NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अमित शाह का पीछा नहीं छोड़ रहा फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामला !
मुठभेड़ मामले में गैंगस्टर आज़म खान के साथ-साथ जांच अधिकारी अमिताभ ठाकुर और संदीप तमगाडे का हालिया बयान रिहाई के बावजूद बीजेपी पार्टी अध्यक्ष का पीछा नहीं छोड़ रहा है।
विवान एबन
29 Nov 2018
AMIT SHAH

सोहराबुद्दीन शेख के फ़र्ज़ी मुठभेड़ के सभी साक्ष्यों को छिपाने के प्रयासों के बावजूद ये मामला अन्य लोगों के साथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को परेशान करना जारी रखेगा। इस मामले की सुनवाई अभी जारी है। मानिनी चटर्जी द्वारा दि टेलीग्राफ में लिखे लेख के अनुसार मुंबई में विशेष केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत के समक्ष हाल में दिए गए बयान ने एक बार फिर अमित शाह और सोहराबुद्दीन फ़र्ज़ी मुठभेड़ के बीच के रिश्ते को उजागर किया है। सोहराबुद्दीन मुठभेड़ की जांच करने वाले अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने 19 नवंबर को सीबीआई अदालत के समक्ष साजिशकर्ताओं के रूप में अमित शाह, डीजी वंजारा, राजकुमार पांडियन, दिनेश एमएन और अभय चुदासमा का नाम लिया। तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ की जांच करने वाले अधिकारी संदीप तमगाडे ने इस हत्या के मामले में अमित शाह, वंजारा, पांडियन और दिनेश एमएन का नाम लिया।

वर्तमान में सोहराबुद्दीन शेख फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में ये कार्यवाही लगभग 22 अन्य लोगों से जुड़ी है। ठाकुर के बयान के अनुसार शामिल 22 लोग अपने वरिष्ठों के आदेशों का केवल पालन कर रहे थे और इस तरह वे अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे थे। इसे दोबारा बताने की ज़रुरत नहीं है कि वास्तव में ये 'वरिष्ठ' कौन थे।

उस वक्त उदयपुर जेल में मौजूद गैंगस्टर आज़म खान का बयान शायद सोहराबुद्दीन शेख की हत्या करने के मकसद को स्पष्ट करता है। खान के अनुसार पंड्या को मारने का ये कॉन्ट्रैक्ट गुजरात के तत्कालीन डीआईजी डीजी वंजारा द्वारा सोहराबुद्दीन शेख और दो अन्य को दिया गया था।

2002 के गुजरात दंगे के संबंध में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति वीके कृष्णा अय्यर की अध्यक्षता वाले संबंधित सिटिजन ट्रिब्यूनल के सामने पेश होने के बाद पंड्या ने कथित तौर पर गुजरात में नाराज़ बीजेपी नेताओं को आमंत्रित किया था। मार्च 2003 में सुबह की सैर के लिए निकले पांड्य का शव उनकी कार में पाया गया। इस हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए लोगों को उच्च न्यायालय ने रिहा कर दिया था। अदालत ने जांच को लेकर पुलिस की भारी आलोचना की थी। इस मामले में अपील अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

वर्ष 2002 के बाद लगातार मुठभेड़ में हुई हत्याओं का गुजरात साक्षी बना। डीजी वंजारा का नाम जिन मुठभेड़ों में सामने आया वे हैं 2002 में समीर खान, 2003 में सादिक जमाल और 2004 में इशरत जहां समेत 2004 में अन्य तीन मुठभेड़।

26 नवंबर 2005 को अपराधी सोहराबुद्दीन शेख को अहमदाबाद के पास गुजरात पुलिस ने गोली मार दी थी। पुलिस के अनुसार वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश में शामिल था। पुलिस ने उसके वाहन को रोकने का प्रयास किया था लेकिन शेख ने गोली चलाई जिसके जवाब में पुलिस ने भी क्रॉसफायर किया जिसमें वह घायल हो गया जिससे उसकी मौत हो गई। सोहराबुद्दीन शेख के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को अगले ही वर्ष 28 दिसंबर की सुबह में एक अन्य मुठभेड़ में गोली मार दी गई थी। प्रजापति की मुठभेड़ में आधिकारिक बयान यह था कि वह पुलिस हिरासत से भाग गया था और जब पुलिस ने उसे पकड़ने की कोशिश की तो वह जवाबी कार्रवाई में मारा गया।

सोहराबुद्दीन शेख के भाई रुबाबुद्दीन शेख ने अपनी भाभी कौसरबी को सामने लाने के लिए मुठभेड़ के बाद सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाख़िल की। अदालत के द्वारा कोई भी आदेश देने से पहले गुजरात सरकार ने एक रिपोर्ट दाख़िल की जिसमें कहा गया था कि कौसरबी की मृत्यु हो गई और 25 नवंबर 2005 को गुजरात के एलोल गांव में उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। यह बताने के लिए उपयोगी हो सकता है कि डीजी वंजारा का संबंध एलोल गांव से है। गुजरात सरकार की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया और गुजरात के बाहर अदालत की कार्यवाही की अनुमति दी।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पूरे मामले को एक ही न्यायाधीश द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए लेकिन अमित शाह के बारे में कथित टिप्पणी को लेकर न्यायाधीश उत्तप को स्थानांतरित कर दिया गया। इसके बाद जून 2014 में न्यायाधीश लोया ने सुनवाई शुरू की। हालांकि इसी साल दिसंबर में न्यायाधीश लोया की मौत कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से हो गई। इस महीने के आख़िर तक अमित शाह को रिहा कर दिया गया। अगस्त 2017 में आतंकवाद विरोधी दल (एटीएस) के पुलिस कर्मियों को रिहा कर दिया गया। हालांकि, नवंबर 2017 में, कारवां पत्रिका ने लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित की जिसमें आरोप लगाया गया कि न्यायाधीश लोया की मौत प्राकृतिक नहीं थी।

इन लेखों के चलते लोगों में गुस्सा भड़क गया और अदालत द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) से स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। हालांकि इन याचिकाओं को 19 अप्रैल 2018 को ख़ारिज कर दिया गया। न्यायाधीश लोया की असामयिक मौत के संबंध में एक याचिका अधिवक्ता सतीश यूके द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ के समक्ष दायर की गई। याचिका में आरोप लगाया गया है कि न्यायाधीश लोया की मौत रेडियोएक्टिव आइसोटोप के ज़हर से हुई थी। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि उनकी जान को ख़तरा है।

Sohrabuddin Sheikh
Amit Shah
ATS
Fake encounter
Gujrat
CBI
RUBABUDDIN
AZAM KHAN
TULSIRAM PRJAPATI

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?

हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

दक्षिणी गुजरात में सिंचाई परियोजना के लिए आदिवासियों का विस्थापन

27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?

सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ नया मामला दर्ज किया, कई जगह छापे मारे

क्या हिंदी को लेकर हठ देश की विविधता के विपरीत है ?

मोदी-शाह राज में तीन राज्यों की पुलिस आपस मे भिड़ी!


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License