NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अपनी माँगों को लेकर किसान और श्रमिक 5 सितंबर को करेंगे रैली
यहाँ प्रमुख माँगों का एक संक्षिप्त विवरण दिया गया है जिसे दिल्ली की ऐतिहासिक श्रमिक-किसान रैली में शामिल मज़दूर नेता मोदी सरकार के सामने उठाना चाहते हैं।
सुबोध वर्मा
04 Sep 2018
mazdoor kisan

5 सितंबर को लाखों की संख्या में श्रमिक, कर्मचारी, किसान और कृषि श्रमिक देश की राजधानी दिल्ली पहुंच कर मोदी सरकार को चुनौती देंगे। देश भर से आ रही ख़बरों से पता चलता है कि देश के लगभग सभी ज़िलों में प्रचारों -बैठकों, प्रक्रियाओं, 9 अगस्त को जेल भरो, 14 अगस्त को सामूहिक जागरण ने उन्हें देश के राजधानी की तरफ आने के लिए प्रेरित किया है। वे इतिहास बनने वाले इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना चाहते हैं, भारत में काम करने वाले लोगों के तीन मुख्य वर्ग, गैर-कृषि श्रमिक/कर्मचारी, किसान और कृषि मज़दूर एकजुटता के साथ इस विशाल रैली का आयोजन करने जा रहे हैं। सीआईटीयू, एआईकेएस और एआईएडब्ल्यूयू द्वारा आयोजित रैली का उद्देश्य मोदी सरकार द्वारा बड़े उद्योगपतियों के हितों का ख़्याल रखने और श्रमिकों के प्रति उसकी उदासीनता को लेकर चुनौती देना है।

rally

5 सितंबर को दिल्ली में आयोजित विशाल किसान मजदूर संघर्ष रैली में हिस्सा लेने के लिए महाराष्ट्र के पालघर में एक ट्रेन में सवार होने के लिए कतार में खड़े श्रमिक।

ये रैली ज़हरीली सांप्रदायिक और छद्म-राष्ट्रीय विचारधारा को अस्वीकार करने को लेकर भी है जो मोदी सरकार की मौन सहमति के चलते पिछले साढ़े सालों में संघ परिवार द्वारा ज़ोरदार तरीक़े से प्रचारित किया गया है। श्रमिकों की ये एकता धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के नाम पर विभाजन की उत्तेजक राजनीति के लिए सीधी चुनौती है।

श्रमिकों और किसानों की मुख्य मांगें निम्न हैं:

1. मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण करना; सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमिकिकरण; आवश्यक वस्तुओं के व्यापार के प्रोत्साहन पर प्रतिबंध लगाना

2. बेहतर रोज़गार पैदा करने के लिए ठोस उपायों को लागू करना

3. सभी श्रमिकों के लिए कम से कम प्रति माह 18000 रुपए की न्यूनतम मज़दूरी घोषित करना

4. श्रमिक विरोधी श्रम कानून संशोधन वापस लेना

5. समय पर सार्वजनिक ख़रीद और स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के अनुसार किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना

6. ग़रीब किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए क़र्ज़ माफी लागू करना

7. कृषि श्रमिकों के लिए व्यापक केंद्रीय क़ानून पारित करना

8. सभी ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा लागू करना और शहरी क्षेत्रों को कवर करने के लिए इस अधिनियम में संशोधन करना

9. सभी के लिए खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास सुनिश्चित करना

10. सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना

11. पुरुषों और महिलाओं के समान काम के लिए समान मज़दूरी और रोज़गार का कोई ठेका नहीं।

12. पुनर्वितरण भूमि सुधारों को लागू करना

13. जबरन ज़मीन अधिग्रहण बंद करना

14. प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों के लिए राहत और पुनर्वास प्रदान करना

