले मुख्य रूप से ड्रोन हुए थे जिसमें पाकिस्तान, सोमालिया और यमन को निशाना बनाया गया था।"

प्रत्येक नए अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल में देखा गया है कि विदेशी सैन्य हमले में वृद्धि हुई है। अमेरिकी मीडिया के लिए ओबामा उदार लोकतंत्र का नायक थे। मानवता के ख़िलाफ़ उनके अपराधों के बारे में कभी भी ज्यादा कोई चर्चा नहीं की गई। हालांकि ट्रम्प की आलोचना उनकी मुखरता को लेकर की जाती है, उन्हें अक्सर एक अप्रिय विदूषक के रूप में चित्रित किया जाता है। लेकिन फिर भी मीडिया आसानी से बम और ड्रोन हमलों की उपेक्षा करता है।

काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन के अनुसार केवल 2016 में अमेरिका ने सात देशों में क़रीब 26,172 बम गिराए। इसी साल ट्रम्प प्रशासन ने पदभार संभाला था।

US drops 121 bombs everyday

उपर्युक्त चार्ट में अमेरिका द्वारा वर्ष 2016 में किए गए बमबारी का विवरण है।

पत्रकार विटनी वेब ने फरवरी में लिखा था, "आश्चर्य है कि मारे गए 80 प्रतिशत से अधिक लोगों की पहचान कभी भी नहीं की गई है और सीआईए के खुद के दस्तावेजों से पता चलता है कि वे इस बात से भी अवगत नहीं हैं कि वे किसकी हत्या कर रहे हैं -स्ट्राइक ज़ोन में दुश्मन लड़ाकू के रूप में इन सभी का नाम लेकर आम लोगों की मौत की रिपोर्ट करने के इस मुद्दे से परहेज करना।"

इसका तात्पर्य यह है कि तथाकथित स्ट्राइक जोनों में हुए हमले इस तथ्य के आधार पर पीड़ितों का दावा करते हैं कि वे स्ट्राइक जोन में होते हैं, हालांकि, मृतकों में से अधिकांश को भी पहचाना नहीं गया है, उसे पता लगाने का कोई तरीका नहीं है जो मरे थे वह नागरिक या दुश्मन लड़ाके।

अमेरिका की बमबारी के बारे में एक रिपोर्ट में पत्रकार और कार्यकर्ता डेविड डे ग्रॉ ने कहा, "सीआईए के अपने दस्तावेजों के मुताबिक़ 'हत्या की सूची' में 'ड्रोन' से लक्षित लोगों को निशाने से हुई मौत केवल 2% ड्रोन हमलों के कारण हुई।"

जिसका मतलब है कि मारे गए लोगों में से अधिकांश निर्दोष नागरिक होंगे।

इस बीच मोदी सरकार ने गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प को आमंत्रित किया है।

यह ध्यान में रखना चाहिए कि अमेरिकी सैन्य हमले कोई नई घटना से नहीं है; दुनिया भर में अपने आर्थिक हितों को साधने के लिए घोर अत्याचार करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जापान में परमाणु बम गिराकर, लैटिन अमेरिका में कठपुतली सरकारें चलाना, कोरिया, वियतनाम, चीन, इराक के ख़िलाफ़ आक्रामक हमले करना, अफगानिस्तान में सोवियत के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए आतंकवादी समूहों को वित्त पोषित करना, मध्य पूर्व में राजनीतिक अस्थिरता सुनिश्चित करना, इसके अलावा इस सूची में और भी घटनाएं हैं। क्या भारतीय उन लाखों लोगों का साथ देते है जिनकी ज़िंदगी अमेरिका ने बर्बाद कर दी है, या वे स्वेच्छा से अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वागत करेंगे?

America
अमरीका
बम
ट्रम्प
नरेंद्र मोदी
US weapons
trump administration

Related Stories

लखनऊ में नागरिक प्रदर्शन: रूस युद्ध रोके और नेटो-अमेरिका अपनी दख़लअंदाज़ी बंद करें

क्या पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के लिए भारत की संप्रभुता को गिरवी रख दिया गया है?

भारत को अफ़ग़ानिस्तान पर प्रभाव डालने के लिए स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने की ज़रूरत है

विश्लेषण: मोदी की बेचारगी से भरी अमेरिका यात्रा

तिरछी नज़र: ‘सरकार जी’ गये परदेस…वाह...आह...लेकिन

9/11 के बाद भारत में भी हालात हुए हैं ख़राब

अफ़ग़ानिस्तान को पश्चिमी नजर से देखना बंद करे भारतीय मीडिया: सईद नक़वी

नज़रिया: दिल्ली को काबुल से रिश्ता बनाना चाहिए

अमरीका के 'ग्रेट गेम' में कैसे पिसा अफ़ग़ानिस्तान

तालिबान के लिए अमेरिका जिम्मेदार, हम अफगानी जनता के साथ खड़े हैं- भाकपा माले


बाकी खबरें

  • निखिल करिअप्पा
    कर्नाटक: वंचित समुदाय के लोगों ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों, सूदखोरी और बच्चों के अनिश्चित भविष्य पर अपने बयान दर्ज कराये
    24 Mar 2022
    झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे कई बच्चों ने महामारी की वजह से अपने दो साल गँवा दिए हैं और वे आज भी स्कूल में पढ़ पाने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं। 
  • आज का कार्टून
    कश्मीर फाइल्स की कमाई कश्मीरी पंडितों को देने के सवाल को टाल गए विवेक अग्निहोत्री
    24 Mar 2022
    सच के इर्द गिर्द झूठ की कहानी बुनकर लोगों के बीच फ़ैलाने की कवायद किसी न किसी तरह फायदा हासिल करने से जुडी कवायद होती है। कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी फिल्म कश्मीर फाइल्स भी यही है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    बसपा की करारी हार पर क्या सोचता है दलित समाज?
    24 Mar 2022
    इस चुनाव में दलित वोटरों ने किस सोच के तहत अपना मत दिया? बसपा के विषय में आज उसके विचार किस ओर करवट ले रहे हैं? क्या उन्हें यह लगता है अब बसपा का चरित्र वो नहीं रहा जो तीन दशक पुराना था?
  • भाषा
    दिल्ली दंगे: जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को जमानत देने से अदालत का इनकार
    24 Mar 2022
    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 3 मार्च को खालिद और अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान खालिद ने अदालत से कहा था कि अभियोजन पक्ष के पास उसके…
  • अजय कुमार
    सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUCET) सतही नज़र से जितना प्रभावी गहरी नज़र से उतना ही अप्रभावी
    24 Mar 2022
    भारत के शिक्षा क्षेत्र की बड़ी परेशानी यह है कि उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या ज़्यादा है और उच्च शिक्षा के नाम पर बढ़िया संस्थान कम हैं। किसी तरह की छंटनी की प्रक्रिया बनाने से ज़्यादा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License