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इतवार की कविता

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  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    अवधी में ग़ज़ल: ...मंदिर मस्जिद पेट हमार न भरिहैं साहेब
    11 Oct 2020
    हिंदी-उर्दू के मशहूर शायर ओम प्रकाश नदीम ने अवधी बोली में ग़ज़ल कहने की कोशिश की है और ये कोशिश बेहतरीन साबित हुई है। नदीम साहब ने अपने पूरे तेवर और सरोकार के साथ ये ग़ज़लें कहीं हैं। ‘इतवार की कविता’…
  • Vishnu Khare
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    लिखो तो डरो कि उसके कई मतलब लग सकते हैं...
    20 Sep 2020
    हिंदी के अनूठे कवि-लेखक, अनुवादक, पत्रकार विष्णु खरे की 19 सितंबर को दूसरी पुण्यतिथि थी। आइए आज इतवार की कविता में पढ़ते हैं उनकी एक महत्वपूर्ण कविता- डरो।
  • भूल-ग़लती आज बैठी है ज़िरहबख्तर पहनकर
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    भूल-ग़लती आज बैठी है ज़िरहबख्तर पहनकर
    13 Sep 2020
    हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि-लेखक गजानन माधव मुक्तिबोध की बीती 11 सितंबर को पुण्यतिथि थी। 11 सितंबर, 1964 को उनका महज़ 46 साल की कम उम्र में निधन हो गया था। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं आज उनकी…
  • अशोक साहिल
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    बुलंदियों पे पहुँचना कोई कमाल नहीं, बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है
    06 Sep 2020
    राहत इंदौरी के बाद शायर अशोक साहिल भी हमें छोड़कर चले गए। बीती 24 अगस्त को उनका मेरठ के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह गुर्दे में संक्रमण के चलते काफी समय से बीमार चल रहे थे। 1955 में उत्तर प्रदेश के…
  • M M Kalburgi
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    तुम कैसे मारोगे-कितनों को मारोगे/तुम्हारे पास इतनी बंदूकें नहीं/जितने हमारे पास क़लम हैं
    30 Aug 2020
    प्रमुख कन्नड़ विद्वान और तर्कवादी विचारक डॉ. एमएम कलबुर्गी की आज ही के दिन 30 अगस्त, 2015 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अभी तक किसी को सज़ा नहीं मिली है। इसी तरह उनसे पहले तर्कवादी…
  • प्रतीकात्मक तस्वीर
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ख़रीदो, ख़रीदो, चमन बिक रहा है
    23 Aug 2020
    आज की सरकारें जिस तरह विकास के नाम पर पूरा देश बेचने पर आमादा हैं, उसी पर तंज़ करते हुए शायर ओमप्रकाश 'नूर’ ने एक शानदार नज़्म कही है-''चमन बिक रहा है''। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं आइए उनकी यही…
  • …‘सुंदरता के दुश्मनो, तुम्हारा नाश हो !’
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    …‘सुंदरता के दुश्मनो, तुम्हारा नाश हो !’
    16 Aug 2020
    वरिष्ठ कवि और लेखक अजय सिंह इसी अगस्त 73 बरस के हो गए। हमारी आज़ादी की तरह। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी दो ख़ास कविताएं।
  • cartoon click
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं हूं
    16 Aug 2020
    ‘इतवार की कविता’ के जरिये हमारी कोशिश है, जनता के शायर राहत इंदौरी को फिर-फिर याद करने की, सलाम पेश करने की।
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...पूरे सिस्टम को कोरोना हो गया था और दुर्भाग्य से हमारे पास असली वेंटिलेटर भी नहीं था
    02 Aug 2020
    “वो सबकुछ छीनकर/ वो सबका छीनकर/ बन रहे थे ‘आत्मनिर्भर’/ बदल रहे थे/ आपदा को अवसर में / जिसे कहते हैं दरअसल- मौक़ापरस्ती...।” ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं लॉकडाउन की कहानी कहती कवि-पत्रकार मुकुल सरल…
  • समाज
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...कैसा समाज है जो अपनी ही देह की मैल से डरता है
    26 Jul 2020
    “और मैं बार-बार पूछता रहूंगा वही एक पुराना सवाल-यह दुनिया ऐसी क्यों है?”, वरिष्ठ कवि अरुण कमल को पढ़ना अपने समय-समाज की एक पूरी यात्रा करना है। एक मुठभेड़ भी। आज ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी…
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License