15. नवउदार नीतियों को बदलना

रैली से राजधानी के अस्त व्यस्त होने की संभावना

आयोजकों से मिली ख़बरों के मुताबिक़ संभावना है कि इस रैली के चलते राजधानी दिल्ली अस्त व्यस्त हो जाएगी क्योंकि इस विरोध में देश भर से लोग संसद के पास संसद मार्ग पर इकट्ठा होंगे। मुख्य जुलूस रामलीला मैदान (नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के नज़दीक) से शुरू होगा। यहां एक विशाल शिविर बनाया गया है जहां दूरदराज के स्थानों से आने वाले लोग यहां आराम कर सकते हैं। दिल्ली के नज़दीक गाज़ियाबाद में एक अन्य शिविर लगाया गया है। यह बताया गया है कि कुछ संघों (जैसे दूरसंचार और बीमा क्षेत्र) के कर्मचारी शहर के विभिन्न स्थानों पर इकट्ठा होंगे और इस स्थान की ओर जाएंगे। दिल्ली में विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के श्रमिक इन प्रक्रियाओं में पैदल मार्च करेंगे या साइकिल से शामिल होंगे।

महिला सहभागी

महिला श्रमिकों के अलावा, विशेष रूप से योजना श्रमिक 5 सितंबर की रैली में शामिल होंगी और उधर 4 सितंबर को एआईडीडब्ल्यूए की एक अलग रैली में शामिल हो रहीं हजारों महिलाएं भी 5 सितंबर को होने वाली रैली में हिस्सा लेंगी। महिला श्रमिकों के दल के सशक्त भागीदारी की उम्मीद है। योजना कर्मचारी वे हैं जो विभिन्न सरकार-प्रायोजित योजनाओं या आईसीडीएस (आंगनवाड़ी), एनएचएम में कार्यरत आशा/उषा, मीड-डे-मील बनाने आदि कार्यक्रमों में काम करती हैं। वे अन्य मांगों के साथ नियमितकरण, बेहतर मज़दूरी और सामाजिक सुरक्षा की मांग कर रही हैं। महिलाओं का एक और बड़ा दल देश के विभिन्न हिस्सों के कृषि श्रमिक होंगे।

mazdoor kisan rally

5 सितंबर को होने वाली मज़दूर किसान संघर्ष रैली में शामिल होने के लिए दिल्ली आने के लिए महाराष्ट्र के पालघर रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद।

workers and peasant
wokers-peasant protest
CITU
AIKS
Right to education

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते
    29 May 2022
    उधर अमरीका में और इधर भारत में भी ऐसी घटनाएं होने का और बार बार होने का कारण एक ही है। वही कि लोगों का सिर फिरा दिया गया है। सिर फिरा दिया जाता है और फिर एक रंग, एक वर्ण या एक धर्म अपने को दूसरे से…
  • प्रेम कुमार
    बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर
    29 May 2022
    शिक्षाविदों का यह भी मानना है कि आज शिक्षक और छात्र दोनों दबाव में हैं। दोनों पर पढ़ाने और पढ़ने का दबाव है। ऐसे में ज्ञान हासिल करने का मूल लक्ष्य भटकता नज़र आ रहा है और केवल अंक जुटाने की होड़ दिख…
  • राज कुमार
    कैसे पता लगाएं वेबसाइट भरोसेमंद है या फ़र्ज़ी?
    29 May 2022
    आप दिनभर अलग-अलग ज़रूरतों के लिए अनेक वेबसाइट पर जाते होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पता लगाएं कि वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। यहां हम आपको कुछ तरीके बता रहें हैं जो इस मामले में आपकी मदद कर…
  • सोनिया यादव
    फ़िल्म: एक भारतीयता की पहचान वाले तथाकथित पैमानों पर ज़रूरी सवाल उठाती 'अनेक' 
    29 May 2022
    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा और एक्टर आयुष्मान खुराना की लेटेस्ट फिल्म अनेक आज की राजनीति पर सवाल करने के साथ ही नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के राजनीतिक संघर्ष और भारतीय होने के बावजूद ‘’भारतीय नहीं होने’’ के संकट…
  • राजेश कुमार
    किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है
    29 May 2022
    अजय सिंह की सारी कविताएं एक अलग मिज़ाज की हैं। फॉर्म से लेकर कंटेंट के स्तर पर कविता की पारंपरिक ज़मीन को जगह–जगह तोड़ती नज़र आती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License